वृक्ष वीर साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक अत्यंत ही गोपनीय साधना आप लोगों के लिए लेकर के आया हूं। इस साधना के विषय में शायद ही आज के विद्वान व्यक्ति जानते होंगे। यह साधना वीर साधना के अंतर्गत आती है। वैसे तो वीरों की मुख्य संख्या 52 बताई गई है। लेकिन हजारों की संख्या में वीर मौजूद हैं। यह सारे मां काली की सेना में उनका आगे चलकर नेतृत्व करते हैं और मां की आज्ञा का पालन बड़ी ही तीव्रता से करते हुए राक्षसों का वध करते हैं। इन्हें देवीगण भी कहा जाता है। देवी की शक्तियों से भरे हुए यह अधिक सामर्थ्य रखते हैं। बावन वीरो में आप सभी के नाम जानते होंगे, लेकिन मैं जिस गुप्त वीर की साधना के विषय में आज बात करूंगा, इसका नाम लोगों ने नहीं सुना होगा। इसे हम वृक्ष वीर कहते हैं। इस साधना को कैसे करते हैं, इसका क्या विधान है आज उसके बारे में बात करते हैं लेकिन सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि? इस वीर की उत्पत्ति कब और कैसे हुई थी? साधना के लिए सबसे पहले यह आवश्यक होता है कि उस शक्ति के विषय में व्यक्ति जाने। तो मां काली जब युद्ध क्षेत्र में राक्षसों का वध कर रही थी उस दौरान उनकी कुछ योगनिया जब युद्ध करते करते थकने लगी। तो उन्होंने जंगल में एक वृक्ष के नीचे विश्राम करना उचित समझा ताकि वह युद्ध के लिए फिर से खड़ी हो सके उस दौरान जब राक्षसों का वध करते हुए मां काली उस क्षेत्र में आई तो अपनी योगिनी शक्तियों को इस प्रकार बैठा देख। उनके मन में क्रोध आया और उन्होंने उन्हें शक्ति प्रदान की। क्योंकि सभी को शक्ति! भेजी गई थी। लेकिन क्योंकि पेड़ की वजह से सारी शक्तियां सभी योगिनी शक्तियों तक नहीं पहुंच पाई। तब देवी मा ने सीधे उस पेड़ को ही अपनी शक्ति दे दी और उस शक्ति से अलग-अलग प्रकार की जड़े निकलकर उन योगनियों के शरीरों में समा गई। और इस प्रकार फिर से शक्तिशाली और ऊर्जावान होकर योगिनी युद्ध में पहुंच गई। वह पेड़ कुछ देर यूं ही खड़ा रहा, लेकिन मां काली की ऊर्जा के कारण उस पेड़ ने अब चलना शुरू कर दिया और युद्ध क्षेत्र में पहुंचकर अपने बड़ी-बड़ी शाखाओं से उसने भी राक्षसों का वध करना शुरू कर दिया। इस प्रकार राक्षसों की बड़ी सेना उसने समाप्त कर दी। यह देखकर मां काली उस पर प्रसन्न हुई और उसे कहा कि तूने वीर की तरह कार्य किया है इसीलिए मैं तुझे और तेरे ही जैसे अन्य वृक्षों को यह शक्ति देती हूं कि तुम्हारे अंदर भी वीर शक्ति का वास होगा और इस प्रकार माता काली युद्ध के बाद अंतर्ध्यान हो गई। उस समय से वृक्षों के अंदर! यह शक्ति विराजमान होती है कि वह वीर स्वरूप धारण कर सकती हैं। उनके अंदर वीर का निवास होता है लेकिन किन वृक्षों में? जो भी वृक्ष 500 वर्ष से अधिक पुराना होता है, उसी वृक्ष में वीर् शक्ति का वास होता है क्योंकि जो सभी योगनियों को शक्ति दे सके और उसके नीचे बैठ कर कोई भी आराम कर सके। इसी कारण 500 साल से अधिक पुराना वृक्ष ही इस तरह की शक्ति रखता है। इस साधना को करने के लिए आपको ऐसे ही वृक्ष का चुनाव करना होगा जो 500 साल से ज्यादा पुराना हो। अब इस बात का आप को ध्यान रखना है कि इस साधना के लिए आप एकांत में ही उस वृक्ष के नीचे रात्रि में बैठकर साधना करें। इस साधना को करने के लिए अगर आपको यह वृक्ष एकांत स्थल में मौजूद नहीं है