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मौनी अमावस्या रहस्य कथा और उपाय

मौनी अमावस्या रहस्य कथा और उपाय

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। हिंदू पंचांग के हिसाब से मोनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त दिनांक 9 फरवरी सुबह 8:02 से लेकर अगले दिन 10 जनवरी सुबह 4:28 तक होगा। 9 फरवरी २०२४ के दिन ही मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इस स्थिति का विशेष महत्व है और इस दिन विशेष तरह के कार्य करने भी चाहिए और इसके अलावा मौन रहते हुए अगर आप इस दिन? इन कार्यों को करते हैं तो बहुत लाभ प्राप्त होता है। आज के इस वीडियो में मैं आपको बताऊंगा कि मौनी अमावस्या के दिन आप क्या करें। साथ इस की व्रत कथा को अवश्य सुने ताकि आपके जीवन में भी मंगल की प्राप्ति हो तो जैसे कि हम लोग जानते ही हैं कि माघ महीना और उसकी कृष्ण पक्ष की अमावस्या है। इसी को हम लोग मौनी अमावस्या के नाम से जानते हैं तंत्र। शास्त्र में भी विशेष तिथि इसे माना जाता है और अगले ही दिन से आपको पता है कि गुप्त नवरात्रि भी शुरू हो जाती है।
इस संबंध में यह मान्यता है कि इस दिन किए गए विशेष उपाय शुभ फल प्रदान करते हैं जैसे कि एक सबसे महत्वपूर्ण कार्य अगर आप किस दिन किसी भूखे प्राणी को भोजन करवाते हैं तो आपको बहुत लाभ प्राप्त होता है। आपके बहुत पाप नष्ट होते हैं। भूखे प्राणियों का अर्थ मनुष्य ही नहीं। सभी प्रकार के जीव जंतु सम्मिलित हैं। इसके अंदर और अगर इस दिनांक इनकी सोमवती अमावस्या के दिन अगर ऐसी स्थिति पैदा हो तो और शुभ माना जाता है। लेकिन फिर भी अगर मोनी अमावस्या किसी भी दिन पड़े। उस दिन चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाना चाहिए। ऐसा करने से आप के पाप कर्मों को छह होता है और पुण्य कर्म जो है, आपके उदित हो जाते हैं। यही आपकी मनोकामना पूरी करने में सहायक भी माने जाते हैं। सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाए गोलियां बनाते समय भगवान का नाम लेते रहे। इसके बाद समीप के ही किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दीजिए। इस उपाय से आपके जीवन में विभिन्न प्रकार की परेशानी। हो जाता है किसी दिन कालसर्प दोष के निवारण हेतु भी सुबह स्नान करने के बाद चांदी के जो नाग और नागिन हैं, उनकी पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव बहुत कम हो जाता है और राहु केतु शांत होते हैं।
सफेद पुष्प के साथ बहते हुए जल में जोड़ा प्रवाहित करने पर कालसर्प दोष जो है, वह नष्ट होता है। यह नाग नागिन का जोड़ा आप इस प्रकार से उसका उपयोग कर सकते हैं। शाम के समय ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं और बत्ती में रुई की जगह लाल रंग के धागे का उपयोग करें। इसी के साथ ही दिए में थोड़ी सी केसर भी डाल दीजिए। कहते हैं जिसके घर में माता लक्ष्मी प्रसन्न ना हो रही हूं। इस उपाय से माता लक्ष्मी की भी कृपा उस व्यक्ति को अवश्य ही प्राप्त होती है। अब मैं बात करूंगा। मौनी अमावस्या की कथा के विषय में इस संबंध में जो कथा आती है, वह इस प्रकार से है कि
पुराणों के अनुसार कांची पुरी में एक ब्राह्मण का निवास था। उसका नाम देव स्वामी था। उसकी पत्नी का नाम धनवती था। उसके लगभग 7 पुत्र और एक पुत्री थी। पर पुत्री का नाम उन्होंने गुणवती रखा था। ब्राम्हण! सातो पुत्रों का विवाह करके बेटी के लिए वर खोज ने अपने सबसे बड़े पुत्र को भेजा। उसी दौरान किसी पंडित ने उनकी पुत्री की जन्मकुंडली को देखा और बताया। सप्तपदी होते होते ही यह कन्या विधवा हो जाएगी। तब उस ब्राह्मण पंडित से पूछा। पुत्री के इस वैधव्य यानी कि विधवा होने वाले दोष के निवारण को हम कैसे करें। तब पंडित ने कहा कि सोमा का पूजा करने से वह दूर होगा कि सोमा का परिचय देते हुए उसने बताया कि वह एक धोबिन है। उसका निवास स्थान सिंहल द्वीप है और जैसे तैसे उसे प्रसन्न करो। गुणवती के विवाह से पूर्व ही उसे तुम यहां पर बुला लो तब देव स्वामी और उसका सबसे छोटा लड़का बहन को अपने। करके सिंहल द्वीप चले जाने लगा और वह सागर तट तक चला गया। सागर पार करने की चिंता में दोनों एक वृक्ष के नीचे छाया में बैठ  गए
उसी पेड़ पर एक घोसले में दिव्य गिद्ध का परिवार रहता था। उस समय घोसले में सिर्फ गिद्ध के ही बच्चे थे। गिद्ध के बच्चे भाई-बहन के क्रियाकलापों को देख रहे थे शाम के समय। बच्चों की मां वहां पर आई तो उन्होंने भोजन नहीं किया। वह अपनी मां से बोले नीचे देखिए, 2 प्राणी सुबह से भूखे और प्यासे यहां पर बैठे हुए हैं। जब तक वह कुछ नहीं खा लेते तब तक हम भी कुछ नहीं खाएंगे। तब दया और ममता के वशीभूत होकर गिद्ध माता उनके पास आई और बोली मैंने आपकी इच्छाओं को जान लिया है। इस वन में जो भी फल फूल कंदमूल मिलेगा, सब कुछ आपके लिए लेकर अभी आती हूं। आप भोजन कर लीजिए। मैं प्रातः काल आपको सागर पार कराकर सिंगल दीप की सीमा पर भी पहुंचा दूंगी। और भाई दोनों भाई बहन माता गिद्ध की सहायता से सोमा के यहां जा पहुंचे वे नित्य प्रातः उठकर सोमा का घर झाड़ कर रख देते थे। एक दिन सोमा अपनी बहुओं से पूछा कि हमारे घर को कौन शुद्ध करता है। कौन लीपता है, कौन पोतता है सब ने कहा, हमारे सिवा है। कौन बाहर से इस काम को करने आएगा, किंतु सोमा को उनकी बातों के ऊपर विश्वास नहीं हुआ।

