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मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से सत्य घटना भाग 1

मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से सत्य घटना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो अनुभव लेने जा रहे हैं, यह एक साधक ने उनके जीवन में कैसे उनका विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से हो जाता है और गुरु मंत्र अनुष्ठान पूरा करने के बाद कैसे वह इस साधना को एक घने जंगल में करते हैं। इसके विषय में उन्होंने बताया है तो आइए जानते हैं इस आश्चर्य में और रोमांचक अनुभव को जो इनके जीवन में घट। हुआ है चलिए पढ़ते हैं इनके ईमेल पत्र को और जानते हैं इस अनुभव के विषय में।

नमस्ते गुरुजी सबसे पहले मैं अपने गुरु का वंदन करता हूं। आपकी कृपा से मैंने अपने गुरु मंत्र के अनुष्ठान को पूरा कर लिया था। बहुत ही समय पहले। लेकिन गुरु जी मैं अपना सर्टिफिकेट आपसे नहीं बनवा पाया। इसके भी कई कारण है क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे बारे में किसी को भी कुछ भी पता चले और ऐसा करने का विशेष कारण यह है कि मुझे साक्षात सिद्धि हुई है। रतिप्रिया यक्षिणी। यक्षिणी की जिस यक्षिणी को हार व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है। गुरु जी इस साधना को करने के लिए मैंने बहुत पहले ही सोचा था। इसके लिए मैंने अपना घर बार तक छोड़ दिया। 1 वर्ष की कठिन साधना के बाद मुझे वह प्राप्त हुई। और उसी की रजामंदी से मैं आपको यह पत्र लिखकर भेज रहा हूं। लेकिन गुरु जी मेरे विषय में संसार में किसी को भी कुछ भी पता ना चले सिर्फ इतना कि मेरी इस कथा को सारे लोग पाए। गुरु जी यह घटना तब शुरू होती है जब आपका यूट्यूब पर चैनल! मैं देखने लगा था। तब मेरे मन में भी साधना को करने का बहुत ही मन हुआ। गुरुजी उस वक्त में स्वीडन में रहता था। और गुरु जी एक विशेष बात मैं बता दूं कि स्वीडन में आज भी कुछ ऐसे ही जंगल है जहां यक्ष रहते हैं, ऐसा वहां की सरकारें भी मानती है। अगर किसी ने हॉलीवुड की फिल्म लॉर्ड ऑफ द रिंग्स देखी होगी तो वहां को। उसमें एल्फ़ को दिखाया गया है। एल्फ़ को यक्ष यूरोपियन लोगों द्वारा कहा जाता है। हमारे शास्त्रों में इनका वर्णन बहुत अच्छी तरह किया गया है। यह! न सिर्फ भागवत पुराण और महाभारत की कहानी में भी यक्ष और यक्षिणी के विषय में पूरी तरह जानकारी मिलती है। लेकिन गुरु जी जब एक आज की दुनिया का व्यक्ति इन सब बातों के विषय में सोचता है तो कभी भी लोग उसका साथ नहीं देते हैं। मेरे साथ भी यही हुआ।

स्वीडन छोड़कर अपने पैतृक घर इंडिया वापस आया। सोचा आप से मुलाकात करूं पर यह तो और भी ज्यादा कठिन था। लेकिन गुरु पर विश्वास रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात होती है। इसीलिए मैंने आपकी कहीं एक बात का अनुसरण किया। आपने स्वयं कहा सबसे पहले गुरु मंत्र का अनुष्ठान दशांश हवन सहित पूरा करो। मैंने इसे केवल 11 महीने में अच्छी तरह से पूरा किया। अब मेरे इस अनुष्ठान को पूरा होते ही मन में यक्षिणी साधना के प्रति बहुत ही तीव्रता आने लगी।

मैंने अच्छी तरह ऑनलाइन पता किया। कि ऐसा कौन सा जंगल जैसे हमारे स्वीडन में है? वैसा भारत में हो सकता है तो मैंने पता लगा लिया गुरु जी विशेष कारणों से मैं यहां पर। उस जंगल का वर्णन नहीं करूंगा। क्योंकि ऐसी चीजों को आध्यात्मिक रूप से खुद जानना पड़ता है पर आप से भी मेरा अनुरोध है कि? ऐसे यूं ही। और बहुत जल्दी किसी भी कार्य को करने के लिए तैयार होने वाले मनचलों के लिए यह कार्य नहीं है।

इसलिए गुरु जी इस जंगल के विषय में आप भी किसी को ना बताएं।

गुरु जी अब मैं पहुंचा। नजदीकी गांव में जहां से वह जंगल शुरू होता था। तो मैंने! एक कैमरा ले लिया था।

ताकि लोगों को शक ना हो कि मैं यहां आकर साधना करने वाला हूं। मैंने लोगों को उस गांव में बताया कि मैं यहां वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी करने के लिए आया हुआ हूं। आप सभी मेरा सहयोग करें तो गांव में मुझे एक घर मिल गया रहने के लिए वह भी बहुत ही कम कीमत पर। क्योंकि लोगों को ऐसा लगता था। यह कोई वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी करने के लिए आया हुआ विदेशी व्यक्ति है। मैंने लोगों को बताया था कि हालांकि मैं और मेरा परिवार स्वीडन में रहता है लेकिन हम सभी! पूरी तरह भारतीय हैं। और अपने कल्चर को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। तब गुरुजी उन्होंने रजामंदी दे दी। अब मैं जंगल में अंदर गया। अपनी पूरी रिसर्च के साथ। मुझे जिस स्थान को समझ में आया उसी स्थान पर मैंने एक पेड़ के ऊपर?

