अनुरागिनी यक्षिणी सिद्धि का चमत्कारिक अनुभव भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अनुरागिनी यक्षिणी सिद्धि का चमत्कारिक अनुभव अब इस पत्र को आगे बढ़ाते हैं। आगे की घटना के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं। नमस्कार गुरु जी अब मेरे पास यह समस्या थी कि अगर मेरी दो पत्नियां हैं तो फिर जीवन किस प्रकार से चलेगा। इसके विषय में कोई भी बताने वाला नहीं था। तब मैंने सोचा कि चलो साधना करते रहते हैं और देखते हैं। आगे क्या होता है क्योंकि जीवन खुद एक अनुभव है और इस अनुभव को समझने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता होता है। अपना प्रयास जारी रखना। तकरीबन 3 महीने बीत जाने के बाद अचानक से रात के समय जब मैं साधना कर रहा था तभी दरवाजे पर एक खटखट की आवाज हुई। मैं बिना सोचे ही साधना बीच में छोड़ कर उठ गया। पता नहीं उस दिन ऐसा क्यों हुआ पर जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने जो देखा वह मैं कभी भूल नहीं सकता। सामने सजी-धजी गहनों से लदी एक स्त्री खड़ी थी। उसने कहा, क्या मैं अंदर आ जाऊं? तो मैंने कहा, हां आ जाइए और वह फिर अंदर आ गई। उसने कहा, कमरे का दरवाजा बंद कर दीजिए। मुझे आपसे कुछ विशेष बातें करनी है। मैं नहीं चाहती कि किसी और को इस वार्तालाप के बारे में पता लगे। फिर मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। अब वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और मेरे गले लग कर बोली आपने कई दिनों से इतनी मेहनत की है। अब इसका फल प्राप्त करने का समय आ चुका है। लेकिन मेरी एक शर्त है आप अपनी पत्नी को छोड़ देंगे तभी मैं आपके जीवन में साक्षात प्रवेश कर सकती हू। उसकी बातें सुनकर मुझे यह स्पष्ट हो चुका था कि यह कोई इंसान नहीं है। निश्चित रूप से वह अनुरागिनी यक्षिणी थी और वह स्वयं साक्षात रूप में यहां पर आई थी। तब मैंने उससे कहा, यह मेरे लिए संभव नहीं है और ना ही यह उपयुक्त होगा। क्योंकि अगर मैंने ऐसा किया तो यह बहुत बड़ी गलती है। मैं अपनी पत्नी को कैसे छोड़ सकता हूं जबकि उसकी कोई भी गलती नहीं है। इस पर अब अनुरागिनी का चेहरा कुछ गुस्से भरा हो गया था। उसने यह कहा तो फिर क्यों तुमने मुझे अपनी जीवनसंगिनी बनाने का निर्णय लिया? यह तो भी गलत है ना? मैं कैसे तुम्हें किसी और के साथ बांट सकती हूं, यह संभव नहीं हो सकता अगर मैं इंसान होती तो शायद हो भी जाता। लेकिन मैं एक यक्षिणी हूं। इसलिए यह संभव ही नहीं है कि मैं अपने पति को किसी और से बांट सकूं। तब मैंने पूछा कि यह क्यों संभव नहीं हो पाता है तो उसने कहा, जिस ऊर्जा के कारण मेरा और तुम्हारा जुड़ाव है। अगर वही नष्ट हो जाए तो मेरा और तुम्हारा संबंध भी नष्ट हो जाएगा। तुमने मंत्रों की ऊर्जा से मेरे! यक्ष लोक के स्वरूप को मानव स्वरूप प्रदान किया है। अब अगर तुम किसी अन्य स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाओगे तो मेरी साधना की ऊर्जा उस स्त्री के शरीर के अंदर चली जाएगी। इसके कारण से मेरा और तुम्हारा संबंध टूट जाएगा। मैं इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकती। मैं क्या किसी भी लोक की कोई भी स्त्री यह बर्दाश्त नहीं कर सकती है? मैं अगर क्रोधित हो गई तो तुम्हारी पत्नी की हत्या कर दूंगी और या फिर मैं तुम्हें ही दंड दूंगी और तुम्हें छोड़कर भी चली जाऊंगी। क्या तुम ऐसा चाहते हो तब मैंने उससे पूछा। क्या इसका कोई विकल्प नहीं है? तो उसने कहा, एक और विकल्प है और वह यह है कि आप अपनी पत्नी के साथ सदैव के लिए शारीरिक संबंध त्याग दें। तब मैंने उससे