नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। काफी दिनों बाद मैं आज आप लोगों के सामने उपस्थित हुआ हूं। वजह थी बीमारी तो सबसे पहले मेरे लिए यही महत्वपूर्ण था कि मैं आपको इस संबंध में बताऊ कि मेरे साथ क्या हुआ था और क्या चमत्कृत भी हुआ । क्योंकि जीवन में कई तरह के मोड़ आते रहते हैं। उन्हीं लोगों में से जीवन में विभिन्न प्रकार के बदलाव भी निकलते हैं। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ तो चलिए जानते हैं। मेरे जीवन में ही घटित मेरी बीमारी से संबंधित यह अनुभव और साथ ही साथ एक चमत्कारिक अनुभव के बारे में जिसके माध्यम से मैं आपको और भी ज्यादा ज्ञान दे सकूंगा।
आज के लगभग 1 महीने पहले की बात है सबसे पहले! मैं माता लालता देवी के दर्शनों के लिए गया परिवार सहित वहां दर्शन इस प्रकार से हुए जैसे कि। वहां कोई उपस्थित ही नहीं था। कारण था। लॉकडाउन करोना वायरस की वजह से सभी मंदिरों में जो भी वहां का पाठ या द्वार खोले जा रहे हैं, वहां पर बड़ी आसानी से दर्शन हो रहे थे। मैंने वही पांडव किले में पांडवों के दर्शन भी किए और वहां से वापस आ गए। अचानक से सभी के मन में यह ख्याल आया कि क्यों ना अपनी? जांच करवा लेनी चाहिए। मेरी और बाकी परिवार के सदस्यों की जांच भी की गई और उस जांच में। हम लोगों ने अपने अपने खून के माध्यम से शरीर की जांच करवाई। शरीर की जांच में जब मेरी रिपोर्ट आई तो उसमें एसजीओटी और एसजीपीटी! यह लीवर से संबंधित एक जांच होती है। उसमें काफी अधिक बढ़ोतरी हुई थी। डेढ़-डेढ़ सौ के करीब दोनों की मात्रा निकल कर आई थी। इस कारण से मुझे सलाह दी गई कि मैं अब लीवर संबंधी बातों का ध्यान रखो। लेकिन यह कमी मेरे अंदर निकलकर क्यों आई थी?
इसके बारे में जब पता लगाया गया तो यह निकला कि जो हम खाद्य पदार्थ में तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह तेल पूरी तरह से गलत है और कारण है सभी प्रकार के तेलों में पाम आयल की मिलावट। पाम आयल आजकल लोग। किसी भी तेल में मिला देते हैं और सस्ता होने की वजह से लगभग 20-22 ₹ लीटर मिल जाता है। इसका इस्तेमाल बहुत ही ज्यादा, मतलब धड़ल्ले से किया जा रहा है और यह हमारे शरीर और लीवर के लिए बहुत ज्यादा परेशानी उत्पन्न कर देता है। समस्या यह इसलिए थी क्योंकि लगभग डेढ़ 2 सालों से शायद मिलावट का जहर मेरे लीवर में जा रहा था। इसी कारण से मुझे यह समस्या आ गई। समस्या को बहुत ही साधारण मैंने लिया। लेकिन यह एक दिन जब मैं वीडियो बना रहा था, अचानक से मुझे चक्कर आया । मुझे लग रहा था कि कुछ विशेष कारण होगा। इसकी वजह से चक्कर आया होगा। फिर थोड़ी देर बाद सिर में भयंकर दर्द होने लगा। मुझे लगा कि मैं काफी देर तक कंप्यूटर पर बैठकर रिसर्च करता रहता हूं। आप लोगों के लिए और ईमेल और अन्य कई माध्यमों के द्वारा बहुत ही अधिक मेहनत करता हूं।
