मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से सत्य घटना 4 अंतिम भाग
गुरु जी आप को शत-शत नमन! गुरु जी मैं नदी की तलहटी में था और इतनी दूर जाने के लिए तैरना भी तो आना चाहिए पर मुझे तो तैरना भी नहीं आता था तो मैंने उससे कहा, आपने तो कह दिया लेकिन मैं जीवित ही नहीं बचा रहूँगा । मुझे तो तैरना भी नहीं आता है। और किसी ना किसी तरह मैं यहां पहुंचा । आपकी कृपा है मुझ पर कि मैं जीवित हूं, सांस ले पा रहा हूं। किंतु यहां से जाने के बाद मेरे साथ क्या होगा, मुझे नहीं पता। इसलिए आप मेरी पूरी मदद कीजिए। आपके सिवा यहां मेरी मदद के लिए कोई भी उपलब्ध नहीं है। तो उसने थोड़ी देर सोचा और कहा एक मार्ग है हमारे इस लोक में हम कुछ पुरुषों के।
एक द्वार से होकर जा सकते हैं। अगर वहां से निकलते हैं तो सीधे तुम्हारे वहां पहुंच जाएंगे। जल के माध्यम से जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
तब मैंने कहा, अगर ऐसा कुछ है तो अवश्य ही आप? इसे कीजिए क्योंकि आप में ही बहुत सामर्थ है कि मुझे यहां से बाहर निकाल सकती है। उसने कहा ठीक है, लेकिन इसमें परेशानी की बात यही है। अगर हम पकड़े गए तो फिर सजा भी मिलेगी। मैंने कहा मृत्यु से बड़ी सजा और क्या हो सकती है। मैं तो वैसे भी जल में मर जाऊंगा। इसलिए आपको जो अच्छा लगे वह आप ही मेरी रक्षा कर सकती है। तब? मैंने उन्हें जो कहा था, उन्होंने उस बात को पूरी तरह गंभीरता से लिया। उनके साथ एक दो और स्त्रियां सहायता करने के लिए तैयार हो गई, लेकिन सभी घबराई हुई थी। शायद जैसे उन्हें किसी चीज से डर लग रहा हो और फिर हम एक दूसरे द्वार से होते हुए एक अन्य नगर में पहुंच जहां पर मैंने विशालकाय बहुत ज्यादा बलवान पुरुषों को देखा। वह बहुत तेजस्वी थे। यह सभी उन से डर कर वहां पर? चुपचाप निकल रही थी। और तभी एक आयामी द्वार आ गया। उसने कहा चलो अब जल्दी से यहां से बाहर निकल जाओ। बिल्कुल देर ना करो। इससे पहले कि किसी की नजर मुझ पर या हम सभी पर पड़े। मैंने कहा, आपका बहुत धन्यवाद और मैं जैसे ही उससे बाहर निकलने ही वाला था कि तभी एक शक्तिशाली व्यक्ति ने मुझे पकड़ लिया और? गुस्से से वो कहने लगा। ये दूसरी दुनिया का मानव यहां क्या कर रहा है?
