Table of Contents

श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना

श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना तंत्र साधना की एक अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली विधा है, जिसे अघोरी और तांत्रिक साधक ही करते हैं। यह साधना विशेष रूप से श्मशान भूमि में की जाती है, जहाँ साधक यक्षिणी को प्रसन्न कर धन, सौंदर्य, समृद्धि, और अन्य इच्छाओं की पूर्ति करता है। साधना के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संयम, ब्रह्मचर्य, और गुरु के निर्देशन की आवश्यकता होती है। मंत्र जाप और अनुष्ठान के दौरान साधक को भूत-प्रेत आत्माओं का सामना करना पड़ता है। साधना सफल होने पर यक्षिणी साधक को आशीर्वाद देती हैं और उसकी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

### श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना: तामसिक तंत्र का दुर्लभ मार्ग

**भूमिका:**
श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना तंत्र साधना की एक अत्यंत दुर्लभ और रहस्यमयी विधा है, जिसे विशेष रूप से अघोरी और तांत्रिक साधक ही कर पाते हैं। यह साधना बेहद कठिन और खतरों से भरी मानी जाती है, जिसे केवल योग्य गुरु के निर्देशन में ही किया जाना चाहिए। इस साधना का उद्देश्य यक्षिणी को प्रसन्न कर साधक की सभी भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करना होता है। यह साधना समृद्धि, धन, सौंदर्य, और शक्ति की प्राप्ति के लिए की जाती है, परंतु इसका रास्ता खतरों और मानसिक परीक्षाओं से भरा होता है।

### साधना की प्रारंभिक तैयारी:

#### 1. **शुद्धता और संयम:**
यक्षिणी साधना की शुरुआत से पहले साधक को शारीरिक और मानसिक शुद्धता पर ध्यान देना होता है। इस साधना में ब्रह्मचर्य और संयम का पालन अत्यंत आवश्यक है। सात्विक आहार और ध्यान साधक के मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

#### 2. **साधना का स्थान:**
साधना के लिए श्मशान भूमि को उपयुक्त माना गया है। यह साधना खासतौर से रात में, विशेष रूप से अमावस्या के समय, की जाती है। साधक को पुरानी और शांत श्मशान भूमि का चुनाव करना चाहिए, क्योंकि वहां की शक्तियाँ अधिक सक्रिय और प्रभावशाली होती हैं।

#### 3. **साधना सामग्री:**
यक्षिणी साधना के लिए आवश्यक सामग्री में यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र, लाल वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, इत्र, चमेली के तेल का दीपक, लाल मोमबत्ती, और कुछ विशेष प्रकार के पुष्प शामिल होते हैं। साधक को विशेष रूप से मरे हुए जानवर की खाल से बनी चटाई पर बैठकर साधना करनी होती है।

### यक्षिणी साधना विधि:

#### 1. **साधना का प्रारंभ:**
साधक को श्मशान भूमि में कुटी बनानी चाहिए और उस कुटी में यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करना चाहिए। साधना के लिए सूर्यास्त के बाद एकांत और शांत वातावरण में बैठकर ध्यान लगाना चाहिए।

#### 2. **मंत्र जाप:**
साधना का मुख्य भाग यक्षिणी के मंत्रों का जाप करना है। साधक को यक्षिणी मंत्र का प्रतिदिन 90 माला जाप करना होता है। मंत्र इस प्रकार है:

“`
ॐ ह्रीं श्रीं ठः ठः  शमशान सुंदरी यक्षिण्यै ठः ठः स्वाहा।।
“`

मंत्र जाप के समय साधक को यक्षिणी के रूप और उसकी उपस्थिति का ध्यान करना चाहिए। ध्यान के दौरान साधक को मानसिक रूप से यक्षिणी को अपनी प्रियसी के रूप में स्वीकार करना होता है।

#### 3. **अनुष्ठान और सुरक्षा:**
मंत्र जाप से पहले साधक को अपने चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाना चाहिए, जिसके लिए भैरव या शिव के मंत्रों का जाप किया जा सकता है। साधक को इस साधना में विशेष ध्यान रखना होता है, क्योंकि श्मशान की प्रेत आत्माएँ और अन्य नकारात्मक शक्तियाँ साधना में विघ्न डालने की कोशिश करती हैं।

