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सौम्य मनोरमा अप्सरा साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज बात करेंगे अप्सरा साधना के बारे में जो कि अत्यंत ही गोपनीय साधना है। इस साधना में हम मनोरमा नाम की अप्सरा का प्रत्यक्षीकरण करते हैं।

इसकी साधना विधि गोपनीय होने के कारण लोग इसको स्पष्ट नहीं करते। यहां पर मैं आपको इसके साधना के विषय में अत्यंत ही गोपनीय जानकारी देता हूं। अगर आपको मनोरमा अप्सरा की सिद्धि करनी है। तो इसके लिए सबसे अधिक आवश्यक जो वस्तु है वह है तुलसी का पौधा। तुलसी का पौधा आपके घर में भी लगा हो सकता है। यह किसी बाग बगीचे में भी लगा हो सकता है। याद रखें। उस पौधे को पहले जाकर उसको प्रणाम करें और इस पौधे से आज्ञा लीजिए कि आपकी शक्ति मनोरमा को पुकारना चाहता हूं। उनको सिद्धि करना चाहता हूं। इस सिद्धि हेतु आप मुझे आज्ञा प्रदान कीजिए। यह कह कर आप तुलसी के उस वृक्ष को या पौधे को प्रणाम करेंगे? इसके बाद आप उस पौधे को चारों तरफ से ढक देंगे।

इस तरह से रखेंगे कि आकाश तो खुला हो लेकिन चारों तरफ से उसे कोई देख ना पाए। अब यह साधना आप घर में भी कर सकते हैं। तुलसी के पौधे को गमले में लगा कर के। या फिर आप उसी स्थान पर जहां पर तुलसी का पौधा उगा हुआ है, वहां जाकर के भी है साधना कर सकते हैं। विधि अप्सराओं जैसी ही सामान्य है। सहजता से की जा सकती है। इसके लिए आपको सबसे पहले किसी भी पूर्णिमा की रात्रि से इस साधना को शुरू करना चाहिए। इस साधना को करने के लिए सबसे पहले आपको हर प्रकार से शुद्ध स्वच्छ पवित्र और सुगंधित अपने शरीर को बना लेना चाहिए। इसके लिए आप? चाहे तो तुलसी की माला भी पहन सकते हैं। इसमें मंत्र जाप भी तुलसी की माला से ही आपको करना है। तुलसी की माला को जिस प्रकार अन्य मालाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है उसी के हिसाब से यहां पर भी आप प्राण प्रतिष्ठा कर सकते। विधि सामान्य सी है।

इस देवी की सिद्धि आपको 21 दिनों में हो जाती है। प्रतिदिन आपको इनके मंत्र का 51 माला जाप करना होता है। इनकी सिद्ध होने पर देवी प्रत्यक्ष रूप से या फिर छाया रूप से आप को दर्शन देती हैं और आपके सभी मनोरथ को पूर्ण करती हैं। सहज साधना है, भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। किसी भी प्रकार के कवच या सुरक्षा घेरे की भी आवश्यकता नहीं है। क्योंकि? देवी वृंदा। की शक्ति होने के कारण यह सौम्य अप्सरा मानी जाती है। किंतु आपको स्वप्न में। यह किसी भी प्रकार से आप को भयभीत कर सकती हैं। लेकिन आपको भयभीत नहीं होना है। अधिकतर जब भी शक्ति हमारे आस पास आकर मंडराती हैं या पायलों की छनकार से चलती भी नजर आती हैं। या कोई दृश्य दिखाती हैं? तो उनसे भयभीत कभी नहीं होना चाहिए।

अगर वह यह देखती है कि साधक में आत्मबल नहीं है। तो फिर इससे सिद्ध होने का कोई फायदा नहीं! इसी कारण वह आप को त्याग देती हैं। इस बात की गंभीरता को समझते हुए सदैव आपको इनकी साधना और उपासना। पूरी तरह से चौकन्नी होकर करनी चाहिए। यहां पर भी आपको इनकी साधना के लिए। किसी? भोजपत्र पर सुंदर सी अप्सरा का चित्र अनार की कलम से बना लेना चाहिए। उसके बाद उससे बने हुए चित्र को। तुलसी के पेड़ की जड़ के पास खड़ा करके रखें और वहीं पर। दीपक जला कर के बैठ करके साधना करें। वस्त्र पीले होंगे और आसन भी पीला ही होगा। इस प्रकार बैठ कर के वहां आपको यह उपासना करनी होती है।

