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श्रापित सोने के कंगन 2 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है।

श्रापित सोने के कंगन में अभी तक आपने जाना कि कैसे कंगन की वजह से? साधक की मां के ऊपर विशेष प्रभाव पड़ गया है। अब आगे जानते हैं।

पत्र – गुरुजी! अब स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी थी। मेरी मां अजीब अजीब हरकतें करती थी। उनकी हरकतों से पूरा परिवार परेशान रहता था। सभी ने सोचा इन्हें किसी अच्छे तांत्रिक को दिखाया जाएगा। और इसके लिए उन्होंने एक तांत्रिक को होली के बाद बुलाने की तैयारी भी कर ली। लेकिन होली पर जो हंगामा हुआ वह पूरे परिवार को शर्मसार कर गया।

होली के दिन? रंग लगने के बाद मेरी मां दौड़ती हुई पूरे गांव में। नजर आती । जो भी व्यक्ति उनके सामने पड़ता उसके कपड़े पकड़कर फाड़ देती थी।

क्योंकि सभी लोग अभी तक यह बात जान गए थे कि इनके ऊपर किसी बुरी हवा या आत्मा का साया है। इस वजह से सभी लोग उन से डरने लगे थे। वह भी अजीब हरकतें करती थी। पूरे गांव के पुरुष। मेरे पिता के पास आए और उन्होंने कहा कि आप अपनी पत्नी को बांधकर रखें। जब तक तांत्रिक को दिखा नहीं दिया जाता। क्योंकि यह सब के कपड़े फाड़ देती हैं।

और होली पर तो यह और भी ज्यादा उग्र हो गई है।

मेरे पिता ने उन सभी लोगों को सांत्वना दे और कहा आप लोग परेशान ना हो? कल ही तांत्रिक घर पर आ जाएगा।

अगले दिन तांत्रिक सचमुच घर पर उपस्थित था। जिस वक्त वह तांत्रिक वहां पर आया गांव के सभी लोग घर के बाहर आकर जमा हो गए थे क्योंकि लोगों को लग रहा था कि यह कुछ विशेष बात है सभी। कौतूहल वश यह जानना चाहते थे कि आखिर? इन्हें हुआ क्या है? तांत्रिक भी! इनके आगे बैठ गया और मंत्रों को बुदबुदाने लगा। उसके बाद फिर उसने एक काढ़ा बनाकर। मेरी मां को दिया। मेरी मां ने पिया और जोर जोर से हंसने लगी। पास ही रखे हुए बेलन से उन्होंने तांत्रिक के सिर पर बहुत तेज वार किया। और उसके सिर से खून निकलने लगा। वह बिचारा चिल्लाने लगा।

मुझे बचा लो!

गांव के सभी लोगों ने मेरी मां को पकड़ लिया और तांत्रिक का इलाज किया जाने लगा। तांत्रिक इस तरह से बुरी गति होने पर उसने कहा? मैं? अब अपने सबसे बड़े गुरु को यहां भेजूंगा। क्योंकि मेरे बस की बात यह नहीं लगती है। इस स्त्री पर किसी शक्तिशाली आत्मा का कब्जा है। अब यह बात चारों तरफ फैल गई कि मेरी मां पर किसी शक्तिशाली बुरी आत्मा का कब्जा हो गया है। सभी लोग मेरी मां से दूर रहने लगे। अभी तक किसी का भी ध्यान उनके कंगनो पर नहीं गया था।

अगले दिन तांत्रिक के सबसे बड़े गुरु वहां उपस्थित थे। उन्होंने कहा, गंगाजल लाओ! और मेरे पिता गंगाजल लेकर उनके पास उपस्थित हो गए थे। उन्होंने वह गंगाजल! मंत्रों के माध्यम से मेरी मां पर छिड़का।

मेरी मां बहुत ही तेज गुस्से में आकर कहने लगी। निकल जा यहां से वरना तेरी भी गति तेरे शिष्य की तरह ही कर दूंगी।

फिलहाल मेरा भोजन करने का समय है इसलिए मुझे भोजन चाहिए। मुझे हिरण लाकर दे।

मेरे पिता यह देखकर।

स्तब्ध थे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब कुछ क्या चल रहा है?

तांत्रिक विद्वान था। उसने कहा इनकी इच्छा पूरी की जाए। क्योंकि मैं इन से वार्तालाप करना चाहता हूं।

आप लोग जल्दी से जाकर हिरण का मांस ले आए।

हालांकि हमारे घर में कभी मांस नहीं खाया जाता है, लेकिन उस दिन हिरण का मांस लेकर आया गया। मेरी मां झटपट उस मांस को कच्चा ही खाई

और इस प्रकार से। सभी लोग गांव वाले। यह देखकर  दंग  रह गए।

क्योंकि ऐसा तो अभी तक हुआ ही नहीं था इस घर के किसी व्यक्ति ने। शराब अंडे तक को नहीं छुआ था। पर यहां पर तो कच्चा हिरण का मांस। मेरी मां खा गई थी।

अब तांत्रिक ने कहा, मैंने आपकी इच्छा पूरी कर दी है। कृपया मुझे अपने बारे में बताइए। इस पर जोर जोर से हंसती हुई। मेरी मां ने कहा, अच्छा ठीक है, तूने मेरी सेवा की है। इसलिए पूछ जो कुछ तू पूछना चाहता है।

तांत्रिक ने कहा देवी आप बताओ कि आप कौन हो?

और आप यहां पर क्यों आई है?

