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यातुधान आसुरी साधना और शक्तिपीठ कथा भाग 3

यातुधान आसुरी साधना और शक्तिपीठ कथा भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । अभी तक आपने यातुधान आसुरी साधना शक्ति पीठ कथा भाग 2 तक जाना है । आज यह भाग तीसरा है अभी तक आप जान चुके हैं कि किस प्रकार से एक योगिनी शक्ति रेवती कन्या के रूप में जन्म लेती है । और रिजु साधु की तपस्या से प्रसन्न होकर वह ऐसा कर रही थी । उसकी शक्ति से प्रभावित होकर यातुधान नाम का एक असुर उसको प्राप्त करना चाहता है । उसकी शक्तियां उसके सिद्धियां वह सभी कुछ उसको प्राप्त करना चाहता था । लेकिन क्योंकि वह एक देवीए कन्या थी इसलिए उससे उसकी शक्तियां छीनना संभव नहीं था । तो उसने उसके लिए दूसरा मार्ग यानी युक्ति लगाई एक बालक पिंडा को उसने अपने वशीकरण में लिया और उसे अपनी साधना और शक्तियों को प्रकट करवाई । साथ ही साथ पिंडा को यह आज्ञा दी कि वह किसी भी प्रकार से उस कन्या को अपने वशीकृत करके उससे विवाह करें । इस विवाह से उसको सभी प्रकार की शक्तियां प्राप्त हो सकती थी । यातुधान बड़ा ही चतुर था और उसने इस तरह का एक माया जाल रचा था । उसके मायाजाल से किसी को भी कुछ भी किया जा सकता था । यह ऐसा मायाजाल था जिसके बारे में किसी को भी ज्ञान नहीं था स्वयं पिंडा भी यह बात नहीं जानता था । वह तो उसे कोई साधु पुरुष या देवीय एक पुरुष मान रहा था । जो उसकी मदद के लिए आई हुई है और उसने ऐसा किया भी था । और उसने उसको धन वैभव संपन्नता देने के लिए सोने के सिक्कों को वह दिलवाया करता था । उसे अपनी बलि में सूअरों का मांस और खून प्राप्त करके वह शक्तिशाली होता चला जा रहा था । उसने पिंडा को भेजा कि जाओ रेवती को बड़ा करो एक चमत्कारिक मणि के द्वारा यह संभव हो सकता था ।

उसने वह मणि रेवती के सिर के ऊपर रख दी जिसकी वजह से रेवती तुरंत ही बड़ी हो गई और 16 वर्षीय कन्या के रूप में परिवर्तित हो गई । पिंडा भी स्वयं 18 वर्ष का एक नवयुवक था और निश्चित रूप से अब क्योंकि उसे आदेश दिया गया था कि तुझे उस कन्या से विवाह करना है । तो उनका प्रेम व्यवहार होना स्वाभाविक सी बात थी । अब चुकी वह धीरे धीरे करके सेवा में रिजु साधु के लगा हुआ था । तो वह अब ध्यान रेवती अवश्य रखता था रेवती भी उसके प्रेम को समझती थी । लेकिन एक देवी कन्या होने के कारण केवल सात्विक प्रेम का महत्व ही वह कन्या समझा कर दी थी । इस बात से बाकी लोग भी प्रभावित है कि किस प्रकार पिंडा पूरी जिंदगी अपनी समर्पित कर रहा है  । रिजु नाम के साधु को पींडा बहुत ही पसंद था लेकिन वह इस बात से सदैव डरता था क्योंकि उसे याद था कि यह कन्या कोई साधारण कन्या नहीं है । अगर इच्छा ना हुई तो यह सर्वनाश भी कर सकती है बस सिर्फ इसे अपनी शक्तियां अपना सामर्थ्य याद नहीं है । इसीलिए वह थोड़ा-थोड़ा करके रोज रेवती को कुछ नया सिखाया करते थे । और इधर पिंडा अमावस की रात में जंगल की ओर निकल जाया करता था । जंगल में जिस भी सूअर को वह देख लेता था वह वशीकृत हो करके उस कुब तक पहुंच जाता था । जहां पर यातुधान नाम के राक्षस का आवाहन कर उसकी पूजा किया करता था । और वह उस सूअर की बलि वह उसे चढ़ाया करता था । यातुधान की शक्तियां लगातार बढ़ती ही जा रही थी यातुधान प्रकट होकर के नई-नई बातें उसे बताया करता था ।