याद रखें 21 दिन की इस साधना में आपको अपने उस पौधे और स्वयं को साधना में किसी के द्वारा ना देखे जाने की व्यवस्था करनी होगी। वरना आपकी की गई साधना नष्ट हो जाएगी। बहुत ही शांत सौम्य अप्सरा होने के कारण बहुत ही उत्तम आनंद आपको प्रदान करती है मनोरमा अप्सरा। यह अप्सरा आपकी मित्र बनकर आपके हर कार्य को संपादित करने में आपकी सहायता करती हैं। पूर्ण सिद्धि हो जाने पर आपको अभूतपूर्व पत्नी या प्रेमिका की प्राप्ति भी होती है। और अगर आप भाग्यशाली हुए तो यह देवी स्वयं आपको अपना स्वामी मान लेती है। याद रखें अगर इन्होंने आपको अपना स्वामी माना है। तो फिर संसार की समस्त स्त्रियों से आपको अपना संबंध त्याग देना होगा। क्योंकि यह पूरी तरह पवित्र अप्सरा है। उनके जैसी पवित्र अप्सरा दूसरी कोई नहीं। इसलिए पूरी तरह से समर्पण यह आपके प्रति रखती हैं।

ऐसी अवस्था में संसार की सभी स्त्रियां आपके लिए माता तुल्य हो जाती हैं। आप जीवन में विवाह संबंध ना बनाएं। किंतु अगर आपको विवाह करना हो? तो इन्हें विदा करना पड़ेगा। यह किसी भी प्रकार से हानि नहीं पहुंचाती हैं। किंतु कोई भी स्त्री अपनी सौत को स्वीकार नहीं कर सकती। इसी कारण से आपको इनकी साधना के दौरान! आपका रिश्ता? मित्र का होना चाहिए। अगर आप इन्हे ही पत्नी या प्रेमिका बनाते हैं तो फिर संसार की समस्त स्त्रियों से आपको संबंध त्यागने होंगे। केवल माँ अथवा बहन के रूप में ही संसार की सारी स्त्रियों को आप मानेंगे। देवी की सिद्धि हो जाने पर आप अत्यंत ही सौम्य स्वभाव के हो जाते हैं।

दूसरों का कल्याण करने में आपको आनंद की प्राप्ति होती है। इनके मंत्र यह है –

ॐ क्लीं वृन्दा मनोरमा आगच्छ आगच्छ स्वाहा ।।

आपको रात्रि के 9:00 बजे से यह साधना शुरू करनी है। और रोज 51 माला का जाप करना है। वहां पर जब आप साधना शुरू करें तो सबसे पहले गुरु मंत्र, गणेश मंत्र और भगवान नारायण का मंत्र जाप करें। इसके बाद उस वृक्ष और उस चित्र के समीप सुगंधित इत्र गूगल से पूजन करे। जो आप साधना में तेल प्रयुक्त करेंगे, दीपक जलाने के लिए अलसी का तेल होना चाहिए।

यह बहुत ही शुभ देवी होती हैं। यह आपके भाग्य को बदल देती हैं। आपके सभी प्रकार के कार्यों को शुभ बनाती हैं। यह एक शांत साधना है, सौम्य तांत्रिक साधना है इसलिए यह कोई व्यक्ति भी कर सकता है। डरने या घबराने की आवश्यकता नहीं है। 51 माला का जाप 21 दिनों को करने पर अंतिम दिन आप दशांश हवन कर सकते हैं। हवन में आपको तुलसी के पत्तों की ही आहुति देनी है। इस प्रकार से यह देवी आपको प्रसन्न होकर दर्शन देती हैं और आपकी और उनके बीच वचनानुसार सिद्धि प्राप्त हो जाती है। यह थी साधना मनोरमा अप्सरा की अगर आपको यह साधना पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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