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अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 1-2

अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 1-2

नमस्कार, नमस्कार दोस्तों! धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज मैं एक विशेष और रहस्यमय कहानी लेकर उपस्थित हुआ हूँ, जो प्राचीन मंदिरों और मिथकों से जुड़ी हुई है। यह कहानी एक ऐसी जगह की है, जो कि वर्तमान वाराणसी जिले के दक्षिणी हिस्से में, मिर्जापुर की सीमा पर स्थित एक जाखिनी गाँव में है, जहाँ पर अत्यंत प्राचीन  यक्षिणी देवी का मंदिर स्थित है।

आज की स्थिति में यह मंदिर मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। किसी जमाने में यहां राजा भ्रत्हरी ने तपस्या की थी और पूजा-अर्चना की थी। इसका इतिहास आज की स्थिति के अनुसार काफी अलग है। इस स्थान से जुड़ा एक रहस्यमय वाकया घटित हुआ था, जिसका वर्णन और विवरण आज के युग में देखना दुर्लभ है।

आज मैं आपको उस कथा के विषय में बताऊंगा, जिसे “श्राप की कहानी” भी कहा जाता है। कहते हैं कि उस समय एक राजकुमार जंगल में शिकार करने के लिए आया था। सुनहरी धूप की किरणें उसके चेहरे पर पड़ रही थीं और वह किसी अदृश्य शक्ति की खोज में था, क्योंकि उसने सुना था कि यह स्थान अपने आप में बहुत रहस्यमय है। यक्षिणी से संबंधित कई सारे रहस्य यहां मौजूद हैं।

राजकुमार अपने गुरु द्वारा दिए गए विशेष मंत्र का जाप करते हुए वहां एक पूरा दिन रुका। रात के समय जब वह मंत्र का जाप कर रहा था, तभी उसके कानों में एक अद्भुत ध्वनि गूंजने लगी और उसे आकर्षित करने लगी। वह तालाब की ओर चल पड़ा, जहाँ से अद्भुत आवाज़ें आ रही थीं। उसने तालाब के किनारे खड़े होकर दूर देखा, जहाँ एक महा सुंदर स्त्री दिखाई दे रही थी।

उसने देखा कि वह स्त्री चंद्रमा की रोशनी में अद्भुत सुंदरता के साथ खड़ी थी, उसके काले बाल हवा में लहरा रहे थे। उसका सौंदर्य देखकर राजकुमार मंत्रमुग्ध हो गया। वह स्त्री मुस्कुराते हुए बोली, “मुझे लगता है कि तुम्हारी साधना सफल हो चुकी है।”

राजकुमार ने पूछा, “आप यह क्या बातें कह रही हैं?”

उस स्त्री ने हंसते हुए कहा, “तुम्हें तो पता ही होगा कि तुम यक्षलोक की एक अपूर्व सुंदरी से बात कर रहे हो।” यह सुनकर राजकुमार और अधिक हैरान हो गया। वह स्त्री, जिसका नाम अनुरागिनी था, बोली, “मैं 500 वर्षों से एक सच्चे प्रेम की तलाश में हूँ। ऋषि के श्राप के कारण मैं इस धरती पर भटक रही हूँ। तुम्हारे अंदर मुझे वह प्रेम दिखाई दे रहा है। यदि तुम मेरी साधना पूरी करोगे, तो मैं तुम्हारी प्रेमिका बन जाऊंगी।”

राजकुमार ने यह सुनकर कहा, “मैं तुम्हारी बात समझ रहा हूँ, लेकिन तांत्रिक साधना क्या आप मुझे सिखाएंगी?”