9- 10 घंटे उस पर मेरे बीत जाते थे, इसी कारण से हो सकता है। सिर्फ यह दर्द की समस्या शुरू हो गई हो तो सिर के दर्द की समस्या को लेकर ही मैंने इलाज करना शुरू कर दिया। लेकिन यह धीरे-धीरे और अधिक बढ़ता चला गया। फिर? जब गहराई से रिपोर्ट की जांच की गई तो पता चला कि यह सब कुछ लीवर की वजह से ही हो रहा है। इसे लीवर से पैदा होने वाला माइग्रेन कहते हैं। और यही मेरे साथ हुआ था। माइग्रेन स्वयं में माइग्रेन नहीं था बल्कि लीवर की वजह से पैदा किया हुआ था और कुछ उसमें चीजें जुड़ गई। इस वजह से क्योंकि हम लोग ज्यादा मेहनत करते हैं। कंप्यूटर और टीवी मोबाइल की वजह से , जब दवाइयां शुरू की तो क्योंकि मैं एलोपैथी में विश्वास नहीं रखता। आयुर्वेद में ज्यादा विश्वास करता हूं तो आयुर्वेदिक दवाइयों में हालांकि वह जड़ से खत्म करती है। लेकिन एक समस्या होती है। वह समस्या यह होती है। आयुर्वेद पहले रोग को और अधिक उभार देता है। उसके बाद से धीरे-धीरे ठीक करता है। इसीलिए इतना समय लग भी गया मुझे , धीरे-धीरे करके मेरे लीवर को रास्ते पर लाने के लिए दवाइयों का आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग मैंने करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे समस्या और भी अधिक बढ़ती चली गई।
वीडियो ना बना पाने का मुख्य कारण था। आंखों पर और सिर पर भयंकर दर्द का होना और उसकी वजह से कुछ भी खासतौर से मोबाइल। कंप्यूटर पर ना देख पाना। अब अगर मैं कुछ बोल भी दूं तो क्योंकि मैं किसी और की सहायता नहीं लेता हूं। इसी कारण से वीडियो बनने मुश्किल हो गए। हालांकि मैं जल्दी जल्दी ठीक होने लगा। लेकिन? कई प्रकार की चीजों का विशेष ध्यान भी रखना आवश्यकता खासतौर से कोरोनावायरस की वजह से अन्य तरह की कोई भी समस्या से बचना आवश्यक था। इसी कारण से इसमें और भी अधिक समय लगा और मैं विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों के काढ़े बनवा करके पीने लगा क्योंकि घर में ही मेरे पिता आयुर्वेदिक औषधियों के अच्छे जानकार हैं। उन्होंने मुझे भिन्न प्रकार के काढ़े पिलाने शुरू कर दें। उनका असर धीरे-धीरे होने लगा और अब धीरे-धीरे स्थिति सुधार भी है। हालांकि। जब तक यह समस्या पूरी तरह जड़ से खत्म नहीं होती तब तक हो सकता है। मैं रोज वीडियो ना बना पाऊंगा। उसके लिए आप सभी से क्षमा प्रार्थी रहूंगा, लेकिन मेरी बारे में सभी को पूरी नॉलेज रहे और सारा ज्ञान मिले। इसीलिए आवश्यकता कि मैं अपनी सारी बातें आपको बता दो क्योंकि आपका और मेरा रिश्ता बहुत ही अधिक गहरा चुका है।
आप को बताए बिना अभी मैं नहीं रह सकता। इसीलिए मैंने अपने सहायकों के माध्यम से सिर्फ जानकारी देने की बात कही थी। और धीरे-धीरे करके मेरा यह रोग अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है और इसी कारण से मैं यह पहला वीडियो अब बना रहा हूं। हालाकि अभी कुछ और दिन लगेंगे। इसलिए आप लोग बिल्कुल भी व्यथित ना हो कि मैं रोज वीडियो क्यों नहीं बना पा रहा हूं क्योंकि ज्यादा देर कंप्यूटर पर बैठने से फिर से सिर में दर्द सी समस्याएं पैदा हो सकती हैं तो चलिए यह