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अघोरी की दुर्गा साधना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर आज मैं आपके लिए एक मां के ही अनुभव को लेकर आया हूं जो कि एक अघोरी के गुरु का है। तो चलिए देर करते हुए जानते हैं कि कैसा था मां दुर्गा के से संबंधित एक अघोरी के गुरु का अनुभव।

नमस्कार मित्र! मेरा नाम और पता कृपया जानने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम अघोरी अपना नाम और पता बताना उचित नहीं समझते। ऐसा हमारे गुरु लोगों की आज्ञा होती हैं। लेकिन फिर भी कुछ बातें में बताना आवश्यक समझता हूं।

बहुत समय पहले मैं यहां से नेपाल एक गुरु के पास तंत्र विद्या सीखने के लिए गया था। वह गुरु! जब मुझे मिले तो मैंने उनसे काफी कुछ तंत्र विद्या सीखी। मैं बात कर रहा हूं दंत काली मंदिर नेपाल में स्थित एक शक्ति की। जहां माता सती के दांत गिरे थे और इसी जगह।

यहां पर माता का नाम दंत काली पड़ गया। यहां जो मूल मंदिर है वह नेपाल के विजयापुर गांव में स्थित है। लेकिन बाकी बातें मैं छुपाना चाहूंगा। मित्र आप बहुत ही अच्छा धार्मिक कार्य कर रहे हैं। इसलिए आपको बधाई! मैंने अपने गुरु से उनकी साधना के दौरान घटित हुए। अनुभव के बारे में जब पूछा था तो उन्होंने जो बातें मुझे बताई वही मैं आपको बता रहा हूं।

मेरे गुरु! एक प्रसिद्ध। अघोरी तांत्रिक थे। उनकी शक्तियां बहुत सारी थी और उनके जीवन में जो माता की सिद्धि संबंधित घटनाएं घटी वही आज मैं आपको बताने जा रहा हूं।

मेरे गुरु एक प्रसिद्ध तांत्रिक थे और इस मंदिर के नजदीक ही अपनी तंत्र विद्या का कार्य किया करते थे। उन्होंने विभिन्न प्रकार की सिद्धियां हासिल की हुई थी। उनके बारे में जानकर ही मैं उनके पास सीखने के लिए गया था। मैंने उनसे पूछा मां को सिद्ध करने के लिए आप क्या करते हैं? तब उन्होंने कहा कि यह बातें बताई नहीं जाती हैं। फिर भी तू मेरा प्रिय शिष्य है तो जान। और उन्होंने फिर मुझे!

श्मशान में। तामसिक दुर्गा की सिद्धि के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि उनके गुरु ने भी यह विद्या। उनके साथ बैठ कर के प्राप्त की थी। वही अनुभव आज मैं आप लोगों के साथ में साझा करना चाहता हूं ताकि मां की भक्ति और उनसे जुड़ी हुई गोपनीय शक्तियों के बारे में पूरी दुनिया को पता लग सके।

मेरे गुरु और उनके गुरु दोनों लोग एक साथ बैठकर। श्मशान में मां की तामसिक तरीके से साधना शुरू किए थे। मां दुर्गा को सिद्ध करने के लिए उनके तामसिक रूप की साधना उन्होंने श्मशान में शुरू की।

उनकी साधना में विशेष तरह के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। वह मंत्र आपको किसी किताब में नहीं मिलेंगे।

वह मंत्र बोलने में भी डरावने लगते हैं।

खैर उसके बारे में कभी और किसी और पत्र के माध्यम से आपको बताऊंगा। लेकिन मित्र मैं यह कहना चाहूंगा साधना बहुत खतरनाक है और गलती होने पर वह हो सकता है जो उन लोगों के साथ में घटित हुआ था।

उन्होंने साधना के लिए नवरात्रि के 9 दिनों का चयन किया। सभी लोग यह बात जानते हैं कि नवरात्रि में सभी प्रकार की तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। उस दौरान कोई भी सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इसीलिए माता के यह 9 दिन बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में अगर शमशान में जाकर सिद्धि प्राप्त की जाए तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि आपको सिद्धि की प्राप्ति ना हो। उन्होंने नवरात्रि के पहले दिन से। यह साधना शुरू कर दी। घोर अंधेरी रात में दोनों लोग बैठकर चिता के सामने मंत्रों का जाप करने लगे।

मंत्र जाप होता रहा और इस प्रकार प्रथम रात्रि संपन्न हुई। दूसरी रात को एक बार फिर से वह साधना में बैठे ही हुए थे कि तभी वहां पर बहुत सारे कुत्ते आ गए। वह कुत्ते इन्हें देख कर जोर जोर से भौकने लगे। कुत्तों के भौंकने की वजह से इनका ध्यान भंग हो रहा था। तो मेरे गुरु के साथ जो उनके गुरु थे, उन्होंने अपना चिमटा उठाया। और कुत्तों को दौड़ाना शुरू कर दिया। कुछ देर दौड़ने आने के बाद कुत्ते वहां से हट गए और यह वापस आकर अपनी साधना में बैठ गए।

जब उन्होंने देखा कि इनका शिष्य यानी कि मेरा गुरु वहां पर नहीं है तो उन्हें चिंता हुई। और उन्होंने चारों तरफ घूम कर देखा। पर मेरे गुरु कहीं दिखाई नहीं दिए।

इसके बाद अचानक से ही इन्हें बहुत तेज नींद आ गई और इसके बाद वह सो गए। सुबह जब उठे तो वह एक नदी के किनारे खुद को पाते हैं।वह नदी बहुत दूर थी।उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वह यहां कैसे पहुंच गए हैं?