### साधना के दौरान आने वाले अनुभव:

यक्षिणी साधना के दौरान साधक को कई प्रकार के अनुभव हो सकते हैं। यक्षिणी के आगमन का संकेत अक्सर हल्के स्पर्श, गर्म हवा का झोंका, या किसी अदृश्य शक्ति का आभास होता है। जैसे-जैसे साधना आगे बढ़ती है, यक्षिणी साधक से अधिक निकट होती जाती है। यक्षिणी के प्रसन्न होने पर साधक को शारीरिक और मानसिक अनुभव हो सकते हैं, जैसे शरीर में ऊर्जा का संचार या यक्षिणी का साक्षात दर्शन।

### यक्षिणी साधना के लाभ:

#### 1. **धन और समृद्धि:**
यक्षिणी साधना से साधक को अपार धन और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। यक्षिणी की कृपा से साधक का आर्थिक जीवन समृद्ध हो जाता है।

#### 2. **शारीरिक और मानसिक सौंदर्य:**
यक्षिणी साधना के प्रभाव से साधक का शारीरिक और मानसिक सौंदर्य निखरता है। साधक आकर्षक और आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाता है।

#### 3. **सभी इच्छाओं की पूर्ति:**
साधना के सफल होने पर यक्षिणी साधक की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है, चाहे वे भौतिक हों या आध्यात्मिक। यक्षिणी साधक को जीवन में यश, धन, और मानसिक संतुलन प्रदान करती है।

#### 4. **आध्यात्मिक उन्नति:**
यक्षिणी साधना केवल भौतिक लाभों तक सीमित नहीं है; इससे साधक की आध्यात्मिक यात्रा भी उन्नत होती है। साधक का मानसिक संतुलन और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।

### साधना में सावधानियाँ:

1. **गुरु का मार्गदर्शन:**
इस साधना को बिना गुरु के मार्गदर्शन में करने से हानिकारक परिणाम हो सकते हैं। यक्षिणी साधना की जटिलताएँ और खतरों को केवल योग्य गुरु ही सही तरीके से समझा सकता है।

2. **सही उच्चारण:**
मंत्रों का सही उच्चारण साधना की सफलता के लिए अनिवार्य है। गलत उच्चारण से साधना का प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।

3. **अनुचित इच्छाओं से बचाव:**
साधक को अनुचित इच्छाओं से बचना चाहिए। यक्षिणी साधना में कोई भी नकारात्मक भावना या स्वार्थी उद्देश्य साधक के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

4. **शुद्धता और संयम:**
साधना के दौरान ब्रह्मचर्य और मानसिक शुद्धता का पालन आवश्यक है। साधक को तामसिक विचारों और कर्मों से बचना चाहिए।

### निष्कर्ष:

श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी साधना है, जो केवल योग्य और समर्पित साधकों के लिए उपयुक्त होती है। इस साधना के सफल होने पर साधक को धन, यश, सौंदर्य, और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यक्षिणी साधना में गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य है और साधना के दौरान सावधानी, संयम, और शुद्धता का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

### (टैग्स):
– #यक्षिणी_साधना
– #तंत्र_साधना
– #श्मशान_सुंदरी
– #अघोरी_साधना
– #तांत्रिक_विद्या
– #गोपनीय_साधना
– #यक्षिणी

श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना, तंत्र साधना, अघोरी साधना, तांत्रिक विद्या, श्मशान साधना, यक्षिणी साधना, तामसिक साधना, तंत्र मंत्र, यक्षिणी कृपा, श्मशान सुंदरी, तांत्रिक अनुष्ठान, प्रेत साधना, तंत्र साधक, यक्षिणी तंत्र, भैरव साधना, श्मशान तंत्र, तांत्रिक साधना, यक्षिणी सिद्धि, अघोर साधना, तांत्रिक शक्ति, श्मशान साधक

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top