यातुधान आसुरी साधना और शक्तिपीठ कथा भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनेल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । अब जो की नवरात्रि आ रही है इसलिए ऐसी कहानी आपके लिए लाना आवश्यक है जो अनसुनी हो और मां की भक्ति और वंदना दोनों दर्शाती हो उनका प्रभाव दर्शाती हो ऐसी ही एक गोपनीय कहानी है । पिंडा और रिजु साधु कन्या रेवती की जो एक असूरी साधना को करने वाले व्यक्ति और साथी ही साथ एक देवी भक्त कन्या के बारे में बताती है शक्तिपीठ की कहानी है यह यह कहानी में । आप उन प्राचीन मठ मंदिर की कहानी पढ़ रहे हैं जिनके बारे में वर्णन बहुत ही ज्यादा कम मिलता है । जो कहानियां केवल और केवल लुप्त हो चुकी है इन कहानियों को पता करके सिर्फ आप भक्ति को बढ़ा सकते हैं लेकिन इनका प्रमाण वगैरह कुछ भी उपलब्ध नहीं होता है । लेकिन फिर भी भक्ति भाव बढ़ाने के लिए इन साधनाओ और साथ ही साथ इन गोपनीय रहस्य मई कहानियों को जानना और समझना बहुत जरूरी है । तो आज मैं आपके लिए यही लेकर आया हूं यह भाग 1 है । इसमें हम यातुधानी और आसुरी साधना कथा भाग 1 के रूप में इसे जानेंगे और पढ़ने की कोशिश करेंगे । तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले जान लीजिए कि जालंधर जोकि पंजाब क्षेत्र में पड़ता है । वहां पर एक छावनी स्टेशन के निकट ही देवी तालाब है वहां पर देवी मां भगवती सती का बाया वक्क्ष गिरा था । यहां की जो देवी शक्ति है वह तिरुपुर माली मानी जाती है जो भैरव है । वह भीषण माने जाते हैं तो इस जगह के नजदीक ही एक गांव उस जमाने में था । यह काफी हजारों वर्षों पहले की कहानी है यह उस जमाने में राक्षस भी हुआ करते थे । राक्षसों की सिद्धि भी करते थे लोग जीवन में सब कुछ प्राप्त करने की कोशिश और चेस्टा किया करते थे । वह यह समय था जब यातुधान के राक्षसों का वर्चस्व था और वह भिन्न-भिन्न प्रकार की सिद्धियों और शक्तियों से संपन्न हुआ करते थे । लेकिन मनुष्य पर वह कभी-कभार ही आत्मघाती हमला किया करते थे ।
और ज्यादातर उनका भोजन बनाने के लिए ही ऐसा करते थे वरना वह अपने ही लोको में लौट जाया करते थे । यहां पर विशेष रूप से कभी कबार ही या यूं कहिए कि वह अपनी साधनाओं की पूर्ति के लिए या मनुष्य की बलि लेने के लिए आया करते थे । तो ऐसे ही समय में एक पिंडा नाम के व्यक्ति और एक रिजु साधु नाम के व्यक्ति थे । इन लोगों की एक कहानी है इस कहानी में जो रिजु साधु थे वह बहुत ही बड़े विद्वान थे । उनकी एक विशेष इच्छा थी की मां भगवती उनके घर में अवतार ले या उनकी शक्तियां उनका कोई स्वरूप उन्हें प्राप्त हो चूकि मनुष्य की जैसी इच्छा होती है । उसी अनुसार देवी देवता उन्हें फल भी देते हैं बहुत समय तक तपस्या करने के बावजूद भी उन्हें किसी प्रकार की सिद्धि सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त हो रही थी । तभी वह 1 दिन देवी मां के उस सिद्धपीठ नामक मंदिर में गए और वहां पर मां से प्रार्थना करने लगे की हे माता आपने मुझे इतनी साधना और पूजा करने के बावजूद मुझे कुछ भी प्रदान नहीं किया है । कुछ तो ऐसा दीजिए जिससे मैं गर्व कर सकूं जिसकी वजह से मेरा नाम अमर हो कहीं ना कहीं कोई न कोई मार्ग तो निकालिए । मैं आपका भक्त हूं तभी वहां पर थोड़ी ही दूर पर एक तालाब में मछली जो है बहुत ही जोर से उछल रही थी उसकी छट पटाने की आवाज सुनकर के रिजु साधु अपना ध्यान भंग किए । और जा घर के बाहर निकल के आए मंदिर से और उन्होंने देखा एक मछली पानी में बहुत ऊपर नीचे ऊपर नीचे कर रही है । उसको जाकर के देखा तो पता चला कि एक विशेष प्रकार की जोक उस मछली के शरीर पर चिपक गई है । जिसकी वजह से मछली मृत प्राय सी होती चली जा रही है । इसलिए वह ऊपर नीचे कूद रही है उन्होंने पानी में प्रवेश किया और उसको पकड़ लिया ।