एक झोपड़ी जैसा हॉट बनाने के विषय में सोचा। क्योंकि? मुझे लगता था अगर मैं जमीन में बैठकर साधना करूंगा तो फिर मुझे सिद्धि हो सकता है। मिल भी जाए लेकिन जंगली जानवरों से कैसे बचा लूंगा?

मेरे लिए यह आवश्यक था कि मैं काफी ऊंचाई पर जाकर के। एक रहने का स्थान बना लो।

तब मैंने वही किया। मुझे पूर्ण विश्वास है आपके ऊपर!

अब! सबसे महत्वपूर्ण था मेरे पास।

नेटवर्क! पूरी तरह मिल सके और वह केवल गांव में ही मिलता था,  जो लैपटॉप लेकर आया था। उस!

मैकबुक के माध्यम से। मैंने आपकी साधना रतिप्रिया यक्षिणी खरीदी। ऑनलाइन होने के माध्यम से। यह आपके तुरंत ही कंप्यूटर या लैपटॉप में डाउनलोड हो सकती है। तो मैंने तुरंत ही इंस्टामोजो स्टोर पर जाकर आपकी रतिप्रिया यक्षिणी की यह साधना खरीद ली। गुरु जी इस साधना को आपने रतिप्रिया यक्षिणी गुप्त तांत्रिक साधना के रूप में उपलब्ध करवा रखा है। फिर देखा और पता किया तो सबसे पहले मुझे यह बात समझ में आई कि यह साधना जल्दी पूरी नहीं होने वाली है। क्योंकि सबसे पहले मुझे कुबेर जी का पूजन!

भगवान शिव का पूजन। और विभिन्न प्रकार की अन्य क्रियाएं करनी पड़ेगी तो मैंने लगभग हर प्रकार से। उसी ऊपरी जगह पर बैठकर सारी चीजें की व्यवस्था की । गुरु जी आपको यकीन नहीं होगा। इस दौरान अद्भुत अनुभव हुए हैं। ऐसे अनुभव जिनकी कल्पना आज की दुनिया में कोई कर ही नहीं सकता है।

कैसे रतिप्रिया यक्षिणी से मेरी मुलाकात हुई? विवाह हुआ यह सारी पूरी बात सारा अनुभव मैं आपको बताने वाला हूं। दर्शकों के मन में बहुत ज्यादा इस बात को लेकर उत्कंठा बनेगी। कि कैसे मैंने यह सब किया होगा तो गुरुजी एक-एक बात को बताते हुए अब मैं आपको अपनी इस यात्रा के विषय में बताता हूं।

क्योंकि मैं उस गांव में पहुंच चुका था। इसलिए आवश्यक था कि मैं वहां के लोगों से घुल मिल जाऊं।

एक! बूढ़ी औरत जिन्हें मैंने माताजी कहना शुरू किया। उनसे कहा कि भोजन बनाना मेरे बस की बात नहीं है। आप मेरे लिए रोजाना का भोजन बना दीजिए। मुझे यहां बहुत टाइम लग सकता है। लगभग 1 वर्ष तक मुझे अपनी रिसर्च भी पूरी करनी है। वहां के अन्य गांव वालों को भी मैंने दोस्त बना लिया था।

इस दौरान मैंने बड़ी ही सावधानी के साथ भगवान शिव और कुबेर जी की साधना संपूर्ण की थी।

क्योंकि यह करना कोई कठिन काम नहीं है। असली तो तांत्रिक साधना होती है जो कि रतिप्रिया यक्षिणी की थी। यह बहुत ज्यादा खूबसूरत और मन को प्रसन्न करने वाली यक्षिणी है। इसीलिए मेरे मन में यह हमेशा इस दुनिया में लेकर अब  आओ तो बहुत ही अद्भुत बात होगी। तो गुरुजी! तब गांव से लगे हुए उस अद्भुत चमत्कारी जंगल। के अंदर जाकर मैंने 1 कुटी दो पेड़ों के बीच में काफी ऊपर जाकर। अच्छी प्रकार! ठोक बजाकर एक व्यक्ति की सहायता से ऊपर मचान सा बना लिया। जोकि रहने लायक पूरी एक कुटिया थी। उस गांव के व्यक्ति ने मुझसे पूछा था कि आप यह कार्य क्यों कर रहे हैं। तब मैंने उसे बताया पूछा इसे वीडियोग्राफी बहुत अच्छी होती है। ऐसी जगह से बहुत ही आसानी के साथ हम जंगली जानवरों और वाइल्ड लाइफ का वीडियो और फोटो बना सकते हैं।

