साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 149
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम दर्शकों के प्रश्न और उत्तर लेकर एक बार फिर से उपस्थित हुए हैं। आज के महत्वपूर्ण गुरु से संबंधित गुरु मंत्र से संबंधित कुछ प्रश्न है और उसके अलावा कर्ण पिशाचिनी के असर से बचने के संबंध में भी एक साधक महोदय ने पूछा है चलिए शुरू करते हैं आज के प्रश्नों के विषय में। जैसा कि आप थंबनेल के माध्यम से जान पा रहे हैं। पहला प्रश्न पूछा गया है कि गुरु जी जाप साधना के बीच बाथरूम आ जाए तो क्या उससे जाप साधना और हवन खंडित हो जाता है? गुरुजी अप्सरा साधना की प्रत्यक्ष सिद्धि गुरु मंत्र के कितने जाप के बाद साधक शुरू कर सकता है? गुरुजी स्वप्न में बुरी शक्ति को संबंध बनाने से कैसे रोके जिससे ब्रम्हचर्य खंडित ना हो। गुरु जी अपने शरीर को मंत्र ऊर्जा धारण करने योग्य कैसे बनाएं ताकि किसी भी माध्यम से वह ऊर्जा बाहर ना निकले। एवं पिशाचिनी के असर से कैसे बचे यह आज के कुछ प्रश्न है तो पहले प्रश्न से शुरू करते हैं कि मंत्र साधना के दौरान बाथरूम, लैट्रिन या पाद, पसीना इत्यादि चीजें घटित हो तो क्या इससे जाप साधना और हवन खंडित हो जाता है? तो देखिए किसी भी साधना के दौरान अगर वह गुरु मंत्र की साधना है या इष्ट देवता की साधना है तो आपकी साधना खंडित नहीं होती है। आपको उस बीच में उठकर उस कार्य को संपन्न करने के बाद हाथ पैर धोने और फिर उसी मंत्र की दो माला कम से कम कर लेनी चाहिए। क्षमा प्रार्थना के रूप में और फिर अपना वह कार्य शुरू कर लेना चाहिए। लेकिन कुछ चीजों में जैसे हवन या फिर किसी तांत्रिक साधना में ऐसा होने पर आपको, आपकी साधना खंडित मानी जा सकती है। इसलिए पहले ही अपने शरीर को ऐसी चीजों से बिल्कुल निदान में ले आइए और तैयार रहिए। आपके उस कार्य के दौरान ऐसा कुछ ना हो शरीर की अशुद्धि? तुरंत दूर करके कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन विशेष तरह की तांत्रिक साधनाओं में यह करने पर भी साधना भंग होती है क्योंकि कभी-कभी शक्ति उसी समय आ रही होती है तो उसके आने में आप व्यवधान बन कर के उस जगह से हटकर चले गए। इसलिए बहुत सावधानी पूर्वक साधनाएं करनी चाहिए। लेकिन रही बात लंबी साधनाओं की और गुरु मंत्र इष्ट देवता सिद्धि पूजा उसमें आप क्षमा मांग कर फिर से शुरू कर सकते हैं। अगले प्रश्न में अगर कोई आप अप्सरा साधना, यक्षिणी साधना, योगिनी साधना या भैरवी साधना की प्रत्यक्ष सिद्धि के लिए शुरुआत करने जा रहे हैं तो मैं पहले बता चुका हूं कि गुरु मंत्र जाप आपका अनुष्ठान के रूप में पूरा हो जाना चाहिए और यह अनुष्ठान की संख्या है 9 लाख। 