साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 110
१. जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता सामंजस्य कैसे स्थापित करें ?
उत्तर:- यज्ञवाल्क्य एक ऋषि हो चुके है जो अध्भुत और तेजस्वी ऋषि थे, अध्भुत इसलिए क्युकी उन्होंने अपने जीवन में पूर्ण भगवती की साधना संपन्न की और बिलकुल नवीन ढंग से की थी | इन्होने एक नवीन विधि प्रस्तुत की जिसके माध्यम से घोर भौतिकता में लीन व्यक्ति भी देवताओ के दर्शन कर सके और ज्ञालव्य जैसा ऋषि न तो पूर्ण भौतिक ही हो सकता है और न ही पूर्ण सन्यस्त ही क्युकी जीवन के दो भाग है एक तो भौतिक है और दूसरा आध्यात्मिक और दोनों जीवन अपने आप में एक दुशरे से विपरीत है| अगर कहा जाए की उत्तर में जो हिमालय आया हुआ है उसको उठा कर समुद्र में डाल दिया जाए तो ऐसा संभव नहीं इसी प्रकार अगर कोई सन्यासी को कहा जाए की भौतिक जीवन व्यापन करे तो उसके लिए भी यह संभव नहीं लेकिन ज्ञालव्य ने कहा है की जीवन का आनंद केवल भौतिकता में ही नहीं है और जीवन का आनंद केवल संन्यास में भी नहीं है, जीवन का आनंद तो इन दोनो का सामंजस्य में है | अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो अगर आप भौतिक और आध्यात्मिकता में सामंजस्य चाहते है तो आपको दोनों ही पक्षों में समय देना होगा क्युकी अगर आप थोड़ा सा समय भौतिकता से हट कर आध्यात्मिकता में लगाते है तो भी आप सफल हो सकते है | आप इसके माध्यम से भी कार्य कर सकते है लेकिन इसमें आपको अपने मन को नियंत्रण करने का अभ्यस्त होना होगा क्युकी अगर आप ऐसा नहीं कर पाएंगे तो आपका मन जहा रम जायेगा चाहे वो अध्यत्मिकता हो या भौतिकता उस और आपको खींच कर ले जाएगा |
२. अपने आपको पहचानने का मार्ग क्या है ?
उत्तर:- जब गुरु कोई साधना क्रम आपको स्पष्ट करता है तो उस साधना क्रम के माध्यम से आप अपने अंदर उतरने की क्रिया करते है जब आप अपने अंदर उतारते जाते है तो आप स्वयं ही सारे रहस्यों से अवगत होते चले जाते है और एक समय ऐसा आता है जब आप साधना के उच्चतम भाव भूमि पर स्थित होते है और इस अवस्था में आपको प्रकृति का पूर्ण ज्ञान घटित हो जाता है |
३. ब्राह्मण को भोज न करा पाये तो क्या करे ?
उत्तर:- अगर आप ब्राह्मण को भोज नहीं करा पाए तो इस स्थिति में आपको कन्याओं का पूजन और उनके धान देना चाहिए, जो ८ वर्ष के कम आयु की हो | ऐसा कहा गया है जो पुण्य १०८ ब्राह्मण को भोज करा कर प्राप्त होता है उतना ही किसी एक कन्या को भोज कराने से भी प्राप्त होता है | क्युकी कन्या पूजन का संबंद सीधा मातृ पूजन से है, देवी पूजन है इसलिए एक कन्या १०८ ब्राह्मण से अधिक ऊर्जा और तप की शक्ति प्रदान करने वाली होती है |
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