नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। राकिनी साधना अनुभव भाग 1 में आपने जाना था कि किस प्रकार से राकिनी नाम की एक शक्ति को एक साधक सिद्ध करने की कोशिश करता हैं। अघोरी साधक ने उस शक्ति को सिद्ध करने के लिए अपने 3 दिन का अनुष्ठान प्रयोग किया था। इस अनुष्ठान में उन्होंने 2 दिन सहजता से बिता दिए थे। तीसरे दिन उनके साथ में क्या-क्या घटित हुआ आज के इस पत्र के माध्यम से हम लोग जानेंगे।
इससे पहले सबसे जरूरी जानकारी यही है, कि जब भी आप इस तरह की कोई साधना करें, उससे पहले अपना सुरक्षा कवच अवश्य बना लीजिए। क्योंकि तामसिक साधना में किसी भी प्रकार के। जो रहम की उम्मीद नही होती है। क्षमा की गुंजाइश होती है, वह नहीं रहती। शक्तियाँ दंड दे देती हैं। अगर उनके अनुकूल वातावरण उन्हें प्राप्त नहीं होता है। इसलिए जब कभी भी कोई तामसिक साधना करें तो इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि,मैं जो साधना करने वाला हूं उस साधना में मुझे। पूरी सुरक्षा प्राप्त है अथवा नहीं है। तामसिक जो भी साधनाएं होती हैं उनकी नियमावली बहुत ही ज्यादा कठिन और कठोर होती हैं।
कभी भी जब इस तरह की साधनाएं आप करें। उन साधना में नियमावली को बिल्कुल भी नहीं तोड़ना चाहिए और गहनता से उनका पालन करना चाहिए। क्योंकि शक्तियां तुरंत ही क्रुद्ध हो जाती हैं। जो भी उग्र साधना होती हैं, खासतौर से सारी उग्र साधना लगभग तामसिक साधनाओं की ही श्रेणी में आती हैं तो वहां पर आपको। अपने मन को ठंडा रखते हुए या अपने हृदय को पूर्ण पवित्र रखते हुए। शांतिपूर्वक साधना करनी चाहिए। अपने अंदर उग्रता को आने नहीं देना चाहिए क्योंकि जैसी शक्ति कि आप उपासना कर रहे होते हैं। ठीक वैसे ही भाव और स्वभाव आपके अंदर चलाता है।
इसी कारण से शक्तियां आपको अपने अनुसार बना देती हैं और फिर आपसे गलती होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। गुरु से आज्ञा प्राप्त करके ही इस तरह की साधना करनी चाहिए और अगर हो सके तो अपने गुरु को भी अपने इस कार्य में संलग्न कर लेना चाहिए ताकि अगर कोई विशेष समस्या हो तो आप का गुरु संभाल सकें। तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं कि आगे इनके साथ क्या-क्या घटित हुआ था?
पत्र – गुरुजी उसके आगे मुझे ऐसा लगा जैसे कोई बड़ी शक्ति हो। उसने जमीन पर पैर पटका और यह एक औरत के जैसी ही थी। एक अजीब सी इंसान की तरह दिखने वाली थी ।एक अद्भुत वस्तु की तरह नजर आ रही थी जिसकी जुबान जमीन तक आ रही थी। इधर-उधर जीभ मारकर मेरे पास आ गई। जो सुरक्षा घेरा था, उसके आसपास वह घूम रही थी। वह औरत जो लंबी जीभ वाली मुझसे बोली, मैं इस सुरक्षा घेरे को तोड़ सकती हूं या इसका तोड़ जानती हूं। किसी में भी इतनी शक्ति नहीं है कि तुम को बचा पाए। तुम्हारा सुरक्षा घेरा अब बस टूटने ही वाला है।
किसी में भी इतनी सामर्थ्य नहीं है कि मेरे समक्ष आकर के खड़ा हो जाए। इस बात से मैं जरा भी नहीं डरा और मैंने ईश्वर का आवाहन कर दिया। हे प्रभु मेरी रक्षा करो, सुरक्षा करने वाली शक्ति भी नहीं है। उसने यह बात बोल दी थी। जब तुम्हारे प्राण संकट में होंगे। मैं दौड़ी चली आऊंगी, चाहे कितनी भी बड़ी शक्ति हो, उस से पंगा लूंगी। यह उसने कहा था। लेकिन वहां पर अब वह नहीं थी। इसी कारण जब मैंने ईश्वर का आवाहन कर दिया तो इसके बाद वह शक्ति मेरे इर्द-गिर्द घूम रही थी।
वह बोली कि तूने ईश्वर का आवाहन क्यों किया? सुरक्षा घेरे से बाहर निकलो, मैं तुमको बताती हूं। ऐसा कहते हुए लगभग 1 घंटा बीत चुका था। वह अपनी माया से मुझे छलने का प्रयास कर रही थी। इसके बाद वह चली गई और फिर वहां एक ऐसी शक्ति आई जिसके हाथ पांव कुछ भी नहीं थे। दौड़ कर मेरे पास आ रही थी। मैं इन चीजों पर बिना ध्यान दिए। आगे की साधना है, वह करता रहा। और मैंने सोचा कि मैंने तुम्हें नहीं बुलाया। इनकी कोई इच्छा जरूर रहेगी। मैंने सोचा मुझे ध्यान नहीं देना है जब तक कि जप कर रहा हूं। और मैं जप करता रहा। ऐसा करते करते वहाँ शक्तियाँ बढ़ती गयी । जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था।
अपने कैसे-कैसे रूप मुझे उसने दिखाएं? इससे बड़ी और खराब बात कोई और नहीं हो सकती थी कि? यह मैं बंद आंखों से देख पा रहा था। मेरा मन ईश्वर के ध्यान में लगा हुआ था। मैं जानता था कि मुझे भटका रही है। मै यह नहीं चाहता था कि यह करूं? यह मेरी काम भावना की कड़ी परीक्षा पर परीक्षा ले रही थी। मैंने सोचा, अगर मैं इस परीक्षा में फेल हो जाता हूं तो जान जाने में देर नहीं लगेगी। ना ही मुझे इस सब में सफलता मिलेगी। मैंने देवी का ध्यान करके बोला, हे देवी आप के पुत्र के मन में कोई भाव नहीं है। मेरी रक्षा कीजिए। मैं अकेला बैठा हूं। मैं गिन भी नहीं पा रहा हूं। यहां पर कितनी सारी शक्तियां आ गई हैं? और यह क्या क्या मेरे साथ कर रही हैं?