और तभी उसने देखा। तो बाकी स्त्रियों पर भी उसकी नजर पड़ गई और उसने! जोर से चिल्लाया उसके चिल्लाने से उसका जो मुंह था, वह खुल गया और उससे भयंकर तरह की तरंगे निकल रही थी ।
कुछ अलग तरह की थी जैसे पानी में।
जब कोई पत्थर गिरा देता है तो तरंग बन जाती है। ऐसा ही कुछ वहां पर हो रहा था। उसके शरीर से जो तरंगे निकल रही थी। थोड़ी ही देर में वहां पर बलवान पुरुषों की एक विशालकाय सेना प्रकट हो गई।
इतनी बड़ी और शक्तिशाली थी कि हम तो क्या मनुष्यों की लाखों की सेना भी उनकी बराबरी नहीं कर सकती थी? उन सब ने हमें पकड़ लिया और सभी राजा के पास लेकर जाए गए। तब राजा ने घूरते हुए कहा। तुच्छ मानव हमारी दुनिया में कैसे आ गया है। इसे यहां कौन लाया है? इन! की तो कोई सामर्थ ही नहीं है। वह भी जीवित मानव यहां तक पहुंच जाए, वह भी इस कलयुग में।
तब? मैंने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा। महाराज आप जो भी हो लेकिन आपका तेजस आपका तेज अभूतपूर्व है।
सबसे पहले मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए। मैं यह चापलूसी! इसलिए कर रहा था ताकि राजा का क्रोध इससे पहले कि मुझ पर बरसे मैं उसे कुछ ना कुछ। अपनी बातों में तो फंसा ही लूं। तब उस राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, मानव तू बुद्धिमान तो है, इसमें कोई शक नहीं है किंतु मैं यह जानना चाहता हूं कि इस मानव को हमारे इस दुनिया तक लाने वाली कौन है?
आप सभी स्त्रियों में कौन है? तब उसी लड़की ने सामने आकर नमस्कार करते हुए उस व्यक्ति को कहा। यह मेरी गलती है। मैंने ही इसकी परीक्षा लेने की कोशिश की है। आप मुझे माफ कीजिए। मैं इसे अपनी दुनिया तक लेकर आई। और मैं यह बात भूल गई कि यह तो मनुष्य है, सांस नहीं ले पाएगा इसलिए आपके? आयामी द्वार के माध्यम से इसे मैं इसकी दुनिया में भेज रही थी पर मैं ऐसा नहीं कर पाई। तब राजा ने कहा। अच्छा! अब मुझे बात समझ में आई।
तो यह तुम्हें ही प्राप्त करने के लिए इतनी जतन कर रहा है।
और राजा होने के नाते मैं निर्णय तो सही दूंगा। तुम किसी को भी मूर्ख नहीं बना सकती हो? यह केवल तुम्हारे लिए यहां तक आया है इसलिए इसका पहले पारितोषिक किसको देना पड़ेगा? मैं तुम्हारे और इसके विवाह का प्रबंध करवा देता हूं।
और उसके बाद! मैं निर्णय लूंगा कि तुम दोनों के साथ क्या किया जाए? तो उस राजा के कहने पर वहां पर उस दिव्य कन्या और मेरा विवाह करवाया गया। उस विवाह के बाद मुझे इतनी ज्यादा खुशी हो रही थी कि ऐसा लगता था जैसे मैं इसी जगह के लिए बना हूं।
जैसे ही मेरा विवाह उसके साथ हुआ उसने वरमाला मेरे गले में डाली। मेरे अंदर अद्भुत शक्तियां।
ऐसी शक्तियां जिसकी कल्पना एक मनुष्य कभी नहीं कर सकता। गुरु जी मैं अपनी आंखों से दूसरी कई सारी दुनिया देख सकता था। सभी के रूप मेरे सामने प्रदर्शित होने लगे।
और तब मैंने जब राजा की ओर देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए। मुझे पूरी तरह समझ में आ चुका था कि यह यक्षराज है।
