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मणिकर्णिका योगिनी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग बात करेंगे योगिनी साधना के विषय में और वह भी एक ऐसी महत्वपूर्ण और अत्यंत शक्तिशाली योगिनी शक्ति जिनको हम माता मणिकर्णिका की मूल योगिनी कहते हैं। आप लोग माता मणिकर्णिका के विषय में तो जानते ही होंगे? अगर नहीं जानते हैं तो उस संबंध में भी मैं आपको। वाराणसी की। मणिकर्णिका घाट के विषय में बताता हूं। और यह जो स्वरूप है माता का मणिकर्णिका उनकी जो मूल योगिनी है। उनके ही नाम से जानी जाती हैं। असल में मणिकर्णिका घाट वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध घाट है। मान्यता के अनुसार यहां पर मां भगवती पार्वती का कर्णफूल यहां के कुंड में गिर गया था, जिसे ढूंढने के लिए भगवान शंकर जी ने प्रयास किया था। जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया।

एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान शंकर जी द्वारा माता पार्वती के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। जिस कारण इसे महा शमशान भी कहा जाता है। यहां पर दाह संस्कार होते हैं। और यहां पर शक्ति पीठ विशालाक्षी जी का मंदिर विद्यमान है। एक मान्यता के अनुसार स्वयं यहां आने वाले मृत शरीर के कानों में तारक मंत्र का उपदेश देते हैं और मुक्ति प्रदान करते हैं। इससे जुड़ी हुई अन्य कहानियां भी हैं। इस घाट से जुड़ी दो कहानियां है जिसमें एक के अनुसार स्वयं भगवान विष्णु ने शिव की तपस्या करते हुए अपना सुदर्शन चक्र से यहां पर एक कुंड को खोदा था और उस तपस्या के समय उनके शरीर से स्वेद निकला था जो यहां भर गया था तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर आए हुए भगवान विष्णु के कान की मणिकर्णिका उस कुंड में साधना के दौरान गिर गई थी। इसी कारण से यह मणिकर्णिका नाम पाया।

एक और कथा इस संबंध में आती है जब भगवान शिव को अपने भक्तों से लगातार संपर्क के कारण छुट्टी नहीं मिल पा रही थी। तब मां पार्वती उस समय परेशान हो गई। शिवजी को रोके रखने हेतु इन्होंने अपने कान की मणिकर्णिका छुपा दी और शिवजी से उन्हें ढूंढने के लिए कहा था। शिवजी उसे ढूंढ नहीं पाए और आज तक जिस की भी अंत्येष्टि इस घाट पर की जाती है, वे उससे पूछते हैं कि क्या उसने देखी हैं। इसी खाट किए विशेषता है कि यहां लगातार हिंदू अंत्येष्टि होती रहती हैं और घाट की चिता लगातार जलती रहती है, कभी भी बुझने नहीं पाती। इसी कारण इसको महा शमशान के नाम से जाना जाता है। एक चिता की अग्नि समाप्त होने तक दूसरी चिता में आग लगा ही दी जाती है। 24 घंटे ऐसा ही चलता है। वैसे तो लोग श्मशान घाट को जाना पसंद नहीं करते पर यहां पर विदेशी लोग भी आते जाते रहते हैं। वाराणसी के 84 घाटों में यह सबसे अधिक प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट है। अब मैं आपको देवी संबंध में कुछ बातें बताना चाहता हूं, फिर उनकी योगनी शक्ति के विषय में बात करेंगे।

कहते हैं मणिकार्णिका देवी जो है वह दिव्य माता का रूप कहा जाता है। वह शक्ति रूप में पूजी जाती हैं। पुराणों में भय धन और संतान प्राप्ति, विवाह संबंधी समस्याओं और मोक्ष के लिए इनकी पूजा की जाती देवी
उनके दाहिने हाथ में कमल का फूल विराजमान है जो कि एक माला से गूँथा हुआ है और उनके बाएं हाथ में बिजोरे का फल दिखाई पड़ता है। उनकी गर्दन सफेद फूलों और गहनों की एक माला से सजी हुई है जो कि सफेद रंग की, रंग चमकता हुआ पूर्ण पूर्णिमा के जैसा दिखाई पड़ता है। उनकी तीन आंखें हैं जो सूर्य के समान तेजस्वी है। वह पश्चिम की ओर मुख करके विद्यमान हैं। मणिकर्णिका देवी को सिद्ध करने के लिए उनकी साधना और उपासना की जाती है।

यहां पर मैं आपको इन्हीं देवी की योगिनी शक्ति जो मणिकर्णिका के नाम से ही जानी जाती हैं, उनकी साधना के विषय में बताने जा रहा हूं।

तो सबसे पहले यह जानने की योगिनी साधना के लिए आपको किसी महा शमशान या फिर शमशान अथवा घर में निर्मित किया गया। हवन कुंड। आवश्यक रूप से चाहिए होगा। इसमें आपको लगातार अग्नि जलाकर रखनी है। अगर आप यह साधना घर में करना चाहते हैं तो? अन्यथा सबसे उत्तम होगा कि आप इस साधना को मणिकर्णिका घाट पर करें। अगर वहां नहीं कर सकते हैं तो किसी भी महा श्मशान में करें और वहां भी करना अगर आपके लिए संभव नहीं है तो घर में ऐसा हवन कुंड तैयार करें जिसकी अग्नि बुझने ना पाए। अब उसके सामने! लाल वस्त्र!

