मेरा प्रेमी पिशाच मेरी सिद्धि
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का यह अनुभव एक साधिका ने भेजा है और उनके जीवन में पिशाच ने कितनी परेशानियां उत्पन्न की इसके विषय में बताया है। साथ ही वह इस से कैसे बाहर निकली। यह भी जानेगे, चलिए पढ़ते हैं। इनके ईमेल पत्र को और जानते हैं इनकी जीवन की सच्ची घटना के विषय में ।
नमस्ते गुरु जी मैं आपका चैनल बहुत पहले से देखती चली आ रही हूँ। मेरे मन में विचार आया कि मैं अपनी जीवन का एक अनुभव आपके साथ साझा करूं। आप निश्चित रूप से इसे प्रकाशित करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है किंतु गुरु जी मेरी जानकारी किसी के साथ भी। साझा ना करें, किसी को कुछ भी ना बताएं क्योंकि एक स्त्री के लिए उसकी मर्यादा ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। गुरु जी यह बात आज से लगभग 6 वर्ष पुरानी है।
मैं कॉलेज में जाया करती थी। ऐसे ही वहां पर मेरी मुलाकात एक लड़के से हो गई। वह लड़का तंत्र मंत्र इत्यादि चीजों में बहुत विश्वास रखता था। तब एक दिन मेरी और उसकी बातें होने लगी। तब उसने कहा कि सिद्धि से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। क्या तुम्हारी इच्छा इन विषयों में रहती है। मुझे बचपन से ही शक्तिमान जैसे धारावाहिकों को देखने के कारण शक्ति प्राप्त करने की बड़ी तीव्र इच्छा रहती थी। उसकी बातें काफी रोचक भी थी। इसी कारण से मैंने उसकी बातों पर पूरा ध्यान दिया। और फिर? वह ऐसे ही कहते हुए कहने लगा कि उसकी जानकारी में एक बहुत सिद्ध साधु है जो कि शमशान में वास करता है। और उसके पास वह जब भी जाता है, एक मुर्गा और एक बोतल शराब लेकर जाता है। और वह उसकी कोई परेशानी बढ़ेगी। तब आसानी से खत्म कर देता है। जब भी उसके जीवन में कुछ ज्यादा परेशानी आती है तो वह साधु के पास जाता रहता है और उसके पास अजीब तरह की सिद्धि है। चलो उसके पास चलते हैं और सिद्धि के बारे में बात करते हैं। मैं भी तैयार हो गई क्योंकि मुझे भी इन चीजों में बड़ा ही ज्यादा इंटरेस्ट आता था।
मैंने अपनी दो सहेलियों को ले लिया क्योंकि श्मशान भूमि में स्त्रियों को नहीं जाना चाहिए। ऐसा लोग कहते हैं लेकिन बिना वहां जाए तो कुछ पता भी नहीं चलने वाला था। पर आजकल तो क्रिमिनल लोग भी ऐसी जगह पर बैठते हैं। इसीलिए अकेली जाना भी सुरक्षित नहीं था। मेरा दोस्त उसका भी एक दोस्त और मेरी दो दोस्त ले लिया। इस प्रकार से हम 5 लोग उस साधु के पास पहुंचे। मेरे दोस्त उस लड़के ने उसे एक मुर्गा और शराब दी। शाम का वक्त था। साधु ने कहा, आज तो तू इतने सारे लोगों को लेकर आया है। क्या बात है? तब उसने कहा कि? यह सभी लोग आपसे! तंत्र के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं और चाहते हैं कि आप इन्हें कुछ ऐसी बात बताएं या कोई ऐसी शक्ति दिखाएं जिसको देखकर यह भौचक्के रह जाए।
इसीलिए सब लोग यहां पर आए हैं। साधु ने हंसते हुए कहा ठीक है। सबसे पहले मुझे मेरा मुर्गा और शराब दे। देख तुझे सामने ही चमत्कार दिखाता हूं। लेकिन? इसकी जिम्मेदारी आगे कि तुम लोग जानना! कहते हुए उसने उस मुर्गी की गर्दन काट दी और उस पर शराब की कुछ बूंदे की दे मारी और कहा देखो, यह मुर्गा मैं इसकी गर्दन काट चुका हूं और इसे छोड़ने वाला हूं। तुम्हारे सामने जो चीज घटित होगी, तुमने अभी तक नहीं देखी होगी। शाम का समय हो रहा था लेकिन फिर भी प्रकाश पूरी तरह पर्याप्त मात्रा में था। इसीलिए ज्यादा कठिनाई देखने में नहीं होने वाली थी और सच में उस को छोड़ा बड़ी तेजी से इधर-उधर भागा और मुर्गा थोड़ी ही दूर ही अचानक से बहुत गायब हो गया। यह देखकर मेरी तो जान ही सूख गई थी।
और मेरे साथ आई मेरी सहेली अभी घबरा गई। तब साधु ने कहा देखा जिसका भोग था, वह उसे खा गया। अब बताओ यह मुर्गा कहां गया। सच में वहां पर मुर्गे का कोई भी नामोनिशान मौजूद नहीं था।
