नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग भगवान महाकालेश्वर जी की साधना के विषय में बात करेंगे और अगर इनकी सात्विक और सरल साधना के विषय में बात की जाए तो वह है चालीसा साधना जिसमें दोहा और चौपाई के माध्यम से। हम इनकी बहुत ही सरल साधना कर सकते हैं और यह कोई विशेष तांत्रिक साधना भी नहीं है जो आप को कोई खतरा या कोई परेशानी का सामना करना पड़ा। इसीलिए जितने चालीसा होते हैं उन सब की साधना बड़ी आसानी से की जा सकती है और एक छोटा बच्चा भी इन साधना को कर सकता है। तू महाकालेश्वर जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी साधना करने का विधान बताया गया है और इसमें अगर आप रात्रि के 12:00 बजे गुप्त एकांत स्थल में इस साधना को करते हैं तो सभी प्रकार की। सिद्धियां और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इस साधना को करने के लिए ना कोई माला की आवश्यकता है और ना ही किसी विशेष आयोजन की सिर्फ महाकालेश्वर जी के फोटो या यंत्र के सामने बैठ जाए और चालीसा का 40 दिन तक पाठ करें। रोज एक बार से लेकर के अपनी सामर्थ्य अनुसार 11, 21, 41 या 108 बार जाप करना चाहिए। जो लोग 108 बार जप करते हैं उन्हें 40 में दिन से पहले ही सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है। और कृपा प्राप्त करने के लिए आप! महाकालेश्वर के इस चालीसा को रोज एक बार भी पढ़ेंगे तो भी उनकी कृपा अवश्य ही आपके ऊपर बरसेगी। इनकी साधना से रोग दोष। मृत्यु संकट। दुर्घटनाएं। किसी प्रकार की जानलेवा बीमारी और भूत प्रेत बाधा जैसी।तांत्रिक क्रियाएं। और तंत्र भी नष्ट होते हैं जो उन पर किए जाते हैं और साधक हर प्रकार से सुरक्षित रहता है। जिन लोगों को रोज चलना होता है या जो ट्रैवल करते हैं, उन्हें महाकालेश्वर साधना अवश्य करनी चाहिए। इससे उनके शरीर की रक्षा होती रहेगी। इसके अलावा विद्या बुद्धि तेज बल। धन-धान्य अक्षय को सभी कुछ इनकी कृपा से प्राप्त होता रहता है। तो चलिए शुरू करते हैं इनके। चालीसा को पढ़ना और। उस ज्ञान से अपने आपको भी तृप्त करते हैं और उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं।
महाकालेश्वर चालीसा
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दोहा
श्री महाकाल भगवान की महिमा अपरम्पार,
पूरी करते कामना भक्तों की करतार।
विद्या – बुद्धि – तेज – बल – दूध – पूत – धन – धान,
अपने अक्षय कोष से भगवान करो प्रदान।।
चौपाई
जय महाकाल काल के नाशक।
जय त्रिलोकपति मोक्ष प्रदायक।।१।।
मृत्युंजय भवबाधा हारी।
शत्रुंजय करो विजय हमारी।।२।।
आकाश में तारक लिंगम्।
पाताल में हाटकेश्वरम्।।३।।
भूलोक में महाकालेश्वरम्।
सत्यम् – शिवम् और सुन्दरम्।।४।।
क्षिप्रा तट ऊखर शिव भूमि।
महाकाल वन पावन भूमि।।५।।
आशुतोष भोले भण्डारी।
नटराज बाघम्बरधारी।।६।।
सृष्टि को प्रारम्भ कराते।
कालचक्र को आप चलाते।।७।।
तीर्थ अवन्ती में हैं बसते।
दर्शन करते संकट हरते।।८।।
विष पीकर शिव निर्भय करते।
नीलकण्ठ महाकाल कहाते।।९।।
महादेव ये महाकाल हैं।
निराकार का रूप धरे हैं।।१०।।
ज्योतिर्मय – ईशान अधीश्वर।
परम् ब्रह्म हैं महाकालेश्वर।।११।।
आदि सनातन – स्वयं ज्योतिश्वर।