और छोटी मोटी सिद्धय्या भी उसे दिया करता था । उसने रस रसायन बनाया और उसे गुलाब से अभिमंत्रित करके गुलाब के रस में मिलाकर उसे देने को कहा कि इससे रेवती निश्चित रूप से तुम्हारे वशीकरण में धीरे धीरे जरूर आती जाएगी ।  उसकी बात को मान करके पिंडा ने वही जो जल अभिमंत्रित शरबत की तरह था वह उस कन्या रेवती को पिला दिया । जैसे ही रेवती के शरीर में वह जल गया रेवती चीख पड़ी और गुस्से से पिंडा को तमाचे जड़ दिए । पिंडा इस बात से प्रत्याशित हो गया उसने रेवती से पूछा आपने ऐसा क्यों किया और मेरे से कहा कोई कमी रह गई आपकी सेवा में । रेवती कहती है तुमने मुझे कोई जादुई पानी पिलाया है मेरा शरीर इस चीज को बर्दाश्त नहीं कर रहा है इसीलिए मुझे क्रोध आ रहा है । आइंदा से इस तरह की हरकत मत करना अब पिंडा सावधान हो चुका था । वह अगली अमावस को एक बार फिर से यातुधान की पूजा के लिए उस जंगल में गया । वहां पर शीघ्र ही एक सूअर आ गया उसने सूअर के सिर को भी भेदा और उसके सिर को काट कर के बस हवन कुंड में समर्पित कर दिया । और साथ ही साथ रक्त चढ़ाता रहा और उसके मंत्रों का जाप करता रहा । कुछ देर बाद यातुधान नामक राक्षस धरती फाड़ कर प्रकट हो गया । प्रसन्न होकर के कहा पिंडा तूने मेरी बहुत सेवा की है मैं तुझे शक्तियां देता रहूंगा । और बता तेरा रेवती से कोई संबंध बना । इस पर पिंडा ने कहा आपने जो मुझे जादुई रस दिया था मैंने जब उसे दिया तो वह क्रोधित होकर के उसने मुझे तमाचे मारे हैं । वह बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो गई है उसने कहा है कि मुझ पर वशीकरण प्रयोग किया गया है । इसलिए तुम मुझसे दूर ही रहो यातुधान कुछ समय सोचता है और सोचता रहता है कहता है । ऐसा करने की सामर्थ एक साधारण कन्या में कैसे हो गई क्या उसे अपनी शक्तियों की याद आने लगी है । क्या उसकी शक्तियां फिर से जागृत हो रही है । मैं ऐसा होने नहीं दे सकता इसके लिए मुझे कुछ ना कुछ अवश्य ही करना होगा ।

मुझे लगता है कि अब पिंडा तेरी शादी रेवती से करवानी ही पड़ेगी । पिंडा खुश हो गया पिंडा ने कहा हे देव आपकी जो इच्छा होगी वह तो अवश्य ही पूरी हो जाती है । क्योंकि आपकी कृपा से आज मैं घर परिवार में संपन्न हूं हमारे सभी लोग खुश है । आप बताइए क्या करना होगा पिंडा को उसने कहा । यातुधान ने कहा तुम्हें कुछ नहीं करना है सिर्फ और सिर्फ अपना प्रेम प्रस्ताव उसके पिता और स्वयं रेवती को सुनाना है । उससे कहना है कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं साथ ही साथ उनके पिता को भी यही आपको कहना है । बाकी माया मैं रखता हूं लेकिन यह तुम आज मत करना आज से 3 दिन बात करना । पिंडा ने उसकी आज्ञा मानी पूजा संपन्न की और वहां से चला गया । अब यातुधान नाम के राक्षस ने तुरंत ही दो असुरों को वहां पर प्रकट किया । और उनको कहा कि मैं तुम्हें एक कार्य सौंप रहा हूं आप चारों तरफ यह बात फैला दीजिए कि रेवती एक राक्षसी है । और केवल और केवल अगर वह विवाह किसी मनुष्य से कर ले तो वह पवित्र हो सकती है वह राक्षसी नहीं बनेगी । इसके लिए तुम एक मायाजाल रचना । अगले दिन जब रेवती कुएं में पानी भरने जाएगी तो उसक कुएं में जहर मिला देना । और इसके बाद इस बात का प्रचार करना कि क्योंकि वह राक्षसी है । इसलिए उसने जल को गंदा कर दिया है इसलिए इस वजह से लोग मर रहे हैं । इसका उपाय केवल एक ही है कि इसका विवाह कर दिया जाए तब इस पर जो राक्षसी शक्ति है । वह हावी नहीं होगी और वह सदैव मनुष्य ही बनी रहेगी । उसकी सलाह पर वह दो राक्षस तुरंत ही मनुष्य का रूप लेकर के गांव के मुख्य कुए पर चले आए । उन्होंने थोड़ी दूर पर जाकर के निवास किया और यह बात का इंतजार करने लगे कि । किस समय रेवती वहां पर आएगी थोड़ी देर बाद रेवती वहां पर आ गई ।

