साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 142
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग ध्यान के विषय में बात करेंगे क्योंकि ध्यान किसी भी मंत्र साधना में सबसे अनिवार्य और छिपा हुआ एक रहस्य है जिसके माध्यम से ही हमें किसी भी शक्ति का साक्षात्कार होना या उसकी वास्तविक दृश्यता नजर आना संभव हो पाता है।
इस संबंध में साधिका ने भी कुछ प्रश्न पूछे जैसे ध्यान की अवस्था क्या है, सही तरीके से ध्यान हो रहा है अथवा नहीं ध्यान में शुरू से अंत तक कैसे अनुभव होते हैं। गुरु मंत्र साधक को ध्यान के कितने फायदे हैं? ध्यान गलत तरीके से करने पर शारीरिक और मानसिक क्या नुकसान होते हैं और सांसो पर ध्यान करने पर बिजली के झटके क्यों महसूस होते हैं तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हम ध्यान के लिए स्वयं को तैयार कैसे करें। किसी भी मंत्र जाप में आप जब मंत्र जाप करने वाले होते हो तो उस दौरान सादा सात्विक भोजन करना, शरीर को साफ और स्वच्छ रखना। विशेष रुप से मन को और विचारों को सकारात्मक रखते हुए अंदर की साफ सफाई रखना बहुत अनिवार्य है। अब यह अंदर की सफाई क्या है यानी मन से पूरी तरह शुद्ध और स्वच्छ हो जाना किसी भी प्रपंच को अपने मस्तिष्क में धारण नहीं करना। गलत बातें नहीं सोचना। और जैसे एक देवता केवल कल्याण के विषय में ही सोचता है। इसी तरह स्वयं को उस दौरान देवता जैसा बना लेना। तभी आप सही ध्यान प्राप्त कर पाएंगे और उसका फल भी आपको मिलेगा। अगर आप केवल ध्यान करते हैं तो सुबह का समय जिसे ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं और रात्रि के 10:00 बजे के बाद का समय सर्वोत्तम माना जाता है। ध्यान करते समय। पूजा घर गृह में या किसी शांत कमरे में खुली एकांत जगह पर ध्यान करना सर्वोत्तम है। जमीन पर कंबल या ऊनी आसन बिछाकर पालथी मारकर सुखासन या पद्मासन में बैठना। चटाई कुश के आसन का प्रयोग रुई की गद्दी का भी प्रयोग अगर बैठने में परेशानी है तो एक व्यक्ति कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान कर सकता है। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में अवश्य ही रखनी चाहिए। ध्यान लगाते समय जैसे- हमेशा आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए आपके पैर जमीन पर। समतल हो अगर आप बैठकर साधना कर रहे हैं या ध्यान कर रहे हैं? पैर के नीचे कपड़ा मोटा होना चाहिए। आपकी जो आंखें हैं वह पूरी तरह बंद या फिर अधखुली, आधी खुली होनी चाहिए। खुली आंखों से ध्यान त्राटक कहलाता है। वह ध्यान नहीं होता है। अकड़ कर ऐसी पोजीशन में नहीं बैठना है जिससे आपको दर्द हो या कोई प्रॉब्लम! जांघों और घुटनों पर अपना हाथ रख लेना चाहिए और हाथों को भी ढीला छोड़ना चाहिए। ध्यान की शुरुआत में प्राणायाम करना बहुत ही उत्तम होता है। थोड़ी देर तक लंबी सांस, धीरे-धीरे लेना और धीरे-धीरे छोड़ना दिमाग में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। मस्तिष्क सक्रिय करता है। ध्यान में विचारों को कंट्रोल करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्तर है। आपने देखा होगा जब गुस्सा आता है तो सांसे जोर से चलने लगती है। दुख में निराशा में सांस धीमी हो जाती है। इससे आप समझ सकते हैं कि सांस की गति का विचारों से सीधा संबंध है। असामान्य तरीके से चलने वाली सांस मानसिक अस्थिरता प्रदान करती है। इसीलिए प्राणायाम में गहरी लंबी और साधारण शांत तरीके से चलने वाली सांस पर ध्यान देना चाहिए। सांस अंदर कैसे जा रही है, सांस कैसे बाहर आ रही हैं? केवल इसी को ही देखते हुए आप थोड़ी देर में ही सटीक ध्यान प्राप्त कर लेते हैं। जब आप ध्यान करें उस समय ब्रह्मांड का स्वरूप स्वयं को समझिए कि मैं स्वयं परमात्मा हूं और मेरे अंदर जो ऊर्जा बह रही है, इसी के माध्यम से मैं पूरे संसार को नियंत्रित कर रहा हूं। इसलिए सबसे पहले तो