शाबर बाराटी विद्या और वीर कंगन
शाबर बराटी विद्या ३ प्रकार के होते है
१-साबर विद्या
२-बर्भर विद्या
३-बराटी विद्या
शाबर बराटी विद्या जो होती है वो अघोर विद्या जैसा है लेकिन बहुत ही तीष्ण होती है और ये मंत्र स्वयं-सिद्ध होते है
शाबर बराटी विद्या का भी २ प्रकार है
दक्षिण और वाम मार्ग, जो दक्षिण मार्ग मे (शाबर बाराटी विद्या ) की सिद्धि की जाती है उसमे लगभग आपके ३१ बीर होते है और ३१ वीर को इससे सिद्ध किया जाता है । इसी प्रकार वाम मार्ग मे २१ बीर सिद्ध होता है,दोनों मार्ग में अगर इसको सिद्ध करते है तो इनकी जो कार्य क्षमता जो होगी वो एक जैसा ही होगा ।
दक्षिण मार्ग मे गुरु का साथ होना जरुरी होता है ,वाम मार्ग मे मानसिक रूप से गुरु से प्रार्थना करके इसको सिद्धि किया जा सकता है|
बीर-कंगन (वीर-कंगन) बनाने का विधि-
वीर कंगन बनाना बहुत ही मुश्किल होता है, बहुत ही विशेष गुरु ही इसको बना पाते है । ये कंगन आपके पास है तो आप समझ लीजिये की एक सिद्धि हमेशा आपके साथ है |
बीर-कंगन लगभग पंच-धातु से बनाया जाता है
१-सोना
२-चाँदी
३-तांबा
४-पीतल
५- कांस्य
कंगन इतना बड़ा होना चाहिए जिसे आप हाथ मे पहन सके ,कंगन बनाने के लिये २ ही मुहूर्त होता है “अमावस्या” और दूसरा “पुर्णिमा”
बीर-कंगन बनाते समय निर्वस्त्र रहना पड़ता है ,हथोड़ी का प्रहार सिर्फ कंगन पर हो,हथोड़ी का स्पर्श जमीन या किसी और चीज़ से होगा तो बड़ा ही नुकसान हो जाता है इसमें जो है २१ वीरो के नाम से प्रत्येक वीर का छोटा सा प्रतिमा बनाये उनका पंचोपचार पूजन करे, फिर नग्न होकर कंगन का निर्मिति किया जाता है । अगर ये क्रिया शमशान में करते है तो बहुत उत्तम बात कही जाती है ,इस प्रकार का कंगन तैयार होने के बाद उस पर प्रत्येक वीर का प्राण-प्रतिष्ठा करना पड़ेगा,प्राण-प्रतिष्ठा अलग-अलग स्थान मे करना पड़ता है ये सारा विधि अनुभूतित है गुरु परम्परा में स्थापित है और गुरु लोग ही इसे बताते है ।।
विभिन प्रकार के कार्य के लिये बीर कंगन पे मंत्र जाप करके सिद्ध करले ।
प्रयोग के समय बीर-कंगन को हाथ मे पकड़कर मनचाहा कार्य करवा सकते है, बीर-कंगन कान मे लगाने से भूत-भविष्य-वर्तमान वीर कान मे बता देता है, बिलकुल कर्ण-पिशाचिनी की तरह और इस विधि को कर्णपिशाचनी से ज्यादा प्रभावशाली बताई जाती है|
२१ वीरो के नाम
१-तंन्ट्या २-हनुमान ३-शामरी ४-कान्होया ५-मेमजा ६-नरसिंह ७-सड्गना ८-चौधरी ९-जयतमाल १०-बाक्कू ११-ताट्या १२-शनसर १३-काल १४-भैरव १५- सोना १६- गरुड १७-गगना १८-नागार्जुन १९-वैष्णव २०-चामरी २१-महिषासुर वीर
वीर कंगन वो ही सिद्ध कर सकता है जो नाथ पंथ मे दीक्षित हो और जिसने ईष्ट की क्रपा प्राप्त कर ली हो । जिससे साधना करते समय जब वीरो का आवागमन हो उस समय ईष्ट की क्रपा से रक्षा हो सके नही तो साधक की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है ।
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