नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे एक ऐसे अनुभव को जिसके माध्यम से सिद्धि भी प्राप्त की गई है तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं कि भूतनी साधना कैसे सिद्ध की गई और उसमें क्या-क्या अनुभव घटित हुए?
पत्र – प्रणाम आचार्य जी! मैं आपका हृदय से धन्यवाद करता हूं कि आपने मेरा पत्र शामिल किया है। कृपया मेरा नाम और पता किसी को ना बताएं क्योंकि मैं जो अनुभव आपको भेज रहा हूं, यह एक सत्य अनुभव है। इस अनुभव में जहां आपको पता लगेगा कि साधना क्षेत्र काफी ज्यादा रोमांचक होता है, वही यह बहुत ही अधिक खतरनाक भी होता है जो मेरे साथ घटित हुआ था। गुरु जी जहां तक मैं आपको इस संबंध में अपने विचार देना चाहता हूं। उन्हें आप अपने दर्शकों को बता कर जीवन में उन्हें भी कामयाब करें, लेकिन सावधानी पूर्वक, इसके अलावा इस साधना की विधि भी आपको भेज रहा हूं। आप चाहे तो इसे दर्शकों को उपलब्ध करवा सकते हैं।
आचार्य जी, मैं आपको अपने इस अनुभव के विषय में बताना चाहता हूं।
सबसे पहले किताबों इत्यादि से मनुष्य के हृदय में ऐसी चीजों को करने की भावना जागती है। ऐसी किताबें भरी पड़ी है। मैंने भी ऐसी ही एक किताब पढ़ी थी, जिसमें भूतनी सिद्धि के विषय में बताया गया था। लेकिन मैंने यह करने से पहले किसी गुरु से उचित सलाह लेना आवश्यक समझा। और एक बार कुंभ मेले में मैंने एक गुरु ढूंढ लिया। उनके पास जाकर मैंने भूतनी सिद्धि के विषय में उनसे पूछा। और उन्हें मंत्र और विधान के विषय में जो पुस्तक में लिखा था, उन्हें बताया। उन्होंने कहा, इसमें तुम्हें सुरक्षा घेरे की आवश्यकता लगेगी और इसके अलावा तुम्हें घर बार छोड़कर के कुछ दिन के लिए यह साधना करनी होगी। क्योंकि साधना ज्यादा दिन की नहीं थी। इसी कारण से मैं तैयार हो गया। मैं उन गुरु के शरण में गया। उन्होंने कहा, जब तक कुंभ चल रहा है तब तक मैं तुम्हें इसकी सिद्धि करवा दूंगा। मैंने उनसे कहा ठीक है और मैं उनके लिए भोजन पानी का रोज प्रबंध करने लगा। इस प्रकार से उन्होंने मुझे इस साधना के लिए तैयार करवाया। सबसे पहले उन्होंने गुरु मंत्र दीक्षा मुझे दी। इसके माध्यम से मैंने उनसे एक प्राचीन महान मंत्र प्राप्त किया। उसका अनुष्ठान पूरा कर अब मैं इस तांत्रिक साधना के लिए तैयार था। पर यहां पर मुझसे एक गलती हो गई। मैं शादीशुदा था। लेकिन मैंने यह बात अपने गुरु को नहीं बताई थी।
और यहां पर मैंने भूतनी की साधना पत्नी के रूप में करने की इच्छा उन्हें बता दी थी।
इसी कारण से शायद इस साधना में मेरे साथ जो कुछ भी बाद में बुरा हुआ। लेकिन उससे पहले का समय मेरे लिए काफी अच्छा रहा। मैंने उन गुरु से आज्ञा लेकर। एक बहुत ही सुंदर स्त्री का चित्र बनवाया। जैसा कि मेरे गुरु ने मुझे बताया था। मैंने उसको अच्छी प्रकार एक चित्रकार से बनवा कर। उसके बाद फिर उस पर अपनी सज्जा की। क्योंकि गुरु के कहे अनुसार तुम्हें अपने हाथ से निर्मित ही चित्र बनाना है। इसी कारण से मैंने उसके ऊपर अपनी लाइनें फिरानी शुरु कर दी।
मेरे गुरु भी यह देखकर काफी प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा, तुमने बुद्धिमत्ता पूर्ण कार्य किया है क्योंकि इस प्रकार तुम एक सुंदर चित्र भी बना सके और स्वयं उसका निर्माण भी नहीं किया है। किसी भी चित्र की आउटलाइन को अपने अगर कलम या किसी पेन से फेर दिया जाए तो फिर वह चित्र आपका हो जाता है। इस प्रकार वह अति सुंदर स्त्री का चित्र मैंने। बनवा लिया था। याद रखिए इस चित्र में।
उस नारी का शरीर पूर्णता नग्न होना चाहिए सिर्फ गले में एक सोने का हार और कमर में कमर की करधनी। बनी होनी चाहिए इसके अलावा।
उसके हाथों में चूड़ियां बनाई जा सकती हैं।
अब इस? प्रकार कर लेने के बाद में मुझे एक विशेष स्थान का चुनाव करना था। जहां पर मेरे गुरु मुझे लेकर गए। उन्होंने कहा, इस स्थान पर कुटिया बनाकर तुम्हें यहां साधना करनी है। यह साधना केवल 21 दिन की थी। इन 21 दिनों में मुझे। जनसंपर्क शून्य होना था। क्योंकि? साधना में किसी और का वहां पर उपस्थित होना सबसे अधिक। साधना को कमजोर कर देता है। इस बात को समझते हुए हमेशा ध्यान देना चाहिए। और मैंने भी वही किया। गुरुदेव की एक विशेष आज्ञा भी थी। उन्होंने कहा, इस भूतनी को सिद्ध करने के लिए तुम्हें अब केवल भोजन में दूध का ही इस्तेमाल करना है। तुम्हें 21 दिनों तक भोजन में दूध के अलावा कुछ और नहीं लेना है। मैंने उनकी यह बात भी मान ली। मैंने! पास के एक दूधिये से संपर्क कर लिया। और वह दूधिया! इस बात के लिए तैयार हो गया, लेकिन मैंने उससे कहा था, तुम्हें मेरे घर पर नहीं आना है बल्कि बाबाजी की कुटिया के निकट ही दूध को रख देना है। बाकी कार्य मैं ही करूंगा। मैं स्वयं उस दूध को गर्म करता था और उसमें चीनी डालकर के तीन से चार बार पिया करता था। मेरे अंदर शक्ति की कमी ना रहे और मैं जो साधना करने के लिए आया हूं, उसमें सफलता प्राप्त हो।
दूसरा कार्य तो हो चुका था, अब तीसरे कार्य की बारी थी।
मैंने! 1 आसन पर भूतनी का नग्न चित्र स्थापित किया। उसके आगे गुरु द्वारा बताए गए चमेली के फूल। और चमेली का तेल से बने दीपक। और उसमें?
