साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 141
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे दर्शकों के प्रश्न और उनके उत्तर आज की कुछ प्रश्न जो एक साधक महोदय ने पूछे हैं। इनके? ई-मेल पत्र के माध्यम से चलिए पढ़ लेते हैं।
ईमेल पत्र-नमस्कार मित्र आप जैसा अच्छा व्यक्ति और साधक भक्त गुरु करोड़ों में कहीं नहीं मिलता है। कृपया मेरा नाम और ईमेल आईडी ना बताएं। मैंने महाविद्या स्त्रोत पढ़ा, उसमें प्रत्येक भगवान के लोक को बंद बंद रक्ष रक्ष कहा है। इसका अर्थ क्या है? सप्तशती पाठ में अप्सरा मंत्र का उपयोग कैसे और कब करें। अप्सरा को पत्नी रूप में सिद्ध कर उसे भैरवी बना सकते हैं। सब प्रकार के सुख और मोक्ष में भी सहायक हो, ऐसी कोई साधना है। यक्षिणी सिद्धि और अप्सरा में अच्छी कौन सी है, मतलब वह करने पर पाप ना लगे। क्या हम अप्सरा को पत्नी रूप में सिद्ध कर यक्षिणी को सेविका रूप में या केवल षट कर्म के लिए सिद्ध कर सकते हैं? काली सहस्त्रनाम के वीडियो में डाकिनी जैसे योगिनी रूप धर लेती है। वैसी समस्या अगर हमारे साधना में आए तो उसका क्या उपाय और मार्ग है। कैसे समझे कि हमने जिसे बुलाया है, यह वही सिद्धि है। अगर पहली बार में सफलता ना मिले और दूसरी प्रयास को भी अभी थोड़ा समय बाकी हो तो ब्रम्हचर्य टूट जाए। क्या बनी हुई ऊर्जा समाप्त हो जाएगी? आगे उसका फायदा क्या होगा? अप्सरा मंत्र का जप हम 40 माला की जगह 100 माला करें और हवन भी अधिक करें तो वह खुश होगी या उसको कोई फायदा नहीं है। तांत्रिक लोग अनेक सिद्धियां सिद्ध करते हैं। जैसे प्रेत सेना जो इनको हर रोज जाप और हवन इनकी लिए करना पड़ता है। सिद्धि बरकरार रखने के लिए या सिद्धि हो जाने के बाद जॉप करने की आवश्यकता नहीं होती। अगर अप्सरा पत्नी या प्रेमिका बनकर संभोग करें तो हमारे सारे पूर्ण और ऊर्जा उसे मिलती है तो क्या गुरु मंत्र की भी ऊर्जा उसे मिलती है। यही सारे प्रश्न आज के साधक महोदय ने पूछे तो चलिए शुरू करते हैं आज के वीडियो को।
1-महाविद्या स्त्रोत में प्रत्येक भगवान के लोग को बंद बंद और रक्ष रक्ष कहा गया है। इसका मतलब है कि हम! भगवानों के प्रत्येक लोक को बांधते हैं इस मंत्र के माध्यम से और रक्षा करते हैं उसकी। क्योंकि महाविद्या स्वयं हर जगह अपनी शक्तियों के साथ उस लोक की शक्तियों को बांध लेंगे और रक्षण भी करेंगे। उनकी रक्षा भी की जाएगी। इसका अर्थ यही है 2-सप्तशती पाठ में अगर अप्सरा मंत्र का उपयोग करना है तो उसकी एक अलग विधि मानी जाती है। श्री दुर्गा सप्तशती के माध्यम से अप्सरा सिद्धि प्रयोग एक गोपनीय बात है जो भविष्य में आप लोगों के लिए अवश्य ही लेकर आऊंगा जिसके माध्यम से आप अप्सरा की साधना जो लोग कर चुके हैं। उस! को आकर्षित करने और स्वर्ग से अपने लोक में खींचने के लिए यह प्रयोग किए जाते हैं। लेकिन यह एक अत्यंत ही गोपनीय प्रयोग होते हैं और साधक हर प्रकार से शुद्ध और पवित्र होना आवश्यक है। अन्यथा इसका उल्टा असर देखने में आता है क्योंकि माता किसी गलत कार्य के लिए कभी भी तैयार नहीं होती है। इसलिए उनकी साधना या उनकी शक्ति का प्रयोग। केवल विशेष प्रकार में ही करना चाहिए।
