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माता पार्वती की त्रिशूल अस्त्र साधना

माता पार्वती की त्रिशूल अस्त्र साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो साधना लेने जा रहे हैं, इसका अनुरोध कई साधकों ने भेजा है और यह साधना जिन्होंने भेजी है। उन्होंने माता पार्वती के त्रिशूल अस्त्र के शाबर मंत्र साधना को यहां पर भेजा है तो चलिए पढ़ते हैं। इस पत्र को और जानते हैं इस साधना के विषय में जिससे विभिन्न प्रकार के तांत्रिक और भौतिक जीवन के कार्य संपादित किए जा सकते हैं।

माता पार्वती का त्रिशूल अस्त्र माता पार्वती के त्रिशूल अस्त्र के बारे में जानकारी- यह अस्त्र माता पार्वती का है जो माता दुर्गा का ही रूप है और यह अस्त्र बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। इस अस्त्र का सामना कोई भी नहीं कर सकता। यहां तक कि भोलेनाथ के त्रिशूल भी नहीं कर सकता है इसी। अस्त्र से माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। मैं इस अस्त्र की साधना का ज्ञान दे रहा हूं। यह साधना जो है वह मेरे गुरु ने मुझे दे दी और कहा था कि यह साधना सबको दी जाए। मेरे गुरु का कहना था। अगर यह ज्ञान बाटे तो निशुल्क बाटे। इसलिए मैं यह निशुल्क रूप में दे रहा हूं। मेरी यह आशा होगी कि आप दूसरे लोगों की मदद करें और बुरे कार्य ना करें। इस अस्त्र के बारे में बता दूं तो यह अस्त्र माता पार्वती का है। इसके कई लाभ है। पहली तो सुरक्षा हर प्रकार से यह प्रदान करता है। दूसरी बात यह है कि इसका लाभ हजारों और लाखों गुना है। जितना हो सके उतना संभव है। इसके द्वारा सर्व दोष नष्ट करना, अकाल मृत्यु के साथ-साथ काल, मृत्यु के सुरक्षा, आयु में वृद्धि और अकाल मृत्यु का टल जाना। इस की सिद्धि और माता पार्वती से संभव है। काल मृत्यु बुढ़ापा जो है वह रोकता है और आयु में वृद्धि वस्त्र प्रदान करता है। इसके अलावा सर्प दोष  जैसे किसी के अंदर अगर भूत प्रेत जिन्न मसान या बुरी शक्तियां है। उनको पूरी तरह से खत्म कर देना इस अस्त्र के प्रभाव से संभव है। सभी प्रकार से यह बुरी शक्तियों को खत्म करता है। यहां तक कि वेताल जैसी महा शक्तियों का भी दमन इससे किया जा सकता है। चाहे बेताल हो, भैरव भैरवी के ऊपर भी इस अस्त्र का प्रयोग करेंगे तो यह उनका भी विनाश करेगा पूरी तरह से। और इस को रोका नहीं जा सकता। एक बार प्रयोग करने के बाद इस बात का ध्यान रखना है कि भैरव भैरवी के ऊपर और माता पार्वती के ऊपर इस अस्त्र  को नहीं चलाना चाहिए। ऐसे में आपको पाप लगेगा। यह शस्त्र रुकता नहीं है और अपना कार्य वापस करके लौटता है। यह विभिन्न विधाओं पर भी हानि पहुंचाने में सक्षम है। यह शस्त्र से ऐसा कार्य कभी ना करें। इसका प्रयोग विधि मैं आपको बता रहा हूं। साधना विधान से पहले कैसे आपको इस का प्रयोग करना है और आपको अपनी सुरक्षा परिवार की और अस्त्र सिद्धि होने के बाद गुप्त मंत्र को आपको तीन बार पाठ करके केवल उस शस्त्र को अपने अस्त्र से छुआ देना है। 3 बार मंत्र पढ़कर जो आपकी पूरी तरह से सुरक्षा करेगा। पूरे परिवार की करेगा इसी?

अस्त्र छुआ देंगे तो उसकी पूरी तरह से सुरक्षा हो जाएगी। जैसे किसी के ऊपर अकाल, मृत्यु, दोस्त, कालसर्प, दोष इत्यादि का निवारण करता है और किसी के ऊपर है। सारे दोष हैं या फिर भूत प्रेत जिन्न मस्तान इत्यादि आया है या फिर तंत्र बाधा से पीड़ित है तो उसी मंत्र को 3 बार पढ़कर इंसान को छुआ देना है। उस इंसान के सभी दोष तंत्र क्रिया जो भी हुई हो। जिससे शरीर में लक्षण उत्पन्न हो गए हो, वह नाश हो जाएगा। इस अस्त्र से आप महाशक्तिशाली मारण अस्त्र के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।बुराई अपने आप नाश करता है के अलावा वाक् सिद्धि, त्रिकालदर्शी इत्यादि ज्ञान भी आपको मिलता है जैसे कि आपको कोई इंसान भूत भविष्य वर्तमान अगर उसका जानना चाहते हैं तो इस शास्त्र को 3 बार मंत्र पढ़कर अपने स्वयं के सिर पर छुआ देना है।