उसको पकड़ कर फिर जो जोक थी उसको उसके शरीर से निकाल दिया और उसे मुक्त कर दिया । जैसे ही उसे पानी के अंदर डाला वह तीव्रता से पानी के अंदर घुस गई यह देख करके उन्होंने देखा कि यह सुरक्षित है कि नहीं कहीं इसके शरीर से खून तो नहीं आ रहा है । तो उन्होंने पानी के अंदर अपने शरीर पूरी तरह से प्रवेश करा दिया । यानी कि अंदर गए पानी के चले गए जैसे ही वह अंदर गए वहां पर एक दिव्य चमक आई उस दिव्य चमक में एक छोटी सी कन्या उन्हें नजर आई । जो बहुत ही प्रकाशवान थी उस प्रकाशवान कन्या को देख कर के उन्होंने तुरंत ही उन्हें प्रणाम किया । वह कन्या तुरंत ही विशालकाय हो गई और वह कहने लगी मैं यहां पर रहने वाली एक महायोगिनी शक्ति हूं जो मां की सेवा करोड़ों वर्षों से करती चली आ रही हूं । आपको देखा मैंने अभी कि आप मां से प्रार्थना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि आपने मुझे क्यों कुछ नहीं दिया आपकी प्रार्थना मां भले ही सुने या ना सुने लेकिन मेरी यह जिम्मेदारी है मैं आपकी प्रार्थना सुनू । मैं यहां तब से हूं जब से मां भगवती का अंश यहां पर गिरा था । मैं आपसे प्रसन्न हूं क्योंकि आपने इस छोटी सी मछली के लिए अपना हृदय पवित्र किया है और जो कि आपने रक्षा की है पुरुष अपने से छोटी की रक्षा जब वह उसका कोई सगा संबंधी हो रिश्ते में केवल और केवल पुत्री ही ऐसा रिश्ता है जिसकी रक्षा के लिए पुरुष यानी कि पिता सदैव तत्पर रहता है और बदले में कोई भी भावना नहीं रखता है । इस मछली की रक्षा में आपके मन में इससे कुछ भी प्राप्त करने की इच्छा नहीं थी इसलिए आप इस मछली के पिता तुल्य हुए । आपकी इसी भावना से प्रसन्न होकर के चूकी मैंने अभी तक सशरीर जन्म नहीं लिया है । इसलिए अब मैं सशरीर होकर जन्म लेना चाहती हूं आपके जैसा भाग्यशाली पिता प्राप्त करना मेरे लिए भाग्यशाली बात होगी ।
लेकिन क्योंकि मैं अपनी सारी शक्ति और सामर्थ्य को भूल जाऊंगी इसलिए आपकी यह जिम्मेदारी होगी कि आप मुझे भिन्न-भिन्न प्रकार की सिद्धियां और शक्तियां उस वक्त सिखाएं । मैं अवश्य ही आपकी पुत्री के रूप में जन्म लेना चाहती हूं यह सुनकर के रिजु साधु बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो गए उन्होंने कहा यह मेरे अहोभाग्य की बात है । कि मां भगवती का कोई अंश कोई योगनी स्वयं मेरे घर में पुत्री के रूप में जन्म देना चाहती है मैं बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हूं । ऐसा करके मैं निश्चित रूप से मुक्ति को भी प्राप्त होऊंगा देवी आप अवश्य ही मेरी पुत्री के रूप में जन्म लीजिए । और इस प्रकार से उस रेवती नाम की शक्ति ने कहा कि मैं तुम्हारी पुत्री के रूप में रेवती नाम लेकर के जन्म लूंगी । और सदैव आपकी सहायता और भिन्न-भिन्न प्रकार की गोपनीय बातें चीजें आपको सिखाऊंगि भी आप जाइए । आपकी पत्नी गर्भवती होने वाली है जैसे ही आपके पत्नी के गर्भ ठहर जाए समझ लिजिएगा मैं उनके गर्भ में प्रवेश कर गई हूं । और उसके ठीक 9 महीने बाद मैं प्रकट होंगी मेरे प्रकट होने की सबसे बड़ी बात यह होगी कि जब भी आप मुझे देखेंगे प्रकाशवान अपने पूरे घर को देखेंगे । जब मैं जन्म लूंगी तो पूरा घर प्रकाश से भर जाएगा लेकिन चुकि संसार शरीर बंधन जब शुरू होता है तो माया की वजह से सारा ज्ञान नष्ट हो जाता है । इसलिए मैं भी सारा ज्ञान भूल जाऊंगी आप ही मेरे अभिभावक होंगे । इस प्रकार से उन दोनों के बीच में काफी सारी बातें हुई उस महायोगिनी शक्ति को अब जन्म लेना था साधु तैयार थे । कुछ ही समय बाद उन्हें पता लगा कि उनकी पत्नी गर्भवती हो गई है और धीरे-धीरे करके वह दिन भी नजदीक आ गया । जिस दिन उनकी पत्नी पुत्री को जन्म देने वाली थी । और धीरे-धीरे करके उन्होंने विशेष विशेष व्यवस्था की अपनी पत्नी को बहुत ही अच्छा भोजन कराया और उन्हें बहुत सी चीजें और गोपनीय ज्ञान देने की चेष्टा की ।
