साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 39
१. गुरूजी महा विपरीत प्रत्यंगिरा का किस प्रकार से पाठ करना चाहिए| इसको करने की कौन सी विधि है ?
उत्तर:- महा विपरीत प्रत्यंगिरा स्तोत्र बहुत ही तीव्र और खतरनाक है| अगर आप चाहे तो इसकी जगह कोई और प्रयोग कर सकते है क्युकी इस प्रकार के प्रयोगो में बहुत ही तीव्र ऊर्जा प्रकट होती है | इसलिए गुरु मंत्र का ९ लाख पहले जाप होना आवश्यक हो जाता है | जब आप गुरु मंत्र का पूर्ण अनुष्ठान कर लेंगे तब ही आप इसका प्रयोग कर सकते है |
२. कोई व्यक्ति अगर यक्षिणी की साधना करता है और दूसरा व्यक्ति भी उसी यक्षिणी की साधना करता है तो क्या दोनों यक्षिणी को पत्नी के रूप में सिद्ध कर सकते है ?
उत्तर :- यक्षिणी एक वर्ग है | कामेश्वरी यक्षिणी तो बहुत सारी शक्तिया या यूँ कहिये किसी की मृत्यु के बाद यक्षिणी स्वरुप को प्राप्त हो गई या किसी लोक में यक्षिणी पहले से रहते चली आ रही है और भिन्न भिन्न लोको में उसका गमन होता चला आ रहा है | कामेश्वरी यक्षिणी बोलने का अर्थ यह है की कामेश्वरी के स्वाभाव वाली एक पूरा वर्ग जिनकी संख्या बहुत अधिक मात्रा में होती है| और जो सबसे नजदीक होगी जब आप उसकी साधना कर रहे होते है तो सबसे नजदीक वाली कामेश्वरी यक्षिणी आपसे सिद्ध होती है |
३. क्या यक्षिणी आध्यात्मिक जीवन में कोई सहायता करती है ?
उत्तर :- हाँ बिलकुल यक्षिणी सहायता करती है | आपके आध्यात्मिक उन्नति के लिए लेकिन ये सब निर्भर करता है आपके ऊपर कोई भी शक्ति अपने रूप स्वरुप माध्यम से आती है | उसकी जितनी क्षमता होती है उतनी स्थिति लेकर आती है | जब वो शक्ति आपसे आ कर जुड़ती है तो अलग ही प्रकार के कार्य करती है | उदहारण के लिए ज्यादा तर लोग उर्वसी नाम की अप्सरा की साधना करते है और उसे सिद्ध करते है | एक कामुक व्यक्ति अप्सरा की साधना करता है काम की प्राप्ति के लिए और वही दूसरी ओर अप्सरा की साधना अप्सराओ को देखने लिए करता है | आप उस शक्ति से क्या करवाना चाहते है कैसा कार्य लेना चाहते है और आपकी क्या इच्छा है वो शक्ति उसी हिसाब से आपके साथ रहती है और आपके कार्यो को सम्पादित करती है |
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