यह महाराज कुबेर हैं जिनके दर्शन करने के लिए भी लोग तड़पते हैं। इनसे ही सारी दुनिया धन मांगती है। मैंने तुरंत उन्हें प्रणाम किया और अपनी घुटनों पर आकर अपनी। रोती हुई आंखों से उन्हें कहा, मेरा इतना बड़ा भाग्य कि मैं आपके साक्षात दर्शन कर पा रहा हूं। यह मेरे लिए दुनिया का सबसे बड़ा भाग्य है। तब? कुबेर महाराज ने हंसते हुए कहा।
उस दुनिया और इस दुनिया में बहुत अंतर है।
मानवों को कुछ भी नहीं समझते हैं। यक्ष की शक्ति बहुत ज्यादा होती है। ना वह मनुष्य लोक जाना चाहते हैं लेकिन अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए हमेशा लालायित रहते हैं। ऐसा ही कुछ आपकी पत्नी के मन में भी है। इनका नाम रतिप्रिया है। रतिप्रिया! आपको पसंद करती हैं। आपने जब इनकी साधना शुरू की तभी से यह आप पर नजर रखे हुए थी और आखिरकार! क्योंकि आप का अभी तक संसार में किसी भी स्त्री से प्रेम प्रसंग नहीं हुआ है। इसी कारण यह आप पर प्रसन्न हो गई और आपको अपनी इस दुनिया में आने दिया।
नियम के हिसाब से या तो आपको अपनी दुनिया में वापस जाना होगा और या फिर आपको अब यही रतिप्रिया के साथ रहना होगा क्योंकि दोनों में से केवल एक ही विकल्प आप!के पास है आपके अंदर तक की सामर्थ्य भी इतनी ज्यादा नहीं है? लेकिन मेरी कृपा से अगर आप इस दुनिया में रहते हैं। तो मैं आपको वरदान देता हूं कि आप भी यहां बहुत शक्तिशाली यक्ष बन कर रह सकते हैं। पर आपके अंदर इनके पति बनने के बाद ही तुरंत इतनी ज्यादा शक्तियां आ गई है कि आप? स्वयं एक यक्ष है।
मैंने इस बात को महसूस किया कि मेरे अंदर कई हाथियों के बराबर शक्ति थी।
लेकिन अगर मुझे दूसरी दुनिया यानी अपनी दुनिया में जाना पड़ा तो इस दुनिया को छोड़ना पड़ेगा।
और अगर मैं यहां रहता हूं तो हमेशा के लिए यही पर रह जाऊंगा।
मुझे एक बात तो समझ में आ चुकी थी कि? मैं अगर साधना करता हूं तो दूसरी दुनिया तक भी पहुंच सकता हूं।
तो मैंने यह निर्णय लिया कि मैं अपनी दुनिया यानी पृथ्वी पर वापस चला जाऊंगा।
और जब तक मेरी सामर्थ्य इतनी ज्यादा नहीं होगी? कि मैं वापस इस दुनिया में आ सकूं तब तक नहीं आऊंगा।
तो गुरु जी मैंने! रात! जो मेरी आखिरी रात थी उस दुनिया में अपनी पत्नी रति प्रिया के साथ गुजारी। उसने मुझे इतना प्रसन्न किया कि वह क्षण मैं आज तक नहीं भूल सकता। उसने एक रात में ही मुझे संसार के सारे सुख प्रदान किए। उनका अनुभव एक संसारी मनुष्य कभी भी नहीं कर सकता है। उसका प्रेम अतुलनीय है।
और सुबह होते ही अचानक से मेरी आंख खुली तो मैं। अपनी ही कुटी में सो रहा था। मैंने चारों तरफ उठकर देखा। वहां कोई भी नहीं था, एक रात में इतना सब कुछ हो गया।
लेकिन अब! जब मैं मंत्र जाप करने बैठा, मेरी माला टूट गई।
मैं मंत्र जाप भी सही प्रकार से नहीं कर पा रहा था। गुरु जी मैं समझ चुका था कि मेरी जो इच्छा थी उसी के अनुरूप मेरे साथ हुआ है।
तब गुरुजी उसके बाद मैंने बहुत कोशिश की। 1 वर्ष तक लगातार वहां रहकर साधना करता रहा लेकिन कोई अनुभव नहीं हुआ आज!
