नमस्कार दोस्तो धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज मैं आपके लिए एक नया विषय लेकर आया हूं यह विषय है भूतनी साधना । मैंने भूतनी साधना पर बहुत पहले ही वीडियो डाला था आप लोगों ने वो वीडियो देखें भी थे और काफी पसंद भी किए थे । लेकिन वो ऑडियो मे नहीं थे सब के सब पिक्चराईस थे इसलिए मैं आपके लिए हालांकि जो मैं वीडियो डाल चुका हूं वह दोबारा नहीं डालूंगा क्योंकि यह दूसरी साधना होगी । आज मैं आप लोगों के लिए भूतनी साधना लेकर आया हूँ । भूतनी साधना इसलिए क्योंकि हमारे देश में लोग साधना तो करना चाहते हैं पर उनके पास समय की कमी है इसलिए जितनी भी भूतनी साधना हैं वह सब की सब आसान मानी जाती हैं क्योंकि वह कम दिनों में हो जाती है ।आज हम सबके पास समय का बहुत ही अभाव है कोई घर गृहस्थी मे लगा है तो कोई सरकारी जॉब कर रहा है, कोई प्राइवेट जॉब कर रहा है कोई इधर-उधर जा रहे हैं व्यक्ति सब कुछ करना चाहता है पर उसके पास समय नहीं है समय ना होने के कारण व्यक्ति के पास लंबी लंबी साधना करने का वक्त नहीं इसलिए वह कम समय की भूतनी साधना कर सकता है ।
यहा मैं आपको बता दूं कि यह भूतनियाँ भगवान शिव की दासी है जो आप समझ रहे हैं यह वह भूतनी नहीं है, हालांकि इनकी भी साधना श्मशान में ही होती है, लेकिन यह दुनिया भगवान शिव के गणों के रूप में स्थित है मैं उनकी बात कर रहा हूं । इस संबंध में जो उन्मुक्त भैरव जी हैं उनसे जब उन्मुक्त भैरवी पूछती हैं कि भगवान ….जो श्लोक आया है उसका अर्थ इस प्रकार से हैं की जब उन्मुक्त भैरव अपनी साधना से उठते हैं तब उनके सामने उन्मुक्त भैरवी प्रकट होकर पूछती हैं – (कहने का मतलब है कि जब उन्मुक्त भैरव के रूप में भगवान शिव पर भैरवी के रूप में माता पार्वती प्रकट होती है तब और पूछती हैं कि) आप सब जीवो के स्वामी होने के कारण मैं आपसे पूछती हूं कि अगर आप मुझपर प्रसन्न है तो यह देव आप मुझे गोपनीय से गोपनीय विद्याओं का ज्ञान दीजिए और मुझे भूत चंडकात्यायनी मंत्र का ज्ञान दीजिए ।यह देवीया आपके साथ रहती हैं और सब का भला करती है रुप भयंकर है पर कार्य उत्तम ।आप इनके बारे में मुझे बताइए तब उन्मुक्त भैरव बोलते हैं ।
है देवी रौद्वी भुतनीया है और जो देव हैं वह अपनी-अपनी शक्तियां लेकर मेरे साथ उपस्थित थे इनकी जो साधना विधिया है वह अत्यंत ही अद्भुत है और जन मानस में प्रचलित नहीं है, इनकी साधना करने से पहले सदैव भगवान भैरव को नमस्कार करना चाहिए ।इनके मंत्र के लिए बीज हालाहल कुच के समन्वय से मंत्रों को बनाना चाहिए इसमें आप विष काल वजरी ज्वाला कुच इन्हीं सब बीज मंत्र को जोड़ कर जो मंत्र बनते हैं वह इन भूतनीयो को सिद्ध करते है । इसमें जब आप देवी का आवाहन करते हैं या उन्हें बुलाते हैं तो एक मंत्र से पूजा से पहले आवाहन कर सकते हैं ।आवाहन मुद्रा बनाएं और कहो हुं ज्वाला हूं फट इस मंत्र से आप इनका आवाहन कर सकते हैं ।
देवी यह जो मंत्र योग है काफी दुर्लभ माना जाता है ईसमे विषरौदृ कालौद्वे हलाहल व्योमद्व इसी प्रकार के के और कई प्रकार के बीज मंत्र हैं जिनको जोड़ने पर इनकी सिद्धि का एक मंत्र बनता है ।गोपनीय मंत्र बनता है यह बाद मे किसी को नहीं बताने चाहिए । यह बात किसी को बताने योग्य नहीं है जो व्यक्ति अपना हितकारी और साथ ही साथ और का भी भला करे उसी व्यक्ति को इस मंत्र का दान देना चाहिए । ऐसे व्यक्ति को इस मंत्र का दान नहीं देना चाहिए जो अपना तो नाश करे साथी साथ सबका नाश कर दे । इन मंत्रों को सदैव गोपनीय ही रहना चाहिए तो सबसे पहले आप इनके मंत्रों को सुनिए जो पहली भूतनी है उनको व्यक्ति सिद्ध कर सकता है यह महा भूतेश्वरी देवी कही जाती है और इनको चंड कात्यायनी भूतनी भी कहा जाता है इनका मंत्र कली काल में जंबू द्वीप के व्यक्तियों को सिद्धि प्रदान करता है काली काल का मतलब होता है कलयुग और जंबू द्वीप का मतलब होता है भारत ।