अनुरागिनी ने मुस्कुराते हुए कहा, “यक्षिणी शक्तियां अपनी साधनाएं खुद नहीं सिखा सकतीं। लेकिन मैं तुम्हें एक ऋषि से मिलवाऊंगी, जो तुम्हारी सहायता करेंगे।”

राजकुमार ऋषि के पास गया, जहाँ उसे यह विद्या सिखाई गई। कई वर्षों की साधना के बाद, राजकुमार ने अनुरागिनी के प्रेम को प्राप्त किया। लेकिन कहते हैं ना, प्रेम कभी भी आसानी से नहीं मिलता। राजकुमार को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसकी साधना के दौरान एक डायन शक्ति प्रकट हो गई, जो राजकुमार को भ्रमित करने का प्रयास करने लगी। लेकिन राजकुमार ने अपनी तपस्या से उस डायन को परास्त कर दिया।

आखिरकार, राजकुमार और अनुरागिनी का मिलन हुआ। राजकुमार ने उसे अपने महल में ले जाकर विवाह कर लिया, और उसके बाद दोनों ने एक साथ प्रेम और सुख का जीवन व्यतीत किया।

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अब क्योंकि राजकुमार और उसके साथ वह शक्ति, जो उसके घर में मौजूद थी और राजा को अपने वशीकरण में ले रही थी, एक बिल्कुल अलग तरह की घटना थी। राजा इस बात को नहीं समझ पाया और उसने अपने पुत्र को उचित समझा। इसका कारण यह था कि वह नहीं चाहता था कि उसी का पुत्र उस पर किसी प्रकार का संदेह करे।

लेकिन राजा के मन में उस स्त्री के कारण कामवासना जागृत हो गई, और रात्रि के समय वह अपनी होने वाली बहू के कमरे में पहुंच गया। राजकुमार भ्रमण के लिए बाहर गया हुआ था और उसे एक दिन बाद वापस आना था। जैसे ही राजा उस कमरे में पहुंचा, उसने जो दृश्य देखा, वह अत्यंत भयावह था। वह सुंदरी आईने के सामने खड़ी होकर अपने गहनों और वस्त्रों को सजा रही थी, लेकिन उसका चेहरा डरावना और चुड़ैल जैसा दिख रहा था। यह देख राजा आश्चर्यचकित हो गया और तुरंत समझ गया कि यह कोई साधारण स्त्री नहीं है, बल्कि कोई भयानक शक्ति है।

राजा अपनी कामवासना को दबाकर चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया। इस घटना की भनक उस युवती को नहीं लगी। राजा तुरंत अपने गोपनीय मंत्री के पास पहुंचा और उसे आदेश दिया कि किसी शक्तिशाली तांत्रिक से संपर्क किया जाए। राजा के मंत्री ने अपने सैनिकों को आस-पास के क्षेत्र में भेजा। श्मशान भूमि का वातावरण अंधकारमय और भयानक था, और वहां एक तांत्रिक साधना में लीन था। वह तांत्रिक बहुत महत्वाकांक्षी था और विभिन्न सिद्धियां प्राप्त करना चाहता था।

तांत्रिक श्मशान में गहरी समाधि में बैठा हुआ मंत्रों का उच्चारण कर रहा था। जब उसने अपनी साधना पूरी की और नेत्र खोले, तो राजा के सैनिक उसके सामने खड़े थे। उनके साथ आया हुआ प्रमुख सैनिक कहने लगा, “आपको राजा ने तुरंत बुलाया है।” तांत्रिक ने उत्तर दिया, “मुझे भला तुम्हारे राजा से क्या काम है?” सैनिक ने कहा, “यदि आप सच में तांत्रिक हैं और हमारे राजा की मदद कर सकते हैं, तो बताइए कि राजा ने आपको क्यों बुलाया है।”

यह सुनकर तांत्रिक ने अपनी सिद्धियों का उपयोग करते हुए घटनाओं को देखा और जोर से हंसने लगा। उसने कहा, “मैं समझ गया कि राजा ने मुझे क्यों बुलाया है। अब मैं उस शक्ति को अपने वश में करूंगा।” इसके बाद तांत्रिक राजा के सैनिकों के साथ राजा के महल की ओर रवाना हुआ। तांत्रिक ने राजा से कहा, “आपके घर में एक डायन ने प्रवेश कर लिया है। आप मुझे विवाह में अपने पुत्र की जगह बैठाइए, बाकी सब मैं संभाल लूंगा।” राजा भी यह सुनकर हैरान हो गया, लेकिन उसने तांत्रिक की बात मान ली।