900000 का दशांश हवन सहित जब आप जॉप कर लेते हैं तो फिर आपके अंदर इतनी ऊर्जा पैदा हो जाती है कि यह शक्तियां आपका कुछ नुकसान नहीं कर सकती हैं। साथ ही बुरी शक्तियां भी आप पर अपना स्थापत्य नहीं बना पाती है और आप एक प्रकार से हर तरह से साधना भंग होने के दुष्प्रभाव का असर भी आपके ऊपर नहीं आता है। इसलिए मैं पहले यही कहता हूं कि सबसे पहले गुरु मंत्र की दीक्षा ले। उसके बाद साधक गुरु मंत्र का 900000 जाप 1 वर्ष के अंदर अवश्य कंप्लीट कर ले और फिर कोई भी तांत्रिक साधना में उतर जाए और साधना को सिद्धि को प्राप्त करने का प्रयास करें। अगले प्रश्न में आपने पूछा है कि? स्वप्न में बुरी शक्ति से शारीरिक संबंध बनाने से कैसे अपने आप को रोके जिससे ब्रह्मचर्य खंडित ना हो तो देखें आपकी साधना से संबंधित कोई विषय वस्तु नहीं है बल्कि आपके नियंत्रण की विषय वस्तु है। आप अपने मस्तिष्क से अपने शरीर पर कितना प्रभाव रखते हैं, कितना उसे अपने नियंत्रण में रखते हैं। यही परीक्षा शक्ति लेती है। आपका अगर मस्तिष्क आपको कुछ कहता है या कुछ करवाता है तो आपका शरीर उसे मानता है या नहीं, जिसका मस्तिष्क पूरे नियंत्रण में शरीर को रख सकता है। वह संसार में कोई भी कार्य करने में सक्षम होता है। इसीलिए मस्तिष्क सबसे ऊपर बनाया गया है ईश्वर की रचना में। इसी बात की गंभीरता को समझते हुए शक्तियां आपके ब्रह्मचर्य आपके भय इत्यादि सभी की परीक्षाएं लेती हैं। आप अपने शरीर को वश में करने की विद्या अपने मस्तिष्क से ही जान सकते हैं क्योंकि जिसका मन मस्तिष्क किसी के बस में नहीं है बल्कि उसके वश में सब कुछ है तो वह निश्चित रूप से इस जीवन में सबसे शक्तिशाली है। उसे पराजित नहीं किया जा सकता। कहा भी जाता है मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। ब्रह्मचर्य के लिए अपनी इंद्रियों को वश में करने की क्षमता आप स्वयं बना सकते हैं। आप जब स्वयं को नियंत्रित करना सीख जाते हैं तो फिर आपका ब्रम्हचर्य भी कभी खंडित नहीं होता। चाहे उसके लिए बड़ी से बड़ी शक्तियां क्यों ना भेज दी जाए। वही जब आपका शरीर आपके मस्तिष्क को नहीं मानता और उसकी बात नहीं सुनता है तभी आप पराजित होते हैं। इसलिए अपने शरीर को वश में करना, सीखे और किसी भी कार्य के लिए अगर आप उसे वश में करना सीख जाएंगे तो फिर जीवन में किसी भी चीज में पराजित नहीं हो सकते हैं। अगले प्रश्न में पूछा है कि शरीर को मंत्र ऊर्जा धारण योग्य करने कैसे बनाएं ताकि किसी माध्यम से ऊर्जा बाहर ना निकले। शरीर को नियंत्रित करने के लिए मंत्र ऊर्जा स्वयं शक्ति बनाने लगती है, लेकिन ऊर्जा का बहाव हमेशा ज्यादा से कम की ओर जाता है। यानी गर्म चीज के बगल में अगर ठंडी चीज रख देंगे तो गर्म चीज बहुत जल्दी ठंडा होना शुरू कर लेती है और वह ठंडी चीज को गर्म करने की कोशिश करती है। ऐसा ही कुछ हमारे संसार में भी है। एक साधक की मंत्र ऊर्जा उसके आसपास रहने वाले लोगों की तरफ बहुत तीव्रता से दौड़ती है और उन सबका भला कर देती है। उनको सिद्धियां तक प्रदान कर सकती है। इसीलिए पुराने समय में लोग जंगलों में वनों में जाकर कंदराओ में गुफाओं में रहकर साधना करते थे और संसार को त्याग देते थे। आज के युग में यही एक सबसे बड़ा कारण है कि आपकी ऊर्जा नष्ट हो जाती है। इसलिए साधना सिद्धि में कुछ नियमावली रखें। कुछ नियम अपनी शक्ति के साथ अवश्य बनाएं ताकि वह कहीं और ना बह जाए। आपको इसका ध्यान रखना है और विशेष साधना के लिए विशेष नियम होते हैं जो आपको अपने गुरु से मिलते हैं। उस पर ध्यान अवश्य आपको देना चाहिए। इसी प्रकार अब आखरी प्रश्न को हम ले लेते हैं जो कि कर्ण पिशाचिनी से संबंधित पूछा गया है। पहले इनके पत्र को पढ़ लेते हैं। फिर इस समस्या को लेंगे। 2004 में एक आत्मा ने मेरे को 13 साल की उम्र में रात को छत पर सोया था तो मुझे रात 2:00 बजे बहुत ज्यादा डर लगा तो मैं नीचे आकर सो गया। मैंने देखा कि मेरे सीने पर बैठकर कोई औरत मेरे कान में कोई बात कह रही थी, लेकिन मैं उसी भाषा को समझ नहीं पाया उस दिन के बाद मेरे काला रंग पड़ गया और पढ़ाई भी छूट गई। 2 साल तक अपने कमरे में रहा। मेरे घर लोगों को लगता था कि कम उम्र में नशा करने की वजह से ऐसा हो गया है। मुझे सिगरेट की लत इतनी थी। मैं भी यही समझता था कि मेरे साथ यही कारण है। मैं कोई काला जादू तांत्रिक कोई बात का विश्वास नहीं करता था कि मुझ पर ऐसा हुआ है। मेरे साथ ऐसा भी होता था कि जिससे मैं निकट में सोया हूं। या जिसके पास में सोया हूं, उसे भी एहसास हो रहा था कि अपने वाले की मेरे पैर पर? लटक के किसी चीज के हिलने का एहसास हो रहा हो, लेकिन मैं वह भी समझता था। औरत को अपने सामने सपने में देखता था और मेरे शरीर में गर्मी और सेक्स का भूख आ जाता था और मैं समझ ही नहीं पाता था कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? तो देखे है यहां पर इनके अनुभव के माध्यम से आप समझ सकते हैं कि कर्ण पिशाचिनी इनके कान में कुछ कहने की कोशिश करती थी। ऐसा इसलिए हुआ कि पूर्व जन्म में इन्होंने इस शक्ति की उपासना अच्छी प्रकार की थी। नया जन्म लेने पर भी वह शक्ति आकर्षित होकर इनके पास आ गई है और इसी प्रकार इनकी जिंदगी से जुड़ गई। अब ऐसी शक्तियों से बचने का सबसे सरल और अच्छा माध्यम है। गुरु मंत्र इसकी साधना और उपासना से आपके अंदर सकारात्मक शक्तियां भरने लगेंगे और फिर इस तरह की जो पूर्व जन्म के पाप है और इन साधनाओ का असर है, वह सब भी नष्ट हो जाएगा। कि हम जिस शक्ति से जुड़ते हैं उसी का प्रभाव हम पर पड़ता है और लगातार उसी का प्रभाव बना रहता है। माता से जुड़कर आप अपने अंदर पॉजिटिव ऊर्जा बढ़ा सकते हैं। जब वह बहुत अधिक बढ़ जाएगी तो कान नाक गला शरीर, शरीर का कोई भी अंग हर जगह देवी मां के स्वरूपों का वास होगा। इसीलिए वहां पर कोई शक्ति विद्यमान नहीं हो पाएगी। केवल और केवल माता की शक्तियां ही विराजमान रहेंगे। जैसा कि हम श्री दुर्गा सप्तशती कवच के माध्यम से जान सकते हैं और फिर जब आप कवच का भी पाठ करेंगे तो और भी अधिक शक्तिमान होकर ऊर्जामय और शक्ति स्वरूप बनेंगे। इस से पुरानी सिद्धि भी नष्ट हो जाएगी और अगर उसका रूपांतरण होता है तो वह एक सकारात्मक शक्ति में बदल जाएगी। तो यह थे आज के कुछ प्रश्न और उनके उत्तर अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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