साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 87
१. गुरूजी आपने कहा है की जब हम मंत्र जाप करते है तो पूर्व के जितने भी कर्म बंधन होते है वह मंत्रों के प्रभाव से समाप्त हो जाता है अगर ऐसा है तो जो नरक का वर्णन आता है उसमें किन लोगों को दंड दिया जाता है?
उत्तर:- अगर आप पराशक्ति दर्शन पढ़ेंगे तो आपको अपने सवालो का सही जवाब प्राप्त हो जाएगा,जो दुर्गा सप्तशती प्रकाशित हुई है उसके अंत के पृष्ठों में पराशक्ति दर्शन है अगर आप उस दर्शन का अध्ययन करते है तो आपको अपने सवालो का जवाब मिल जाएगा | देखिए हर व्यक्ति साधना रत नहीं होता उनमे तपस्या का अंश नहीं होता है जिसके कारण उन लोगो का पाप कर्म क्षय नहीं हो पता और जो भी व्यक्ति मंत्र जाप कर रहे है वो कही न कही किसी इक्षा से कर रहा है यानि की इस जीवन में उसका फल प्राप्त करना चाहता है | आपका जो शूक्ष्म शरीर है वही नर्क में दंड भोगता है| मृत्यु के बाद आपका भौतिक शरीर का विखंडन हो जाता है और आत्मा शूक्ष्म शरीर में गतिशील रहती है |
२. गुरूजी आप बताते है की सबसे पहले गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए फिर इष्ट मंत्र का जाप करना चाहिए अगर हम दोनों मंत्रो का जाप करते है तो अधिक समय लगेगा फिर एक भी मंत्र नहीं सिद्ध हो पाएगा इससे बढ़िया तो हमें केवल गुरु मंत्र का ही जाप करना चाहिए |
उत्तर :- जो मंत्र गुरु के मुख से प्राप्त होता है वह गुरु मंत्र कहलाता है और इस मंत्र की जो ऊर्जा होती है वह ब्रह्मांड में पहले से ही व्याप्त है | इष्ट मंत्र का जाप इसलिए किया जाता है ताकि आप उन्हें प्राप्त कर सके और साधना में सफलता का आशीर्वाद इष्ट के द्वारा भी प्राप्त हो कर सके इसलिए गुरु मंत्र के साथ इष्ट मंत्र का जाप भी किया जाता है |
३. गुरूजी क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिसके माध्यम से पूर्व जन्म कृत पापो को समाप्त किया जा सके ?
उत्तर :- अगर आप किसी समय विशेष में कोई कर्म या किसी प्रकार की एक्टिविटी करते है तो उसका सकारत्मक या नकारत्मक प्रभाव तो पढ़ेगा ही, जब आप अपने आप को उस कर्म को करने से नहीं रोक सकते तो उसका प्रभाव रोकने में भी आप असमर्थ रहेंगे क्युकी काल एक लम्बी चौड़ी इकाई है आज के २० हज़ार वर्ष की घटना और आने वाले भविष्य की घटनाओ का एक लम्बा इकाई है, अगर किसी समय विशेष पर आप कोई कर्म करते है तो उसका आपके जीवन में plus या minus पॉइंट बनेगा ही बनेगा |
एक व्यक्ति है जिन्हे नींद न आने की समस्या है अगर वो नींद की गोली खाते है तो निश्चित ही नींद लग जाएगी, लेकिन वही अगर व्यक्ति पूरी नींद की गोली एक ही बार में ले लेता है तो उसकी मृत्यु हो जाएगी | जब इतनी छोटी सी घटना का प्रतिक्रिया हो सकती है, उस कर्म की प्रतिक्रिया हो सकती है तो निश्चित ही छोटे से छोटे कर्म का भी फल निर्मित होगा ही और वह फल इस जीवन में या आने वाले जीवन में तो भोगना ही पड़ेगा |
अगर गुरु समर्थवान है तो गुरु अपनी तपस्या के बल पर उस शिष्य का जो कर्म है उन सब को काटने की क्रिया कर सकता है और ऐसा केवल गुरु मंत्र के माध्यम से और सेवा और समर्पण के माध्यम से ही संभव है, लेकिन इसमें भी जितने भी कर्म है उन सब को एक साथ काटने की जब क्रिया होती है अनायास ही उस व्यक्ति पर मुसीबातों का पहाड़ टूट पढ़ता है क्युकी उस समय वो कर्म नष्ट होते चले जाते है तो उसका प्रभाव भी एक निश्चित समय तक भोगना पड़ता है|
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