मधुमती योगिनी कथा और साधना भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम मधुमती योगिनी साधना के अनुभव को आगे बढ़ाते हैं और जानते हैं कि मधुमति देवी का प्रादुर्भाव इस धरा पर किस प्रकार हुआ था। पिछलेभाग में आपने जाना माधव आश्चर्य में आ चुका था कि यह स्त्री कौन है। उस स्त्री से वह पूछने लगा देवी आप यह मुझे बताइए आप जल से कैसे निकल कर बाहर आए हैं। क्या आप कोई देवीय शक्ति हैं? तब इस प्रकार बोलने पर वह कहने लगी कि सुनो यह पहली बार है इस। पृथ्वी लोक में मेरा आगमन हुआ है और मैं अपनी कुछ योगिनी शक्तियों के साथ पृथ्वी पर आई थी। यह स्थान तपस्वियों की स्थली है। इसी कारण से मेरा मन यहां रुकने को हुआ। और अचानक से ही मेरे मन में कुछ ऐसे भाव जागृत हुए जिसकी वजह से मुझे अपने स्वामी को प्राप्त करने की इच्छा हुई। असल में मैं तुम्हें अपने बारे में वास्तविकता से बताती हूं। तुम पहले पुरुष हो जिसको मैं अपना ज्ञान स्वयं दे रही हूं। मेरा नाम मधुमति है। मेरी हमेशा प्रेम, सौंदर्य और विवाह से संबंधित इच्छाएं जागृत रहती हैं। मैं प्रत्येक पुरुष को समस्त सुख देना चाहती हूं किंतु वही जो मुझे प्राप्त करने की सामर्थ्य रखता हो। ऐसा पुरुष जल्दी मुझे नहीं दिखता है क्योंकि जो भी कामवासना से भरा है, वह मुझे क्या प्राप्त करेगा। मैं काम को प्रेम का एक मार्ग बना देती हूं। ऐसा जिससे आनंद में हजार गुना बढ़ोतरी हो जाए। तब उन्हें एकटक देखते हुए माधव ने कहा देवी आप का प्रादुर्भाव कैसे हुआ था, आप का वास्तविक स्वरूप क्या है, इसके विषय में मुझे बताइए। तब? शक्तिशाली योगिनी देवी ने कहा, सुनो आज से कई हजार वर्ष पूर्व मां जगदंबा दुर्गा का प्रादुर्भाव इस धरा पर हुआ था। और वह राक्षसों से युद्ध करने के लिए जब तैयार हो रही थी तब उनके अंदर कोई भय ना आए और इसी प्रकार से वह किसी थकावट के अधीन न हो जाए। यह सोचकर देवता कुबेर के पास गए और उनसे कहा कि देवी को ऐसा कोई द्रव्य दो जिससे वह प्रसन्न होकर राक्षसों का वध करें। उन पर नशा छाया रहे और थकावट बिल्कुल भी ना आए। तब कुबेर जी ने एक दिव्य मधु को प्रकट किया था इस मधु को लेकर वह देवी के पास पहुंच गए और उन्हें यह द्रव्य देकर अर्पित किया और कहा, मेरी प्रसन्नता के लिए माता आप इसे ग्रहण कीजिए। इसे खाने के बाद आप थकावट महसूस नहीं करेंगी और राक्षसों का वध प्रेम पूर्वक करेंगी। आपको मादकता, आपके शरीर पर हावी रहेगी। इस प्रकार जब देवी ने मधु पिया और लड़खड़ाते हुए महिषासुर के वध के लिए उसे पीने लगी तब उन्होंने कहा था कि ओ मूढ़ तू जब तक गर्जना करना है करता रह। अब शीघ्र ही देवता गर्जना करेंगे और तेरा वध मै मधु पीकर करूंगी।वह दिव्य विभिन्न प्रकार की ऊर्जा से भरा हुआ मधु जब देवी मां पी रही थी तब कुछ बूंदे उनके मुंह से लगकर नीचे की ओर पृथ्वी पर आ कर गिरी क्योंकि उस वक्त देवी मां और उनकी शक्तिशाली योगिनी शक्तियां वहां पर प्रकट थी और राक्षसों के वध के लिए तैयार खड़ी थी। उन सब का रूप स्वरूप बहुत सुंदर और पूर्ण नग्न था। हाथ में कटार लिए हुए वह सारी देवी शक्तियां राक्षसों का वध करने के लिए वहां पर खड़ी थी। उनके शरीर से तेज निकल रहा था। उनकी सुंदरता और उनके नग्न स्वरूप को देखकर बहुत से राक्षसों के अंदर कामवासना जाग गई और उन्हें देखकर उनके अंदर उन्हें प्राप्त करने की इच्छा बहुत तीव्रता से बढ़ गई। इसी दौरान एक राक्षस के मुंह में वह मधु जाकर गिर गया। उसे पीकर वह और भी अधिक आनंदित हो गया, क्योंकि वह माता का तेज लिया हुआ मधु था अब उस मधु को पीकर राक्षस और भी अधिक योगनियों को प्राप्त करने की इच्छा करने लगा और वह तीव्रता से एक शक्तिशाली योगिनी की ओर बढ़ा। देवी ने उसे ललकार कर कहा, मैं तेरा वध कर दूंगी। तब दीदी ने उस पर प्रहार किया, लेकिन मां दुर्गा की शक्ति का कुछ अंश उस मधु में मौजूद था, इसलिए उसका शरीर