शिव चालीसा संपुट साधना सूर्य देव कृपा
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अगर सावन का महीना हो और भगवान शिव आराधना की जाए तो फल कई गुना ज्यादा हमें प्राप्त होता है। ऐसे में भगवान शिव के सरलतम साधनों को करने के लिए साधक लालायित रहते हैं और मैं आज आप लोगों के लिए सबसे सरल विधि जिसे हम भगवान शिव चालीसा कहते हैं। अगर इसे संपुट मंत्र लगाकर जाप किया जाए तो अद्भुत लाभ प्राप्त होता है के विषय में बताऊंगा। ताकि भगवान शिव के इस कल्याणमयी चालीसा को न सिर्फ पढ़कर अद्भुत लाभ प्राप्त किए जा सके बल्कि सिद्धि देने में भी यह सक्षम हो सके। अबकी बार का श्रावण मास लंबा भी है। ऐसे में आप इनकी साधना करके सिद्धि तक प्राप्त कर सकते हैं।
इसका जो विधान है उसके संबंध में हम यह जानते हैं कि श्रावण महीना आते-आते प्रचंड प्रकाश से भरे हुए सूर्य देवता बादलों की आगोश में आने लगते हैं। ऐसे में भगवान शिव का स्वरूप भगवान सूर्य को बताया गया है और शिव पुराण की वायवीय संहिता में ऐसा कहा जाता है। कि
स्त्रोत का हिंदी में अर्थ इस प्रकार से है। भगवान सूर्य आप महेश्वर की मूर्ति है। उनका सुंदर मंडल दीप्तिमान है। वह निर्गुण होते हुए भी कल्याण में गुनो से युक्त हैं। केवल पूर्ण रूप है। निर्विकार सब की आदि कारण और एकमात्र अद्वितीय जगत उन्हीं की सृष्टि है। सृष्टि पालन और संहार के कारण उनके असाधारण हैं। इस तरह वे तीन चार और पांच रूप में माने जाते हैं। भगवान शिव के चौथे आवरण में अनुसरण सहित उनकी पूजा होती है। वह शिव के प्रिय है। शिव भक्त शिव के चरणों बिंदु की अर्चना में वह तत्पर रहते हैं। ऐसे सूर्य देव शिवा और शिव की आज्ञा पाकर करके मंगल प्रदान करें तो ऐसे महान पावन सूर्य शिव के समागम वाले श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा अमोघ पुण्य प्रदान करने वाली मानी जाती है। कहते हैं। अगर ग्रहों में सूर्य देवता को प्रसन्न कर लिया जाए। तो फिर ऐसा कोई ग्रह नहीं है जो सूर्य के सामने टिक पाए।
सब कुछ व्यक्ति को प्राप्त हो जाता है जो भी सूर्य को सिद्ध करता है और भगवान सूर्य को सिद्ध करने की बहुत सारी प्रक्रिया है लेकिन अगर श्रावण मास में भगवान शिव के चालीसा के माध्यम से। उनके सामने अगर।
उनकी चालीसा को पढ़ा जाए तो भगवान सूर्य की कृपा तो प्राप्त होती है। भगवान शिव की सिद्धियां भी साधक को सहज रूप में प्राप्त होती है भगवान शिव क्या करूंणा मय रूप सावन में प्रकट होता है?
शिव चालीसा को अगर हम।
सूर्य भगवान के आगे। संपुट बीज मंत्र लगाकर पढ़ेंगे तो अद्भुत कल्याण प्राप्त होगा। यह साधना 41 दिन की है। उगते हुए सूर्य के सामने स्वच्छ होकर पहुंच जाए। सूर्य देवता को प्रणाम करें और भगवान सूर्य को भगवान शिव का स्वरूप समझ कर उनके आगे शिव चालीसा। हाथ जोड़कर इस प्रकार शिव चालीसा करें। दोहा इस प्रकार हैं-
अब चौपाइयों से शुरू करते हैं।
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
ॐ हौं जूं सः
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
ॐ हौं जूं सः
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
ॐ हौं जूं सः
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
ॐ हौं जूं सः
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
ॐ हौं जूं सः
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
ॐ हौं जूं सः
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
ॐ हौं जूं सः
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
ॐ हौं जूं सः
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
ॐ हौं जूं सः
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
ॐ हौं जूं सः
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
ॐ हौं जूं सः
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
ॐ हौं जूं सः
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
ॐ हौं जूं सः
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
ॐ हौं जूं सः
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
ॐ हौं जूं सः
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
ॐ हौं जूं सः
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
ॐ हौं जूं सः
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
ॐ हौं जूं सः
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
ॐ हौं जूं सः
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
ॐ हौं जूं सः
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
ॐ हौं जूं सः
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
ॐ हौं जूं सः
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
ॐ हौं जूं सः
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
ॐ हौं जूं सः
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
ॐ हौं जूं सः
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
ॐ हौं जूं सः
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
ॐ हौं जूं सः
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
ॐ हौं जूं सः
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
ॐ हौं जूं सः
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
ॐ हौं जूं सः
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
ॐ हौं जूं सः
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
ॐ हौं जूं सः
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
ॐ हौं जूं सः
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॐ हौं जूं सः
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
ॐ हौं जूं सः
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
ॐ हौं जूं सः
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
ॐ हौं जूं सः
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
ॐ हौं जूं सः
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
ॐ हौं जूं सः
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
ॐ हौं जूं सः
कहैं सूरज प्रताप आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
इस चालीसा का पाठ आप इसी प्रकार! सूर्य देव की उगते हुए सूर्य के सामने। रोजाना। 41 बार पानी और यह प्रक्रिया पूरे 41 दिन तक करें और सावन महीना हो तो भगवान सूर्य का प्रकाश आपके अंदर सिद्धियां प्रदान करेगा। भगवान शिव सूर्य के रूप में आप को वरदान देते हैं। यह एक बहुत ही सरल विधि और साधना है। लेकिन इसमें समय लगता है क्योंकि एक बार पाठ करने में आपको अभी जितना समय लगा है। 40 बार पाठ करने में आपको उसी के हिसाब से समय लगेगा। यह प्रक्रिया उगते हुए सूरज के सामने ही करनी होती है। यह बहुत ही शुद्ध और सात्विक साधना है। इसकी भी जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह में कमजोरी है या फिर जिसको माता-पिता से संपत्ति जाएगा या पूर्वजों से प्राप्त करनी हो उनके लिए भी यह बहुत ही उत्तम प्रार्थना है। भगवान शिव की कृपा अवश्य ही उस साधक पर होती है जो शिव चालीसा को इस बीज मंत्र से। संपुट करके पाठ करता है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि भगवान शिव की कृपा उसे ना प्राप्त हो।
इस साधना को कोई भी स्त्री पुरुष बच्चा बूढ़ा कर सकता है और अद्भुत कल्याण हो सकता है। खासतौर से यह साधना श्रावण मास में सबसे ज्यादा लाभकारी है।
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