3-अप्सरा को यदि पत्नी रूप में सिद्ध करना है तो क्या उसे बहन भी बना सकते हैं? देखिए! अप्सरा जो है वह एक अलग योनि है और भैरवी एक अलग शक्ति है। अप्सरा महा अप्सरा बन सकती है किंतु वह भैरवी नहीं बन सकती, लेकिन भैरवी से आप का तात्पर्य अगर पत्नी है तो निश्चित रूप से अप्सरा को पत्नी बनाया जा सकता है और भैरवी के समान ही उससे फायदा भी उठाया जा सकता है। लेकिन दोनों की श्रेणी अलग है। अप्सरा कभी भी भैरवी के समान शक्तिशाली नहीं हो सकती और अप्सरा पत्नी रूप में भी अंततोगत्वा आपको किसी न किसी दिन छोड़ कर चली जाएगी क्योंकि यह पारिवारिक संबंध बनाना पसंद नहीं करती है। सिर्फ भोग और विलास ही इनकी इच्छा रहती है अन्यथा इनका अप्सरा स्वरूप समाप्त हो जाएगा। इसीलिए मेनका उर्वशी जैसी कई सारी अप्सराएं साधकों के जीवन में आई, लेकिन उन्हें छोड़कर फिर चली भी गई। किंतु भैरवी मृत्यु पर्यंत तक आपके साथ रहेगी और आपने अगर उसे संपूर्णता से अपना लिया तो मृत्यु के बाद भी आपको भैरव देवता बनाकर आपके साथ विराजमान हो जाती है। 4-सभी प्रकार की अगर सुख और मोक्ष प्राप्त करने हैं। अगर यह प्रश्न है तो गुरु मंत्र से उत्तम कोई साधना नहीं है। गुरु मंत्र न सिर्फ समस्त भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली साधना है बल्कि पूर्ण मोक्ष भी देती है। इसलिए कोई भी साधक गुरु से गुरु मंत्र अवश्य प्राप्त करें और वह महामंत्र होना आवश्यक है। जैसे जो मंत्र मैं अपने शिष्यों को प्रदान करता हूं वह धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थ देने में पूर्ण सक्षम है और इसके अलावा हर प्रकार की तांत्रिक साधनाओं का बेस तैयार कर देता है। इसलिए ना तो उस साधक पर बुरी शक्तियां कभी हावी हो पाती है और ना ही किसी सहा साधना में अगर कोई साधक असफल हो जाए तो भी उसका गलत प्रभाव उस साधक पर नहीं पड़ता है। इसलिए गुरु मंत्र का अनुष्ठान में सबसे पहले ही करवा लेता हूं। 5-अगला प्रश्न है की सिद्धि यक्षिणी की और अप्सरा में कौन अच्छा है जिसमे पाप ना लगे, देखिए सिद्धि और? उसके अलग अलग स्वरूप यह साधक पर निर्भर करते हैं। यक्षिणी भी पूर्ण पवित्र शक्ति है। अप्सरा के ही समान हम उस शक्ति से कौन से कार्य कर रहे हैं, इस पर निर्भर करता है। जैसे कोई कुत्ता पालता है, लेकिन उस कुत्ते से अपने घर की रक्षा करवाएं। लोगों की रक्षा करें तो वह पुण्य का कार्य है और उसी कुत्ते से लोगों को कटवाए और शिकार का कार्य करें तो वह पाप है तो यही बात आती है। किसी साधना में आप उस साधना का उपयोग भले के लिए कर रहे हैं अथवा बुरे के लिए यह आपकी इच्छा और आपकी सोच है। उसी हिसाब से पुण्य और पाप आपके जीवन में बनता है।