तो बात हो गई। मेरे रोग की और साथ ही साथ इस संबंध में मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि लीवर संबंध में लिव-52 डी एस। लिव प्लस! और इसी तरह की अन्य बहुत सारी दवाइयां मल्टीविटामिंस वगैरा का इस्तेमाल आप लोग आयुर्वेदिक औषधियों के साथ-साथ कर सकते हैं ताकि आपको इस में आसानी से राहत मिले और आप जल्दी से जल्दी ठीक हो सके। लेकिन अब इस ही अनुभव में मेरे साथ जो घटित हुआ, वह भी आपको बताना आवश्यक हो जाता है। जो सुधार है जिस दिन से यह शुरू हुआ उस दिन की घटना आपको मैं बता रहा हूं। हालांकि बहुत ही कठिन होता था। चलना भी मेरे लिए और पूरी दुनिया जैसे हिलती हुई सी नजर आती थी। इस तरह की स्थिति हो गई थी। लग रहा था। ऐसा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि अंतिम समय मेरा आ चुका है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। पर फिर भी मैंने अपनी पूजा और उपासना जो दैनिक दिनचर्या है, वह काफी कम कर दी। पर फिर भी मैं जाप करता रहा तो इसी दौरान जाप करते करते काफी दिन हो चुके थे। मैं जाप कर रहा था और अचानक से मुझे बेहोशी आ गई। मैं उसी के दौरान ही कुछ ऐसे अनुभव और दृश्य मुझे दिखाई दे जो एक अनुभव की श्रेणी में आते हैं। वही मैं आज आपको बता रहा हूं।
अचानक से झटके के साथ माता के मंत्रों का जाप करते हुए मैं सो गया या यूं कहिए बेहोश हो गया इसी दौरान अचानक से मैंने अपने आप को एक! मंदिर में पाया, मंदिर में मैं मेरे पास काफी सहयोगी और बड़े ही विद्वान पंडित योगी साधु और इसी तरह के अन्य बहुत सारे भक्तजन भजन गा रहे थे, सभी बैठे हुए थे जमीन में और उस मंदिर में सामने एक गर्भ ग्रह सा बना हुआ था। सभी लोग चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि माता आएंगी, माता आएंगी। मैं भी उसी और देख रहा था। मैं चारों ओर का नजारा देख रहा था। वह मंदिर स्वर्णमई था। सोने का बना हुआ था। मैंने कुछ देर इंतजार किया। अचानक से धरती हिलने लगी और जमीन फाड़ती हुई एक स्त्री बाहर निकली। उनके हाथ में एक स्वर्णमई त्रिशूल था। मैं उनके बारे में और अधिक नहीं बता सकता। क्योंकि कुछ बातें गोपनीय रखना आवश्यक होता है। वह जब प्रकट हुई उनके साथ एक काले रंग का व्यक्ति था जो पूरा भुजंग काला था। उस व्यक्ति ने कहा, माता ने सब को दर्शन दे दिए हैं।
मैं मां का नाम यहां पर नहीं लेना चाहता क्योंकि वह ना तो स्वर्ग लोक की है और ना ही पृथ्वीलोक की। इसके बाद व्यक्ति ने कहा कि माता का प्रसाद तैयार हो रहा है। आप सभी को उसे ग्रहण करना है और सभी कौतूहल वश वहां बैठ गए कि हम सबको व प्रसाद ग्रहण करना होगा। कुछ देर बाद वहां भयंकर दुर्गंध आने लगी। सभी लोग घबराने लगे फिर उसके बाद सब को प्रसाद बटने लगा। मेरे सहयोगी के बगल में भी एक थाली रखी गई और मेरे सामने भी खाली रखी गई। किंतु जब मेरी नजर! उस प्रसाद पर पड़ी तो मैं आश्चर्य में पड़ गया। मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि ऐसा प्रसाद भी होता होगा। प्रसाद में मरे हुए कीड़े मकोड़े बिच्छू सांप। मेंढक थे, उन सबकी आंखें अतड़ियाँ शरीर के अंग, सब तैर रहे थे। आप यह समझ सकते हैं कि कीड़े मकोड़े और गंदी जितनी भी चीजें होती हैं जैसे छिपकली यहां उन सब को मिलाकर के पकाकर एक काढ़ा तैयार किया गया था।