और उसी इंसान के बारे में सोचना है। फिर खुद-ब-खुद उस इंसान के तीनों कालों के बारे में आपको जानकारी मिलने लगेगी या फिर आप खुद के बारे में भी जान सकते हो। सभी दृष्टि आपको दिखने लगते हैं। इसके माध्यम से आप षट्कर्म कर सकते हैं। मारण मोहन उच्चाटन वशीकरण, शांति करण विद्वेषण। किसी के ऊपर वशीकरण करना है तो वशीकरण के समय इंसान का फोटो होना चाहिए। अगर फोटो नहीं मिलता है तो भोजपत्र पर उस इंसान का नाम लिख देना है। उस इंसान की फोटो भोजपत्र के नाम के ऊपर आपको लिखकर उसके बाद तो बहुत से टच कर आना है और कहना है कि इस इंसान का वशीकरण हो जाए। यहां तक कि अगर इंसान की मृत्यु भी करवानी हो तो यह भी संभव होता है। लेकिन मैं तो यही कहूंगा कि इस शक्तिशाली अस्त्र का कभी भी गलत प्रयोग ना करें। यह विधि और विधान है। आप जो भी करेंगे उसका फल आपको भी बाद में भुगतना पड़ेगा। चाहे वह पिछले जन्म हो या अगला जन्म?

इसके लाखों लाभ है धन प्राप्ति के अपार साधन खुलते हैं। माता पार्वती की कृपा से इतना धन आता है कि आपको कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। माता की कृपा से आपको माता लक्ष्मी की कृपा मिलती रहेगी। इसका जो विधान है वह। मैं आपको बता रहा हूं।

चमकानी अष्ट सिद्धि के बारे में सोच के अगर आप इस को सिद्ध करेंगे तो शमशान अनियंत्रित जल्दी से सिद्ध होता है, लेकिन माता पार्वती के त्रिशूल अस्त्र साधना के बारे में आप समसानी के बजाय साधारण तरीके से ज्यादा सही विधि विधान है। विधि पर आते है विधि बस आपको इस प्रकार करनी है। इसे आप सोमवार से शुरू कर सकते हैं। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष। अगर आप शुक्ल पक्ष के सोमवार से शुरू करें तो रात 9:00 बजे, इसमें माला आपको रुद्राक्ष की लगेगी। आपको एक त्रिशूल खरीद के लाना है। किसी भी साइज का होना चाहिए जो बाजार से आप ले आए।

अगर आप साधारण इंसान है तो लंबा चौड़ा अपने हिसाब से तांबे का वैसा ही अगर तांबे का ना मिले तो लाओ धातु का लोहे को छोड़कर आप किसी भी धातु का त्रिशूल ले सकते हैं। मैं तो यही कहूंगा, क्या तांबे का ही ले क्योंकि तांबे का त्रिशूल अच्छा माना जाता है। साधना के लिए तांबे का आपको लाना है और साधना का समय होगा रात्रि के 9:00 बजे तो सोमवार की रात 9:00 बजे शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष उत्तर की दिशा में लाल कपड़ा लाल वस्त्र स्थापित करें। उसके ऊपर शमशान ई मिट्टी एक मुट्ठी स्थापित करें। मतलब शमशान की मिट्टी का अर्थ यह है कि एक मुट्ठी शमशान में जाकर किसी भी समय हो या या शमशान की मिट्टी को आप को लाना है। वहां से मिट्टी लेने किसी भी दिन जा सकते हैं। इसका कोई विधान या नियम नहीं है। बस इस मिट्टी को स्थापित करना है। उस लाल कपड़े पर जो आपने कपड़ा बिछाया है, उसके ऊपर मिट्टी को स्थापित करें और उसी के ऊपर अब आपको त्रिशूल स्थापित करना है। उसके बाद आपको पूर्ण लाल त्रिशूल में सिंदूर से आजकल जो लाल सिंदूर मिल जाता है, वह पूरा लाल होना चाहिए। लाल सिंदूर से आपको त्रिशूल स्थापित करना है और लगाना है।

