साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 151
प्रश्न १ :- गुरूजी, गुरु मंत्र साधना में आपने जो ध्यान करने की विधि बताई है उसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:- ध्यान प्रक्रिया के माध्यम से ही शक्ति अपना साकार रूप धारण करती है | आपकी इक्षा के कारण ही और आप जिस रूप स्वरूप में उनको देखते है तो वह शक्ति उसी स्वरूप को धारण कर के आपके सामने आ जाती है क्युकी मूल रूप में सभी शक्तियां ऊर्जा के रूप में रहती है या सूक्ष्म रूप में स्थित होती है लेकिन मंत्र और ध्यान के माध्यम से वह पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष होती है|
प्रश्न २:- अगर कोई व्यक्ति योगिनी को सिद्ध कर उसको भैरवी के रूप में बदलना चाहे तो इसमें कितना समय लगेगा?
उत्तर:- भैरवी बनने के लिए जो समय अवधि बताई जाती है वह करीब १२ वर्ष है | योगिनी २ तरीके से सिद्ध होती है, एक जीवित योगिनी स्वरूप में और दूसरा देवी योगिनी के स्वरूप में, जीवित योगिनी से तात्पर्य है की कोई ऐसी स्त्री जिसने कम से कम १ वर्ष तक अखण्ड साधना की हो तो वह स्त्री योगिनी स्वरूप धारण करने के योग्य बन जाती है और जब वही स्त्री १२ वर्ष तक साधना करती है तो वह भैरवी स्वरुप धारण कर लेती है| अगर आप १२ वर्ष तक देवी योगिनी की साधना करते है तो वह अमुक योगिनी भैरवी स्वरुप धारण कर लेती है |
प्रश्न ३:- कुण्डलिनी शक्ति को कैसे जागृत करें?
उत्तर:- कुण्डलिनी अपने आप ही प्रत्येक मंत्र से जागृत होती है, लेकिन उसे सही रूप से जागृत करने में और उसे बनाए रखने के लिए कठिन तपश्यचर्य की आवश्यकता होती है तब कही जा कर कुण्डलिनी पूर्ण रूप से उर्ध्वगामी होती है | कुण्डलिनी साधना का अभ्यास किसी योग्य गुरु के सानिध्य में ही करना चाहिए अन्यथा साधक का अहित भी हो सकता है| इसलिए किताबो से देख कर कुण्डलिनी साधना में नहीं उतरना चाहिए |