कहते हैं जब गर्भ अवस्था होती है उस समय अगर आप जितना अधिक स्त्री को धार्मिक चीजें देंगे धार्मिकता सिखाएंगे पढ़ाएंगे पुत्र या पुत्री वैसे ही धार्मिक बनकर के पैदा होते हैं । इसीलिए उन्होंने विशेष विशेष रूप से अपनी पत्नी को धार्मिक बातों का ज्ञान अच्छी-अच्छी बातें सिखाना यह सारी चीजें करना शुरू कर दी और एक दिन वह आ ही गया जिस दिन उनकी पत्नी ने एक सुंदर सी पुत्री को जन्म दिया । जैसे ही पुत्री ने जन्म लिया चारों तरफ प्रकाश छा गया उनकी मां यह प्रकाश देख कर बेहोश हो गई । यह चमत्कार उन्होंने अपनी नजरों से पहली बार देखा था और उस दिन की कही हुई बात उन्हें अच्छी तरह से याद आ गई कि उनकी पुत्री के रूप में किसी योगिनी नहीं जन्म लिया है अब समय था आगे बढ़ने का उन्होंने अपनी पुत्री को गोद में उठाया और मां भगवती को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद लिया जैसे ही उसे वह बाहर लेकर गए तभी चारों तरफ हाहाकार सा मचा हुआ है जिस गांव में वह रहते थे उस गांव में यातूधान नाम के आसुरी राक्षसों ने आक्रमण कर दिया था । चारों तरफ तबाही मचा रहे थे जिस भी मनुष्य को वह पकड़ लेते उसे अपने साथ ले जाते और कुछ को तो उन्होंने वहीं पर पकड़ कर मार डाला किसी की गर्दन उखाड़ दी किसी हाथ किसी का पैर । उनके आक्रमण बहुत ही शक्तिशाली होते थे यह विशालकाय राक्षस होते थे । इनकी माया बहुत ही प्रबल होती थी छन छदम सभी चीजें इनको आती थी । इसीलिए इनको यातुधान कहा जाता था इनका कार्य होता था यज्ञ में बाधा डालना ताकि पवित्र आत्मा जो है नष्ट हो जाए और इनकी शक्ति और बढे ।
निशाचरी शक्ति के कारण यानी रात्रि शक्ति के कारण इनकी साधना इनकी उपासना भी प्रचलित थी । यह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली राक्षस हुआ करते थे इनका नाम लेते ही लोग डर के मारे घरों में छुप जाया करते थे । इसलिए यातुधान राक्षसों को बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली माना जाता था । यह बहुत ही बड़े बड़े आकार के होते थे और बहुत ही घृणित रूप और स्वरूप वाले होते थे यानी दिखने में बहुत ही गंदे दिखते थे । कहीं भी चले जाते थे इन्हें मल खून इत्यादि चीजें बहुत ही ज्यादा पसंद थी । इसीलिए इनसे बहुत ही ज्यादा लोग डरा करते थे । उस जगह में जब इस तरह का हमला हुआ तो सभी लोग इधर-उधर भागने लगे । तभी एक राक्षस की नजर इस कन्या पर पड़ी कन्या को देख कर के वह वही का वही खड़ा रह गया वह कुछ समझ ही नहीं पाया कि यह सब क्या है । उसने अपने आप तुरंत ही जादूगरी या माया का प्रयोग करके अपने आप को एक वृक्ष के रूप में परिवर्तित कर लिया । उस वृक्ष के रूप में परिवर्तित होकर वह वहीं पर खड़ा होकर सब कुछ देखने लगा उस कन्या के अंदर से आ रहे प्रकाश के कारण । उसकी शक्ति बढ़ रही थी ऐसा नजारा उसने आज तक नहीं देखा था । मनुष्य से जो ऊर्जा प्राप्त होती है और उनको खाने से जो ऊर्जा प्राप्त होती थी उससे कई हजार गुना इस कन्या के शरीर से उर्जा आ रही थी । एक क्षण के लिए उस यातुधान ने सोचा कि क्यों ना मैं इसे खा जाऊं । लेकिन फिर जब वह उसकी ओर बढ़ने लगा तो उसकी ऊर्जा का आभास उसे हुआ कि वह उसे मार नहीं सकता है । यह कोई साधारण कन्या नहीं है इसमें विशेष प्रकार की ऊर्जा और शक्ति मौजूद है । तभी वहां पर खड़े एक छोटे से बालक को देख करके उसने मन ही मन एक बड़ा ही शक्तिशाली योजना का निर्माण किया और वह योजना क्या थी । उस बालक को देख कर के वह क्या सोच रहा था यह सभी बातें हम जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।
यातुधान आसुरी साधना और शक्तिपीठ कथा भाग 2