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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 16

सिद्धकुंजिका स्त्रोत रहस्य और पाठ

एक साधक का प्रश्न है  की सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र  को सिद्ध करने की  विधि क्या है वो किस प्रकार से है|  सबसे पहले मै आपको एक चीज़ बता दू की सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को बीज मंत्रो से पहले सिद्ध किया जाता है  सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र स्वयं सिद्ध है हलाकि  इसकी शक्ति को धारण करने की क्षमता अपने अंदर पैदा करने के लिए बीज मंत्रो का पहले जाप करना आवश्यक होता है|  अगर आप ऐसा नहीं करते है तो मंत्र तो अपना प्रभाव दिखाएगा ही क्युकी ये सिद्ध मंत्र है |

लेकिन कहते है है कुंजिका या कुंजी का अर्थ होता है चाभी, चाभी अपने तो बना ली लेकिन लगाएंगे कहा ताला जहा पड़ा होगा वही इसका प्रयोग करेंगे और जब आप  ताला खोल लेंगे तो अंदर का जितना खज़ाना है रहस्य है वो सब आपको खुद दिख जायेगा स्वयं आपको मिल भी जाएगा|  तो ये एक चाभी है जो भगवान शिव ने पराशक्ति को प्राप्त करने के लिए बनाई थी|

कुंजिका स्त्रोत्र के माध्यम  से हम दुर्गा सप्तशती को खोल सकते है लेकिन ये विधि कैसी होती है और जो किताबो में लिखा है वैसा बिलकुल भी नहीं होता उसका तरीका  बिलकुल अलग है|  दूसरी बात की आप सिद्ध कुंजिका का ऐसे ही जाप करेंगे तो वो लाभ तो देगा ही क्युकी वो सिद्ध है लेकिन बहुत ही कम मात्रा में लाभ देगा और कभी कभी आपको नुक्सान भी हो सकता है

 दुर्गा सप्तशती को कई ऋषियों  ने  श्राप दिया है उसको  कीलित  किया  है और उसको खोलने की चाभी जो है  सिद्ध कुंजिका है | लेकिन अब  सिद्ध कुंजिका का इस्तेमाल कैसे किया जाए ये किसी को नहीं पता|  ये बहुत  ही ज़्यादा गोपनीय है लेकिन मुझे ये विधि पता है की कैसे सिद्ध कुंजिका का प्रयोग करके दुर्गा सप्तशती को खोला जाता है और  ये विधि विधान गुरु शिष्य परंपरा में बताया जाता है | आपको मै इसकी विधि विधान उन्हें  बतऊँगा जो  लोग दीक्षा लेंगे उन्हें ही ये चीज़ पता लगेगी और उनको  ऐसा माध्यम  पता लगेगा की किस तरह से इस शक्ति को जगाया जाता है |

१. एक साधक ने पूछा था एक मंत्र  है उसका ४१ हज़ार मंत्र जप करने पर क्या सिद्धि मिलेगी ?

देखिये  सिद्धि २ प्रकार से मिलती है|  कोई भी साधना होती है उसका जाप होता है उसके आधार पर मिलती है | जप संख्या में सबसे बढ़ी बात जो होती है की किताबो में जितने जप संख्या लिखी होती है की ९ लाख में मंत्र सिद्ध होगा तो ९ लाख पर जा कर वो मंत्र देवता तक पहुंचेगा |  ब्रम्हांड  में जब आप बोलते है कुछ भी उच्चारण करते है मंत्र के रूप में तो वो तरंग बनती है |

तरंग जो है दृश्य अदृश्य रूप में ब्रम्हांड में फैलती चली जाती है और जब मंत्र उस देवता तक पहुँचती है तो उसका प्रतिउत्तर देवता कितने दिनों में देता है वो क्या आपके बारे में सोचता है ये उसके ऊपर निर्भर करता है |  वो प्रत्यक्ष रूप में भी आपका साथ दे सकता है और अप्रत्यक्ष रूप में भी ये जो संख्या होती है इसका अर्थ है की  इतने मंत्र जाप पर वो देवता तक पहुंच जाती है|

२. क्या किसी भी  साधना में कुश के आसान का  प्रयोग कर सकते है? और क्या मूंगे की जगह रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर सकते है?

देखिये कुश का  आसन साधनाओ में प्रयोग किया जाता है लेकिन कुछ विशेष साधनाओ में और तंत्र साधनाओ में सिद्धि साधनो में लाल कम्बल का आसन सबसे ज़ादा उत्तम  माना जाता  है| कुश के आसान का भी प्रयोग जरूर कर सकते है ऐसा नहीं है की आप नहीं कर सकते है लेकिन ज़ादा अच्छा होगा माता की साधना में लाल कम्बल का आसान का प्रयोग करे तो|

हाँ आप मूंगे की जगह रुद्राक्ष माला का प्रयोग कर सकते है|  रुद्राक्ष की माला पर जब जाप करेंगे तो कोई भी मंत्र आपका सिद्ध हो जाता है इसलिए रुद्राक्ष को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है

सभी प्रकार के गुरु दीक्षा सबंधित प्रश्नो के लिए नीचे का विडियो अवश्य देखे –

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