रेवती ने वहां जल पिया और तभी उसके हाथ से बाल्टी छूटकर नीचे गिर गई । वहां खड़ी हुई स्त्रियों ने कहा ऐसा कैसे हो गया तुमने तो बाल्टी सही से पकड़ी थी फिर बाल्टी कुएं में अंदर कैसे गिर गई है । तब रेवती ने कहा पता नहीं आज मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है । ऐसा लगता है कि कुछ अपशकुन सा होने वाला है । स्त्रियों ने कहा अगर ऐसी बात है तो इस बात को तुम अपने पिता को जरूर बताना । वह तो मां के बहुत बड़े भक्त हैं मां अवश्य ही भला करेगी । इस प्रकार वह वहां से चली गई इसके कुछ देर बाद लोगों ने वहां पानी पिया उसमें से कुछ लोग मूर्छित हो गए । कुछ लोग उल्टी करने लगे और कुछ व्यक्तियों ने दम तोड़कर मृत्यु हो गई । इस बात का चारों तरफ शोर शराबा मच गया कुएं के जल में जहर मिला हुआ है । इसकी वजह से लोगों के साथ गलत हो रहा है । तभी दोनों साधु बने हुए व्यक्ति के रूप में राक्षस वहां आए और उन्होंने जल पीने के लिए जैसे ही उन्होंने पानी पीने के लिए हाथ आगे बढ़ाएं । गांव के लोगों ने उन्हें रोक दिया साधुओं ने कहा हमारे पास बहुत बड़ी सिद्धियां है कोई भी समस्या होगी हम तुरंत जान लेंगे । इसलिए हमें पानी पीने के लिए दो । लोगों ने कहा यह पानी जहरीला सा लग रहा है । तो उन्होंने कहा हां यह तो मैं भी देख रहा हूं । लेकिन तुम मेरी शक्तियों से परिचित नहीं हो दोनों साधुओं ने कहा । दोनों साधुओं ने अंदर बाल्टी डाली और उस कुएं से पानी भर लिया उसके बाद वह पानी पीने लगे । वह आराम से पानी पी गए उन्हें कुछ नहीं हुआ । यह देखकर वहां सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए सभी ने कहा बाबा आप लोग कौन हैं और क्या इस विषैले पानी से मुक्ति मिल सकती है । जिस प्रकार आपके लिए यह पानी बिल्कुल भी अलाभ दायक नहीं हुआ और इसका कोई प्रभाव आपके ऊपर नहीं पड़ा है  ।

