स्वर्ण कमला योगिनी साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो साधना का ज्ञान प्राप्त करने जा रहे हैं, इसे नवरात्रि के बाद अगर कभी भी रवि, पुष्य, नक्षत्र या गुरु पुष्य नक्षत्र पड़े तब इसे जरूर करना चाहिए। इससे बहुत ज्यादा लाभ प्राप्त होता है और इस साधना का फल कभी ऐसा हो ही नहीं सकता कि साधक को ना मिले। इस साधना के विषय में जो कथा आती है आज उसके बारे में जानेंगे और इस साधना को कैसे किया जाए इसकी विधि मैंने इंस्टामोजो पर उपलब्ध करवा दी है और यह साधना केवल मात्र एक रात्रि में संपन्न होने वाली साधना है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इसे करने की कोशिश जरूर करनी चाहिए ताकि उसकी जिंदगी में भी बदलाव हो और सिद्धि प्राप्त की जाए।
काफी समय के बाद नवरात्रि के शुभ अवसर पर उसके तुरंत बाद गुरु पुष्य नक्षत्र आ रहा है। यह 30 तारीख को रात्रि 11:00 बजे के करीब शुरू हो जाएगा और सुबह तक रहेगा। इस दौरान अगर आप स्वर्ण कमला योगिनी साधना करें और इनकी सिद्धि प्राप्त कर लें तो अद्भुत लाभ आपको देखने को मिलेगा। आपको न सिर्फ इनकी प्रत्यक्ष सिद्धि हो सकती है। अगर किसी कारणवश आप साधना में इनकी पूर्ण तरह सफल नहीं भी होते हैं तो भी अद्भुत चमत्कार घटित होगा और आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। धन प्राप्ति के मार्ग बनेंगे आपके जीवन में सिद्धियों के आने के द्वार खुलेंगे आपके जीवन में समृद्धि सुख वैभव विभिन्न प्रकार की चीजें आपको प्राप्त होने लगेंगी। इसलिए इस साधना को अवश्य ही इस नवरात्रि में करें। मैंने समय बता दिया है। 30 मार्च रात को 11:00 बजे से आप यह साधना शुरू कर सकते हैं। अब इस संबंध में जो कथा आती है और जो वर्णन है जो की पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। आज मैं आपको बताता हूं। कई 100 वर्ष पूर्व एक गरीब ब्राह्मण निवास करता था एक नगर में उसकी एक ही संतान थी और वह भी एक कन्या थी। जब वह बड़ी हो गई तो उसके पास एक सबसे बड़ी समस्या थी। कन्या के विवाह की, उसे पता नहीं चल पा रहा था कि आखिर इतनी गरीबी में वह एक अच्छे घर में अपनी कन्या का विवाह कैसे करेगा। यह एक बहुत ही भयानक प्रश्न उसके सामने उपस्थित था। इस संबंध में उसने कई गुरुओं की साधना उपासना करने की कोशिश की। तब एक महान गुरु से उन्हें गुरुदेव बृहस्पति की साधना के विषय में ज्ञान प्राप्त हुआ तो उन्होंने विधिवत तरीके से गुरुदेव बृहस्पति की आराधना की कहते हैं।
यह देखकर वहां उपस्थित नाग और बहुत सारे सिद्ध महा विशालकाय नाग रोने लगे। तब माता ने कहा, मेरा एक सहायिका अंश स्वर्ण कमला के रूप में अब यहां पर विद्यमान रहेगा और इस की कृपा से तुम अवश्य ही समस्त सुखों को भोगोगे। तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैं यहां पर अंश रूप में विराजमान सदैव रहूंगी। इस प्रकार उन्होंने अपने शरीर से एक स्वर्ण के शरीर वाली स्त्री को जन्म दिया जो कि बिल्कुल दिखने में माता लक्ष्मी जैसी ही थी। वह दो भुजा अद्भुत सुंदरी मुकुट धारी कमल के आसन पर विराजमान। पीले रंग के वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित थी धन की वर्षा उस पर हो रही थी। धन के भंडार भरे हुए थे तब माता ने कहा, अब नागों तुम्हारा जहां भी धन होगा, वहां पर तुम वास करोगे और सदैव प्रसन्न रहोगे क्योंकि कमला शक्ति के माध्यम से आपको धन से ऊर्जा मिलती रहेगी और साधारण सा नाग सिद्ध हो जाता चला जाएगा। अगर वह 1000 वर्ष तक किसी भी धन पर विराजमान रहता है तो, इसलिए नाग बड़े ही प्रसन्न हो गए क्योंकि उन्हें अब पता लग चुका था कि जहां पर भी धन है। अगर हम वहां पर वास करते हैं तो यह सिद्ध स्वर्ण कमला योगिनी के माध्यम से हमें माता लक्ष्मी की कृपा मिलती रहेगी और सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त होती रहेंगी इसीलिए इसे गुप्त योगिनी की श्रेणी में जाना जाता है। तब से पाताल लोक में स्वर्ण कमला योगिनी का निवास स्थान था। तब गुरुदेव बृहस्पति ने कहा, सुनो उन्हीं देवी स्वर्ण कमला को आप आवाहन दीजिए। उनकी पूजा कीजिए। गुरु पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है इस नवरात्रि के तुरंत! बाद
इस समय जब तक यह नक्षत्र चलता है तब तक मेरी शक्तियां तुम्हारी पूरी सहायता करेंगी। तुम इस देवी का आवाहन मंत्र जाप विधान सहित करो और स्वयं भ्रुगू ऋषि इसकी विद्या आपको प्रदान करेंगे। यह कहकर गुरुदेव बृहस्पति ने वहां पर भृगु को बुला लिया। भृगु ऋषि ने उन्हें स्वर्ण कमला योगिनी की सिद्ध विद्या प्रदान की। इस प्रकार गुरु पुष्य नक्षत्र में रात्रि के वक्त उन्होंने जाप किया। वह जाप करने बैठे ही थे कि अचानक से सामने साक्षात स्वर्णमई पूरे शरीर जिनका सोने का था, जिनके वस्त्र आभूषण सोने के थे। मुकुट सोने का था सोने के ही कमल के आसन पर विराजमान देवी वहां पर प्रकट हो गई। उनका रूप और सौंदर्य अद्भुत था। तब उन्होंने पूछा है ब्राम्हण राज आपकी क्या इच्छा है तब वह कहते हैं। मैं अपनी निर्धनता से बहुत परेशान हूं। आप मेरा उद्धार कीजिए देवी तब स्वर्ण कमला योगिनी ने कहा अवश्य! मंदिर में जाओ माता कमला के वहां पर अपनी कन्या को भेज देना सुबह सुबह तुम्हारा समस्त मनोरथ पूर्ण हो जाएगा। तब ब्राह्मण ने सुबह अपनी कन्या को पूरी तरह से सजे और सुंदर बना कर वस्त्र आभूषणों से युक्त कर के मंदिर में भेज दिया और कहा कि इस मंत्र का जाप वहां पर बैठकर तुम करना तब उसने वहां पर मंदिर में बैठकर जाप करना शुरू कर दिया। इधर से राजा और राजकुमार की शोभायात्रा निकल रही थी क्योंकि सिद्धिदात्री माता का दिवस सिद्धियों को देने वाला होता है। इसलिए राजा ने माता के दर्शन की इच्छा जाहिर की जब वह मंदिर में पहुंचा तो एक बहुत सुंदर कन्या को मंत्र जाप करते हुए देखा।