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शिवरात्रि से भैरव जी के साक्षात दर्शन साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग बात करेंगे भगवान श्री भैरव जी की सिद्धि के विषय में जिसमें हम उनकी साक्षात सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं और साधना अगर शिवरात्रि से शुरू की जाए तो काफी फायदा होता है और निश्चित रूप से भैरव जी इस कार्य से प्रसन्न होते हैं तो आज जो साधना में लेकर उपस्थित हुआ हूं, इसे हम भैरव जी के साक्षात दर्शन की सिद्धि को प्राप्त करने के लिए करते हैं। लेकिन इस साधना के लिए आप पूरी तरह से तैयार होकर घर बार छोड़कर विशेष रूप से भारत जी के सारे नियमों का पालन करते हुए हर प्रकार से इस साधना के लिए तत्पर हूं तभी सिद्धि भी प्राप्त होती है। यह एक जो मंत्र है इस मंत्र की रोजाना एक माला यानी 108 बार पढ़ने से 41 दिन में यह अनुष्ठान पूरा हो जा। पता है और इससे भैरव जी के साक्षात दर्शन होते हैं और उनसे वरदान की प्राप्ति होती है।

इस साधना को राजसिक तरीके से किया जाता है और कुछ लोग इसे तामसिक तरीके से भी कर सकते हैं। दोनों ही तरीकों में भैरव जी के दर्शन साधक को हो जाते हैं, लेकिन इसके लिए आपका भगवान शिव की साधना किया होना और गुरु मंत्र से दीक्षित होना जरूरी भी है क्योंकि बिना गुरु मंत्र से दीक्षित व्यक्ति को भैरव जी अपनी पूरी शक्तियां प्रदान नहीं करते हैं और उसे उसकी साधना में सफल भी नहीं होने देते हैं। के अलावा जिसका मन पवित्र नहीं है जो भोगी बिलासी कामुक लोगों का इतना सोच कर अपना हित सोचने वाला व्यक्ति है। इन सभी प्रकार के गुणों को धारण करने वाला व्यक्ति। भी भैरव जी की सिद्धि प्राप्त नहीं कर पाता है। यह एक शाबर मंत्र है और इस को सिद्ध करके भैरव जी के साक्षात दर्शन तो प्राप्त किए ही जाते हैं बल्कि भैरव जी आपकी हर कार्य को करते भी हैं और विभिन्न प्रकार की सिद्धियां आपको प्रदान करते रहते हैं। भैरव जी ऐसे हैं कि अगर यह प्रसन्न हो जाए तो फिर साधक के पास कोई कमी नहीं रहने देते हैं, लेकिन यह साधना के लिए आपको अपना घर बार छोड़ ना आवश्यक है क्योंकि घर में रहकर भैरव जी की सिद्धि पूरी तरह नहीं हो पाती है और क्योंकि यह एक सांभर और नाथ संप्रदाय का मंत्र है। इसलिए इसकी स्थिति आपको घर के बाहर किसी जंगल में किसी गुफा में किसी भैरव जी के पुराने मंदिर में या फिर ऐसी कोई जगह है जहां पर आप इस साधना से विभिन्न प्रकार के प्रयोग अच्छी तरह कर पाए और आपको कोई भी भ्रमित ना करें। आपको कोई आपकी साधना में संकट ना उत्पन्न करें ऐसी जगह पर। अकेले रहकर किया जा सकता है। इस दौरान भोजन भी आपको स्वयं ही बनाना होगा और इस साधना को अगर शिवरात्रि पर किया जाए तो अवश्य ही साधक को लाभ प्राप्त होता है। इसीलिए इस साधना को मैं आप लोगों के लिए लेकर के आज आया हूं। अब इस साधना का जो मंत्र है, इसे हम पढ़ते हैं और इस मंत्र की एक माला मंत्र जाप करने से निश्चित ही भैरव जी प्रसन्न होते हैं।

मंत्र इस प्रकार है

॥ मन्त्र ॥

ॐ नमो आदेश गुरु जी का काला भैरव, काला केश कानों मुंदरा, भगवा भेष मार-मार काली पुत्र- बारह कोश की मार भूताँ हाथ कलेजी खूंहा गेड़िया जहाँ जाऊँ भैरो साथ बारह कोस की ऋद्धि लाओ चौबीस कोस की सिद्धि लाओ सोती होय जगाय लाओ बैठी होय उठाय लाओअनन्त केशर की भारी लाओ गौरा-पार्वती की बिछिया लाओ गेल्यां की रस्सतान मोह कुएँ बैठी पणिहारी मोह गद्दी बैठा बनिया मोह गृह बैठी बणियानी मोह राजा की रजवाड़िन मोह महलों बैठी रानी मोह डाकिनी को, शाकिनी को । भूतिनी को पलीतनी को औपरी को, पराई को । लाग को, लपटाई को । धूम को, धक्का को / पलीया को, चौड़ को / चुगाठ को, काचा को।कलवा को, भूत को। पलीत को, जिन को।राक्षस को, बैरिनो से- बरी करदे। नजरों जड़ दे ताला। इत्तां भैरव न करे तो- पिता-महादेव की जटा- तोड़ तागड़ी करे। माता -पार्वती का चीर फाड़ लंगोट करे । चल डाकिनी शाकिनी चौडूं मैला बाकरा देऊँ मद की धार भरी सभा में घूँ आने में कहाँ लगाई बार।खप्पर में खाय मसान में लोटे ऐसे काला भैरों की कुण पूजा मेटे ।राजा मेटे राज से जाये।प्रजा मेटे-दूध-पूत से जाये जोगी मेटे-ध्यान से जाये शब्द सांचा, पिण्ड कांचा फुरे मन्त्र, ईश्वरो वाचा ॥