यह सुरक्षा मंत्र इन्हें मेरे निकट नहीं आने दे रहा था। लेकिन अगर यह मेरे ज्यादा निकट आ गई तो साधना खंडित हो जाएगी। इस साधना के लिए मैंने साल भर से इंतजार किया था। मैंने कहा हे जगत माता कृपा करें। मेरी रक्षा करें और यह कहने में मुझे लगभग 15 मिनट निकल चुके थे। एक के ऊपर एक भूत प्रेत चढ़कर मेरे पास आ रहे थे। तभी अचानक से दो शक्तियां मेरे पास आ गई। और वह बिल्कुल मेरे सुरक्षा घेरे के ही निकट थी। उनमें से एक शक्ति जो भी भूत वहां प्रेत थे उनके ऊपर चढ़कर के। उनको पीटने लगी थी।
उस शक्ति ने उनको अत्यधिक रूप से पीटा था। जब इतना अधिक वह पीटे गए तो उसके बाद वह वहां से गायब हो गए। वहां पर उपस्थित दो शक्तियां मेरे पास आकर बैठ गई। और तब मैंने ईश्वर को धन्यवाद कहा कि आपने मेरी जान बचा ली है। अब वहां का नजारा ऐसा था कि उनको देखकर के अब कोई भी अन्य शक्ति मेरे पास नहीं आ रही थी। फिर उन दोनों शक्तियों में से भी एक गायब हो गई। एक शक्ति जो आई वह माता काली जैसी नजर आ रही थी जिसने नरमुंड की माला पहनी थी।
मैंने देखा कि वह ना तो चिता के पास से आई है और ना ही वह पानी से निकल कर बाहर आई है। मुझे ऐसा अनुभव हुआ और लगा कि शायद वह राकिनी शक्ति ही है। लेकिन मैंने सोचा आधे घंटे का जप ही तो करना है उसे कर लेता हूं। और फिर मैंने उन्हीं बातों पर ध्यान दिया। वह काली सी दिखने वाली शक्ति का रूप बेकार था और वह बिल्कुल नग्न थी। वह हाथ में खप्पर और तलवार लेकर के खड़ी रही। मेरे घर के आस-पास घूमती रही। 20 मिनट तक वह चारों तरफ मेरे घूमती रही और फिर मेरे सामने आ करके बैठ गई।
इसके बाद मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। उसकी आंखें लाल थी। मैं उसको देख नहीं पा रहा था। उसकी आंखों में देखना बहुत ही कठिन था। फिर वह मुझसे बोली। लगातार तीन बार कि मैं वही हूं जिसकी तुम साधना कर रहे हो। मैं वही शक्ति हूं जिसकी तुम साधना कर रहे हो। मैं वही हूं जिसकी तुम साधना कर रहे हो। फिर भी मैं जाप करता रहा। इसके बाद वह शक्ति जमीन में चली गई। जाप के पूरे होने पर मैंने उसका भोग ठीक उसी जगह पर रख दिया।
फिर सौम्य रूप लेकर के प्रकट हो गई। सुरक्षा करने वाली भी शक्ति प्रकट हो गई और बोली हम अलग नहीं। भिन्न शक्तियां है बस । गुरु जी जो इन से मिला है उस बात को मैं आपको नहीं बता सकता, उसे गुप्त रखूंगा। इन सब के दौरान एक बात जो अच्छी रही, वह यही थी कि मेरा संकल्प पूरा हुआ था उन 3 दिनों की साधना का। अब मैं यह बात! पूर्णता कह सकता हूं कि साधना में गुरु मंत्र और सुरक्षा मंत्र जरूरी चीजें हैं। इनके बिना साधना नहीं करनी चाहिए। जो भी व्यक्ति बिना गुरु मंत्र और सुरक्षा मंत्र के इस तरह की साधनाएं करता है, उसकी सफलता की उम्मीद तो कम हो ही जाती है। सुरक्षा उसकी बहुत ही खराब हो सकती है। सुरक्षा अगर उसके जीवन में नहीं होगी तो कोई भी साधना उसे कितनी भी बड़ी हानि पहुंचा सकती है? अंत में मेरा यही आगे का लक्ष्य होगा कि मैं पंचतत्व साधना करूं। नमस्कार प्रणाम गुरुजी।
उत्तर – यहां पर देखें। उन्होंने राकिनी साधना को पूरी तरह से कंप्लीट किया। इस साधना को करने के बाद में उनको शक्ति ने कोई सिद्धि भी प्रदान की है। इसको यह गुप्त रखते हैं।इस प्रकार की है। 3 दिन की राकिनी साधना इन्होंने यहां पर कंप्लीट कर ली। बिना किसी भय और डर के और जो भी शक्तियों ने इनके साथ करने की कोशिश की, उसमें यह सफल रहे। अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें।आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।