नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज जो हमको अनुभव प्राप्त हुआ है वह एक ऐसा प्रश्न उठाता है जो भक्ति की अपने आप में एक अनूठी मिसाल पेश करता है। क्या? भक्ति के कारण भगवान अपने भक्तों के लिए समय की गति को रोक सकते हैं। क्या वह काल को प्रभावित कर सकते हैं? अगर ऐसा संभव हो सकता है तो भक्ति से संसार में सब कुछ किया जा सकता है। आज का यही अनुभव आज हम लोग लेंगे। जानेंगे कि किस प्रकार से? एक भक्त की भक्ति को। भगवान ने इस प्रकार स्वीकार किया कि उन्होंने उनके लिए कुछ समय के लिए काल को भी रोक दिया था। चलिए पढ़ते हैं पत्र को और जानते हैं कि किस प्रकार का यह अनुभव है।
प्रणाम गुरुजी और धर्म रहस्य के सभी श्रोताओं को भी मेरा प्रणाम! गुरुजी मै काफी समय से धर्म रहस्य चैनल के साथ जुड़ा हुआ हूं। अनेकों लोगों के अनुभव तथा आपके द्वारा बताए गए साधनाओं को भी मैंने सुना है। अधिकांश वीडियो को मैं डाउनलोड करके अकेले में सुना करता हूं। जिससे मुझे शांति और शिक्षा की प्राप्ति होती है। आप लोगों के अनुभव बता कर उन्हें तंत्र क्षेत्र के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। जिससे लोगों की जिंदगी में बदलाव आता है और नई सीख मिलती है। यह आप एक अच्छा कार्य कर रहे हैं आजकल में सुगंधा वाली वीडियो को भी सुन रहा हूं जिसमें उस देवकन्या जिनको मैं प्रणाम करता हूं ने ब्रह्मांड के रहस्य को भी खोला है । भक्ति करने के तरीकों को भी हम मनुष्यों को बताया है, यह हमारा सौभाग्य है।
गुरु जी मैं बचपन से ही पुराणों, ग्रंथों और धार्मिक पुस्तकों को पढा करता आ रहा हूं। जिनमें ब्रह्मांड के रहस्यों के विषय में और भक्ति के विषय में बिल्कुल ही सत्य लिखा हुआ है। परंतु इन सब को मैं पहले न करता था। लेकिन जब से मैंने यह देवकन्या सुगंधा के मुंह से सुना तो मैं आश्चर्यचकित हो गया। और यह सोचे लगा कि यह कोई कल्पना नहीं बल्कि यह एक सत्य है। गुरु जी मैं पिछले कुछ वर्षों से प्राचीन आयुर्वेद का अध्ययन कर रहा हूं। जिसमें हमारे इस भौतिक शरीर के विषय में बताया गया है कि यह पंच तत्वों से बना हुआ है जो कि अक्षरसा सत्य बात है। आयुर्वेद के विषय में मैं दर्शकों को बता दूं? कि जिस परब्रह्म ने हमारे इस शरीर की रचना की है उसी ने रोगों के नाश के लिए आयुर्वेद को भी बनाया है। अतः इसमें दी गई चिकित्सा विधि स्वयं भगवान द्वारा निर्मित है। इसमें से पढ़कर मैंने अनेकों रोगों की चिकित्सा की है जो सत्य सिद्ध हुई है। अतः मैं उस पर ब्रह्म और आयुर्वेद को भी प्रणाम करता हूं।
गुरु जी अब मैं अपने मुख्य मुद्दे पर आता हूं। यह घटना तब की है जब मैं पहली बार किसी कंपनी में नौकरी पर लगा था। मेरे गांव से यह कंपनी करीब डेढ़ घंटे की दूरी पर स्थित थी। यह नौकरी मुझे 5 वर्षों तक भटकने के बाद प्राप्त हुई थी। वह भी देवी मां की पूजा करने के कारण। इस दौरान मै बेरोजगार ही था। कहीं नौकरी नहीं मिली थी। इस कंपनी में 15-15 दिन की डे और नाइट की शिफ्ट थी। यह घटना नाइट शिफ्ट के दौरान की है। मैं उन दिनों रामचरितमानस का पाठ करके ही नौकरी के लिए जाता था। गुरुजी मेरी यह जो आदत थी कि जब तक मैं पूजा को पूरी तरह से पूर्ण नहीं कर लेता था। तब तक मैं किसी से बात नहीं करता था और ना ही कोई फोन उठाता था। और सबसे बड़ी बात कि मैं पूजा से भी नहीं उठता था। चाहे जितना भी आवश्यक कार्य क्यों ना आ जाए? यानी कि मैं पूरी तरह से अपने पाठ को पूर्ण कर लेने के बाद ही कोई अन्य कार्य किया करता था।