इस पर मेरी मां ने कहा। अरे मुझे तो 200 साल से! उसी पेड़ पर रहना पड़ रहा था।

नीचे मेरी लाश थी।

पर मुझे जो कंगन बहुत अधिक पसंद थे। वह कंगन इस औरत ने ले लिए। अब भला मैं बिना कंगन के कैसे रह जाती? इसलिए मैंने! इसके शरीर को ही ग्रहण कर लिया है।

यह सुनकर गांव के सभी लोग स्तब्ध थे उन्होंने! बड़े ही गौर से मेरी मां को देखा ।

तांत्रिक ने भी मेरी मां से पूछा। आप इस पेड़ के नीचे कैसे आए इस बात को तो बताइए?

इस पर उसने कहा कि मैं यहां के राजा की रानी थी। एक बार मेरा एक बाहरी व्यक्ति से प्रेम प्रसंग हो गया। यह बात राजा को बाद में पता चली थी। मैं छुप छुप कर के उस व्यक्ति से मिलने के लिए आया करती थी। राजा मुझसे। 17 साल उम्र में बड़ा था। अब भला बूढ़े आदमी पर मेरा दिल कब तक कायम रहता?

मैं अपने प्रेमी से मिलने के लिए इस जगह पर छुप कर आई थी।

मेरा प्रेमी मेरे लिए यह सोने के कंगन लेकर के आया था। और बड़ी खुशी के साथ उसने मुझे यह दिए और कहा कि यह प्यारा हृदय है
और इसे सहर्ष स्वीकार करो। मुझे वह कंगन बहुत अधिक पसंद आए और मैंने अपने हाथ में वह कंगन पकड़ लिए। और उन्हें पहन कर खुश हो ही रही थी कि पता नहीं कहां से राजा को इस बात की खबर हो गई। और उसने? अपने सैनिकों को तुरंत ही मेरी और मेरे प्रेमी की हत्या करने को कहा।

मैं प्रेमी के आगे खड़ी हो गई। लेकिन मेरा प्रेमी भाग गया।

पर सैनिकों ने मुझे पकड़ लिया और। तलवार से मेरी हत्या कर दी गई।

मेरे हाथ में रह गया यह कड़ा मुझे अंतिम समय में भी बहुत ही अधिक प्रिय था। इसी वजह से मैं उस पेड़ पर निवास करने लगी। पर मैं यह सोचती थी। अब मुझे यह कंगन पहनने को मिलेंगे। पर इस औरत ने वह कंगन मुझसे छीन लिए। इसीलिए मैंने इसके शरीर को ग्रहण कर लिया है। और अब यह कंगन मेरे हो चुके हैं।

तांत्रिक महोदय ने कहा, देवी मरने के बाद चीजों से लगाव अच्छा नहीं होता। आप अपनी मुक्ति की बात कीजिए। मैं आपको मुक्त कर दूंगा। आपको इस प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाएगी। इस पर वह हंसकर कहने लगी। किसे मुक्ति चाहिए, मुझे तो यह शरीर बड़ा ही पसंद है। और मैं इसे लेकर जाऊंगी। कोई इसे नहीं रोक पाएगा?

और यह कहते हुए अचानक से ही मेरी मां हिचकियां लेने लगी। और तभी जोर से आवाज हुई मेरी मां की मृत्यु हो गई थी।

मेरी मां की मौत से। पूरे घर वालों को बड़ा ही जोर का झटका लगा। तांत्रिक भी कुछ नहीं कर पाया। और इस प्रकार मेरी मां की असमय मृत्यु हो गई।

गुरुजी! इसके बाद उस कंगन पर उस तांत्रिक ने कुछ मंत्र का प्रयोग कर

और कहा कि यह अब शुद्ध हो चुके हैं।

इसलिए आप लोगों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।

पर बात यहां पर खत्म नहीं होती है।

जब मेरी शादी हुई तो मेरे पिता ने वही कंगन मेरी पत्नी को पहनवा दिये

और यही से फिर से समस्या शुरू हुई। उसके ऊपर भी इसी प्रकार हरकतें करने का।

एक!

मनोयोग सा रहता है।

वह कभी कभी जोर से हंसने लगती है, कभी रोने लगती है। और ठीक नहीं हो रही।

गुरुजी! मुझे मार्ग बताइए, क्या मुझे आपसे गुरु दीक्षा ले लेनी  चाहिए?

और कृपया मेरे और मेरे परिवार के विषय में किसी को कुछ भी ना बताएं।

नमस्कार गुरु जी!

संदेश – देखिए निश्चित रूप से सबसे पहले तो उस कंगन को आप निकाल कर रख दीजिए। वह एक श्रापित कंगन है। इसके बाद दोनों पति-पत्नी गुरु मंत्र की दीक्षा ले ले। आप दोनों अगर अनुष्ठान पूरा कर लेते हैं तो फिर आप के ऊपर कोई भी इस तरह का बुरा असर नहीं रह जाएगा।

इसके बाद! उस कंगन को गंगाजल में पूरी तरह डुबोकर! उसके सामने। गुप्त प्रयोग जो मैं आपको बता रहा हूं। उसको करें। आपको मैं यह पीडीएफ के माध्यम से भेज दूंगा।

इसको कर लेने के बाद फिर। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आप यह कंगन पहन सकते हैं। और इस प्रकार आया दोष कंगन के ऊपर है। वह हमेशा के लिए निकल जाएगा।

तो यह आज का अनुभव अगर आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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