साधक की वैष्णो देवी यात्रा भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर
से स्वागत है आज हम एक विशेष तरह के अनुभव के विषय
में जानेंगे जो की एक विशेष यात्रा से ही संबंधित
है और यह यात्रा देवी मैन वैष्णो देवी की यात्रा है
आखिर एक साधक के जीवन में यात्रा के दौरान क्या
घटित होता है इस वीडियो के माध्यम से हम लोग
गहराई पूर्वक जानेंगे
एक साधक जो की देवी माँ की
भक्ति रोजाना किया करता है वह
अब एक विशेष परिस्थिति में था और यह परिस्थिति थी
उनकी पत्नी जो की अब उनसे एक बात रोजाना कहती थी
यह बात थी महत्वपूर्ण क्योंकि उनकी पत्नी का कहना
था की परिवार के सभी लोग दूर के रिश्तेदार हो चाहे
कोई अन्य सबके सब एक विशेष बात का रहे हैं और यह
बात है जुड़ी हुई विशेष रूप से संतान प्राप्ति से
सबका कहना है की अब तक संतान
हो जाना आवश्यक था क्योंकि कोई
सांसारिक प्राणी बिना संतान के नहीं रह
सकता लेकिन लोग इस बात को मजाक में कहकर
साधक की पत्नी को उत्तेजित करने का प्रयास करते
रहते थे साधक की पत्नी इस बात को समझ नहीं पा रही
थी वह यह बात भी जानती थी की साधक होने के कारण जिस
तरह का प्रेम संबंध होना चाहिए वैसा नहीं बन का रहा
जिसके कारण संतान प्राप्ति में विलंब
हो रहा तब उन्होंने अपने पति से कहा
तो उन्होंने कहा जब माता की इच्छा होगी तो
अवश्य ही संतान की प्राप्ति हो जाएगी लेकिन
सांसारिक प्राणी इस बात को नहीं समझ
सकते है तो फिर उन्होंने कहा ठीक
है अगर आप मेरी यह इच्छा पुरी नहीं कर
सकते हैं तो फिर मेरा जीवन ही बेकार
है साधक अपनी पत्नी को समझता है हर एक चीज का एक
समय होता है और जिम्मेदारियां बहुत है एक साधारण
मनुष्य की तरह हमें संतान उत्पन्न नहीं करनी है
है और जीवन का मूल उद्देश्य कभी नहीं छोड़ना है
पत्नी को तो साधक समझा सकता था
लेकिन परिवार के सदस्य हो और
चाहे रिश्तेदार हो उन्हें लगता
था व्यक्ति साधक है इसलिए यह
संतान उत्पन्न करने में सक्षम नहीं हो पाएगा
जो अपने पूजा पाठ दैनिक क्रिया और साधना में
उसके जीवन में कैसे संतान की प्राप्ति होगी
यही कारण है जिसकी वजह से संतान नहीं
हो का रही लोगों के तानों की वजह
से साधक की पत्नी के ऊपर अब
काफी ज्यादा प्रभाव पड़ चुका था
साधक इस बात को समझ रहा था लेकिन वह करता भी क्या
है अब उसके सामने कोई और विकल्प नहीं था
तब एक नवरात्रि साधना करने के दौरान अचानक
से ही साधक की पत्नी को रात्रि में स्वप्न आया
स्वप्न में वह देखती हैं की वह
लंबी यात्रा पर जा रही हैं यह
यात्रा एक पर्वत पर चढ़ने की थी
पर्वत पर चढ़ते चढ़ते थोड़ी देर बाद एक स्त्री
उन्हें दिखाई थी जिसने कहा आप यहां तक किस लिए आयी हो वह बोली
संतान की प्राप्ति कोई मार्ग निकालिए तब वह देवी
और साध्वी स्त्री उनसे कहती है आपको थोड़ा और आगे
