साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 57
१. मंत्र लिखने और जाप करने में क्या अंतर है ?
उत्तर:- मंत्र का जाप करने से शरीर में ऊर्जा उत्पन होती है, साथ ही साथ मंत्र उच्चारण के कारण मंत्र ध्वनि पूर्ण ब्रम्हांड में फ़ैल जाता है | और ब्रम्हांड में तब तक गति करता है जब तक मंत्र ध्वनि इष्ट शक्ति से टकरा नहीं जाता इसलिए मंत्र का उच्चारण करना सबसे उत्तम माना गया है | मंत्रो को लिख कर भी साधना की जा सकती है, लेकिन ये सिद्धि के लिए अधिक उपयोगी है | आध्यात्मिकता के लिए मंत्र लिखने का अधिक महत्त्व नहीं है | मंत्र लिखना भी एक प्रकार से कर्म है और इसका फल भी निश्चित रूप से प्रकट होता ही है |
मंत्र लिखने के सम्बंद में एक प्रयोग मुझे ध्यान में आया है, ये प्रयोग आप लोगो के लिए सिद्धि और सफलता दायक हो सकती है | इसलिए इस गोपनीय प्रयोग को यहाँ स्पष्ट कर रहा हूँ |
अगर आप गुरु मंत्र का आपके जो भी गुरु है उनसे जो मंत्र प्राप्त हो उस मंत्र का यदि आप एक वर्ष में सवा करोड़ मंत्र का लेखन करते है एक वर्ष के समय के अंतराल में तो इस प्रयोग से जितनी भी गोपनीय सिद्धिया या विद्या है वो स्वयं अपना परिचाय देती है | हर प्रकार की सिद्धि का ज्ञान इस साधना के माध्यम से संभव है | यह प्रयोग भगवद पाद शंकराचार्य ने शरीर त्यागने से पूर्व अपने शिष्यों को स्पष्ट किया था और कहा था की अभी भी जो गोपनीय दीक्षाए और सिद्धिया बची रह गई है, इस प्रयोग के माध्यम से वो स्वतः प्राप्त हो जाएगी |
२. कलयुग में किन मंत्रो को कीलित किया गया है ?
उत्तर :- जितने भी मंत्र कलयुग में तीव्र प्रभाव दिखाने वाले है, उन सभी को कीलित कर दिया गया है | माता के जितने भी विशेष प्रभाव युक्त मंत्र है उनको विशेष रूप से कीलित कर दिया गया है | तांत्रिको ने ऐसी चीज़े खोज ली थी जिसके माध्यम से उन्होंने परमत्मा की शक्ति को अपने अधीन लाना शुरू कर दिया था, इसी वजह उन विद्याओ को कीलित कर दिया गया भगवन शंकर के द्वारा, महाऋषियो ने और अन्य देवी ने भी उन मंत्रो को कीलित या गोपनीय या उन मंत्रो के शब्दों के साथ छेड़छाड़ कर दिया | सबसे बढ़ा तांत्रिक ग्रन्थ दुर्गा सप्तशती होते हुए भी वो कीलित है इसलिए उसका उतना प्रभाव नहीं दिख पाता जितना दिखना चाहिए | इसलिए जब तक उन मंत्रो का उत्कीलन न कर दिया जाए, उनका किसी प्रकार का प्रभाव नहीं दीखता |
३. गुरु दीक्षा के कारण क्या मंत्र उत्कीलित हो सकता है क्या ?
उत्तर:- गुरु दीक्षा के कारण मंत्र की ऊर्जा अपने चरण पर पहुंच जाती है, लेकिन मंत्र उत्कीलित तब भी करना पड़ेगा | मंत्र का सबसे बढ़ा उत्कीलिन देवता के प्रति, गुरु के प्रति श्रद्धा है | जब तक आप मंत्र के प्रति समर्पित नहीं होंगे, लाखो संख्या में मंत्र जप कर ले आप एक पत्ता भी नहीं हिलने वाला | अगर आप किसी प्रकार से मंत्र का कीलन तोड़ दे लेकिन उस मंत्र के प्रति विश्वास अटल न हो तो उत्कीलित मंत्र भी प्रभाव हीन है | अपने कई स्त्रोत्रों में पढ़ा और सुना होगा की उनमें लिखा होता है की जो श्रद्धाहीन है, भक्तिहीन है, ईश्वर और मंत्र के प्रति असमर्पित है उन्हें इन स्त्रोत्रों का ज्ञान नहीं करवाना चाहिए | इसलिए किसी भी मंत्र में साधना में आवश्यक है पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ हम मंत्रो का जाप करे |