6-अगर हम अप्सरा को पत्नी स्वरूप में सिद्ध कर ले। यक्षिणी को सेविका के रूप में या केवल षटकर्म की सिद्धि के लिए कर सकते हैं। अर्थात इस प्रश्न में यह कहा गया है कि क्या यक्षिणी और अप्सरा दोनों को एक साथ सिद्ध किया जा सकता है। जी हां किया जा सकता है। ऐसा प्रयोग हम रावण के समय में प्राप्त करते हैं। जब रावण ने कई सारी यक्षिणी शक्तियों को सिद्ध कर रखा था। इसके अलावा कई अप्सराओं को भी सेविका बना कर रखा हुआ था। तो कई शक्तियों को हम बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको बहुत ही उच्च कोटि का साधक होना आवश्यक है। अन्यथा आप साधनाओं की ऊर्जा संभाल ही नहीं पाएंगे। इसलिए यह कहना एक साधारण व्यक्ति के लिए सरल बिल्कुल भी नहीं है कि वह दो शक्तियों को एक ही समय में अपने नियंत्रण में रख सके।
7-काली सहस्त्रनाम के वीडियो में डाकिनी और योगिनी इन शक्तियों का आना और साधना के दौरान यह समस्या हो ना कि हमारे सामने देवी का कोई स्वरूप आया है अथवा कोई भ्रमित करने वाली शक्ति आ गई है तो यह बात केवल उस वक्त साधक ही समझ सकता है। आपका जो मूल उद्देश्य होता है उसके अलावा अगर शक्ति कोई प्रलोभन दे रही है तो वहां सिद्धि ही होती है।और उसका उद्देश्य आपकी साधना भंग करवाना होता है। लेकिन कोई शक्ति वरदान देती है तो वह वही शक्ति है जिसकी साधना आप कर रहेतो उस दौरान पांच शत्रु सदैव तैयार रहते हैं यानी काम क्रोध मद मोह लोभ इन पांचों शत्रुओं से। किसी भी प्रकार से प्राप्त किया गया प्रलोभन आपको अपनी रक्षा में रखना है और इसी के इर्द-गिर्द सारे प्रपंच रचे जाते हैं। इनको ही समझते हुए आपको अपने आपको तैयार रखना है तो फिर आप किसी भी बुरी शक्ति। जो आपकी साधना भंग करने के लिए आएगी, उसके प्रपंच को समझ कर उसको नष्ट कर देंगे।
8-अगला प्रश्न है कि अगर पहली बार में सफलता ना मिले और दूसरे प्रयास में भी थोड़ा समय बाकी है और ब्रह्मचर्य टूट जाता है तो ऊर्जा समाप्त हो जाएगी। आगे उसका फायदा रखना होगा या वह प्रयास जारी रखें। हमेशा यह बात प्रत्येक साधक के जीवन में आती है कि एक बार में अगर सफलता नहीं मिलती है तो क्या वह अगला प्रयास करें अथवा नहीं सदैव उसे अपना प्रयास करते रहना चाहिए। बार-बार ब्रह्मचर्य टूटेगा तो साधना बार-बार भंग होगी, लेकिन प्रयास तब भी जारी रखना चाहिए। साधना और सिद्धि आसानी से मिलने वाली चीजें नहीं है। इसमें वर्षों भी लग सकते हैं। इसलिए अपने प्रयास को लगातार जारी रखें और ऊर्जा को बढ़ाते रहें। इससे अगर शक्ति सिद्ध नहीं भी होती है तो भी वह अपनी कृपा आप पर बरसाने लगती है क्योंकि वह यह बात जान जाती है जिसने इतना समय मुझे दे दिया है। अब मेरा भी एक हक बनता है कि इससे कुछ ना कुछ देती रहूँ इसलिए अगर कोई यह सोचता है कि मैंने साधना की बार-बार की बार-बार असफल रहा। लेकिन मेरी साधना शून्य हो गई तो वह गलत सोचता है। यहां तक कि अगर व्यक्ति पूरी जिंदगी भी असफल रहता है तो अगले जन्म में। उसे केवल एक बार मंत्र पढ़ने मात्र से ही वह शक्ति सिद्ध होकर आपके समस्त कार्य करने लगेगी और ऐसे हजारों उदाहरण है जहां लोगों ने एक माला में संपूर्ण सिद्धि प्राप्त कर ली। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि पिछले जन्म में उन्होंने उसी शक्ति की साधना कर रखी थी तो शक्ति सिर्फ यह इंतजार कर रही थी। एक अब उसके मंत्र का जाप किया जाएगा। 9-अगर अप्सरा मंत्र का जाप 40 माला की जगह 100 माला करें और हवन भी अधिक करे तो क्या वह खुश होगी जितनी ज्यादा आप मंत्र जाप करेंगे। शक्ति उस शक्ति की बढ़ती ही जाएगी तो अगर आप ज्यादा जाप करेंगे तो वह अधिक शक्तिशाली होगी और अब वह अगर अधिक शक्तिशाली होती है तो उसका फायदा आपको तो मिलना ही मिलना है । लेकिन सिद्धि मिलना और कृपा मिलना दोनों अलग बातें होती हैं। बड़ी शक्तियों को हम सिद्ध नहीं कर पाते हैं। जैसे मां दुर्गा है, भगवान विष्णु है भगवान शिव है। अगर कोई सोचता है कि इनको सिद्ध कर लेगा। कोई व्यक्ति तो बहुत गलत सोचता है क्योंकि यह इतनी बड़ी ऊर्जा है जो ब्रह्मांड को उत्पन्न कर रही हैं और उनको चला भी रहीं है। यह साधना करने पर केवल उनकी ऊर्जा छोटे-छोटे स्वरूपों में आपका कल्याण करती रहेंगी और आपको जीवन में बिना मांगे सब कुछ प्राप्त होगा। लेकिन अगर आप अप्सरा यक्षिणी योगिनी, भैरवी इत्यादि शक्तियों की उपासना करते हैं तो वह साक्षात प्रकट होकर आपको समस्त सिद्धियां आपको प्रदान करते हैं। 10-अगर तांत्रिक लोग प्रेत सेना इत्यादि की कोई सिद्धि करते हैं तो क्या उन्हें हर रोज जाप और हवन करना पड़ता है? सिद्धि बरकरार रखने के लिए तो बिल्कुल यह बात सत्य है। छोटी सिद्धि तो छोटा प्रयास बड़ी सिद्धि बड़ा प्रयास। और साधना शक्ति को अपने पास बनाए रखने के लिए उनका रोजाना जाप करना और उतना तप करना आवश्यक हो जाता है क्योंकि कोई शक्ति आपके पास आती है तो उसे शरीर भी धारण करना पड़ता है। उसे अपनी ऊर्जा मेंटेन रखनी पड़ती है, जबकि उसके पास शरीर भी नहीं है तो वह सिर्फ आप के मंत्र और आपके तप की ऊर्जा से ही प्राप्त करता है और आपका तप आपका ही मंत्र जाप आप के कल्याण के लिए उस शक्ति के माध्यम से कार्य करता है। इसलिए रोज जाप रोज हवन या इस तरह की जो भी आपके बीच एक संबंध बना है, वचन एक दूसरे को दिए गए हैं। वह सारे कार्य करते हैं। सिद्धि हो जाने के बाद जाप करने की आवश्यकता तब भी बनी रहती है क्योंकि। कहते है जितना बार जाप उसको और शक्ति देंगे, उसकी शक्ति बढ़ती जाएगी। ऐसे कई उदाहरण हैं जब छोटे से प्रेत को सिद्ध करके स्वयं। भगवान शिव के लोक तक पहुंचा गया है।
