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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 147

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 147

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक शिष्य ने बहुत अधिक अनुरोध कर अपने इन प्रश्नों पर जवाब जानने का प्रयास किया है तो उनकी बात को रखते हुए उनके प्रश्नों को लेते हैं और इनके उत्तरों को भी आज हम लोग जानेंगे तो जो इन्होंने प्रश्न पूछे हैं, इस प्रकार से हैं। सपने में गुरु के दर्शन होना क्या गुरु मंत्र की सिद्धि दर्शाता है? घर में तांत्रिक साधनाएं कर सकते हैं अथवा नहीं ? साधना के लिए अविवाहित या विवाहित जीवन श्रेष्ठ है? साधना और उम्र का क्या महत्व है? माता पराशक्ति का मंदिर और आश्रम कब बनाएंगे? गुरुजी, अच्छा और उत्तम आश्रम निर्मित करवाएं और मंदिर भी बनवाए। हम सब धर्म रहस्य वाले सहयोग करेंगे। माता दुर्गा और भगवान शिव की कसम खाकर हम इस कार्य को लेंगे और सभी आपकी सहायता करेंगे इसलिए जल्दी से जल्दी माता पराशक्ति का मंदिर और आश्रम बनवाईये क्योंकि इस जगह या इस पृथ्वी पर कहीं भी माता पराशक्ति का मंदिर और आश्रम नहीं है

तो यह इनके प्रश्न है। पहले प्रश्न से शुरू करते हैं। सपने में गुरु के दर्शन क्या गुरु मंत्र सिद्धि को दर्शाता है? जी हां, यह बिल्कुल सत्य बात है कि अगर साधक जब गुरु मंत्र से जुड़ जाता है तो वह गुरु शक्ति के दर्शन गुरु के रूप में स्वप्न के माध्यम से और अधिक साधना करने पर प्रत्यक्ष दर्शन भी उसे होने लगते हैं। ठीक वैसे ही जैसे देवी, देवता, यक्ष, यक्षिणी, अप्सरा इत्यादि के दर्शन होते हैं ।

गुरु जब स्वप्न में दर्शन देता है तो इसका अर्थ है कि आपका मंत्र आपके गुरु के मंत्र से जुड़कर मां के लोक तक जाने के अपने मार्ग में लगातार आगे बढ़ रहा है और विभिन्न लोकों से होते हुए वह माता के उस दिव्यतम धाम की ओर गमन कर रहा है। और जैसे ही वह विभिन्न लोकों से होकर गुजरेगा, आपको सिद्धियां भी प्राप्त होंगी। कहते हैं गुरु मंत्र सबसे पहले पितृलोक से होकर गुजरता है। इसीलिए आपको अपने मरे हुए सारे पूर्वज स्वप्न के माध्यम से आपके सपने में। जुड़ते हुए से दिखाई देते हैं और वह किसी भी रुप स्वरुप में किसी कहानी के स्वरूप में या आपके मन की कल्पना के रूप में आपके सामने उपस्थित होने लगते हैं। यह पहला चरण होता है जब आप का गुरु मंत्र पितृलोक से होकर गुजरता है। यही गुरु मंत्र, जप और उच्च लोकों की ओर गमन करता है तो देवी-देवता यक्ष यक्षिणी अप्सरा, यमराज का यमलोक जहां पर भूत प्रेत पिशाच सभी तरह की आत्माएं निवास करती है, उन सब को देखना शुरु हो जाता है। आपके सपने के माध्यम से और बाद में यही उच्चतर लोकों यानी भगवान शिव भगवान, विष्णु इत्यादि बड़े और परमात्मा तक जाने वाले विभिन्न स्वरूपों के दर्शन होने लगते हैं। इसी प्रकार जब सपने में गुरु के दर्शन होते हैं। तो निश्चित ही  जानिए कि आप बिल्कुल सही मार्ग पर हैं। मार्गदर्शन गुरू स्वयं करते हैं। गुरु शक्ति जो है आपके गुरु के रूप में आपको दिखाई देने लगती है और आपका कल्याण होने लगता है। उनके संकेतों को अवश्य ही समझना चाहिए और जो लोग भी गुरु मंत्र लिए हैं, उनको गुरु के दर्शन हो रहे हैं तो समझ जाइए। आप पर गुरु मंत्र की कृपा सच में बरस रही है।