गुरु जी एक दिन जब मैं नाइट शिफ्ट करके घर पर आया तो मैंने अपने हाथ मुंह धोकर खाना खा लिया और उसके उपरांत जाकर सो गया। जब मेरी नींद पूरी हुई तो मैंने अपने मोबाइल में समय देखा। यह देखकर मैं दंग रह गया क्योंकि कंपनी जाने के लिए मेरे पास मात्र डेढ़ घंटे का ही समय बाकी था। जिसमें मुझे स्नान कर रामचरितमानस का पाठ भी करना था। जिसमें अलग से मुझे लगभग 1 घंटे का वक्त लगता है। गुरु जी मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गया कि रामचरित मानस का पाठ करु तो नौकरी पर नहीं जा सकूंगा। यदि ना करूं तो पूजा मेरी आज की भंग हो जाएगी। मैंने निश्चय किया कि पाठ करूंगा। अतः जल्दी में स्नान कर रामचरितमानस का पाठ करने बैठ गया। और भगवान से प्रार्थना की कि हे प्रभु आज मुझे कंपनी तक पहुंचा जरूर देना। मैंने पाठ को जल्दी-जल्दी पूर्ण किया और समय देखा तो मात्र एक घंटा ही बचा था। मैंने जल्दी-जल्दी वस्त्र पहने और घर से रोड तक की 10 से 15 मिनट तक की दूरी तय की। फिर जल्दी ही बस भी मिल गई।
कंपनी नोएडा में थी जो मेरे गांव से करीब 40 मिनट की दूरी पर स्थित है। जब मैं नोएडा पहुंचा तो मैंने देखा कि अभी मेरे पास आधे घंटे का समय है जो मेरे लिए चकित करने वाला था। क्योंकि 40 मिनट की दूरी 25 मिनट में ही पूरी हो गई थी। इस बात से मैं हैरान था। खैर अब मैं ऑटो का इंतजार करने लगा जो वहां से 10 मिनट में मुझे कंपनी के पास पहुंचा देता था। तभी मेरे पास एक मिनी बस आकर रुकी। उसने बैठने का इशारा किया और मैं उसमें लपक कर बैठ गया। यह किसी अन्य कंपनी की बस थी जो उस दिन वाले स्टाफ को लेने जा रही थी। ड्राइवर बस को बहुत ही तेज चला रहा था। यह! ऑटो की गति से भी दुगनी गति थी। मैंने सोचा कि अब मैं 10 मिनट के बजाय 5 मिनट में ही पहुंच जाऊंगा। पर जब मैं कंपनी के पास बस से नीचे उतरा। तो मैंने फिर से मोबाइल में समय देखा। यह देखकर मेरा मस्तिष्क एक बार चकरा गया और जोरदार धमाका हुआ। मैं आंखें फाड़ कर अपने मोबाइल को देख रहा था।
गुरु जी अबकी बार मेरे साथ यहां पर उल्टा हुआ था जहां मुझे 5 मिनट लगने थे। वहां मुझे 20 मिनट लग चुके थे। मैं इसी उधेड़बुन में कंपनी की ओर जाने लगा कि ऑटो से भी तेज गति से बस चल रही थी और फिर भी इतना अधिक समय कैसे लग गया? आज मैं समझता हूं गुरुजी कि शायद जिस भगवान ने मेरे लिए समय को रोका था। उसी ने यहां पर वह समय दोबारा से पूर्ण कर दिया। मैं यह कह सकता हूं कि भगवान अपने भक्तों के लिए काल की गति को भी रोक देते हैं। और किस प्रकार मेरे सामने एक जगह समय तीव्रता से बीत गया और वहीं दूसरी जगह समय? तीव्रता से ही बीत गया। अतः उस परमपिता पर ब्रह्म को हमें नित्य ही भजन! के रूप में भजना चाहिए। इस प्रकार से मैं यह कह सकता हूं कि? ईश्वर की माया ईश्वर ही जान सकता है। प्रणाम गुरुजी!
संदेश – देखे यहां पर इन्होंने अपने साथ घटित हुए समय के चक्र को समझाया है। ईश्वर से प्रार्थना करने पर ईश्वर आपके लिए समय को भी रोक सकते हैं। यह पूर्णता सत्य बात है। किंतु प्रकृति में हस्तक्षेप ईश्वर कभी नहीं करते। इसीलिए जिस समय में उन्हें वहां पहुंचाना ईश्वर के लिए आवश्यक था। उन्होंने वहां तक उन्हें उस समय में पहुंचा दिया। लेकिन समय की गति को संभालते हुए उन्होंने फिर से जिस चीज में समय नहीं लगना था, वहां समय लग गया। इस तरह के चमत्कार जीवन में व्यक्तियों के घटित होते रहते हैं जब आप की भक्ति और श्रद्धा सच्ची होती है। असंभव से लगने वाले कार्य भी ईश्वर बहुत ही सहजता और आसानी के साथ सरलता से पूर्ण कर देता है। तो यह था इनका अनुभव अगर यह अनुभव आपको पसंद आया है तो लाइक करें शेयर करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद!