साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 96
१. भगवान सदाशिव और शिव में क्या अंतर है ?
उत्तर:- भगवान शिव और सदाशिव में कोई अंतर नहीं है, जब हम सदाशिव उच्चारण करते है तो इसका अर्थ होता है वह शिव जो सदैव रहने वाला है, वह शिव जो परम शिव है, वह शिव जो ज्ञान का मूल स्त्रोत्र है और परब्रह्म स्वरुप है| जो लोग भगवान शिव को परमात्मा मानते है उन शिव में और सदाशिव में कोई भेद नहीं है |
२. भगवती तारा और भगवान राम का क्या संबंध है?
उत्तर:- भगवती तारा जो है इस संसार से तारने वाली है और उनका मंत्र ताड़न मंत्र कहलाता है और तारन मंत्र जो होता है वही भगवान राम का भी होता है | शक्ति के सिद्धि के रूप में जब भगवान पुरुष रूप में जन्म लेते है तो राम कहलाते है और स्त्री रूप में होते है तो तारा कहलाते है | शक्तिया एक दूसरे से सम्बंदित है और एक ही परमात्मा से सारी शक्तिया जुड़ी हुई है |
३. माँ त्रिपुर भैरवी और काल भैरव का क्या संबंध है ?
उत्तर:- १० महाविद्या के अलग-अलग भैरव बताए गए है और इनका चिंतन माता के सेवक के रूप में किया गया है क्युकी काल भैरव और बाकी सारे भैरव भी भगवान शिव के अवतार कहे जाते है, जैसे भगवान् हनुमान भी भगवान शिव के अवतार कहे जाते है | जब भगवान शिव भिन्न भिन्न रूपों में होते है तो उनकी शक्ति भी उनके साथ भिन्न भिन्न रूप में होती है | भगवान शिव जब माता पार्वती को रोकने लगे, जब माता पार्वती पूर्व जन्म में माता सती के रूप में थी तो जब भगवान शिव उन्हें रोकने लगे की आप दक्ष के पास न जाइये क्युकी मै देख चूका हूँ की आपको इस घटना के वजह से अपना शरीर त्यागना होगा परन्तु माता सती ने निर्णय ले लिया था की वो वह जाएँगी ही इसलिए उन्होंने अपने १० स्वरूपों में भगवान शिव को रोक दिया था और अपनी बात मनवा ही थी | यह १० स्वरुप महाविद्या के रूप में प्रकट हुए और जितनी भी शक्तिया है उनकी उतने ही भैरव भी है | जब हम दस महाविद्या की साधना करते है तो उनके भैरव उनके साथ में ही रहते है, मूल रूप से हम भगवान शिव को ही पूजते है भैरव स्वरुप में क्युकी भैरव जी का प्राकट्य शिव से हुआ है |