साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 49
१. अपने डर पर किस प्रकार से विजय पाए ?
उत्तर :- इस में आपको माता के ३२ नामावली का पाठ करना चाहिए| इसका पाठ भय को नष्ट करने के लिए भी कई लोग करते है | आप किसी भी शक्ति की साधना करे वो आपका आत्म बल तो बढ़ा देती हैं लेकिन अगर आप मन से अपने आप पर विश्वास नहीं करेंगे की आप मजबूत है तो भी आप अपने भय से पीछा नहीं छुड़ा सकते|
२ . माता की राजसिक पूजा किस प्रकार से करे ?
उत्तर :- देखिये जो सात्विक नहीं है और जो तामसिक भी नहीं है इन दोनों के बीच की जो स्थिति होती है जो राजसिक कहलाती है | राजसिक मतलब “राजा बनाने वाली” अर्थात राजाओ के गुण जैसे इक्षा पूर्ति के लिए साधना की जाती है उसमे हम ऐसी चीज़ो का पालन करते है जिससे | दुनिया दारी चलती है तो इस प्रकार की साधना को राजसिक साधना कहा जाता है|
राजसिक साधना में सीधी सी बात है आपको इसमें कोई विशेष नियमावली की आवश्यकता नहीं है इस साधना के दौरान आप किसी प्रकार का भी भोजन ग्रहण कर सकते है| इस साधना में आप कोई भी वस्त्र धारण कर सकते है| इसमें किसी प्रकार के वस्त्रो का बंधन नहीं होता है | इसमें आपके क्रिया कलापो में भी किसी प्रकार का बंधन नहीं लगेगा|
लेकिन एक बात जान लीजिए की साधना राजसिक हो या सात्विक हो या तामसिक ही क्यों न हो आपका साधना दौरान ब्रम्हचर्य का पालन तो अवश्य करना ही होगा अन्यथा आपकी साधना नष्ट हो जाती है | राजसिक पूजा में भी एक प्रकार से कुछ नियम होते है| एक मर्यादा होती है जिसके अंतर्गत ही आपको साधना सम्पन करनी होती है| लेकिन अगर आप तामसिक साधनाओ को देखे तो उनमें किसी प्रकार का कोई नियम, कोई मर्यादा नहीं होती है|
३. चालीसा पाठ करते समय अपने नेत्रों को खुले रखने चाहिए या बंद कर लेना चाहिए ? और हवन किन मंत्रो से करना होता है ?
उत्तर :- अगर आप कोई भी चालीसा की साधना कर रहे है, अगर आप उसका पाठ कर रहे है तो ज़्यादा उपयुक्त कहा जाता है की आँखो को बंद कर के ही किसी प्रकार की साधना को करना चाहिए| क्युकी जब नेत्र खुले होते है तो हम उस समय दुनिया दारी देख रहे होते है जिसके कारण आपका ध्यान जल्दी नहीं लग पाता है| लेकिन ऐसा नहीं है की खुले नेत्रों से साधना नहीं की जाती है| ऐसी कई साधना होती है जो खुले नेत्रों से की जाती है लेकिन इसका मूल उद्देश्य यही है की आपका ध्यान नहीं भटके इसलिए आँखों को बंद किया जाता है|
हवन के लिए जो चालीसा का मंत्र है उसके बीच में उस देवता का मंत्र लगा कर उसका सम्पुट लगा कर भी आप आहुति कर सकते है | लेकिन अगर आप सम्पुट नहीं लगते है तो उस चालीसा के मंत्रो के अंत में “स्वाहा” लगाकर हवन कर सकते है|
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