नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे दो अनुभव को एक अनुभव में जहां यक्षिणी से एक व्यक्ति ग्रसित हो गए और उनके जीवन में क्या घटित हुआ जानेंगे, वही खैट पर्वत की परियों के बारे में एक अनुभव का हमें पता लगेगा तो चलिए शुरू करते हैं।
पत्र- प्रणाम गुरु जी, मैं सोनू बरमैया। पिता ब्रजेश बरमैया जिला मंडला मध्य प्रदेश का रहने वाला हूं।मेरी उम्र 36 वर्ष है। मैं छोटा सा साधक हूं। मैं काली माता की सेवा करता हूं। यूट्यूब चैनल में आपकी वीडियो को मैंने देखा । मेरी स्टोरी को वीडियो बनाकर आप डाल सकते हैं।
8 वर्ष पहले मेरे पिता की मृत्यु हो जाने के बाद घर में पैसे को लेकर बहुत बड़ी समस्या बनने लगी तो मैं पंडित वस्त्रालय में काम करने लगा। दुकान पंडित जी की थी तो दुकान पर पंडित समाज के मित्र ही ज्यादा आते थे। हमेशा पूजा-पाठ आराधना अनुष्ठान की बातें करते रहे। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। दुकान वाले भैया के एक मित्र जो बहुत ही हरामी किस्म के थे और आज भी हैं, मैं उनका नाम नहीं बताऊंगा।
जब मैं अपने घर की समस्याएं उन्हे सुनाया तो उन्होंने बोला कि मेरे पास एक उपाय है। पर मुझे 3 महीने अपने पीछे पीछे उन्होंने घुमाया और कोई उपाय नहीं बताया। तो मैं उनसे 2 दिन बात ही नहीं किया फिर एक रोज नर्मदा जी पर पंडित जी से अचानक से मेरी मुलाकात हुई। उन्होंने 9:00 बजे अपने घर पर बुलाया और शाम को 8:45 पर दुकान से फ्री होकर मैं पंडित जी के घर पहुंचा। फिर पंडित जी ने मुझे दो लाइन का मंत्र दिया और पूजा विधि भी बताई। 41 रोज अनुष्ठान करने को कहा, मैं खुश होकर अपने घर आ गया और रोज 8:30 बजे दुकान से फ्री होकर रोज 9:00 बजे अपनी पूजा करने लगा।
पूजा के लिए मैं अलग रूम बनाया था और पूजा करने की विधि में एक लकड़ी का पाटा रखकर उसमें लाल कपड़ा लिया और घी का दिया जलाया। लाल फूल मिठाई रोज इन सबका रोज रख दिया करता था और अपने आसन में बैठकर मंत्र के रुद्राक्ष माला से 11 माला का रोज जाप करता था। 12 दिन के बाद मुझे सपने में लाल कपड़े में लड़की दिखी तो मैंने पंडित जी को बताया। उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा, कुछ भी नहीं होगा। अपना अनुष्ठान पूरा करो। मैं रोज की तरह वह पूजा चालू रखी, करीब 23, 24 दिन के बाद फिर से लाल कपड़े में लड़की सपने में आई और बोलने लगी। क्या चाहिए? उसकी बोली से मै डर गया फिर पूरी रात सो नहीं पाया। दूसरे दिन पंडित जी को बताया तो उन्होंने बोला, यह मंत्र का प्रभाव हो रहा है। 41 रोज अनुष्ठान पूरा करो।
एक रोज मुझे ₹8000 की जरूरत थी तो मैंने पूजा के बाद अपने आसन में बैठे हुए बोला कि मुझे ₹8000 की जरूरत है। आप मेरी मदद करो और मैं अपने रूम में जा कर के सो गया। दूसरे सुबह जब मैं अपने काम पर जा रहा था तो मुझे लाल कलर के बैग में 8000 मिले और रास्ते में कोई भी नहीं था तो मैंने वह रुपए रख लिए । मैं रोज की जरूरत के अनुसार उससे मांगता था और दो-तीन दिन में मुझे अवश्य ही मिल जाया करता था। मैं इस बात से बहुत खुश रहने लगा। मेरे अनुष्ठान के 41 रोज पूरे हो गए थे। यह बात मैंने पंडित जी को बताया तो उन्होंने बोला कि जब भी कुछ सामने आए तो तुम उससे अपनी कसम देते हुए वादा ले लेना हमेशा मेरी मदद करने का और मेरे साथ रहने का। तीन चार रोज कुछ भी नहीं हुआ। फिर 1 दिन सपने में लाल कपड़े वाली वही लड़की आई और बोली क्या चाहिए मैंने उसे वादा ले लिया ।