आपको स्वयं को ही नियंत्रित करना होगा जिसमें आपका सबसे बड़ा शत्रु आपका मन होता है। यह मन ही होता है जो आपके विचारों को निरंतर बदलता रहता है। किसी एक विषय पर आपको टिकने नहीं देता है। इसीलिए इस पर आपको विशेष ध्यान देना है। सांसो पर ध्यान लगाने के लिए इसीलिए कहा जाता है क्योंकि बिना सांस लिए व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता। जब मृत्यु के दोराहे पर व्यक्ति खड़ा होता है तो ध्यान अच्छा लगता है इसीलिए! उत्तम सन्यासी। श्मशान में ध्यान लगाते थे। और स्वयं भगवान शिव ऐसे ही स्वरूप में ध्यान लगाते हैं। इसका अर्थ है। कि जीवन की वास्तविकता को अर्थात मृत्यु को स्वीकारते हुए व्यक्ति जब ध्यान लगाता है तो लौकिक जीवन के प्रपंचों को नहीं सोचता और आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर देता है। वह ध्यान उसके जीवन को उत्तम बनाता है और वास्तविक रहस्य की ओर लेकर जाता है ना की दुनियादारी के। प्रपंचो में उसका मन दौड़ता रहे। एक बिंदु पर मन को केंद्रित करना ध्यान की महत्वपूर्ण विशेषता होती है। कहते हैं आंखें बंद करके भौहों के बीच के मध्य बिंदु को देखने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन नया साधक यहां गलती करता है। वहां बहुत जोर लगाने लगता है और से आंखों और सिर में उसके दर्द होने लगता है। यह कार्य गुरु के निर्देशन में शांत भाव से करनी चाहिए? गुरु! मंत्र में जब दीक्षा मैंने दी है, उसमें स्पष्ट रूप से बताया है। इस सरल विधि से कैसे आपको ध्यान लगाना है? उसी तरह हर मंत्र साधना में आपको ध्यान लगाना चाहिए। मंत्र जाप के तुरंत बाद अर्थात जब आप का मंत्र जाप पूर्ण हो जाए तो आप ध्यान अवश्य कीजिए। क्योंकि ध्यान के माध्यम से ही शक्ति का प्रत्यक्षीकरण संभव हो पाता है। कुछ ऐसी शक्तियां होती हैं जो केवल मंत्र जाप से साकार नहीं हो पाती। उन को साकार करने के लिए ध्यान उनका लगाना पड़ता है। उन्हें शरीर प्रदान करना पड़ता है। उनका शरीर जो कि केवल एक ऊर्जा है आपके ध्यान से। एक आकार में वह ऊर्जा। प्रत्यक्ष हो जाती है। इसी कारण से ध्यान वह एक कुंजी है जिसके माध्यम से कोई शक्ति प्रत्यक्ष प्रकट होती है। तो जिससे विषय पर आप साधना कर रहे हैं। जैसे उदाहरण स्वरूप आप मां जगदंबा की साधना कर रहे हैं या भगवान शिव की अथवा भगवान राम कृष्ण या भगवान विष्णु की तो उनके? फोटो या स्वरूप का ध्यान करते हुए जब हम ध्यान लगाते हैं तो उनके रूप भाग और गुण। स्वयं हमारे अंदर आने लग जाते हैं। हर साधना में यह घटित होता है। उन्हीं के जैसे गुण आते हैं और फिर जो रूप आप लगातार अपने। मन में देखते हुए ध्यान लगा रहे हैं। वही रूप और स्वरूप साक्षात होने लग जाता है। इसी प्रकार जब तांत्रिक साधना में हम। अप्सरा या यक्षिणी अथवा भैरवी योगिनी इत्यादि शक्तियों का ध्यान करते हैं। तो वह साकार रूप लेकर आपके सामने उपस्थित हो जाती है। क्योंकि जिस ऊर्जा के रूप में वह बह रही है उनको साकार स्वरूप देना। और जल्दी आपके सामने प्रकट करना आपके ध्यान पर निर्भर करता है। और जब आप उन्हें रूप अपने ध्यान के माध्यम से दे देते हैं तो फिर उस रूप में अपनी ऊर्जा के साथ उपस्थित होकर साक्षात वह प्रकट हो जाती हैं। आप इसे ऐसे समझिए जैसे एक बर्तन लेना और फिर उसमें दूध डाल देना। तो वह दूध बर्तन का रूप ले लेता है। एक चित्रकार पहले केवल किसी चित्र की बाहरी लाइने खींचता है। और जब उस में रंग भर कर उस चित्र को बना दिया जाता है तो वह एक सुंदर स्वरूप का दिखने लगता है। जैसे? कोई मूर्तिकार एक खड़े पत्थर को काटकर उसकी नाक आंख है। हाथ चेहरा शरीर के सभी अंग बनाता है और वह एक पत्थर एक साकार प्रतिमा में बदल जाता है। इसी को ध्यान की शक्ति कहते हैं। इसी शक्ति के माध्यम से हम किसी को भी प्रत्यक्ष कर पाते हैं और बड़ी आसानी के साथ। जब व्यक्ति ध्यान नहीं करता है तो यह कार्य बड़ा कठिन हो जाता है और लंबा