जाना होगा जाइए पर्वत शिखर तक चढ़ते हुए पहुंचिये
मनोकामना माता के द्वारा पुरी हो जाएगी
यह बात समझते हुए अब वह साधिका ऊपर की ओर चढ़ने लगी
की तभी सामने से एक शेर आता हुआ नजर आया वह बहुत तेज
गुर्राहट कर रहा था और ऊपर किसी को भी जाने
नहीं दे रहा था लेकिन स्त्री साधिका ने कोशिश
की और धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ाने लगी इससे उसे शेर की
उत्तेजना और गई और वह इन पर हमला करने के लिए तैयार था
पर वह नेत्र बंद कर लिए और आगे बढ़ती गई
और फिर शेर ने इनके ऊपर हमला कर दिया
शेर ने इनकी बाह पकड़ी और यह जोर-जोर से
माता रक्षा करो माता रक्षा करो कहने लगी
की तभी वहां का वातावरण पुरी तरह
बदल गया और अद्भुत चमत्कार घटित हुआ
वह शेर बदल चुका था उसके स्थान पर एक देवी पर्वत
शिखर पर खड़ी थी जिनके सामने वह साधिका मौजूद थी
माता ने अपना भव्य रूप दिखाए शेर पर चढ़ी
माँ दुर्गा स्वरूप में वहां पर प्रकट हो गई थी
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा पुत्री तुम्हारे यहां
आने का क्या कारण है तब स्त्री साधिका ने रोते हुए कहा माता
मुझे संतान की प्राप्ति करनी है
किंतु मेरा पति साधक होने के कारण
उस तरह मुझसे नहीं जुड़ का रहा है जिसके
कारण हमें संतान की प्राप्ति हो सके
आप कुछ वरदान दीजिए ताकि मुझे संतान की
प्राप्ति हो सके तब देवी मा ने कहा तुम
मेरे वैष्णो देवी स्वरूप की यात्रा करो वहां
पर तुम और तुम्हारा पति जब जाएंगे तो अवश्य
ही तुम दोनों की परीक्षा होगी और सफल रहते
हो तो तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी
मेरा भक्त साधक अवश्य ही तुम्हारे इस अनुरोध
को समझेगा और इस बात को गंभीरता पूर्वक लेगा
यह कहते हुए माता ने वैष्णो देवी यात्रा
पर जाने के लिए उस साधिका को कह दिया था
अब shaadika इस बात को समझ गई की उसे
वैष्णो देवी यात्रा अवश्य ही करनी चाहिए
अगले दिन सुबह उठाते ही उसने अपने पति उसे
साधक से कहा मुझे कल रात में देवी मा ने
दर्शन दिए हैं और उन्होंने आदेश दिया है की
अपने पति के साथ वैष्णो देवी यात्रा पर जाओ
तो अब मेरी यह इच्छा है की आप अवश्य ही मेरे साथ
चले लोगों के ताने सुनकर मैं बहुत परेशान हूं
और मुझे यकीन है की माता वैष्णो देवी अब अवश्य ही
कृपा करेंगी और मेरे जीवन से यह दाग समाप्त करेंगी
तब भक्त साधक ने कहा मुझ पर
कई तरह की जिम्मेदारियां हैं
और इतने दिनों के लिए घर से बाहर रहने पर सही प्रकार
से न तो साधना हो पाएगी ना ही दैनिक नित्य कार्य
जिनकी जिम्मेदारी मुझमें पर है वह हो पाएंगे
तब उसे स्त्री साधिका ने अपने
पति से जिद की और कहा आपको समय
निकलना ही पड़ेगा अवश्य ही आप इस मार्ग
पर चले आपको अब यह यात्रा करनी ही होगी
पत्नी की जिद के आगे अब साधक को झुकना
पड़ा और उन्होंने कहा ठीक चलूंगा
लेकिन अकेले जाना ठीक नही