यानी बातों में बांध लिया और कुछ नहीं मांगा। एक रोज में फिर से पूजा किया और बोला, मुझे खुद की कपड़ों की दुकान खोलनी है। आप मेरी मदद करो और सुबह एक रोज के बाद सपने में आकर बोली किस तरह से मदद करु। मैंने बोला, आपकी जैसी इच्छा हो वैसी कर दो। फिर मुझे 30 दिन का टाइम मिला और तीन रोज मुझे सट्टे के नंबर मिलने लगे। उन नंबरों से मैंने बहुत दौलत हासिल की। इससे मेरी लालच भी बढ़ गई थी। मैंने अपनी दुकान खोली और गाड़ी घर सब कुछ हासिल कर लिया। पर मेरी शादी कहीं नहीं हो रही थी ,जिसका कारण मुझे पता नहीं चल पा रहा था।
बहुत लोगों को कारण बताया पर किसी ने भी इसका असली कारण नहीं बता पाए। मेरा जीवन अच्छा था, पर मुझे शादी करनी थी। एक दोस्त ने बताया कि शमशान घाट में एक अघोरी बाबा रहते हैं। मैं उनके पास गया तो उन्होंने बताया। कुछ खराब शक्ति तुम्हारे साथ रहती है। जिसके कारण तुम्हारी शादी नहीं हो रही है, मुझे भरोसा नहीं हुआ। मैं अपने घर आ गया और कुछ दिन पूजा नहीं किया तो मुझे सपने में कुछ भी नहीं आया और मेरे साथ। रात में कपड़े खराब होने लगे यानी स्वप्न दोष हो जाता था ।
मुझे अघोरी बाबा पर विश्वास होने लगा। मैं दोबारा बाबा के पास गया तो उन्होंने काली माता की पूजा करने को कहा। काली माता का मंत्र 108 बार पढ़कर बकरे की बलि दी । अब मुझे कोई परेशानी नहीं है। बाबा जी का ताबीज अभी भी पहना हुआ हूं। मेरी शादी भी हो गई है। अभी मुझे किसी प्रकार के कोई सपने ही नहीं आते। मुझे उस शक्ति की याद आती है पर वह शक्ति कौन थी, मैं नहीं जानता है कृपया बताएं।
संदेश – यक्षिणी इसी प्रकार सिद्ध हो जाकर आपकी मदद करती हैं? शोभना यक्षिणी अनुरागिनी यक्षिणी रतिप्रिया, यक्षिणी। किसी प्रकार की कोई यक्षिणी हो सकती है। अगर आपने मंत्र मुझे बताया होता तो मैं स्पष्ट रूप से आपको बता देता।
तो इस प्रकार से यक्षिणी के प्रभाव के कारण आपको सब कुछ प्राप्त हुआ लेकिन क्योंकि वह पूरी तरह से अपना बना लेती हैं। इसी कारण से आपकी शादी नहीं हो पा रही थी। अब आप उस से मुक्त हो चुके हैं इसलिए यह बहुत ही अच्छी बात है और अपने जीवन को आगे बढ़ाइए और मोक्ष की तरफ बढ़िए और बड़ी शक्तियों की उपासना कीजिए।
अब लेते हैं अगला अनुभव अनुभव है नाना जी के भाई और खैट पर्वत की छह परियां।
चलिए पढ़ते हैं पत्र को।
पत्र- मैं अपने सभी अनुभव धर्म रहस्य पर सांझा कर रही हूं और किसी दूसरे चैनल पर मेरा कोई अनुभव सांझा नहीं होगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी मैं लेती हूं। प्रणाम गुरुजी चरण स्पर्श गुरु जी आज जो अनुभव मैं आपको भेज रही हूं। यह मेरे नाना जी के चचेरे भाई का है जिन से मैं कभी नहीं मिली। यह किस्सा मेरी मां ने मुझे बहुत पहले बताया था। आपकी परियों के देश खैट पर्वत को जब वह सुन रही थी तो उन्हें याद आया कि मेरे नाना जी के चचेरे भाई को वह कैसे उठा ले गई थी और कई सालों बाद वह गांव के लोगों को मिले थे।
मेरे नाना नानी जी ऊपर जो टेहरी से 2 से 3 घंटे की दूरी पर है। वह स्थान इस खैट पर्वत से कितनी दूर है। इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं है। गुरुजी मां ने बताया कि जब उनके पिता जी यानी मेरे नाना जी के चचेरे भाई जो लकड़ियों की चोरी करने वाले मजदूरों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए खेत पर। एक गुफा में छुप कर उन लोगों का इंतजार करते हुए अपनी बोरियत दूर करने के लिए बांसुरी बजा रहे थे जो उस रास्ते में चोरी की लकड़ियां लेकर गुजरने ही वाले थे। उनको खैट पर्वत की 6 पारियाँ उठाकर ले गई।