लेकिन उसने कहा, एक बात आप सावधान रहिएगा। जंगल बहुत खतरनाक है। यहां मायावी चीजें होती रहती है।

खासतौर से पूर्णिमा की रात को यहां आने के लिए लोग मना करते हैं। इसलिए उस दिन आप बहुत सावधान रहिएगा और रात में यह कार्य मत कीजिएगा। मैंने कहा ठीक है आप परेशान मत होइए।

मन में तो मेरे भी बहुत डर समा गया था उसकी बात को सुनकर। लेकिन मुझे अपने गुरु मंत्र अपने गुरु की शक्ति सामर्थ्य पर पूरा विश्वास था। जो कि मैं साधना के दौरान ही समझ चुका था। आपकी सामर्थ कितनी ज्यादा है? कोई मंत्र जिस गुरु के माध्यम से मिलता है। वह मंत्र उतना ही कारगर होता है जितना आपका गुरु। क्योंकि हो सकता है एक ही मंत्र आपको अलग-अलग गुरु दे तो क्या एक ही मंत्र एक जैसा प्रभाव देगा बिल्कुल नहीं।

इसी मंत्र का जाप मैं पहले भी करता था तब एक साधारण से पंडित जी के द्वारा मैंने इस मंत्र को प्राप्त किया था। और चमत्कार देखिए यही मंत्र मुझे आपसे मिला।

और तब जो चमत्कार हुए बिल्कुल अलग थे। इससे पता चलता है कि गुरु के माध्यम से और वह भी विशेष गुरु के माध्यम से जब कोई मंत्र मिलता है तो उसकी सामर्थ्य शक्ति बहुत ज्यादा होती है।

गुरुजी अब आता हूं अपने मूल विषय पर। जब मैं वहां पहुंच गया, मेरे सामने अब पूरी व्यवस्था करने की बात थी तो मैंने सारी चीजों को वहां पर ऊपर वाले उस मकान में जो की कुटिया की व्यवस्था कर ली।

हमेशा शुरुआत में गलतियां होती ही है। मैंने उस मचान को इतना बढ़िया नहीं बनाया था।

कि वहां वर्षा से पूरी तरह रक्षा हो सके तो जब मैं पहले दिन की साधना कर रहा था तभी तेज बारिश आ गई और वहां रखा सारा सामान और मैं भी भीग गया। लेकिन गुरु जी इतनी देर साधना चलती है। मैंने पूरी परीक्षा दी। मैंने साधना नहीं रोकी थी जब कि मैं पूरी तरह भीग गया। मुझे लग रहा था, मुझे बुखार आ जाएगा। लेकिन आपकी कृपा और माता पराशक्ति पर पूर्ण विश्वास के कारण कुछ भी उस दिन गलत नहीं हुआ। मैं बीमार नहीं हुआ, यह एक आश्चर्य है। क्योंकि अगर कोई व्यक्ति दो ढाई घंटे। लगातार पानी में भीगता है तो उसका तो निश्चित रूप से बेड़ा गर्क होना तय होता है। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। गुरुजी तब मैंने पहली बार एक दृश्य देखा।

सामने एक! बहुत ही! बड़े! विडाल! आप इसे तेंदुआ समझ सकते हैं।

जो कि काफी बड़ा था।

लेकिन आश्चर्यजनक बात यह थी। कि उसकी आंखों से तेज लाइट और चमक आ रही थी जैसे कि किसी ने टोर्च उसकी दोनों आंखों में लगा दी हो। और तब उसने बड़ी दूर से मेरी ओर देखा। उससे जब मेरा सामना हुआ तो मेरे शरीर में पसीना आने लगा।

और बहुत तेजी से दौड़ता हुआ मेरे पेड़ के नीचे आ गया। और तब उसने मेरे पेड़ पर चढना शुरू कर दिया। गुरु जी आप सोच सकते हैं मेरी क्या हालत हुई होगी?

इसके बाद ही आगे की घटना मैं आपको अगले पत्र के माध्यम से बताऊंगा। गुरु जी आपकी कृपा विशेष रूप से मुझे इसी प्रकार मिलती रहे और मेरा साथ मेरे इस दिव्य! मित्र के साथ सदैव बना रहे।

आप को शत-शत प्रणाम!

सन्देश- तो देखिए यहां पर इन्होंने रतिप्रिया यक्षिणी से इनके संबंध को बताया है और साधना का पूरा विवरण भी दे रहे हैं। आगे के वीडियो के माध्यम से हम जानेंगे आगे इनके साथ क्या घटित हुआ था?

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मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से सत्य घटना भाग 2

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