यह बात समझने वाली थी कि आखिर कोई चीज कैसे गायब हो सकती है। तंत्र में कितनी बड़ी शक्ति होती है तब मैंने हिम्मत करके साधु से पूछा। यह कैसी सिद्धि है इस विधि से क्या क्या हो जाता है तब साधु ने बताया। इसे पिशाच सिद्धि कहते हैं। इस स्थिति को प्राप्त करने वाला कुछ भी कर सकता है। शक्ति बहुत ज्यादा होती है। इतनी ज्यादा कि तुम सोच भी नहीं सकती हो इसलिए! इस सिद्धि को करने वाला बहुत ताकतवर हो जाता है। तब मैंने कहा, क्या आप इसकी विद्या मुझे सिखाएंगे तब वह हंसते हुए कहने लगा। मुर्गी को देखकर तो तुम डर गई। क्या तुममें इतनी हिम्मत है कि इस पिशाच को सिद्ध कर पाओगी, इसे सिद्ध करने में बहुत ज्यादा शक्ति लगती है। तुम्हारे अंदर का डर खत्म होना चाहिए। तब मैंने कहा डरती तो मैं नहीं हूं लेकिन अचानक होने वाली घटनाओं से तो हर व्यक्ति डर जाता है। आप मुझे सिखाइए। मेरा दोस्त और मैं उस साधु के पास रोजाना जाने लगे और उसने मुझे 21 दिन की पिशाच सिद्धि के विषय में। श्मशान भूमि में रात्रि में मुझे वह विद्या सिखाई गई थी। मैं वह विद्या की जानकारी तो यहां पर नहीं दूंगी क्योंकि मेरी तरह ही कोई और इसे करने के बारे में ना सोचे इसीलिए।
बस इतना बता सकती हूं कि? एक मरे हुए आदमी की हड्डी का इस्तेमाल इसमें किया जाता है। और इसकी व्यवस्था भी उसी साधु ने की थी। इस प्रकार मैं वहां रोज बैठकर साधना करने लगी। साधु को सिर्फ शराब और मुर्गी से मतलब होता था इसीलिए! वह और बातों पर ध्यान नहीं देता था। हां, मेरी रक्षा के लिए वह सदैव मौजूद रहा। मेरा दोस्त और साधु लगभग दूर बैठकर रक्षा के लिए मौजूद रहते थे। रक्षा, घेरा इत्यादि चीजों के बारे में मुझे उस वक्त जानकारी मिली थी और मेरी रक्षा पूरी तरह।
अपनी जिम्मेदारी पर करते थे। साधु कहता था, तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी। सिद्धि जरूर मिलेगी क्योंकि एक तो तुम कुंवारी कन्या हो और पहली बार ऐसी शक्ति को जगाने के लिए आई हो वह शक्ति खुद तुम पर आकर्षित अवश्य हो जाएगी। साधना की तीसरे दिन अचानक से जब मैं साधना कर रही थी। एक काला भुजंग दिखने में बड़े डील डौल वाला एक पुरुष आकर सामने खड़ा हो गया। उसने कहा कि शमशान भूमि में इस तरह तुम रात को साधना क्यों कर रही हो? डडे मारूंगा, तुम ठीक हो जाओगी। जैसे मैंने यह देखा, मैंने अपनी आंखें खोली। मैं डर गई। वह कहने लगा कि लड़कियों को इस तरह यहां पर साधना नहीं करनी चाहिए और देखो तुम्हारे आसपास भी कोई नहीं है। ऐसे में कुछ गलत हो गया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैंने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह मेरी बात नहीं माना और मुझे खुद हाथ पकड़कर शमशान से बाहर ले जाने लगा। सबसे अचरज भरी बात यह थी कि मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि ना मेरा दोस्त और ना ही साधु कहीं दिखाई दे रहा था। मुझे लगा लगता दोनों शराब पीकर कहीं और ही निकल गए हैं और मेरी साधना भंग हो गई।
ऐसा तो मैंने सोचा ही नहीं था वह आदमी मुझे। जबरदस्ती मेरे घर तक लेकर आया और दरवाजा खोल कर। मुझे मेरे कमरे के अंदर किया और कहने लगा। अब से मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगा।
और उसके बाद जो हुआ। इतना बड़ा आश्चर्य आज तक मेरी जिंदगी में कभी घटित नहीं हुआ था वह व्यक्ति! मेरे सामने ही गायब हो गया। मैं अपने घर के अंदर मौजूद थी। मुझे लग रहा था कि यह कोई इंसान था जो मुझे शमशान भूमि से यहां तक लेकर आया था। लेकिन मैं अब अच्छी तरह समझ चुकी थी कि यह कोई पिशाच था।
पर मैं अपनी साधना छोड़कर यहां इसके साथ इतनी दूर आ गई। अगले दिन मैं साधु और अपने दोस्त के पास उसी श्मशान भूमि में पहुंची। साधु को पूरी बात बताई तो वह हंसकर कहने लगा। ठीक है अब!