1 दिन उसने जानना चाहा बहुत सारी रात जागी और सब कुछ प्रत्यक्ष देखकर जान गई तो सोमा का उन भाई बहनों से भी वार्तालाप हुआ। भाई ने सोमा को बहन संबंधी सारी बात बता दी। सोमा ने उनकी श्रम साधना और सेवा से प्रसन्न होकर उचित समय पर उनके घर पहुंचने का वचन देकर कन्या के  वैधव्य दोष निवारण का आश्वासन दिया। मगर भाई ने उसे अपने साथ ही चलने के लिए कहा था। आग्रह करने पर सोमा उनके साथ चलने को तैयार हो गई। चलते समय सोमा ने बहुओं से कहा, मेरी अनुपस्थिति में यदि किसी का देहांत हो जाए तो उसके शरीर को नष्ट मत करना, मेरा इंतजार करना और फिर सोमा भाई बहन के साथ कांची पुरी पहुंच गई। दूसरे दिन गुणवती के विवाह का कार्यक्रम तय हो गया। सप्तपदी करते ही उसका पति मर जाता है तो सोमा ने तुरंत ही अपने संचित पुण्य का फल गुणवती को दे दिया। इसी से उसका पति तुरंत ही जीवित हो गया। सोमा उन्हें आशीर्वाद देकर अपने घर चली गई। उधर गुणवती को पूर्ण फल देने से सोमा के पुत्र जमाता तथा पति की मृत्यु हो गई। पुण्य संचित करने के लिए मार्ग में  पीपल के वृक्ष की छाया में भगवान विष्णु का पूजन करके उसकी 108 परिक्रमा की और तपस्या की। इसके कारण उसके परिवार के मृतक जन फिर से जीवित हो उठे क्योंकि भगवान यह सारी बातें देख रहे थे और उन्होंने इस।

पूरी तरह किए गए परोपकार को समझा और उसके पुण्य को फिर से उसकी तपस्या के रूप में प्रदान कर दिया। उसके परिवार के मृतक जीवित हो गए। क्या इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि निष्काम भाव से जो भी सेवा का फल? प्रदान करता है उसको अनगिनत लाभ अवश्य होते हैं कि भले ही उसके साथ कुछ भी बुरा हो किंतु उसमें भी अंततोगत्वा शुभ ही होता है तो यह सब मौनी अमावस्या के दिन हुआ था। इसीलिए यह बहुत ही दिव्य! समय होता है जब हम मौनी अमावस्या के समय में मौन रहकर ईश्वर को याद करते हुए। उनसे अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हुए अपने अंदर तप की ऊर्जा को स्थापित करते हैं। कहते हैं कि इस दिन सुबह उठकर व्यक्ति बिना कुछ बोले सबसे पहले नहा ले और उसके बाद अपने मंत्रों का जाप करें। इसके अतिरिक्त कुछ ना बोले तो बहुत शुभ माना जाता है। मोनी अमावस्या का मूल उद्देश्य है। अपने मुंह से किसी भी प्रकार से गलत शब्दों के उच्चारण से बचते हुए पुण्य की प्राप्ति करना और यह अवश्य ही। सिद्ध होता है और व्यक्ति को जीवन में बड़ा बनाता है। उसके जीवन से हर प्रकार के दुख समाप्त करता है इस दिन भूखे प्राणी को भोजन अवश्य करवाना चाहिए। चाहे वह कोई भी जीव क्यों ना हो?

यह थी मोनी अमावस्या की कथा इसके साथ ही कुछ उपाय और उससे जुड़ी हुई प्रमुख बातें। अगर आज का भी जो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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