उन्होंने देखा कि नदी चारों तरफ उनके थी। और एक छोटी सी जगह पर वह बैठे थे जो जगह जमीन से ऊपर थी।

उन्होंने चारों ओर देखा और कोई रास्ता नहीं जानने मे नहीं आ रहा था। उन्हें तैरना भी सही प्रकार से नहीं आता था क्योंकि अगर वह नदी में छलांग लगा दे तो शायद नदी को पार कर जाते। लेकिन इतनी लंबी नदी देखकर उन्हें भय हो गया।

उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था तब उन्होंने माता से प्रार्थना प्रारंभ की। माता अगर हमसे कोई गलती हुई हो तो हमें क्षमा कर दीजिए। मैं यहां पर कैसे पहुंच गया, मुझे समझ में नहीं आ रहा है? मेरी मदद कीजिए, माता मेरी रक्षा कीजिए। इस प्रकार उन्होंने जब प्रार्थना की तभी उसी नदी में चारों तरफ से मगरमच्छ आने लगे।

चारों ओर से आने वाले उन मगरमच्छ को देखकर अब मेरे गुरु के गुरु! और भी अधिक भयभीत हो गए।

उन्होंने सोचा भी नहीं था कि मां से प्रार्थना करने पर उसका उल्टा ही फल उनको मिलेगा। यहां पर बहुत सारे मगरमच्छ चारों तरफ से धूप सेकने के लिए। उनके पास आ रहे थे जैसा कि मगरमच्छ किया करते हैं जब मगरमच्छों को काफी समय पानी में हो जाता है तो ठंड के प्रभाव को कम करने के लिए वह किनारे पर आकर धूप सेकते हैं।

समस्या यह थी कि धूप सेकने के लिए जो स्थान था, वह काफी बड़ा नहीं था वह बीच नदी में था। इसलिए वहां पर सब! मेरे गुरु के नजदीक आ जाते यानी कि मेरे गुरु के गुरु जी मगरमच्छों से घिर जाते और मगरमच्छ उन्हें अपना निवाला बना लेते। मौत नजदीक थी। इसलिए मेरे गुरु को।

यानी कि मेरे गुरु के गुरु को यह बात समझ में आ गई। इस शायद उनसे कोई बड़ी गलती हो चुकी है। माता उनसे नाराज हैं। तभी वह ऐसी जगह पहुंच गए हैं। उन्होंने मंत्रों के माध्यम से माता को आवाहन देना शुरू कर दिया और लगातार मंत्रों का जाप करते रहे। लेकिन मगरमच्छों का उनकी तरफ आना नहीं रुका। चारों तरफ से जमावड़ा वहां पर इकट्ठा हो चुका था।

अब उन्हें कुछ जब समझ में नहीं आया तो उन्होंने उसी स्थान पर बैठकर माता के मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया और लगातार वह मंत्रों का जाप करने लगे।

उन्होंने इस बात की चिंता नहीं की कि अब मगरमच्छ उनके साथ क्या करेंगे? और हुआ भी वैसे ही सारे मगरमच्छ उनके चारों तरफ इकट्ठा हो गए।

तभी एक मगरमच्छ इनके बिल्कुल! पास आकर। इनकी गोदी में अपना सर रख दिया।

उन्होंने हल्के से आंखें खोलकर देखा तो मगरमच्छ उनके गोदी पर अपना सिर रखकर मुंह खोल कर। अपने शरीर के ठंडक को दूर कर रहा था। वह जानते थे अगर वह थोड़ा भी हिले डुले। तो शायद इसे गुस्सा आ जाए। शायद यह भी भूखा नहीं है इसीलिए उसने अभी तक! वार नहीं किया है लेकिन कब तक कभी तो यह वार करेगा और अगर इतने सारे मगरमच्छ हैं तो इनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।

इसी समस्या में घिरे वह कुछ समझ नहीं पा रहे थे। उन्होंने फिर वही किया क्योंकि उनके पास और कोई रास्ता भी नहीं था। उन्होंने मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया। और बहुत ही तेजी के साथ में वह मंत्रों का जाप करने लगे।

मंत्रों के जाप से ऐसी ध्वनि उत्पन्न हो रही थी जिससे चारों ओर का वातावरण ही बदल रहा हो।

तभी उन सारे मगरमच्छों में से। एक मगरमच्छ इनकी और बड़ी तेजी से लपका इन्होंने आंखें खोल कर देखा। तो उन्हें? ऐसा महसूस हुआ कि कोई मगरमच्छ।

अब भूखा है और वह मगरमच्छ इन्हें। खाने के लिए बहुत ही तेजी से इनकी और दौड़कर आ रहा है।

और वह बहुत तेजी के साथ इनकी और झपट्टा मारते हुए इनको पकड़ने के लिए आ चुका था।

आगे क्या हुआ, मैं तुरंत ही अगले पत्र में आपको बता दूंगा।

प्रणाम मित्र!

संदेश -यहां पर इनके गुरु के गुरु के जीवन में। एक तांत्रिक साधना के दौरान घटित हुए अनुभव को इन्होंने भेजा है। अगले भाग में हम लोग जानेंगे कि किस प्रकार उनके गुरु के जीवन में बदलाव आया कैसे वह इस समस्या से पार हुए।

तब तक के लिए जय माता दी। आप सभी का दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

अघोरी की दुर्गा साधना भाग 2

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