अगले दिन विवाह की पूरी तैयारी हो चुकी थी। मंडप में तांत्रिक को राजकुमार के वेश में बैठाया गया और विवाह संपन्न हो गया। विवाह के बाद जब डायन और तांत्रिक अपने कक्ष में पहुंचे, तो डायन ने अपने वास्तविक रूप में आकर तांत्रिक से कहा, “मुझे माफ कर देना, राजकुमार। मैं अपनी वासना को नियंत्रित नहीं कर पाई। मैंने तुम्हारे अंदर बहुत बल देखा और तुम्हें पाने के लिए मैंने यह सब किया।”

तब तांत्रिक हंसते हुए बोला, “तुमने अपने आपको मेरे वशीकरण में डाल दिया है। अब तुम मेरे बंधन से मुक्त नहीं हो सकती।” यह सुनकर डायन गुस्से में आ गई और कहने लगी, “तुमने मेरे साथ धोखा किया है, मेरा विवाह तो राजकुमार से होना था!” तांत्रिक ने हंसते हुए उत्तर दिया, “जैसे को तैसा। तुम भी तो राजकुमार का उपयोग अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए करने वाली थी। अब मैं तुम्हारे शरीर का उपयोग अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए करूंगा।”

डायन यह सुनकर बुरी तरह चिढ़ गई, लेकिन अब वह तांत्रिक के वश में थी। राजकुमार यह सब देख रहा था और बहुत दुखी हुआ। उसने सोचा, “मैंने पहले ही जान लिया था कि यह स्त्री कुछ और है।” तभी उसे जंगल में अपनी अनुरागिनी यक्षिणी की याद आई और वह उसे ढूंढ़ने के लिए दौड़ा। अंततः एक वृक्ष से आवाज आई, “राजकुमार, मुझे यहां से मुक्त करो, मैं तुम्हारे लिए तड़प रही हूं।”

राजकुमार उस वृक्ष के पास पहुंचा और हैरान हो गया कि एक वृक्ष कैसे बातचीत कर सकता है। फिर भी उसने साहस करके पूछा, “मैं तुम्हें कैसे मुक्त कर सकता हूं?”

वृक्ष से फिर से आवाज आई, “एक डायन ने मुझे तंत्र के जाल में इस पेड़ के अंदर बांध दिया है। केवल वही मुझे मुक्त कर सकती है।” राजकुमार ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें इस बंधन से मुक्त कराऊंगा।” इसके बाद राजकुमार तांत्रिक के पास वापस गया, जो अब श्मशान में बैठा हुआ अपनी शक्तियों को बढ़ा रहा था। जब तांत्रिक ने राजकुमार को देखा, तो हंसते हुए बोला, “क्या हुआ, राजकुमार? मैंने तो तुम्हें उस डायन से मुक्त करवा दिया है। अब क्यों आए हो?”

राजकुमार ने कहा, “मैं अपनी प्रेमिका को खो चुका हूं। वह एक वृक्ष में बंधी हुई है। कृपया मेरी मदद करें।” तांत्रिक ने डायन को बुलाकर पूछा, “तुमने आखिर राजकुमार की प्रेमिका के साथ क्या किया है?” डायन ने अनमने ढंग से उत्तर दिया, “मैंने उसे तंत्र के जाल में एक पेड़ के अंदर बांध दिया है। केवल मैं ही उसे मुक्त कर सकती हूं।”

तांत्रिक ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद करूंगा, लेकिन बदले में मुझे कुछ चाहिए।” राजकुमार ने पूछा, “क्या चाहिए?” तांत्रिक ने कहा, “तुम्हें मुझे एक महल रहने के लिए देना होगा।” राजकुमार ने तुरंत उत्तर दिया, “मैं अपनी प्रेमिका को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं।”

तब तांत्रिक, डायन और राजकुमार उस वृक्ष के पास पहुंचे। तांत्रिक ने वृक्ष को देखकर जोर से हंसते हुए कहा, “यह काम बहुत मजेदार होगा।”

अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 3

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