और रिश्तेदारों को भी ले लो तो पता चला की उनके
कुछ रिश्तेदार भी जल्दी दिसंबर महीने के
अंत में वैष्णो देवी यात्रा पर जाने वाले हैं उन्होंने
वार्तालाप किया और खुद ही उनका और सबका
रिजर्वेशन ट्रेन के माध्यम से करवा लिया
अब सब लोग इस बात की तैयारी करने लगे
की उन्हें वैष्णो देवी यात्रा करनी है
माता की कृपा प्राप्त करने के लिए इससे अच्छा
अवसर और कोई नहीं था इसलिए अब साधक और उसकी पत्नी
उस दिन के लिए तैयार हो गए जब उन्हें
चलना था ट्रेन स्टेशन से निकलने के लिए
जो समय निर्धारित था उससे 1 घंटा पहले ही आ चुकी थी
साधक लोग अब अपने घर से निकल चुके थे
लेकिन समस्या तब आई जब साधक ने जिस
गाड़ी को मंगवाया था वह गाड़ी नहीं आयी और
बार-बार घर के आसपास ही लोकेशन ढूंढते रह गयी
और इस प्रकार तीसरी गाड़ी जब
बुलाई तब कहीं जाकर के वह आ पाई
क्योंकि उस गाड़ी के पीछे
डिग्गी में सिलेंडर लगा था
क्योंकि ज्यादातर ड्राइवर लोग आजकल गैस को
बचाने के लिए यह पेट्रोल या डीजल का इस्तेमाल की जगह गैस
पीछे लगवा लेते हैं जिससे उन्हें अधिक फायदा हो
तो रखने का समान बन नहीं का रहा था तो उन्हें
और उनके साथ उनके ही परिवार का एक
और सदस्य भी मौजूद था लेकिन किसी प्रकार
अब सब समान लोग अपनी गोद में लेकर
बैठे बड़ा बैग भी इस प्रकार से रखा
इसमें वालों को हो रही थी लेकिन किसी
प्रकार से वह स्टेशन तक पहुंचे
और जैसे ही वहां पहुंचे तुरंत ही ट्रेन ए गई
ट्रेन काफी लंबी थी इसलिए एक रिजर्वेशन वाले
कंपार्टमेंट तक पहुंचने के लिए उन्हें और समय
लगने वाला था लेकिन जैसे ही उन्होंने उसके अंदर
प्रवेश किया ट्रेन तभी चल दी इससे घबराहट कुछ कम हुई
ट्रेन छूटती छूटती बची थी लेकिन समस्या अभी
तो शुरू हुई थी यात्रा आसान नहीं होने वाली
साथी जितने भी थे वह सभी स्लीपिंग कोच
में थे जबकि इन्होंने ऐसी कोच मिला था
लेकिन ऐसी कोच सर्दी में लेने का कोई विशेष फायदा
ना होकर उनको नुकसान ही होना था और इसका कारण जल्दी
घर परिवार के सारे लोग जो खाना लेकर आए थे
वह आपस में एक दूसरे को बांटना था जो की अब
ऐसी कंपार्टमेंट तक पहुंचना संभव नहीं था परेशानी
कोविड की वजह से करोना वाइरस का डर था और
इसी कारण से उसे ऐसी कंपार्टमेंट में सारे
पर्दे हटा दिए गए और कंबल रजाई
गद्दा इत्यादि सभी चीज नहीं दी गई थी
इस बारे में जब वहां पूछा गया तो
उन्होंने कहा क्योंकि इनका इस्तेमाल होता है इसलिए
इस कंपार्टमेंट में ना तो चादर मिलेगी ना कंबल
एन गद्दा ना तकिया और पर्दे भी हटा दिए गए
मुसीबत ज्यादा थी इसकी वजह से साधक और
साधिका को काफी परेशानी होने वाली थी
अब इसके आगे क्या घटित होता है जानेंगे हम लोग
अगले भाग में तो अगर यह कहानी आपको और सत्य
घटना पसंद आ रही हो तो लाइक करें शेयर करें
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