अब अगर आप घर में तांत्रिक साधनाएं करते हैं तो क्या कर सकते हैं? जी हां, आप घर में भी तांत्रिक साधनाएं कर सकते हैं। लेकिन गुरु मंत्र की साधना जैसे सभी जगह पर सभी लोगों के बीच एक सात्विक साधना की तरह की जा सकती है। लेकिन तांत्रिक साधना वैसे नहीं होती। इसके लिए आपका विशेष कक्ष होना चाहिए यानी एक अलग कमरा जहां पर आप निर्वाचित होकर किसी की रोक-टोक या किसी तरह से कोई आपकी किसी कार्य में दखलअंदाजी ना दे। वहां पर आप तांत्रिक साधना कर सकते हैं। और हो सके तो उस कमरे में किसी का भी प्रवेश वर्जित रखें। आपके अलावा उस कमरे में कोई ना जाए तभी आपकी साधना और सिद्धि आपको प्राप्त होती है। क्योंकि ऊर्जा के अलग अलग स्वरूप प्रत्येक व्यक्ति के होते हैं जो निम्न ऊर्जा वाले हैं। दिन दुनियादारी में पड़े हुए इस दुनिया को ही सत्य मानने वाले और इसमें भी लालच धोखा अपने फायदे के लिए जीना करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोजन चतुराई दिखाने वाले लोग हर तरफ आपके चारों ओर मौजूद हैं। ऐसे लोग साधना तो करते नहीं है और प्रत्येक साधना करने वाले के लिए भी संकट होते हैं। ऐसे लोगों को देखकर कभी सिद्धियां नहीं आती है इसलिए आपको साधना के लिए अलग एकांत कमरा होना आवश्यक है।

अब अगले प्रश्न में आपने पूछा है कि क्या अविवाहित या विवाहित जीवन साधना के लिए श्रेष्ठ है। निश्चित रूप से अविवाहित जीवन अधिक श्रेष्ठ होता है, लेकिन अगर आप पूरे जीवन साधना करना चाहते हैं और? सिर्फ एक शक्ति तक सीमित नहीं रहना चाहते तो फिर आपका विवाहित जीवन ही ज्यादा श्रेष्ठ है क्योंकि आपने देखा होगा कि माता की इच्छा है। सभी देवी देवताओं की इच्छा है कि विवाहित होकर ही जीवन गुजारे और जीवन चक्र को ना तोड़े। मतलब संतान उत्पत्ति परिवार को लेकर चलना। स्त्री का आदर करना। आपके वृद्धजनों का सेवा सत्कार करना यह सब केवल विवाहित जीवन में ही होता है। इसीलिए यह श्रेष्ठ है और जिन्हें मोक्ष की प्राप्ति करनी है, उनके लिए भी विवाहित जीवन अधिक श्रेष्ठ है। पत्नी के रूप में अर्धांगिनी भी प्राप्त होती है और जीवन में सारे सुख प्राप्त करते हुए मुक्ति प्राप्त करता है। अब अविवाहित के लिए क्यों अधिक महत्व दिया गया है क्योंकि अब जैसे आप कोई तांत्रिक साधना कर रहे हैं। खासतौर से स्त्री साधना यानी अप्सरा यक्षिणी किन्नरी।