तो साधना ना करें क्योंकि योगनी शक्तियां भी इस साधना में आपकी परीक्षा लेने आती हैं और बाद में स्वयं वह वृक्ष भी आपकी परीक्षा लेता है। इसलिए वह स्थान एकल एकांत जन शून्य होना चाहिए। इस बात की गंभीरता को हमेशा आप को समझना होगा। अब अगला जो सबसे महत्वपूर्ण विषय है इसमें वह यह कि कैसे करेंगे। साधना तो इसमें आपको। जिस भी वृक्ष! की साधना करनी है। अगर वह शमशान में है तो सर्वोत्तम है किंतु किसी भी एकल या जनशून्य स्थान में बैठकर उसके नीचे साधना की जा सकती है। इसके लिए आपको सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसी वृक्ष की आराधना करनी होती है और इसके अलावा आपको जो माला इसमें इस्तेमाल होगी वह उस वृक्ष की लकड़ी से बनाई गई माला होगी। छोटे-छोटे टुकड़े पहले आप को काटने होंगे और उन्हें बहुत ही छोटे-छोटे तरीके से बनाकर एक माला के आकार के रूप में उस में धागा प्रयोग कर उसे माला बना लेना होगा। उसी वृक्ष के नीचे उसी वृक्ष की लकड़ी से बने आसन पर बैठकर आपको यह साधना करनी होती है। इस मंत्र साधना में आपको जिस मंत्र का जाप करना होगा वह इस प्रकार से है। ॐ हुं फट! वृक्ष वीर आगच्छ सिद्धि देहि स्वाहा इस मंत्र का आपको जाप करना है। रोजाना 51 माला जाप इस साधना में करना चाहिए और इस साधना को करने से पहले सबसे पहले भूमि माता को प्रणाम करें और उसके बाद उस वृक्ष को प्रणाम करते हुए। उससे आज्ञा मांगे कि मैं आपके अंदर निवास करने वाले मां काली के सेवक वीर को प्रत्यक्ष करने के लिए साधना करने जा रहा हूं। कृपया मुझे आज्ञा और आशीर्वाद प्रदान करें। फिर लोटे का जल उस पेड़ पर चढ़ा कर यह मन ही मन मान लें कि वृक्ष ने आपको आज्ञा दे दी है। अब साधना के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश के मंत्र गुरु मंत्र, भैरव मंत्र और भगवान शिव के मंत्र का उच्चारण कर माता काली के क्री बीज का 51 बार! जोर-जोर से उच्चारण कर उनका आवाहन करते हुए कि वह अपनी शक्ति इस वृक्ष में भेजें। इसके बाद ही वीर मंत्र का आपको जाप करना है। यह गोपनीय साधना में दिनों का विधान नहीं है। यह साधना लंबी भी चल सकती है और बहुत जल्दी भी समाप्त हो सकती है। यह साधक की एकाग्रता पर निर्भर करता है। आंखें बंद कर मंत्रों का जाप करते हुए वीर स्वरूप का ध्यान करें। फिर इसके बाद जब आपको सिद्धि प्राप्त होगी तो वीर स्वयं प्रत्यक्ष दर्शन देगा। वृक्ष से निकलकर आपके सामने आकर आपकी मनोकामना पूछेगा। अपनी सोच और अपने हिसाब से आप उससे वरदान मांग सकते हैं और अपनी सेवा में भी रख सकते हैं। इसके अलावा उस वृक्ष की लकड़ी को पानी में रखकर अथवा गंगाजल में रखकर जिसे भी जो समस्या हो। उस पानी को मंत्र से अभिमंत्रित कर पिलाने पर उस व्यक्ति की वह समस्या समाप्त हो जाती है। इसके अलावा इस ही वृक्ष की लकड़ी से हवन करके जो भी मांगा जाता है वह भी पूरा होता है। इसके अलावा स्वयं वीर को आप आदेश देकर कोई भी कार्य करवा सकते हैं। आप? काली रंग की बनी मिठाई इस वृक्ष के नीचे रखकर उस वीर को भोग देते हुए उससे जो भी कार्य करवाना हो। मंत्र जाप सिद्धि के बाद कहकर करवा सकते हैं तो यह था एक अत्यंत ही गोपनीय वृक्ष वीर साधना प्रयोग अगर आज की जानकारी आपको पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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