कोई व्यक्ति अगर मुझसे पूछे कि मैंने दूसरी दुनिया देखी है तो यह बिल्कुल सत्य बात है, लेकिन प्रमाण देने के मेरे पास कुछ भी नहीं है। मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी के साथ हुआ, लेकिन मैंने स्वयं निर्णय लिया कि मैं अपनी दुनिया यानी पृथ्वी लोक में वापस आ जाऊंगा।
कई लोग अभी सोच सकते हैं कि मैंने शराब पीकर यह सारा सपना देखा होगा। लेकिन ऐसा भी नहीं है। शराब या किसी चीज मैं कभी स्वीकार नहीं करता। न हीं ऐसी चीजों पर।
पूरी तरह मैं इनसे दूर हूं। जो कुछ भी हुआ वह वास्तव में सत्य था।
मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन मैं रतिप्रिया यक्षिणी को दोबारा नहीं देख पाया। इसका कारण आप समझा सकते हैं। गुरुजी तो अवश्य ही समझाये और क्योंकि फिर मुझे वापस अपने देश लौटना पड़ा क्योंकि परिवार में कुछ ऐसी समस्याएं आई थी । मै दोबारा इंडिया वापस नहीं आ पाया। गुरु जी यह मेरे जीवन की एक सत्य घटना है। जो एक रात में देखा आज तक फिर दोबारा अनुभव नहीं हो पाया है।
कमी क्या रह गई। मैं फिर से कोशिश करूंगा। अगर आप इस संबंध में कोई? सुझाव देना चाहते हैं तो अवश्य दीजिए। गुरु जी कृपया हर प्रकार से मुझे गोपनीय ही रखें। आप को शत-शत नमन।
सन्देश- तो देखिए यहां पर उन्होंने अपनी इस जीवन की घटना को बताया है जो सत्य है। सुनने में लगेगा कि हां, यह सत्य नहीं होगा पर तांत्रिक जीवन जो लोग साधना करते हैं, वह समझ सकते हैं कि ऐसा दूसरी दुनिया से संपर्क भी होता है। उनकी दुनिया में भी जा सकते हैं, लेकिन विशेष परिस्थितियों में ही आपको ऐसी सिद्धि मिलती है कि आप इस दुनिया से उस दुनिया में जाने लायक बने। यहां पर इन्होंने जो निर्णय लिया उसी के अनुरूप यक्षराज ने उन्हें वरदान दिया। इनके जीवन में कभी कोई कमी नहीं रहेगी लेकिन दोबारा इन्हें रतिप्रिया यक्षिणी सिद्ध नहीं होगी। इन्हें अब अगले जन्म तक इंतजार करना पड़ेगा। अगले जन्म में ही जब दोबारा यह साधना करेंगे तो उसे प्रत्यक्ष कर सकते हैं।
और? जब हम निर्णय लेते हैं किसी भी जगह यह पृथ्वी लोक की तरह नहीं होता। वहां पर लिया गया कोई भी निर्णय अंतिम निर्णय होता है। हमारी दुनिया की हर बात में अपने स्वार्थ के हिसाब से निर्णय बदल सकते हैं।
यही अंतर है पृथ्वी लोक की दुनिया में इसीलिए यहां के लोग स्वार्थी होते हैं अपने स्वार्थ के हिसाब से निर्णय और अपना लाभ देखकर बदलते रहते हैं। लेकिन उस दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं होता। वहां पर वचन और निर्णय कभी नहीं बदलते हैं। रति प्रिया के रूप में पत्नी को केवल एक रात के लिए प्राप्त किया लेकिन इतनी ही याद इनको आजीवन संतुष्टि देती रहेगी।
अगर आप? फिर से इस जीवन में प्रयास करना चाहते हैं तो केवल माध्यम एक ही है। वह है यक्षराज कुबेर। अगर आप इन्हें सिद्ध कर सके तो इनमें वही वरदान देने की दोबारा क्षमता है कि आपको यह रतिप्रिया यक्षिणी जिससे आपका विवाह हुआ था।
यह तो इनके जीवन की एक सत्य घटना अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें, आपका दिन मंगलमय हो।