कृपया इस पानी को फिर से शुद्ध कर दीजिए । दोनों साधु ने पानी को देखा और क्रोध से कहा की एक कन्या है उस पर राक्षसी प्रभाव हो गया है । वह राक्षसी शक्ति उस कन्या के शरीर में प्रवेश करके इस जल को दूषित कर रही है । लोगों ने पूछा ऐसी कौन सी कन्या है आप बताइए । तो उन्होंने कहा मुझे लगता है जो कन्याकुमारी होगी 16 वर्षीय होगी और आज के दिन में पानी पीने आई होगी उसके हाथ से बाल्टी अवश्य ही नीचे गिरी होगी केवल वैसी ही कन्या तुम्हारी असली गुनहगार है । मुझे लगता है उसी कन्या के पास लोगों को जाना चाहिए और उसके लिए अगर आपको हमारी सहायता चाहिए तो हम भी आपके साथ चलेंगे । गांव वालों ने आपस में कानाफूसी की और सब ने कहा यह तो रेवती ही थी ऐसी कोई दूसरी कन्या नहीं है । लेकिन इतनी सुंदर इतनी अधिक श्रद्धा भाव से भरी हुई और भक्ति भाव में रहने वाली लड़की किस प्रकार से राक्षसी प्रभाव में आ गई है । सब आपस में सोचने लगे क्योंकि व्यक्ति के ऊपर उंगली उठाना ऐसा लगता था जैसे किसी देवी कन्या के ऊपर हम लोग उंगली उठा रहे हो । सभी ने मिलकर सलाह की और बहुत सारे गांव के लोग उन दो साधुओं के साथ में रिजु साधु के घर की ओर चलने लगे । थोड़ी देर बाद रिजु साधु के घर पर सभी लोग पहुंच गए । रिजु ने देखा कि उनके घर की तरफ गांव वाले चलते चले आ रहे हैं ऐसा पहली बार हुआ था । इस बात को वह समझ नहीं पा रहे थे कि इतने अधिक लोग एक साथ क्यों आ रहे हैं । तभी वहां पर बैठक बैठाई गई और रिजु भी वहां पर उपस्थित हुए । अपने संपूर्ण परिवार के साथ रेवती भी उनके साथ आ गई । पिंडा भी वहीं पर खड़ा था गांव वालों ने कहा कि हे रिजु साधु आपकी कन्या रेवती पर राक्षसी प्रभाव है । उसके कारण से गांव का कुए का जो जल है वह दूषित हो गया है । इस समस्या से ही हमारा सामना हुआ है इससे केवल और केवल यह दो साधु ही हमें मुक्त करा सकते हैं । रिजु साधु ने कहा ऐसा कैसे संभव है रेवती तो बहुत ही अद्भुत कन्या है ।

और मैं यह बात नहीं मान सकता  । तो गांव वालों ने कहा तो क्या हम लोग झूठ बोल रहे हैं । रिजु साधु चुप हो गया क्योंकि रिजु साधु ने यह वचन दिया था कि किसी भी प्रकार से रेवती का वास्तविक परिचय लोगों से नहीं कराए । यह बात तो असंभव थी की किसी महानतम शक्तिशाली योगिनी के ऊपर राक्षसी प्रभाव आ जाए । लेकिन फिर भी रिजु साधु ने कहा आप लोग जो भी उपाय बताएंगे मैं अवश्य ही करूंगा । इस पर दोनों राक्षस जो साधु बने हुए थे उन्होंने कहा इस का विवाह किसी पुरुष से करा दिया जाए जिसने साधु की सेवा कम से कम 12 वर्ष तक अवश्य की हो । सभी लोग आश्चर्य से एक दूसरे को देखने लगे क्योंकि एकमात्र ऐसा पुरुष या लड़का केवल और केवल पिंडा ही था । जिसने स्वयं रिजु साधु की सेवा 16 वर्षों से की थी और उसकी उम्र भी लगातार वैसी की वैसी ही बनी हुई थी । उसकी साधना और पूजा के बारे में सभी लोग आश्चर्यचकित थे । इसी वजह से सभी लोगों ने कहा कि इसका विवाह पिंडा से करवा देना चाहिए । सारे लोगों में यह बात कानाफूसी होने लगी । रिजु साधु को यह बात अच्छी नहीं लगी उन्होंने कहा यह करना ठीक नहीं होगा । कन्या अभी बहुत कम उम्र की है और मैं नहीं चाहता कि मैं अभी से पुत्री सुख से वंचित हो जाऊं । इस पर लोगों ने रिजु साधु पर काफी दबाव में ले लिया । और सब ने कहा नहीं आपको यह विवाह संपन्न कराना ही होगा । पिंडा से अच्छा वर रेवती के लिए नहीं हो सकता और इससे राक्षसी प्रभाव भी खत्म हो जाएगा । इसलिए आप इसका विवाह अवश्य ही करवा दीजिए ।

