अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 3
नमस्कार दोस्तों, चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी में। यह भाग तीन है। पिछली बार की कहानी को आगे बढ़ाते हुए हम आपको इस कहानी के अगले चरण में ले जा रहे हैं।
आप जानते हैं क्या? उस वृक्ष के पास पहुंचे राजकुमार, डायन और तांत्रिक तीनों ही संशय में थे। लेकिन तांत्रिक, इस कार्य के लिए बहुत ही प्रसन्न था, जैसे वह पूरी तरह से तैयार था। उसे यह बात अच्छी तरह समझ आ रही थी कि कुछ विचित्र होने वाला है, लेकिन उसकी मुस्कान से यह स्पष्ट था कि वह जो करने वाला है, उसके बारे में न तो डायन को, न ही राजकुमार को, और न ही यक्षिणी को कोई जानकारी है। इसलिए जो होने वाला था, वह बहुत ही अधिक अजीब था।
तुरंत ही तांत्रिक ने डायन से कहा, “सुनो, तुम इसे मुक्त कर दो, यह मेरा आदेश है।” डायन ने कहा, “जो आग्या।” उसने अपने मंत्रजाल को, जिसकी सहायता से उसने अनुरागिनी यक्षिणी को बांधा था, मुक्त कर दिया। अनुरागिनी वृक्ष से बाहर निकल आई और प्रसन्नतापूर्वक दौड़ते हुए राजकुमार के गले लग गई।
अनुरागिनी ने राजकुमार से कहा, “आपने आखिरकार मुझे मुक्त करवा ही लिया। मैं न जाने कब से इस बात के लिए चेष्टा कर रही थी, पर मेरी कोई भी शक्ति इस डायन के मंत्रजाल के आगे काम ही नहीं कर रही थी।” डायन भी मुस्कुराते हुए बोली, “तुम में जितनी शक्ति है, उससे कई गुना ज्यादा तांत्रिक शक्तियां मेरे पास हैं।”
तब तांत्रिक ने कहा, “ठीक है राजकुमार, तुम अपने नगर वापस लौट जाओ।” इस प्रकार, राजकुमार अपने घोड़े पर अनुरागिनी के साथ बैठकर अपने राज्य की ओर चल पड़ा। पीछे से तांत्रिक मुस्कुराते हुए कुछ नया ही विचार कर रहा था। आखिर तांत्रिक के मन में क्या चल रहा था? उस वक्त केवल डायन ही इसका थोड़ा बहुत अनुमान लगा पा रही थी। उसने कहा, “तुमने मुझे तो अपनी पत्नी बना लिया है, लेकिन जो तुम सोच रहे हो, वह तुम नहीं कर पाओगे। उन दोनों का प्रेम मुझे सच्चा लगता है।”
तांत्रिक ने कहा, “अपनी हद में रहो। तुमने वैसे भी बड़े कार्य किए हैं, जिनके बारे में मैं क्या कहूं? और अब तुम मुझे समझा रही हो।”
इस प्रकार, राजकुमार और अनुरागिनी एक बार फिर से राजमहल पहुंच जाते हैं। राजा एक बार फिर अपने पुत्र के साथ एक सुंदर युवती को देखकर कहता है, “राजकुमार, सबसे पहले मेरे पास आओ, मुझे तुमसे कुछ वार्तालाप करनी है।” राजा संशय में था, क्योंकि पिछली बार जिसे उसने प्रिय माना, वह कुछ और ही निकला। इसलिए राजा का अपने पुत्र से बात करना बहुत आवश्यक हो गया था।
राजा और राजकुमार ने राजमहल के एक कमरे में गोपनीय वार्तालाप किया। राजा ने कहा, “मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूँ कि यह कन्या मानव नहीं है। इसकी सुंदरता असामान्य है। पूरे राज्य में मैंने तुम्हारे लिए कई योग्य कन्याओं का चयन किया था, लेकिन कोई भी इतनी सुंदर नहीं थी। मुझे लगता है कि पिछली घटना को ध्यान में रखते हुए हमें सावधान रहना होगा।”
राजकुमार ने उत्तर दिया, “आपका सोचना सही है, पिताश्री। लेकिन इस प्रक्रिया की शुरुआत ही अनुरागिनी से हुई थी। मैं राजा भरत हरि की तपस्या स्थली पर गया था, जहाँ मैंने यक्षिणी मंदिर और उसके रहस्यों को समझा। तभी मेरी मुलाकात अनुरागिनी से हुई, और हमारा प्रेम भी हुआ।”
राजा ने पूछा, “क्या एक मानव का किसी यक्षिणी से इस प्रकार का संबंध उचित है? मैं ज्योतिषियों को बुलाऊंगा।”
राजा ने अपने मंत्री को आदेश दिया कि राज्य के सभी उच्चकोटि के ज्योतिषी और तांत्रिकों को बुलाया जाए। राज्य में उत्तम ज्योतिषाचार्य और तांत्रिकों का आह्वान किया गया और वे सभी राजा के पास इकट्ठे हो गए। राजा ने कहा, “मैं तुम्हें एक कन्या दिखाऊंगा। उसे देखकर बताओ कि क्या वह मेरे पुत्र के लिए उपयुक्त है।”
जब ज्योतिषियों और तांत्रिकों ने अनुरागिनी को देखा, तो उसकी सुंदरता ने उन्हें मोहित कर दिया। सभी ने कहा, “यह कन्या मणि के समान है और इसे राजमहल में ही रहना चाहिए।” लेकिन एक तांत्रिक, जो पीछे खड़ा था, उसने कुछ नहीं कहा। राजा ने उससे पूछा, “तुमने कुछ क्यों नहीं कहा?”
वह तांत्रिक बोला, “यह कन्या मानव नहीं है, यह कोई यक्षिणी है। आपके पुत्र को नष्ट कर देगी।”
राजा चिंतित हो गया और उसने तांत्रिक से सलाहकार बनने का अनुरोध किया। इसी बीच, राजकुमार और अनुरागिनी प्रेम में डूबे हुए थे। राजकुमार ने राजा से विवाह की तिथि निश्चित करने की मांग की। राजा ने कहा, “मैं विवाह की तिथि अगले सप्ताह रखता हूँ, लेकिन तुम्हें अनुरागिनी से तब तक मिलने की अनुमति नहीं है।” राजकुमार दुखी होकर यह बात मान लेता है।
रात में, अनुरागिनी महल में राजकुमार को याद कर रही थी, तभी अचानक एक बड़ा काला साया आया और अनुरागिनी को उठा कर ले गया। अनुरागिनी महल से गायब हो गई।
आगे क्या हुआ, यह हम जानेंगे इस कहानी के अगले भाग में। अगर यह कहानी और घटना आपको पसंद आ रही है, तो चैनल को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो, जय माँ पराशक्ति।
अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 4