शिव साधना और दैवीय कन्या की तलाश
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम दो अनुभव को लेंगे। एक अनुभव में हम भगवान शिव की भक्ति से संबंधित ज्ञान को प्राप्त करेंगे। वही दूसरे अनुभव में एक रहस्यमई कन्या के विषय में जानकारी मिलेगी तो चलिए जानते हैं। इन दोनों अनुभवों को पढ़ते हैं इन दोनों पत्रों को। धर्म रहस्य चैनल के गुरु जी को मेरा प्रणाम एवं सभी दर्शकों को मेरा प्रणाम गुरु जी मुझे आपकी वीडियो बहुत अच्छी लगती है। मैंने आपकी सभी वीडियो लगभग देखी है। गुरु जी जो आप काम कर रहे हैं, वह बहुत ही सराहनीय है। आप सभी साधकों के अनुभव हम लोगों तक पहुंचाने के लिए आपका धन्यवाद। सभी साधकों के अनुभव सुनकर मुझे लगा। मैं भी अपना अनुभव बताऊ। मेरा नाम विनीत वर्मा है और मैं यूपी के बाराबंकी डिस्ट्रिक्ट से आता हूं। मेरा यह अनुभव सिर्फ धर्म रहस्य चैनल पर ही भेजा जा रहा है। अब आते हैं अपने अनुभव पर यह बात करीब 2013 की है। उस समय मेरी आयु 16 वर्ष थी। तब मैं शिव जी की भक्ति करनी मैंने शुरू की थी। मैं एक दुकान से शिवजी का कैलेंडर लिया और अपने पूजा वाली जगह पर लाकर शुरू कर दी भगवान शिव की भक्ति, लेकिन मुझे यह भी नहीं पता था। कैसे भक्ति करते हैं? मैं सुबह शाम शिवजी की आरती करनी शुरू की पूरे सच्चे मन से धीरे-धीरे मेरी शिवजी के प्रति आस्था बढ़ती चली गई। फिर एक ऐसी अवस्था आई कि ना कि मुझे भूख लगती थी, ना ही नींद आती थी। सिर्फ रात दिन भगवान शिव जी का ध्यान चिंतन करता रहता और सारी सारी रात में बैठकर भगवान शिव की स्तुति का जाप करता रहता। फिर मेरे मन में आया कि कोई शिवलिंग नहीं है मेरे पास, फिर मैंने अपने घर के पास से एक पत्थर ले आया जो। मोरंग मिलता है वह लाल रंग का था। मैं उसकी पूरी मन से सेवा करने लगा। मुझे अच्छी तरह याद है कि उस समय बहुत ही गर्मी पड़ रही थी। मेरे मन में आया कि मेरे प्रभु को भी मुझे। देखना है उन्हें गर्मी लग रही होगी फिर मैंने एक।पात्र में जल भर कर के और उसे शिवलिंग को उसी जल में रख दिया जल भरकर उसी शिवलिंग को। फिर मेरे मन को बहुत खुशी मिली। मेरे प्रभु को अब अच्छा लग रहा होगा। इससे भक्ति में अवस्था में मैं शिवजी की पूजा करने लगा। आप समझ सकते हैं गुरुजी उस वक्त मेरी क्या अवस्था थी? फिर एक रात को मैं शिवजी की स्तुति का जाप कर रहा था। करीब आधी रात होगी। मैं जॉप करता जा रहा था और मेरी आंखों से आंसू बहते जा रहे थे। फिर मुझे एक बहुत तेज प्रकाश दिखा। मेरी आंखों के बीच में और वह प्रकाश धीरे धीरे बढ़ता ही गया। इतना तेज हो गया कि मैंने घबराकर अपनी अपने नेत्र खोल दिए। लेकिन गुरु जी मैंने अपने नेत्र खोले तो मेरे सामने बिल्कुल अंधेरा था कि मुझे लगा शायद लाइट तो नहीं आ गई थी लेकिन लाइट नहीं थी। जैसे ही मैंने नेत्र बंद किए शिवजी की स्तुति के जाप में, लेकिन जैसे ही मैंने अपने नेत्र बंद किए तो फिर से मेरे दोनों नेत्रों के बीच में वही तीव्र प्रकाश था। फिर मैंने अपने नेत्र खोल दिए। गुरुजी वह प्रकाश इतना तीव्र था कि मैं अपने नेत्र बंद ही नहीं कर पा रहा था। और हां एक अजीब सी शीतलता थी उस रोशनी में तीसरी बार जब मैंने अपने नेत्र बंद के तो वह प्रकाश अब नहीं दिखा। मेरे नेत्र के सामने बिल्कुल अंधेरा था। फिर मैं बहुत