उस कार्य को देखकर मैं आश्चर्य से भर गया था। मैंने यह कल्पना भी नहीं की थी कि इस देवी का प्रसाद ऐसा होगा। मैं सोच भी नहीं सकता था। सभी लोग प्रसाद को देखते ही भाग खड़े हुये कुछ एक देखते ही बेहोश हो जाते, मेरे सहयोगी के बगल में जब इस तरह प्रसाद आया तो उन्होंने भी उसे उठाकर हाथ से फेंक दिया क्योंकि उनके! प्रसाद में भी मरा हुआ सांप सड़ा हुआ तैर रहा था। मेरे सामने जो प्रसाद पूरी तरह से था, उस में मरी हुई छिपकली। सड़ा हुआ सांप बिच्छू। मकड़ी इन सब की शरीर के भिन्न-भिन्न क्षत-विक्षत अंग पड़े हुए थे। मुझे नहीं पता। मैंने क्यों इस कार्य को स्वीकार किया और मां जगदंबा के गुरु मंत्र का जाप करते हुए उस काढ़े को पी गया? मुझे यह नहीं यकीन आ रहा था कि आखिर मैंने ऐसा क्यों किया था? मेरे सामने ऐसा अद्भुत दृश्य क्यों घटित हुआ था? मैंने उसे पी लिया मेरा पूरा मुंह खराब हो चुका था। मैं उसे गट गट करके पीता चला गया। और? इसी प्रकार मेरे साथ बहुत ही बुरी स्थिति हो गई। इसके बाद मेरा मन उल्टी करने का करने लगा। मैंने सोचा कि अब मैं क्या करूं। मैंने सोचा किसी अलग स्थान पर जाकर उल्टी करना उचित रहेगा। क्योंकि मैने! गंदे जीवो का सड़ा हुआ मांस। उस काढ़े के माध्यम से पी लिया था।
मैं अपनी जीभ को अपने हाथों से रगड़ता हुआ उसी स्थान से उठकर जंगल की ओर भागा। जंगल में चारों तरफ दिव्य वनस्पतियां चमक रही थी। वहां का जो जंगल था वह ऐसा अद्भुत था कि जहां पर सारे जंगल में मौजूद हर एक वृक्ष चाहे कोई पेड़ कोई पौधा कोई वनस्पति थी प्रकाश से चमक रहे थे। हर एक वृक्ष में अपना अलग ही दिव्य प्रकाश मौजूद था। वह चमकता हुआ प्रकाश मेरे लिए अद्भुत रहस्यमई था। मैं उस जंगल में जैसे-जैसे इधर-उधर आगे बढ़ता गया। सारे के सारे पेड़ वनस्पतियां वृक्ष ऐसा लगता है जैसे जीवित हैं और मुझे देख रहे हैं सारे के सारे आश्चर्य से भरे हुए नजर आ रहे थे। सब के सब मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि जीवित हो।
सारे पेड़ पौधे वनस्पतियां अपने प्रकाश से दिव्यता रूप लिए हुए थे। उनके अंदर तीव्र प्रकाश भरा हुआ था। उस प्रकाश के कारण से अद्भुत। एक वातावरण सा बन रहा था। मैं उस चमत्कृत दृश्य को देखकर आश्चर्य से भरा जा रहा था। तभी मुझे किसी की आवाज आई। सुनो रुको! इसके बाद क्या हुआ, मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा … यह थी मेरी अनुभव की पहली कड़ी जो मेरे साथ साक्षात रुप में घटित हुआ है और मैं आपको आज बता भी रहा हूं। उसमें से कुछ बातें जो गोपनीय है, वह नहीं बताई जा सकती। वह मैं आपको नहीं बता रहा। बाकी यह सत्य अनुभव है जो सिर्फ और सिर्फ मैंने अनुभव किया है।