साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 51
१. अभी तक मैंने गुरु मंत्र का एक अनुष्ठान पूर्ण किया है जिसमे हवन भी मैंने सम्पन किया था, लेकिन दो बार अनुष्ठान सम्पन कर मैं हवन नहीं कर पाया था| मै दूसरे के घर में रहता हूँ जहा लगातार अधिक हवन करने से उस घर के मालिक को समस्या होने लगती है| इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए | तथा मुझे याद भी नहीं की मैंने अभी तक कितना जाप कर लिया है, क्या मुझे फिर से शुरुवात से करनी होंगी | गुरूजी अगर मै एक वर्ष में गुरु मंत्र का ९ लाख मंत्र जाप सम्पन नहीं कर पाया तो क्या इससे कोई समस्या हो सकती है ?
उत्तर :- सबसे पहली बात अपने कहा की दशांस हवन की प्रक्रिया रुक गई है तो जितना अपने मंत्र जप किया है उसका दशांस हवन फिर से कर लीजिये| अगर बीच में आप किसी साधना को छोड़ देते है तो ऐसा नहीं है की वो संख्या गिने नहीं जायेंगे बल्कि वो रुक जाते है इसलिए अगर आप सिद्धि साधना के छेत्र में उतरना चाहते है तो आपको फिर से ९ लाख जाप करना चाहिए| अगर आप सिद्धि के छेत्र में नहीं उतरना चाहते और केवल गुरु मंत्र साधना करना चाहते है तो वो आपकी पूर्व वाली जाप संख्या गिने जायेंगे| अगर आपको घर में हवन करने से दिक्कत हो रही है तो आप किसी मंदिर में हवन कर सकते है या किसी एकांत स्थान में भी आप हवन कर सकते है|
२. गुरूजी जैसे आप बताते है की गुरु मंत्र किसी को बताना नहीं चाहिए| लेकिन मंत्र जाप करने वक्त मंत्र का उच्चारण उच्च स्वर में करना पढ़ता है तो जो लोग अकेले रहते है उनके लिए सही है लेकिन जो परिवार के साथ रहते है तो मंत्र की गोपनीयता कैसे बनाए रखे ?
उत्तर :- गुरु मंत्र किसी को इसलिए नहीं बताना चाहिए क्युकी अगर आपको देख कोई उस मंत्र को जपने लगता है तो उसको कोई फ़ायदा नहीं होगा और फ़ायदा नहीं होगा तो वो इस मंत्र पे विश्वास नहीं करेगा और वही आप उसको कुछ नहीं बताते हो तब इस प्रकार आपको मंत्र जाप करते देखता है तो आपसे प्रभावित होता है क्युकी आप उसे कुछ बता नहीं रहे हो इसलिए ये चीज़े छुपानी पढ़ती है|
दूसरा अपने कहा हम घर में उस मंत्र का उच्चारण करते है तो बाकि लोगो को वो मंत्र सुनाई तो देगा ही तो इस स्थिति में जब आप जाप करे तो ऐसे कक्ष का चयन करे जहा कोई प्रवेश न करे और किसी को मंत्र उच्चारण सुनाई न पढ़ सके | जब आप घर में मंत्रो का जाप करते है तो वो ऊर्जा सब को प्राप्त होती है| क्युकी अगर एक व्यक्ति घर में मंत्रो का जाप या कोई साधना करता है तो उसकी ऊर्जा बहुत तेज़ी से दूसरे लोगो में प्रवाहित होने लग जाती है| तो इस कारण साधक को उतना फ़ायदा नहीं होता जितना औरो को हो जाता है| क्युकी वो शून्य में होते है और आपके अंदर पहले ही ऊर्जा बन चुकी है इसलिए कहा जाता है परिवार सहित गुरु दीक्षा ले लेनी चाहिए|