महाकाल प्रभु हैं सर्वेश्वर।।१२।।
जय महाकाल महेश्वर जय – जय।
जय हरसिद्धि महेश्वरी जय – जय।।१३।।
शिव के साथ शिवा है शक्ति।
भक्तों की है रक्षा करती।।१४।।
जय नागेश्वर – सौभाग्येश्वर।
जय भोले बाबा सिद्धेश्वर।।१५।।
ऋणमुक्तेश्वर – स्वर्ण जालेश्वर।
अरुणेश्वर बाबा योगेश्वर।।१६।।
पंच – अष्ट – द्वादश लिंगों की।
महिमा सबसे न्यारी इनकी।।१७।।
श्रीकर गोप को दर्शन दे तारी।
नंद बाबा की पीढ़ियाँ सारी।।१८।।
भक्त चंद्रसेन राजा शरण आए।
विजयी करा रिपु – मित्र बनाये।।१९।।
दैत्य दूषण भस्म किए।
और भक्तों से महाकाल कहाए।।२०।।
दुष्ट दैत्य अंधक जब आया।
मातृकाओं से नष्ट कराया।।२१।।
जगज्जननी हैं माँ गिरि तनया।
श्री भोलेश्वर ने मान बढ़ाया।।२२।।
श्री हरि की तर्जनी से हर – हर।
क्षिप्रा भी लाए गंगाधर।।२३।।
अमृतमय पावन जल पाया।
‘ऋषि’ देवों ने पुण्य बढ़ाया।।२४।।
नमः शिवाय मंत्र पंचाक्षरी।
इनका मंत्र बड़ा भयहारी।।२५।।
जिसके जप से मिटती सारी।
चिंता – क्लेश – विपद् संसारी।।२६।।
सिर जटा – जूट – तन भस्म सजै।
डम – डम – डमरू त्रिशूल सजै।।२७।।
शमशान विहारी भूतपति।
विषधर धारी जय उमापति।।२८।।
रुद्राक्ष विभूषित शिवशंकर।
त्रिपुण्ड विभूषित प्रलयंकर।।२९।।
सर्वशक्तिमान – सर्व गुणाधार।
सर्वज्ञ – सर्वोपरि – जगदीश्वर।।३०।।
अनादि – अनंत – नित्य – निर्विकारी।
महाकाल प्रभु – रूद्र – अवतारी।।३१।।
धाता – विधाता – अज – अविनाशी।
मृत्यु रक्षक सुखराशी।।३२।।
त्रिदल – त्रिनेत्र – त्रिपुण्ड – त्रिशूलधर।
त्रिकाय – त्रिलोकपति महाकालेश्वर।।३३।।
त्रिदेव – त्रयी हैं एकेश्वर।
निराकार शिव योगीश्वर।।३४।।
एकादश – प्राण – अपान – व्यान।
उदान – नाग – कुर्म – कृकल समान।।३५।।
देवदत्त धनंजय रहें प्रसन्न।
मन हो उज्जवल जब करें ध्यान।।३६।।
अघोर – आशुतोष – जय औढरदानी।
अभिषेक प्रिय श्री विश्वेश्वर ध्यानी।।३७।।
कल्याणमय – आनंद स्वरुप शशि शेखर।
श्री भोलेशंकर जय महाकालेश्वर।।३८।।
प्रथम पूज्य श्री गणेश हैं , ऋद्धि – सिद्धि संग।
देवों के सेनापति, महावीर स्कंध।।३९।।
अन्नपूर्णा माँ पार्वती, जग को देती अन्न।
महाकाल वन में बसे, महाकाल के संग।।४०।।
दोहा
शिव कहें जग राम हैं, राम कहें जग शिव,
धन्य – धन्य माँ शारदा, ऐसी ही दो प्रीत।
श्री महाकाल चालीसा, प्रेम से, नित्य करे जो पाठ,
कृपा मिले महाकाल की, सिद्ध होय सब काज।।
।।इति श्री महाकालेश्वर चालीसा सम्पूर्ण।।
इस प्रकार से इस? महाकालेश्वर चालीसा का पाठ जो व्यक्ति रोज करता है उसे सभी प्रकार के सुखों के साथ महाकाल की कृपा और उनका लोक प्राप्त होता है। अगर आप इनके मूल स्थान पर निवास करते हैं तो अवश्य ही इनका वहां पर चालीसा अवश्य पढ़ा करें। चालीसा की सिद्धि 40 दिन में हो जाती है और इसकी साधना के लिए रात्रि 12:00 बजे पढ़ने का विधान बताया गया है। किंतु कृपा प्राप्त करने के लिए किसी समय भी आप। नहा! धोकर स्वच्छ होकर इस चालीसा का पाठ करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सभी प्रकार के रोग रोग दुख समस्या। शत्रु पीड़ा इत्यादि को महाकालेश्वर अवश्य ही हर लेते हैं।
तो यह थी साधना महाकाल शिव की। अगर आपको यह पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।