व्याकुल हो गया और वैसे ही प्रकाश देखने की कोशिश करने लगा। लेकिन मुझे वैसा प्रकाश आज तक नहीं दिखा। गुरु जी और हां मुझे जिस घटना के बाद में मुझे बहुत ही तेज खुशबू का अनुभव हो रहा था वह खुशबू सुबह शाम मेरे घर बहुत ही तेज आती और सिर्फ मुझे ही नहीं, घर के सभी लोगों को आती थी। जैसे कोई बोलता था कि कितनी अच्छी सुगंध आ रही है, वह आना बंद हो जाती थी और एक बात और हुई कि मेरे साथ कि मैं सभी के मन की बात जान लेता था और मैं जो बोलता वह भी सही हो जाता। तीसरी बार जब मैंने अपने नेत्र बंद किए थे तो वह प्रकाश अब नहीं दिखा। मेरा नेत्र के सामने बिल्कुल अंधेरा था। फिर मैं बहुत व्याकुल हो गया। यहाँ तक मेरी कहानी है और इस प्रकार मेरे साथ होता रहा लेकिन? गुरु जी मेरी एक बहुत बड़ी गलती मुझसे हो गई। इसकी वजह से शिवजी मुझसे रुष्ट हो गए। बस गुरु जी आपको आगे मैं कभी बताऊंगा कि मैंने क्या गलती की थी। मेरा एक प्रश्न है कि अगर अपने नेत्र अगर ना ओपन करता तो क्या मुझे शिव जी के दर्शन हो जाते तो यह था मेरा अनुभव गुरु जी आप मेरे अनुभव पर वीडियो बनाकर इसे अपने हिसाब से टाइटल रख लीजिएगा और मेरे सवाल का जवाब जरूर देना और उनसे सुगंध के बारे में भी बताना कि वह क्या था प्रणाम गुरुजी ओम नमः शिवाय। संदेश-देखिए यहां पर। जो प्रकाश है वह आत्मा से उत्पन्न होता है। जब आत्मा रोती है और अपने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए व्याकुल हो जाती है तो यह पुकार ईश्वर तक अवश्य ही पहुंचती है। तो प्रकाश रूप में। भगवान शिव ने इन्हें दर्शन देने की कोशिश की लेकिन माया का जाल सदैव ऐसा ही रहता है कि वह व्यक्ति को भ्रमित कर देता है और डर के कारण भगवान शिव के प्रकाश स्वरूप के दर्शन स्थाई नहीं हो पाए। जहां तक बात खुशबू की है तो जब भगवान शिव से जोड़ते हैं तो उनकी कुछ शक्तियां जैसे कि कई दिव्य योगिनी शक्तियां स्वता ही उनके साथ विराजमान रहती हैं तो उस साधक से जुड़ जाती हैं तो यह कोई योगिनी शक्ति होंगी जो खुशबू के रूप में वहां पर आती जाती रही। कम उम्र में जब मन पवित्र होता है, इस तरह की जो भी साधना है, व्यक्ति करता है तो उसमें उसे पूरी सफलता मिलने की संभावना बनी रहती है। लेकिन अधिकतर उस वक्त लोग गलती कर जाते हैं और अपनी साधना को खो देते हैं। ऐसा ही कुछ इनके साथ हुआ दूसरी बात कि अगर इन्होंने। गुरु शिष्य परंपरा से भगवान शिव की स्तुति करनी शुरू की होती तो भी इसका प्रभाव अधिक पड़ता और सब कुछ समाप्त नहीं होता। कुछ ना कुछ अवश्य ही रह जाता। भले ही आप अगर असफल भी हो जाते हैं उनकी इस दिव्य ऊर्जा को सहन करने में। आपको गुरु मंत्र साधना लेनी चाहिए। गुरु से प्राप्त करनी चाहिए और भगवान शिव की भक्ति करते रहे और उनकी योगिनी शक्तियों को सिद्ध करने के लिए तांत्रिक साधनाएं भी कर सकते हैं। इससे सिद्धि प्राप्त हो और ऐसी ऊर्जा से आप का साक्षात्कार होता रहे तो यह था इनका अनुभव अब हम चलते हैं दूसरे अनुभव की ओर और पढ़ते हैं अगले पत्र को। नमस्कार गुरु जी, मेरा नाम आकाश है। मैं आपका शिष्य कुछ दिन पहले मैंने दीक्षा ली है गुरु जी जो मुझे परेशानी थी। बचपन से अब बहुत कम हो गई है। गुरुजी वह चीज क्या है, पता नहीं पर अब प्रभाव कम डालती है। मेरी जॉब जाने वाली थी। मैं जॉब नहीं जा