उसे जलाकर।
तब तक साधना करना जब तक कि उस दिन का मंत्र जाप पुराना हो जाए। इस प्रकार से मैं करने लग गया।
मैं लगभग 10 दिन की साधना कर चुका था। अचानक से 1 दिन रात्रि के समय साधना के वक्त पायल की झंकार मुझे चारों तरफ से आने लगी। मैं समझ गया कि अवश्य ही यह भूतनी ही है। और जो अब जल्दी ही मेरे पास आने वाली है। मैं अपनी साधना में
जिस स्थान पर में साधना करता था उसी के ही बगल में मैं जमीन पर बिछौना बिछाकर सो जाता था। उस दिन लगभग जब साधना के 10 दिन हो चुके थे। मैं जब सोया अचानक से ही मेरे कंधे पर किसी के स्पर्श का एहसास मुझे हुआ। मैंने आंखें बंद रखी और वह इस पर मेरे पूरे शरीर में अब होने लगा। कोई अपनी उंगलियां मेरे शरीर पर फिरा रहा था।
मैं उसमें इतना अधिक रम गया कि मुझे कुछ भी पता ही नहीं चला। फिर मैं क्योंकि बाई तरफ करवट करके सोया हुआ था। तो किसी ने मेरे दाहिने ओर के कान में मेरा नाम लिया। वह आवाज इतनी अधिक मीठी थी। कि मैं क्या बताऊं?
ऐसा लगता था जैसे कि 100 रसगुल्ले। मेरे मुंह में डाल दिए गए हो। ऐसा स्वाद ऐसा वह शब्द मेरे कानों में घुल गए ।
और? दाहिने गाल पर किसी ने चुंबन किया। और अचानक से ही मेरी नींद खुल गई। मैंने सामने एक बहुत ही सुंदर नग्न स्त्री को। मेरे घर से बाहर तेजी से निकलते हुए देखा। उसे देख कर मैं आश्चर्य में आ गया था। अभी तक मैंने सोचा कि यह तो एक सपना था पर खुली आंखों से किसी स्त्री को भागते हुए देखना बहुत ही अधिक रोमांचकारी होता है। गुरुजी उस दिन मुझे यह एहसास हुआ कि वास्तव में दूसरी दुनिया मौजूद है।
मैं केवल उसके ख्यालों में इसी प्रकार खोया रहता कि जब मैं साधना करता तो भी। उसके अलावा कुछ और नहीं सोचता था।
गुरु जी का कहना था कि ध्यान उसी का ही लगातार होना चाहिए जब तक कि उसकी सिद्धि ना हो जाए। और प्रेम और आकर्षण तो ऐसी चीजें हैं जो जीवन में और भी अधिक रोमांचित जीवन को बना देती हैं। ध्यान तो भटकता ही नहीं है। अगर किसी बड़े देवी देवता की पूजा की जाए तो आपका ध्यान इधर उधर बहुत ज्यादा भटकेगा लेकिन किसी सुंदरी की साधना में कभी ध्यान नहीं भटकता। हमेशा उसी का ही ख्याल दिल दिमाग में लगा रहता है। गुरु जी इसके बाद लगभग साधना के सत्र में दिन मेरे साथ। बिल्कुल ऐसी घटना घटी जिसके बारे में मैं आपको अपने अगले पत्र में बताऊंगा। पत्र भेजने में मुझसे देरी नहीं होगी जैसे कि बाकी लोग करते हैं। और यह अनुभव मैंने कहीं और प्रकाशित नहीं किया है। इसकी जिम्मेदारी भी मैं लेता हूं। गुरुजी अगले पत्र में मैं आपको इसके आगे की घटना के विषय में बताऊंगा। तब तक के लिए नमस्कार गुरु जी।
संदेश – यहां पर इन्होंने। भूतनी साधना का अनुभव भेजा है। साथ ही साथ उसकी विधि भी मुझे भेजी है जिसे मैं इंस्टामोजो अकाउंट पर डाल दूंगा। लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
रति कामिनी भूतनी साधना अनुभव भाग 2