इस मंत्र को आपको रोजाना रात्रि के समय में इस अनुष्ठान को रात्रि 10:00 बजे के बाद से शुरू कर सकते हैं। एक काली स्थान है जहां पर कोई आता-जाता ना हो साधना करते वक्त आपको कभी भी कोई ना देखें और इनका ले भैरव जी की सिद्धि होने पर जैसा कि मंत्र में बताया गया है सभी को। सम्मोहन शक्ति भूत प्रेत पिशाच कलुआ जिन राक्षस सब को वश में करने की शक्ति और यहां तक कि अगर राजा आपके विरुद्ध हो जाए तो उसका राजपाट चला जाता है। प्रजा को उससे उसकी शक्तियां चली जाती है। कोई योगी हो तो उसका ध्यान शक्ति नष्ट हो जाती है। अगर आप उस पर भी इस भैरव इन इसका लेप भैरव शक्ति का प्रयोग करते हैं तो बहुत ही शक्तिशाली भैरव हैं और इनकी सिद्धि हो जाने पर लगभग सभी प्रकार के कार्य करते हैं। जैसा कि मंत्र में लिखा है कि 12 कोस तक की रिद्धि यह प्रदान करते हैं और जो २४ कोस की सिद्धि को खींचकर ले आते हैं और एक कोस अगर देखा जाए तो 3 किलो मीटर अगर हम मान कर चलें तो लगभग 72 किलोमीटर का क्षेत्र पूरा वशीकरण शक्ति में आता है और वहां स्थित सभी शक्तियां अधीन हो जाती है। केवल इन भैरव जी की सिद्धि होने पर इनका अनुष्ठान कैसे करना है? अब इसके विषय में बात करते हैं। इनका अनुष्ठान कभी भी आप अष्टमी चतुर्दशी।

शिवरात्रि दिवाली होली जन्माष्टमी, नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में किया जा सकता है। 41 दिन तक लगातार आपको अखंड सरसों के तेल का दीपक जलाना होता है। इस दौरान भैरव जी की साधना के संबंध में जितने भी नियम हैं, उनका पालन करते हुए एक काले रंग का त्रिभुजाकार पत्थर लेकर काले रंग और चमेली के तेल को मिलाकर उसे रंग देना होता है। अब किसी काले रंग के धरातल पर सीधा खड़ा कर दें। शनिवार की रात्रि में इसके सामने सरसों के तेल का अखंड दीपक प्रज्वलित कर दें और फिर जब भी साधना शुरू करनी हो तब से अखंड दीपक लगातार 41 दिन तक जलाकर रखें। साधना काल में 2 लॉन्ग एक नारियल और पान पूजा के लिए रखें। वहां पर मदिरा भी अवश्य रखें और धूप जलाकर पूजन अवश्य करें। साधना समाप्त होने के बाद प्रतिदिन काले कुत्ते को अमीर और हलवा अवश्य खिलाएं।

खीर और हलवा स्वयं के हाथों से ही बनाकर खिलाएं। हो सके तो भैरव जी के मंदिर में उनका दर्शन करने अवश्य जाएं। क्रिया नित्य करते रहें। इस प्रकार 41 दिन तक रोजाना एक माला मंत्र जाप करने से भैरव जी की सिद्धि मिलती है। भैरव जी आपकी परीक्षा लेने के लिए किसी ना किसी रूप में आकर पहले दर्शन देते हैं। अगर साधक इन्हें पहचान जाता है तो फिर यह साक्षात प्रकट होकर हमेशा के लिए साधक के वश में हो जाते हैं। साधक जो तामसिक साधना इनकी कर रहे हैं उन्हें उन्हें मांस और मदिरा कम हो पीना चाहिए अन्यथा भैरव जी से संबंधित अन्य जो लोग होते हैं, उनको देना चाहिए यानी कि आप दही बड़े दे सकते हैं, लड्डू दे सकते हैं। इस प्रकार भैरव जी प्रसन्न हो जाते हैं। अब जब भी भैरव जी से कोई विशेष कार्य करवाना हो तो उनका और दीपक जला कर उनके आगे मंत्र का जाप करें। अपनी इच्छा बोले तब भैरव जी प्रकट होकर उस कार्य को कर देते हैं। यह सिद्धि सभी प्रकार के कार्यों में सक्षम मानी जाती है, लेकिन इसके लिए दो चीजें महत्वपूर्ण है। सबसे पहला साधक भगवान शिव का भक्त हो। गुरु मंत्र का उसने जाप अच्छी प्रकार किया हो। माता शक्ति का उपासक रहा हूं। इन सब चीजों में माता शक्ति और भगवान शिव दोनों का आशीर्वाद अनिवार्य होता है। इसीलिए साधक को सबसे पहले किसी योग्य गुरु से। मंत्र की दीक्षा लेनी चाहिए। इस मंत्र की भी दीक्षा अपने गुरु से प्राप्त करके फिर इसका जाप करना चाहिए। इससे भैरव जी के साक्षात दर्शन होते हैं तो यह था आज का वीडियो अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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