इसलिए आप कोई सिद्धि करें तो उसकी मंत्र जाप को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उसकी शक्ति बढ़ाते रहना चाहिए और उसका प्रयोग कभी गलत नहीं करना चाहिए तो वह शक्ति और सिद्धि बढ़ती जाएगी। उसके कार्य क्षमता भी बढ़ती जाएगी क्योंकि जैसे आप भोजन एक बार ले ले और फिर सोचे कि हमें जिंदगी भर भोजन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह गलत सोच है। इसी तरह आप की मंत्र ऊर्जा कोई शक्ति प्राप्त करती है तो उसको बार-बार आपकी मंत्र ऊर्जा प्राप्त करने की आवश्यकता है। तभी वह आपके लिए कार्य कर पाएगी और अपनी शक्ति को भी बढ़ा पाएगी लेकिन उसकी सोच! को अपने पर हावी नहीं होने देना है बल्कि अपनी सोच ही उस पर सदैव हावी रखनी है। यह हमेशा प्रत्येक साधक ध्यान रखें। 11-अप्सरा पत्नी या प्रेमिका बनकर संभोग करें तो हमारे सारे पुण्य और ऊर्जा उसे मिलती है। क्या गुरु मंत्र की भी उर्जा उसे मिलती है? देखिए निश्चित रूप से अप्सरा अगर संभोग करेगी या यक्षिणी संभोग करेगी या कोई और शक्ति ऐसा कार्य करेगी? पत्नी स्वरूप में या प्रेमिका स्वरूप में तो उसको शक्ति आपकी आधी मिलेगी ही, लेकिन अगर आपने गुरु मंत्र का जाप किया है तो उसकी ऊर्जा अगर आप उसे देंगे तभी मिलेगी अन्यथा उसे प्राप्त नहीं होगी। उसे केवल वही ऊर्जा और शक्ति मिलती है जो उस को समर्पित की जाए।तो जो साधना हम उसके लिए कर रहे हैं वह उसको पहले से ही समर्पित है तो उसके मंत्र की पूरी उर्जा उसे मिलती है। लेकिन जो मंत्र उसे हम नहीं दे रहे हैं, उसका जाप उसको समर्पित नहीं कर रहे हैं। वह उसे प्राप्त भी नहीं होता है। लेकिन आपके साथ रहते हुए उसका कुछ असर उस पर भी देखने को मिलता है और आपकी उर्जा का कुछ भाग उसे अलग स्वरूप में मिलता है। इसलिए पत्नी बनने पर आपके गुरु मंत्र का भी कुछ ना कुछ असर उस पर आएगा और यह बहुत ही शुभता लाता है। लेकिन जो जाप उसके लिए नहीं किया गया है उसकी ऊर्जा आप में ही सम्मिलित रहती है। इसीलिए कहते हैं गुरु मंत्र अवश्य ही प्रत्येक साधक को लेना चाहिए और यही आपकी हर प्रकार से रक्षा करता है क्योंकि कोई भी शक्ति आप ने सिद्ध कर ली और अपने पास रखी हुई है। वह शक्ति आपको भटका ना दे। आपको नर्क में ना ले जाए। उसके लिए आपका गुरु मंत्र ही आपकी रक्षा करेगा। इसीलिए गुरु मंत्र सर्वोत्तम साधना है जो समस्त प्रकार के सुखों को देते हुए अंततोगत्वा मोक्ष प्रदान करती है। यहां तक कि साधक के साथ उसकी साधिका शक्ति यानी वह यक्षिणी या वह योगिनी या वह अप्सरा स्वतः ही मुक्ति को प्राप्त कर जाती है क्योंकि वह भी वह मंत्र रोज सुन रही है। तो यह थे आज के कुछ प्रश्न जो साधक महोदय ने पूछे थे। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया हो तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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