सिद्धिवान बन चुकी हो वह पिशाच हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा लेकिन उसकी इच्छाओं को पूरा।
करते रहना।
तुम्हारे साथ!
अपनी पत्नी जैसा व्यवहार करेगा। तुमसे सिर्फ भोजन मांगेगा दोनों चीजें उसे देते रहना बाकी तो वह तुम जो कहोगी वह करेगा। शाम का वक्त था मैं। कमरे में अपने आप ही सोने चली गई। उस दिन नींद जल्दी आ रही थी कि तभी! रात को सोते समय मुझे किसी की बाहों का एहसास हुआ। और उसने मेरे साथ जबरदस्ती की। मुझे अच्छा भी लगा लेकिन जब मैंने अपनी आंखें खोली तो स्पष्ट रूप से उसे शायद मैंने सामने देखा।
पता चल गया कि यही साया मेरे साथ शारीरिक रूप से संबंध बना रहा था। मुझे उसमें काफी अच्छा भी लगा था लेकिन मन में घबराहट और डर भी पैदा हो गई। इसके बाद वह कहने लगा। मुझे भोजन दो। मैं समझ गई कि इसे मुर्गा और शराब चाहिए। मैं मुर्गा और शराब लेकर आ गई। मैंने उससे कहा कि मुझे कहीं से सोना लेकर आओ। क्योंकि मैंने ऐसे सुना था कि पिशाच जो चाहो वह कर सकता है। और सच में! थोड़ी देर बाद वह एक हार लेकर आ गया।
यह मेरे लिए बहुत बड़ा चमत्कार था।
और फिर? लगभग हर रात्रि में वह मेरे बिस्तर पर आ जाता मेरे साथ शारीरिक रूप से गलत काम करता उसके बाद में उठती और उसे भोग के रूप में शराब और मुर्गा देती यह बहुत दिनों तक चलता रहा।
इस प्रकार! मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ने लगा। मुझे शरीर में बहुत सारी बीमारियां नजर आने लगी। शरीर दाग और धब्बे से भरने लगा जल्दी ही मुझे समझ में आ गया कि यह शक्ति मेरी शरीर की ऊर्जा खींच रही है। मैं कुरूप होती जा रही हूं। मुझे शक्ति हीनता महसूस होती है क्योंकि यह सारा रस मेरा निचोड़ ही देता है। इसी वजह से मैं बहुत घबराने लगी। मैंने बहुत कोशिश की पर मैं इससे छुटकारा नहीं पा रही थी। उस साधु के कई चक्कर लगाए। फिर भी वह कहने लगा। अब तुम खुद ही से हटा सकती हो और कोई दूसरा नहीं हटा सकता। मैं बहुत जगह गई। बालाजी भी गई, कई जगह गई, लेकिन वह उस वक्त हट जाता और वहां से वापस आती तो फिर से मेरी शरीर पर हावी हो जाता। तब एक बार एक मंदिर में मैं गई थी। वहां के साधु महाराज से मैंने बात की कि मेरे ऊपर पिशाच का असर है।
तब उन्होंने कहा कि आप सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ कीजिए। इसका पाठ अनवरत लगातार करते रहिए। इससे आप इससे मुक्त हो जाएंगे। शुरुआत में मैं मंत्रों को सही से नहीं बोल पाती थी यह पूरा असर उस पिशाच के कारण था। लेकिन धीरे-धीरे उसका असर दूर होने लगा और इस प्रकार इसी सप्तश्लोकी पाठ के असर से आखिरकार पूरी तरह मैं उसके चंगुल से बाहर आ गई। एक दिन मैंने देखा कि एक सुंदर सा पुरुष मेरे सामने खड़ा है। उसने कहा, तुमने मुझे पिशाच योनि से मुक्त कर दिया है। अब मैं हमेशा के लिए यहां से जा रहा हूं। तब मुझे पता चला कि जो शक्तियां आप से जुड़ जाती हैं, अगर आप सच्ची और पवित्र शक्तियों से जुड़े रहते हैं तो उन शक्तियों का भी भला हो जाता है और इस प्रकार से उस पिशाच का भला हो गया और उसे उसकी योनि से मुक्ति मिल गई। गुरु जी यह सत्य बात है जो मेरे साथ घटित हुई थी आप? यूट्यूब पर बहुत अच्छी वीडियो बनाते हैं सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ पर भी।
एक गाना बनाइए जैसे कि आजकल आप बना रहे हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
जय मां पराशक्ति।
सन्देश- देखिए यहां पर इनके जीवन में किस प्रकार के पिशाच आया। उन्होंने सिद्धि प्राप्त की और फिर उस से मुक्ति के लिए माता के सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ से उस पिशाच को अपने जीवन से हटा दिया। माता की कृपा से सब कुछ संभव है। आपकी बात को मानते हुए मैं सप्तश्लोकी दुर्गा का यह भजन आप लोगों के लिए प्रस्तुत करता हूं। इसे सुने और कमेंट में जय मां पराशक्ति, जय मां दुर्गा अवश्य लिखें। आप सभी का दिन मंगलमय हो। आनंद ले इस भजन का धन्यवाद।