इनके मंत्र की सिद्धि भारतवर्ष के निवासियों को प्राप्त होती है मंत्र बड़े होते हैं पर इनकी सिद्धि कर लेने पर विशेष फल प्रदान करते हैं । बड़े मंत्र होने के कारण इनका जाप कम करना होता है इन कि सिद्धि आसान तो होती नही है क्योंकि यह शक्ति परीक्षा अवश्य लेती है क्योंकि यह शक्तियां किसी भी प्रकार से बंधन में नहीं आना चाहती वह आपकी परीक्षा जरुर लेगी । भगवान शिव कहते हैं उन्मुक्त भैरव के रूप में भैरवी से कहते हैं इनके मंत्र को सुनाओ मंत्र किस प्रकार है-
मँत्रः ॐ रुद्र भयंकरी अट्टहासिनी साधकप्रिये महाविचित्र रुपकरि सुवर्णहसते यमनिकुतनि सर्व दुःख प्रशमनी ॐ ॐ ॐ हुं हूं हूं हूं शीघ्र सिद्धि मे प्रत्यक्ष हों ॐ स्वाहा।।
यह मंत्र है भगवान शिव ने यह मंत्र माता पार्वती को बताया था आप इस संबंध में भगवान शिव जो विधि बताते हैं वह इस प्रकार है कि साधक हाथों की मुख्य बांध के कनिष्टका उंगली को आपस में मिला दे, जो छोटी वाली उंगलियां होती तरजनी उंगलियों को फैलाकर कुंडलाआकृति बनाएं, यह त्रिलोक आकर्षण मुद्रा कहलाती है । इस मुद्रा को बनाकर साधना करने पर ब्रम्हा विष्णु महेश भी सिद्ध होते हैं । साधक इसलिए शुभ कात्यायनी भूतनी नामक मुद्रा से भूतनी की सिद्धि सरल होती है यानि जल्दी से सिद्धि मिल जाती है यह देवराज वज्रपाड़ी के द्वारा प्रदर्शित है । इस मुद्रा को प्रदर्शित करके गंध धूप दीप पुष्प और मछली का भोग देने से भूतनी सिद्ध होती है और साधक के वशीभूत होती है ।अब इनकी विधि क्या है साधना की वह जानते हैं ।
भगवान शिव ने बताया है कि इसको कैसे सिद्ध किया जाए तो जो लोग दरिद्रता से ग्रसित है गरीब है उनको अपनी जीवन में यह चंडभूत कात्यायनी की चमत्कारी साधना अवश्य करनी चाहिए इस साधना में साधकों चाहिए कि वह श्मशान में 3 दिन रह कर वही रहना खाना पीना ध्यान करे इसमें केवल एक समय की भोजन किया जाता है । इस मंत्र का आप रोज 8000 जाप करें तीनों दिन आपको लगातार 8000 जाप करना होगा यानी पहले दिन 8000 दूसरे दिन 8000 और तीसरे दिन भी 8000 जाप करना होगा । ऐसा करने पर भूत कात्यायनी देवी साधक के सम्मुख प्रकट हो जाती है तब साधक को चाहिए कि आप इंसान की खोपड़ी को खून से पूरी तरह भर लीजिए । मानव खोपड़ी को और देवी को अरघ देना चाहिए यानी उनको समर्पित करना चाहिए । जब देवी साधक से प्रसन्ना होकर कहे तब साधक को कहना चाहिए कि तुम मुझे राज्य दो पदार्थ दो और मेरी कामनाओं को पूर्ति करो ।
इस साधना मैं देवी साधकों माता के समान पोषण करती है याद रखिए, इनकी साधना मां के रूप में होगी इनको मां ही मानना है अगर आप किसी और रूप में इनकी साधना करेंगे तो आपकी मृत्यु हो जाएगी । इसलिए आप देवी को मां के रूप में ही सिद्ध करे और वो भी आपको पोषण मां के रूप में ही करेंगी । इसलिए कहा जाता है कि ऐसा साधक पृथ्वी पर हजारों वर्षों तक भोग करता है बार-बार वह राज्य कुल में ही जन्म लेता है बार-बार राजाओं के कुल में जन्म लेकर राजाओं की तरह जीवन जीता हैं और इस जन्म में भी वह सब सुख संपत्ति प्राप्त करता है । इसके बाद आप एक माला रोज जाप करते रहे सिद्धि के बाद भी, देवी आपसे प्रसन्न रहेंगी । इस साधना के बारे में कभी भी किसी को नहीं बताना है । तो यह था भूतनी देवी की साधना जो भगवान शिव के साथ रहने वाली उनकी सेविका शक्ति है इनको साधारण भूतनी मत समझिए भूत शब्द का अर्थ होता है भूतकाल और भूतेश्वर भगवान शिव कहे जाते हैं यह उन्हीं की शक्ति है तो आप इन भूतनी को सिद्ध कर सफल हो सकते हैं धन्यवाद।।