मौनी अमावस्या रहस्य कथा और उपाय
1 दिन उसने जानना चाहा बहुत सारी रात जागी और सब कुछ प्रत्यक्ष देखकर जान गई तो सोमा का उन भाई बहनों से भी वार्तालाप हुआ। भाई ने सोमा को बहन संबंधी सारी बात बता दी। सोमा ने उनकी श्रम साधना और सेवा से प्रसन्न होकर उचित समय पर उनके घर पहुंचने का वचन देकर कन्या के वैधव्य दोष निवारण का आश्वासन दिया। मगर भाई ने उसे अपने साथ ही चलने के लिए कहा था। आग्रह करने पर सोमा उनके साथ चलने को तैयार हो गई। चलते समय सोमा ने बहुओं से कहा, मेरी अनुपस्थिति में यदि किसी का देहांत हो जाए तो उसके शरीर को नष्ट मत करना, मेरा इंतजार करना और फिर सोमा भाई बहन के साथ कांची पुरी पहुंच गई। दूसरे दिन गुणवती के विवाह का कार्यक्रम तय हो गया। सप्तपदी करते ही उसका पति मर जाता है तो सोमा ने तुरंत ही अपने संचित पुण्य का फल गुणवती को दे दिया। इसी से उसका पति तुरंत ही जीवित हो गया। सोमा उन्हें आशीर्वाद देकर अपने घर चली गई। उधर गुणवती को पूर्ण फल देने से सोमा के पुत्र जमाता तथा पति की मृत्यु हो गई। पुण्य संचित करने के लिए मार्ग में पीपल के वृक्ष की छाया में भगवान विष्णु का पूजन करके उसकी 108 परिक्रमा की और तपस्या की। इसके कारण उसके परिवार के मृतक जन फिर से जीवित हो उठे क्योंकि भगवान यह सारी बातें देख रहे थे और उन्होंने इस।
पूरी तरह किए गए परोपकार को समझा और उसके पुण्य को फिर से उसकी तपस्या के रूप में प्रदान कर दिया। उसके परिवार के मृतक जीवित हो गए। क्या इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि निष्काम भाव से जो भी सेवा का फल? प्रदान करता है उसको अनगिनत लाभ अवश्य होते हैं कि भले ही उसके साथ कुछ भी बुरा हो किंतु उसमें भी अंततोगत्वा शुभ ही होता है तो यह सब मौनी अमावस्या के दिन हुआ था। इसीलिए यह बहुत ही दिव्य! समय होता है जब हम मौनी अमावस्या के समय में मौन रहकर ईश्वर को याद करते हुए। उनसे अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हुए अपने अंदर तप की ऊर्जा को स्थापित करते हैं। कहते हैं कि इस दिन सुबह उठकर व्यक्ति बिना कुछ बोले सबसे पहले नहा ले और उसके बाद अपने मंत्रों का जाप करें। इसके अतिरिक्त कुछ ना बोले तो बहुत शुभ माना जाता है। मोनी अमावस्या का मूल उद्देश्य है। अपने मुंह से किसी भी प्रकार से गलत शब्दों के उच्चारण से बचते हुए पुण्य की प्राप्ति करना और यह अवश्य ही। सिद्ध होता है और व्यक्ति को जीवन में बड़ा बनाता है। उसके जीवन से हर प्रकार के दुख समाप्त करता है इस दिन भूखे प्राणी को भोजन अवश्य करवाना चाहिए। चाहे वह कोई भी जीव क्यों ना हो?
यह थी मोनी अमावस्या की कथा इसके साथ ही कुछ उपाय और उससे जुड़ी हुई प्रमुख बातें। अगर आज का भी जो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।