पहनकर और। लाल ऊनी कंबल के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य आपको जाप करना है। इनकी साधना सिद्धि के लिए। आपको? कुल 21 दिनों में 300000 मंत्र जाप। संपन्न कर लेना होगा।

इनकी सिद्धि हो जाने पर देवी साक्षात रुप में आपके सामने आकर दर्शन देती हैं और आपको सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती है। यह गुप्त योगनियों में मानी जाती हैं और इनकी सिद्धि हो जाने पर आप इनसे जो इच्छा हो वह कार्य करवा सकते हैं। देवी आपके कान पर आकर विराजमान हो जाती हैं और आपको बताते हैं। इसके अलावा गुप्त तरीके से आपको इनके दो कान में पहने जाने वाले कर्ण फूल प्राप्त होते

आपके कानों में आ जाती हैं जो दिखाई नहीं पड़ती है। यह साक्षात होती हैं और जब आप इन्हें अपनी उंगलियों से छेड़ते हैं, तभी देवी का मंत्र जपते हुए देवी योगिनी आपके सामने साक्षात प्रकट हो जाती हैं। देवी बहुत अधिक शक्तिशाली है। इनका सिद्धि करण आसानी से नहीं होता है लेकिन पूर्ण सिद्धि हो जाने पर। जीवन में ऐसा कोई कार्य नहीं है जो आप संपन्न ना कर पाए। यहां तक कि आप दूसरों के कार्यों को भी बना सकते हैं। कोई भी व्यक्ति आपके पास जो भी समस्या लेकर के आता है, उसकी समस्या आप हल कर सकते हैं। देवी मणिकर्णिका अपने ज्ञान और अपनी सामर्थ्य से स्वयं। माता पार्वती की पूर्ण शक्ति का परिचय करवाती रहती हैं। अब हम लोग इनके मंत्र के विषय में जान लेते हैं। इनका मंत्र है –

ओम ऐं ह्री श्रीं क्लीं मं मणिकर्णिके योगिनी नमः स्वाहा। इस प्रकार से इनकी इस मंत्र का आपको कुल 300000 मंत्र जाप।

संपन्न करना होगा 21 दिनों में और मंत्र जाप के बाद आपको!

हवन में शहद, शुद्ध गाय का घी,चीनी, बिंजोरे के फल के साथ में मिलाकर के अर्पित करना है।

और दशांश हवन प्रतिदिन संपन्न करता है।

जिस भी स्थान पर आप साधना करेंगे वह स्थान 0  होना चाहिए और उस स्थान में किसी और का प्रवेश वर्जित हो। 21 दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें और। इस दौरान स्वयं भोजन बनाएं। साधना के बाद में उसी स्थान पर।

थोड़ी दूर बिस्तर बिछा कर शयन कर ले। और इस प्रकार से रोज शुद्ध होकर स्नान करें रात्रि के 9:00 बजे से आप यह साधना शुरू कर सकते हैं और इस प्रकार 21 दिनों तक यह साधना करें। अगर आप किसी श्मशान में यह साधना करते हैं तो आपको किसी रक्षा कवच की आवश्यकता अवश्य होगी और अगर घर में करते हैं तो अपने चारों तरफ रक्षा कवच अवश्य ही बना ले। क्योंकि बहुत सारी समसानी शक्तियां इसमें आपको परेशान कर सकती हैं। और आपका साधना तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं।

इस साधना के दौरान! शांत चित्त रहते हुए मुंह से कम से कम शब्दों का उच्चारण करना है और किसी को श्राप या आशीर्वाद देने जैसे कार्यों से बचना है। हो सके तो? 21 दिनों तक के लिए गुप्त ही रहे ताकि आपको इस मंत्र की पूर्ण सिद्धि हो सके।

अगर आप इस साधना को मणिकर्णिका घाट पर करते हैं तो अवश्य ही इसकी सिद्धि प्राप्त होती है किंतु! उस स्थान पर करने के लिए आपको जन शून्यता की आवश्यकता है और इस साधना में सफलता के लिए सबसे पहले! भगवान गणेश के मंत्र पढ़ते हुए उसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप कीजिए और फिर मां पार्वती के मंत्रों का जाप कर उसके बाद ही इस मंत्र की साधना और अनुष्ठान को शुरू कीजिए तो इस प्रकार से अगर आप यह करेंगे तो आपको देवी मणिकर्णिका योगिनी की सिद्धि प्राप्त होती है और उनकी सिद्धि से आपके सभी बिगड़े कार्य तो बनते ही हैं। साक्षात दर्शन होने पर वह आपको सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं। तो? आज का यह वीडियो अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

 

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