पाता था, पर आपकी कृपा से बहुत कुछ ठीक है। आप एक श्रेष्ठ गुरु है। गुरु जी मैंने यह पत्र कुछ बताने और पूछने के लिए किया है। गुरु जी मैं जब 5 साल का था तब से बहुत उदास रहता था। अब भी रहता हूं। अब लगता था जैसे कुछ ढूंढना है और लड़की देख कर लगता था। कहीं यह तो नहीं है, कहीं वह तो नहीं है। ऐसी किसी लड़की को ढूंढ रहा हूं। बड़ा हुआ तो लड़कियों से भी मिला करा जब उनसे पास ज्यादा बात करता खुश होकर फिर मन उदास हो जाता। उदासी इतनी कि कई दिन बिस्तर पर पड़ा रहता रोता रहता। क्यों यह पता नहीं मन कहता जिस चीज को और सुंदरता को ढूंढ रहे हो, इनमें नहीं है। काफी समय बिता बात 2013 की है। जब मुझे यह नहीं पता था। कि मेरे ऊपर तंत्र किया गया है। मैं बहुत बीमार रहता था। मुझे 1 दिन मैने खुली आंखों से देखा कि एक बहुत सुंदर लड़की देखी। जो वियोग में रो रही है और वह ऊपर बैठी है मुझे उस दृश्य में रोने का कारण ज्ञात हुआ वह सोच रही है। मैं यहां पर बैठी हूं और यह मुझे धरती की औरतों में ढूंढ रहा है और मुझे दिखा कि जहां वह बैठी है, वहां से मुझे देख सकती है पर कुछ कर नहीं सकती। ना ही पास आ सकती है। तभी पीछे से कोई आया। उस लड़की को नाम से पुकारा नाम नहीं सुनाई दिया। उसे वह बोला कि चल तेरा नीचे जाने का समय हो गया है। तभी वह लड़की बहुत खुश हुई और खड़ी हो गई। जैसे उसे सब कुछ मिल गया हो। गुरुजी वह जो आदमी था, उसके सर पर मुकुट सीने में सोने के बाजूबंद पहने हुए गले में रेशमी मखमल का कपड़ा डाले हुए जैसे देवताओं का पहनावा होता है। एक बात और गुरुजी लड़की को देखकर लग रहा था। जैसे वह कैद है और प्रतीक्षा कर रही है। टाइम कि यह दृश्य देखकर मुझे बहुत सुकून मिला था। पर गुरुजी उस दिन से लेकर आज तक यानी 2013 से 2022 तक में विरह की आग में जल रहा हूं। कहीं भी शांति नहीं है। शादी करने का दिल नहीं करता। गुरुजी वह लड़की कौन थी, मैं किसे ढूंढ रहा हूं। मुझे तो उसका नाम नहीं सुनाई दिया। गुरुजी मेरी जिंदगी की यह पहेली सुलझा दीजिए और कैसे मैं उस तक पहुंच सकता हूं। कृपया बता दीजिए। जय गुरुदेव एक बात और गुरु जी मेरे दिल में गुरु नाम का कोना खाली था। बहुत समय निकल गया, पर मुझे नहीं मिला जो कि मेरे मन को भाए और मेरी बीमारी ठीक कर सके। मेरे जवाब दे सके। आप से दीक्षा लेकर एक पहेली सुलझ गई है। आप सच में एक श्रेष्ठ गुरु है। जय गुरुदेव बस मुझे मार्ग दिखाइए मेरे मन को। एक अलग स्तर में है और वह ऊपर नहीं होता है। ऊपर से नीचे देखने की जो बात है, वह स्पष्ट करती है कि यह एक अप्सरा ही है। दूसरी बात! ऐसी शक्तियां जो। एक यक्ष लोक से संबंधित होती हैं। आकर अपनी इच्छा अवश्य पूरी कर लेती है। उन्हें कोई रोक नहीं सकता है। सिद्ध होने की बात अलग है लेकिन एक अप्सरा ही पूरे नियंत्रण में सदैव रहती हैं और आपसे केवल भावनात्मक रूप से जुड़ती है। इसलिए यह स्पष्ट होता है कि यह एक अप्सरा की महा उर्वशी की साधना गुरु मंत्र अनुष्ठान संपूर्ण हो जाने के बाद कीजिए और तब आपको अवश्य ही वह पहले ही मिल जाएगी और स्वयं महा उर्वशी हो सकता है उसे लेकर आए और आपको प्रदान करें। तो यह देख आज के दो अनुभव अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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