आपकी भी यह ऐसी ही कोई अन्य साधना! उन सभी साधनाओ में जो स्त्री शक्ति है वह दूसरी स्त्री के साथ आप को बांट नहीं सकती है। इसलिए वह चाहेगी कि आप अविवाहित हो तभी वह जल्दी सिद्ध होगी। कहते हैं अगर 16 वर्ष से कम उम्र का साधक अच्छी साधना करें तो निश्चित ही सिद्धि उसे प्राप्त होती है। चाहे उसे साधना का पूर्ण ज्ञान हो अथवा नहीं उसे अनुभव भी अवश्य होता है। वही बड़ी उम्र के साधक के साथ इतनी आसानी से घटित नहीं होता।

इसीलिए उम्र का बहुत अधिक महत्व माना गया है। उम्र कम होगी तो साधना जल्दी सिद्ध होगी । उम्र अधिक होगी तो साधना देरी करेंगी, बहुत ही देर में सिद्ध होंगी। क्योंकि नवीन शरीर को अधिक शक्तियां पसंद करती हैं। जैसे कुंवारी लड़की को सब ज्यादा पसंद करते हैं। एक पूर्ण प्रौढ़ स्त्री को कम पसन्द किया जाता है। इसी तरह यहां पर भी है कि शक्तियां भी कम उम्र के साधक या साधिका को बहुत जल्दी पसंद करते हैं। इसीलिए उम्र का साधना में बहुत अधिक महत्व है।

अब आपका आखरी प्रश्न कि क्या मैं माता पराशक्ति का मंदिर और आश्रम बनवाऊंगा। जी हां, मेरा भी यही उद्देश्य है कि मैं एक विश्व स्तरीय बहुत ही सुंदर माता पराशक्ति का मंदिर और साधकों के लिए रहने साधना करने और मां के दर्शन हेतु आने के लिए एक आश्रम बनवाया जाए। इसके लिए आप सभी का सहयोग मै अवश्य ही मांग लूंगा और भविष्य में जब भी मैं आप सभी को आवाहन दूंगा। आप सभी से यह मेरी अपेक्षा रहेगी कि सभी लोग मां के मंदिर बनवाने हेतु और आश्रम बनवाने के लिए दान और दक्षिणा दें, क्योंकि मंदिर में बहुत अधिक धनराशि लगती है और आश्रम के लिए भी बहुत अधिक धन चाहिए। और?

उस ईट का क्या महत्व जो प्रत्येक साधक ने ना लगाई हो। सिर्फ एक व्यक्ति ही अगर सारी सेवा मां को अर्पित करेगा तो उसका भी कोई फायदा नहीं है। मां की मंदिर की हर एक ईट हर एक साधक लगाए और वह ईट के माध्यम से मां के उस मंदिर को जोड़ें उनके लिए कमरे बनवाए। उनकी मूर्ति में लगने वाली जो दिव्य मूर्ति या पत्थर है, वह सारी चीजें बनवाने में अपना दिव्य दान प्रदान करें। इससे उत्तम क्या हो सकता है और इससे बड़ा पुण्य वाला कार्य भी कोई नहीं हो सकता क्योंकि वह न सिर्फ अपने लिए कर रहा है बल्कि समस्त संसार के लिए भी। सबसे उत्तम कार्य कर रहा है।

आने वाली उसकी पीढ़ियां आने वाले लोग सभी जब उस मंदिर में दर्शन करने आएंगे तो उसका पुण्य उसे स्वर्ग लोक में बैठे हुए भी मिलेगा। इसलिए यह बहुत ही पुण्य वाला कार्य है और मां का मंदिर बनवाना और आश्रम बनवाना बहुत ही भाग्यशाली बात होगी, लेकिन इसके लिए अच्छा स्थल पवित्र स्थान और जगह इत्यादि बहुत सारी बातें आती हैं। उन सब को देखते हुए ही मैं भविष्य में इसके बारे में आप सभी से राय लूंगा। आप सभी की भी इसमें मै राय जानना चाहूंगा कि हमें यह कार्य कैसे और किस प्रकार करना चाहिए तो कमेंट बॉक्स में आप लिख कर बता सकते हैं।

तो यह थे आज के कुछ प्रश्न अगर आपको पसंद आए हैं तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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