रिजु साधु कुछ सोच नहीं पा रहा था रिजु साधु ने एक तरफ रेवती को देखा और सोचा कि यह क्या हो रहा है क्या रेवती विवाह करेंगी । और अगर रेवती ने विवाह किया तो क्या उसकी वास्तविकता संसार के सामने प्रकट तो नहीं हो जाएगी । क्योंकि ऐसी शक्तियों का अद्भुत प्रभाव कभी ना कभी स्पष्ट रूप से प्रकट हो जाया करता है । इस बात को समझते हुए रिजु ने कुछ नहीं कहा गांव वालों ने कहा आज से 3 दिन बाद हम कन्या रेवती का विवाह पिंडा से करवा देंगे । और इसमें कोई किसी की भी आपत्ति शामिल नहीं होनी चाहिए सब के सब इस बात के लिए तैयार होने चाहिए । सभी लोगों का मत लिया गया गांव में सभी लोगों ने मत मैं हाथ खड़े कर दिए । रिजु साधु ने अभी तक हाथ खड़े नहीं किए थे । गांव के ही सभी लोग उसे इस बात के लिए दबाव बनाने लगे की विवाह तो तुम्हें कन्या का कभी ना कभी करना ही था । पिंडा जैसा लड़का तुम्हें बिल्कुल नजदीकी ही मिल गया है इससे अच्छा और क्या हो सकता है । तुम्हारी पुत्री तुम्हारी आंखों के सामने ही रहेगी इसलिए तुम इस विवाह के लिए तुरंत हां कर दो । रिजु साधु अब क्या कहता और क्या ना करता उसने अपनी पत्नी की ओर देखा जो हामी भर रही थी । अब रिजु साधु ही केवल इस महान सत्य को जानते थे कि रेवती क्या है और रेवती का अस्तित्व क्या है । रिजु साधु ने भी कहा ठीक है जैसी परमात्मा की इच्छा मैं भी इस विवाह के लिए तैयार हूं । रेवती आश्चर्य से पिंडा को देख रही थी और फिर अपने पिता को देख रही थी उसके जीवन में एक विशाल परिवर्तन आने वाला था ।

कहीं ऐसा करके यातुधान राक्षस महाबलशाली तो नहीं होने वाला था । ऐसा क्या था जो होने वाला था उसके ठीक कुछ ही दिनों बाद पिंडा और रेवती की शादी की बात आ गई । यह वही दिन था जो अमावस्या का अगला दिन पड़ता है यानि की अमावस की रात उसे पूजा करने के लिए एक बार फिर से जंगल में जाना था । अगले दिन उसका विवाह था पिंडा वहां से चल पड़ा और गांव से होते हुए उस महान जंगल में गया । जहां पर उसे पूजा करनी थी पूजा करने के तुरंत बाद और सूअर की बलि चढ़ाने के बाद अचानक से वहां पर यातुधान राक्षस प्रकट हुआ । यातुधान ने कहा कि मैं तुम्हें सारी सिद्धियां देना चाहता हूं मुझे पता है कि कल तुम्हारा विवाह है । मुझे तुम्हारे शरीर में आने दो ताकि मैं तुम्हें महानतम सिद्धियां और शक्तियां दे सकूं । इस प्रकार से यातुधान राक्षस ने पिंडा के शरीर में कब्जा कर लिया । और पिंडा के शरीर को खुद धारण कर लिया । अब पिंडा पिंडा नहीं था यातुधान राक्षस था । यातुधान राक्षस खुश होकर विवाह के लिए तैयार होने लगा । क्योंकि उसे पता था कि पिंडा का शरीर मात्र है । वीर्य यातुधान राक्षस का है । अब आगे क्या हुआ यह हम जानेंगे कि क्या विवाह संपन्न हुआ क्या यातुधान राक्षस और कन्या रेवती की शादी हुई । यह सब हम अगले भाग में जानेंगे । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

यातुधान आसुरी साधना और शक्तिपीठ कथा भाग 4

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