समय ले लेता है जैसे किसी योगिनी। यक्षिणी अप्सरा इत्यादि का प्रत्यक्ष हो ना केवल मंत्र के माध्यम से काफी समय ले लेता है क्योंकि मंत्र से जो शरीर स्वरूप लगातार जाप के कारण बनेगा, अधिक समय लेगा लेकिन मंत्र साधना के तुरंत बाद जब हम ध्यान करते हैं या मंत्र साधना के दौरान ध्यान करते हुए जब उस शक्ति को। कोई स्वरूप जल्दी प्रदान करते हैं तो वह जल्दी ही आकर। आपके सामने प्रत्यक्ष स्वरूप अपना या अपनी छवि दिखाना शुरू कर देती है। अब इससे? आपके अंदर जो सकारात्मक बातें आती हैं, वह भी आपको जानना जरूरी है जैसे। सिर्फ ध्यान करने मात्र से और अगर वह गुरु मंत्र का हो अथवा किसी पॉजिटिव एनर्जी का हो तो आपकी मन और शरीर की चंचलता रुक जाती है। आपके अंदर की नर्वसनेस या घबराहट दूर हो जाती है। जीवन के नियम और अनुशासन का पालन आपके लिए सरल हो जाता है। आपकी मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मेडिटेशन से रचनात्मकता आपके अंदर आती है। किसी समस्या या तनाव से बाहर निकलना आप के लिए बड़ा सरल हो जाता है। गुस्सा चिड़चिड़ापन नर्वस सिस्टम सब शांत रहने लगता है। ध्यान से स्वास्थ्य सुधरता है। हृदय गति सामान्य रहती है। ब्लड प्रेशर काबू में रहता है। पढ़ाई में मन अच्छा लगता है और शारीरिक और मानसिक क्षमता बढ़ती है। लेकिन अब बात करें कि व्यक्ति ध्यान की अवस्था में कहां तक पहुंचा तो वह लगातार स्वयं के अनुभव से जान सकता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति गलत तरीके से ध्यान कर रहा है जैसे आप बैठे थे अप्सरा की साधना ध्यान करने के लिए और अपनी किसी प्रेमिका के चेहरे को देखकर उसका ध्यान उस वक्त करने लगते हो तो उसका प्रभाव उस। कन्या पर तो पड़ेगा ही बल्कि आपका भी। जो ध्यान है वह भटक कर कुछ और ही दिशा में लेकर जाएगा और ध्यान ऐसी चीज है जिससे आप सिर्फ सोचकर असंभव कार्य को भी संभव बना देते हैं। मैं एक बहुत छोटा सा उदाहरण देता हूं। लेकिन यह जो मैं कहने जा रहा हूं। यह संभव बनाने के लिए व्यक्ति बहुत ही उच्च कोटि का साधक हो तभी वह यह कार्य कर पाएगा जैसे साधना के दौरान कोई व्यक्ति बैठा है, ध्यान कर रहा है। और गहरे ध्यान में अपने आप को पूर्ण 0 बनाकर वह अपने ऊपर सोने और चांदी की बारिश! मानसिक रूप से करवाता है।
तो अगर वह बहुत उच्च कोटि के स्तर पर पहुंच चुका है तो सचमुच उसके ऊपर सोने और चांदी की बरसात शुरू हो जाएगी और जब वह ध्यान से बाहर निकल कर आंखें खोल कर देखेगा तो उसके सामने सोना चांदी पड़ा हुआ उसे दिखाई पड़ेगा। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि ध्यान से क्या-क्या करना संभव है लेकिन इसके साथ। अगर मंत्र जाप आप नहीं करते हैं तो सिर्फ ध्यान से यह करना संभव नहीं होता है। और यहीं पर बहुत सारे लोग। मात खा जाते हैं इसलिए मंत्र जाप और ध्यान दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
कई जगह आपको ध्यान करना सिखाया जाता है, लेकिन केवल ध्यान आध्यात्मिकता की ओर लेकर जाता है लेकिन विशेष चमत्कार नहीं दिखा पाता लेकिन जब वही शक्ति मंत्र शक्ति के माध्यम से जुड़ जाती है तो फिर आप न सिर्फ प्रत्यक्षीकरण कर पाते हैं बल्कि असंभव कार्य को भी संपादित कर ले जाते हैं। जब कभी भविष्य में मैं आपको अपने पास बुलाऊंगा और गुरु मंत्र या किसी? छोटे साधनों को करवा कर आपको मंत्र और मानसिक शक्ति द्वारा कैसे चमत्कार घटित होते हैं। यह भी अवश्य ही आप लोगों को दर्शन करवा लूंगा। यह कब होगा तुरंत यह प्रश्न आपके मन में जागृत होगा तो इसमें अभी समय है और मैं इस पर विशेष प्रयास कर रहा हूं कि एक दिन यह कुछ घंटों में कैसे शक्तियों का प्रत्यक्षीकरण किया जाए अथवा? उनका अनुभव करके कुछ चमत्कार किए जा सके। यह सब मां पराशक्ति की कृपा पर ही निर्भर करेगा और आप सब की प्रार्थना के ऊपर! तो यह था आज का वीडियो अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
|