मां ने बताया कि वह बांसुरी बहुत अच्छी बजाते थे। उस बांसुरी की धुन ने ही उन परियों का ध्यान आकर्षित किया। दरअसल हुआ यह कि नाना जी के चचेरे भाई ठेकेदार थे। लकड़ी से बनने वाले सामान के लिए जो लकड़ियां काट कर लाई जाती थी। लकड़ियों को कुछ मजदूर चुरा रहे थे क्योंकि उस जमाने में गैस सिलेंडर की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी ही इस्तेमाल की जाती थी। कुछ मजदूरों ने यह बात लकड़ियों के ठेकेदार यानी नाना जी के चचेरे भाई को बता दी और यह भी बताया कि वह मजदूर काम सुबह होने से पहले ही अपने घर या तो खुद ले जाते हैं या किसी के हाथों भिजवा देते थे। अगर यह बात बड़े अफसरों तक पहुंच जाती तो उनके ठेकेदारी की नौकरी चली जाती।
इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वह उन मजदूरों के आने का इंतजार करेंगे जो चूल्हा जलाने के लिए लकड़ियां अपने घर ले जाते हैं। क्योंकि बात उनकी नौकरी की थी इसलिए उन्होंने ज्यादा नहीं सोचा। अगले दिन वह सुबह घर से जल्दी निकले और खैट पर्वत के रास्ते में एक गुफा मजदूरों के आने का इंतजार करने लगे और अपनी बोरियत को दूर करने के लिए बांसुरी बजाने लगे। दूसरी तरफ मजदूरों को किसी ने खबर दी थी कि ठेकेदार को पता चल गया है और वह तुम्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए आ रहा है। वह कुछ लोगों के साथ उस रास्ते पर छिपकर तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं तो ना तो मजदूर वहां आए और ना वह लोग वहां पर गए।
जिनको नाना जी के भाई के साथ मिलकर मजदूरों को पकड़ना था, लेकिन बांसुरी की मीठी धुन सुनकर 6 परियां वहां आ गई। अब काफी समय गुजर गया और वह जब घर नहीं आए तो घर वाले उनके काम वाली जगह पर गए। अपने काम वाली जगह पर भी जब वह नहीं मिले तो काम वाली जगह पर ना मिलने की खबर बड़े अफसरों तक भी पहुंच गई। घर परिवार के और गांव के लोगों ने सोचा शायद खैट पर्वत वाले रास्ते पर किसी जानवर से उनका सामना हुआ होगा। यह हुआ होगा वह हुआ हो गया। यही सब बातें चलती रही। कई सालों बाद खैट पर्वत के उसी रास्ते पर लोगों को वह एक चट्टान पर बैठे हुए मिले। उनकी दाढ़ी और मूंछ साधु बाबा की तरह बड़ी बड़ी हो गई थी।
उन्होंने बताया कि छह सुंदर लड़कियां मुझे अपने साथ लेकर चली गई थी। वह लड़कियां कौन थी? कैसी दिखती थी? इतने सालों तक वह कहां रहे यह वह नहीं बता पाए क्योंकि उनको अब कुछ भी याद नहीं था। बस इतना बता पाए कि सुंदर लड़कियां उनको अपने साथ लेकर जा रही थी। जब झाड़-फूंक करने वाले को उनको दिखा कर बुलाया गया तो उसने बताया कि जिन छह लड़कियों की है, बात कर हैं वह खैट पर्वत की परियां थी। इनकी बांसुरी की धुन सुनकर वहां आ गई थी और अपने साथ इन्हें अपने लोक ले गई कि यह किसी को कुछ ना बता दें इसलिए उन्होंने इन की याददाश्त मिटा दी थी। गुरुजी वहां के पुजारी और वहां के लोग बाहर से आने वाले लोगों को उस पर्वत तक जाने के रास्ते पर, यह लोगों के शोर शराब गाने यह संगीत बचाने और नाचने से इसलिए रोकते हैं। ऐसी कोई चीज जो उन परियों का ध्यान न खींच ले, इसीलिए वहां जाने से लोग बचते हैं, जय माता दी।
संदेश – देखिए यहां पर भी! ऐसा अनुभव घटित हुआ है जिसमें उस दुनिया की जो भी शक्तियां है गोपनीय रूप में वह अपनी दुनिया में या आपने लोक में किस प्रकार से किसी व्यक्ति को ले जा सकती हैं, इस उदाहरण से पता चलता है। आप लोग इसके बारे में क्या सोचते हैं, नीचे कमेंट कर सकते हैं? चाहे वह यक्षिणी के राज हो या फिर खैट पर्वत की परियों का तो अगर आज के यह दोनों अनुभव आपको पसंद आए हैं तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।