उसे मां पार्वती को नमन करते हुए एक छोटा सा मंत्र उसे जपते हुए माता का ध्यान करते हुए 3 बार इस मंत्र को पढ़ते हुए त्रिशूल के तीन कोने होते हैं। उस पर आपको सिंदूर से अभिषेक कर देना है। त्रिशूल के तीनों कोने में इस मंत्र का पाठ करते हुए जो यह अभिषेक करना है, ओम पार्वताये नमः इस मंत्र का पाठ करते हुए आपको उससे त्रिशूल को अभिषेक करना है। तीनों कोणों में और इतना करने के बाद आपको एक तांबे के लोटे में पवित्र जल भर के रखना है। साइड में अपने पास गुप्त मंत्र का जाप करना है। रुद्राक्ष की 11 माला करनी है। 3 दिन की साधना है। यह 3 दिन में प्रत्यक्ष नहीं हो। कोई अनुभव भी नहीं होगा। 11 माला रुद्राक्ष से आपको जाप करना है। 9:00 बजे उत्तर की दिशा की तरफ मुंह करके स्वयं का वस्त्र लाल ही होगा। इसमें कोई सुरक्षा बंधन की जरूरत नहीं है। बंधन का कोई नियम नहीं है। बस आपको इसमें यह ध्यान रखना है कि जब साधना कर रहे हो तो साधना के समय आप तामसिक भोजन नहीं करेंगे। पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन कर और ब्रह्मचारी के सारे निर्देशों का पालन उस वक्त करना है क्योंकि यह एक पवित्र साधना है। बाकी जो श्मशान साधना है, उसमें किसी भी नियम का पालन नहीं करना चाहिए। लेकिन यह साधना को पवित्र माना जाता है। इसमें कोई अनुभव भी नहीं होता। यह साधना में सफेद या लाल वस्त्र धारण करनी चाहिए। अगर नहीं कर पाते हैं तो कोई बात नहीं बिना सिला हुआ ही कपड़ा पहनकर साधना कर सकते हैं और जब अस्त्र 3 दिन के बाद सिद्ध हो जाए तो आपको किसी भी पवित्र स्थान पर रखना है।

इसको रोज दिन में एक बार धूप और दीप दिखाते रहना है और साधना में अपनी धूप दीप आप लगा सकते हैं। अपने हिसाब से धूप में लोबान् गूगल को लगाया जा सकता है और जब 11 माला पाठ करेंगे तो ग्यारह माला पाठ करने के बाद प्रतिदिन अपनी तांबे का जो लोटा है, अभिमंत्रित करना है। 11 माला पाठ करने के बाद जब लौटे के जल में उसे लेंगे तो उस जल को त्रिशूल भर देना है। अच्छी तरह से और उस दिन की साधना हो गई। दूसरे दिन जब साधना करेंगे तो बिल्कुल पहले दिन की तरह ही विधान करना है। 11 माला पाठ करने के बाद वही विधान करना है और ऐसे ही आप तीसरे दिन की साधना करेंगे। यह साधना आप किसी भी स्थान पर कर सकते हैं। जैसे कि शिवालय हो, अगर शिवालय है तो सर्वोत्तम अथवा आप अपने पर्सनल कमरे में भी कर सकते हैं या फिर बाहर भी कर सकते हैं। इसके अलावा इसे श्मशान भूमि में भी किया जा सकता है कि शिवालय और श्मशान इन दोनों स्थान इस साधना के लिए सर्वोत्तम है, किंतु उपलब्ध ना होने पर इसे कमरे पर भी किया जा सकता है। बस वह जगह। पूरी तरह साफ और सुथरी होनी चाहिए।

अब मैं वह मंत्र बता देता हूं जो इस साधना का है। 11 माला रुद्राक्ष से आपको यह साधना करनी है। मंत्र इस प्रकार है।

ॐ हरोम अघोर शमशान देव्ये सर्वत्र जितात्मा महाकलाए सर्वशक्ति संपन्न त्रिशूल अस्तराय पति पावन दुहाई गोरा पार्वतीकी

मंत्र एक बार फिर से सुने

ॐ हरोम अघोर शमशान देव्ये सर्वत्र जितात्मा महाकलाए सर्वशक्ति संपन्न त्रिशूल अस्तराय पति पावन दुहाई गोरा पार्वतीकी

इतना ही संपूर्ण मंत्र विधान है। यह जो है साधना। इससे आप केवल दूसरों की भलाई के लिए ही उपयोग करें। दूसरे को हानि ना पहुंचाएं। इस का प्रयोग करने से किया गया कार्य लौटाया नहीं जा सकता। इसलिए आप सोच समझकर इसका इस्तेमाल करें और इसके साथ खुद की और दूसरों की भी मदद करें। यही आपसे आशा है। धन्यवाद

तो दोस्तों यहां पर इन्होंने। माता पार्वती के त्रिशूल अस्त्र की शाबर मंत्र साधना बताई है। इस साधना को वैदिक पद्धति से भी किया जा सकता है और इनकी साधना के बताए गए मार्ग से थोड़ा सा ही उसमें अलग हमें देखने को मिलता है। आप चाहे तो यह साधना करके देख सकते हैं और इससे अपना और जगत का कल्याण कर सकते हैं। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
https://youtu.be/wnHWRwWwu6E
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