वज्र का हो गया था। योगिनी को देखकर वह उसे पकड़ने के लिए दौड़ा और गले लगा लिया। उसके अंदर तीव्र कामवासना जाग गई थी। इससे देवी योगिनी को बहुत अधिक क्रोध आया। उन्होंने अपना स्वरूप विशालकाय बना लिया। और क्रोध में भरी हुई उन योगिनी देवी ने उस राक्षस को निगल लिया। राक्षस उनके पेट में जाकर गरल गया, लेकिन वह मधु जो उस राक्षस ने पिया था, वह धीरे धीरे देवी की योनि मार्ग से होता हुआ बाहर निकल कर आ गया। जैसे ही वह धरती पर गिरा। अचानक से मेरा प्रादुर्भाव हो गया। मैंने युद्ध के समय सभी को देखा। क्योंकि राक्षस ने मुझे ग्रहण किया था। इसीलिए मेरे अंदर कामवासना भी आ गई लेकिन क्योंकि देवी मां का अंश भी मेरे अंदर मौजूद था क्योंकि मैं उनके होंठ को छूकर राक्षस के मुंह में गिरी थी। इसीलिए मेरे अंदर अतुलनीय शक्तियां मौजूद है। मेरी जैसी दूसरी कोई सौम्य और शक्तिशाली योगिनी नहीं है। इस प्रकार से मेरे अंदर सदा ही प्रेम और कामवासना का वास हो गया। मैं धरती पर आकर अपने लिए उचित वर की तलाश करने लग गई। लेकिन क्योंकि मेरे अंदर देवी शक्ति का अंश मौजूद था। इसी कारण से जो पुरुष महा तपस्वी होगा और मेरी साधना कर मुझे सिद्ध कर लेगा केवल उसे ही मैं अपना स्वामी बनाकर भोग से संतुष्ट करूंगी और उसे समस्त प्रकार की सांसारिक सिद्धियां प्रदान करने के साथ उसके जीवन को आनंदमय बना दूंगी। यही मेरे प्रादुर्भाव का वास्तविक रहस्य है। क्योंकि मधु यानी शहद के कारण मेरा जन्म हुआ था। इसीलिए मेरा नाम मधुमति है। यह सुनकर माधव देवी को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुआ और कहने लगा। अगर मैं अपने हृदय की बात कहूं तो आपको प्राप्त करना चाहता हूं। तब देवी ने कहा, उस दिन जितनी भी बूंदे गिरी थी। उनसे बहुत सारी मधुमति शक्ति नाम की योगिनी शक्तियां प्रकट हो गई थी। उनमें से एक मैं भी थी लेकिन नियम के अनुसार अगर तुम्हें मुझे प्राप्त करना है तो यह बात सत्य जान लो कि मुझे सिद्ध करना पड़ेगा और इसमें मैं कोई भी तुम्हारी सहायता नहीं करने वाली। जाओ अपने गुरु के पास जाओ उनसे मेरी सिद्ध करने की विद्या को प्राप्त करो। इस प्रकार कहते हुए देवी वहां से गायब हो गई। माधव अब बेचैन था। वह जल लेकर तुरंत दौड़ता हुआ अपने गुरु के पास पहुंचा और उनसे कहने लगा। गुरुदेव आप मुझे एक रहस्यमय शक्ति की सिद्धि का मार्ग बताएं। गुरु संजीवन जल को देखकर समझ गए और कहने लगे। यह तो किसी दिव्य शक्तिशाली योगिनी का जल है। इस जल में विभिन्न प्रकार की सिद्धियां स्वता ही मौजूद हैं और उन्होंने अपनी योग शक्ति के माध्यम से सारी बात को जान लिया और उन्होंने कहा माधव अगर तुम इस देवी को सिद्ध करना चाहते हो तो अवश्य सिद्ध करो, लेकिन तुम मोक्ष की राह से भटक मत जाना, क्योंकि जिस मधु को राक्षस ने ग्रहण किया था, इस कारण राक्षसी भाव भी देवी के अंदर मौजूद है। यह प्रेम सौंदर्य कामवासना सभी कुछ तुम्हें प्रदान करेंगी लेकिन मोक्ष नहीं देंगी। इस बात को समझ कर कि तुम आगे बढ़ो तब माधव ने कहा, गुरुदेव में इनका संयास आश्रम तक साथ रखूंगा। यानी गृहस्थ आश्रम और वानप्रस्थ आश्रम में मैं इनका भोग उपभोग कर लूंगा और उसके बाद इन्हें विदा देखकर सन्यास लेकर मोक्ष प्राप्त का कार्य करूंगा इसलिए मुझे आज्ञा प्रदान कीजिए और इनकी सिद्ध करने की विधि प्रदान कीजिए। तब गुरु संजीवन ने योग साधना के माध्यम से देवी मधुमति का आवाहन किया और उन के माध्यम से सारा ज्ञान उनकी सिद्धि का प्राप्त कर लिया। अब अवसर था इस विद्या को अपने शिष्य माधव को देने का आगे क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर आपको यह दे। यह कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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मधुमती योगिनी कथा और साधना भाग 3
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