कहा, यह होना भी अब कठिन है क्योंकि मेरी पत्नी हमेशा मुझसे यही पूछेगी कि तुम ऐसा क्यों नहीं कर रहे हो और हमारी संतान भी नहीं है। इसलिए यह भी बहुत कठिन कार्य है। तो इसका और कोई विकल्प होगा। क्या आपके साथ मेरा संबंध बदल सकता है? तो उसने कहा, यह भी होना संभव नहीं है क्योंकि जैसे मन की भावना होती है। वैसे ही प्रेम संबंध को हम शक्तियां स्वीकार करते हैं और जिस शक्ति का कैसा स्वभाव होता है उसके अनुरूप ही वह अपने साधक के साथ जुड़ना चाहती है। मेरा तो कार्य ही अनुराग देना है। प्रेम! शारीरिक संबंध से सुख देना और अपने पति को हर प्रकार से संतुष्ट रखना यही मेरा कार्य है। ऐसे में अगर कोई मुझे किसी अन्य रूप में स्वीकार करता है तो मैं जल्दी प्रसन्न नहीं होती हूं। और सिद्धि अगर मिल भी जाए तो भी हम केवल उस पर अपनी कृपा रखते हैं। जुड़ते नहीं है। इसीलिए किसी भी साधना में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस शक्ति को आप सिद्ध करने जा रहे हैं, उसका मूल स्वभाव क्या है। अगर आप माता जगदंबा की उपासना करते हैं तो केवल मां के रूप में करें। इसीलिए क्योंकि वह माता का स्वरूप है और सारे जगत की जननी है। इसी तरह अगर कोई मेरी उपासना करें तो प्रेमिका या पत्नी के रूप में करें। अब यह एक समस्या खड़ी हो चुकी है। तब मैंने उससे पूछा। हजारों सालों से। जिन पुरुषों के साथ आपके संबंध रहे होंगे उनके साथ भी तो उनकी पत्नियां होगी तब आप क्या करती होगी? तो वह हंसकर कहने लगी। असल में यक्षिणी बदलती रहती हैं। अभी मैं अनुरागिनी हूं और जैसे ही मेरा समय समाप्त होगा, मैं किसी अन्य योनि में प्रवेश कर जाऊंगी। हो सकता है मनुष्य या देवता या फिर कहीं और और पिछला सब कुछ भूल जाऊंगी। ऐसा ही होता रहा है। इसीलिए! तुम मेरे जीवन के प्रथम पुरुष! तुमको ऐसा लगता होगा कि मैंने बहुत सारे पुरुषों के साथ संबंध बनाए हैं। पर यह गलत है मैंने। यह यक्षिणी स्वरूप कब और कैसे धारण किया, मुझे याद नहीं किंतु इतना याद है कि तुम्हारे मंत्रों से आकर्षित होकर मैं अब इस पृथ्वी लोक में आई हूं और तुम्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी हूं। अब मैंने कहा कि आपने यह सब बातें तो बताई, लेकिन आप साक्षात रूप में मेरे साथ कैसे रह पाएंगी और फिर मेरी पत्नी का प्रश्न। अब इसमें क्या किया जा सकता है? तो अनुरागिनी ने कहा, अगर तुम इतने ही ज्यादा उत्सुक हो तो मेरे पति होने के नाते तुम्हारी मदद मैं अवश्य करूंगी और फिर उसने अपने हाथ के ऊपर कुछ मंत्र बोल कर फूंका। और तभी सामने एक दृश्य मुझे दिखाई दिया। वहां पर एक शक्तिशाली पुरुष प्रकट हो गया था। उसने आते ही कहा, देवी आपने मुझे यहां इस पृथ्वी लोक में किस कारण से बुलाया है तब नमस्कार करते हुए अनुरागिनी ने कहा, आप मेरी इस समस्या का समाधान कीजिए। यह व्यक्ति जिसने मुझे अपने मंत्रों की ऊर्जा के माध्यम से सिद्ध किया है और अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसकी भी पत्नी है और यह अपनी पत्नी से भी प्रेम करता है। उसे छोड़ना भी नहीं चाहता। उसके साथ संबंधों को त्यागना भी नहीं चाहता। अब हम दोनों एक साथ कैसे रह सकते हैं? इसके संबंध में अगर कोई विकल्प हो तो कृपया उसके बारे में बताइए। तब उस शक्तिशाली व्यक्ति ने मेरी ओर देखा और कहा कि तुम्हें कुछ कार्य करने होंगे सबसे पहली बार। आपको इनके मंत्रों का जाप सदैव करना है। और आप संसार से अपने संबंध त्यागते रहेंगे। क्योंकि ऐसी गोपनीय शक्तियां और ऊर्जा अब तुम से जुड़ेंगे जिसकी वजह से संसार में कुछ उथल-पुथल हो सकती है। और संसारिक नियम के हिसाब से आपको वह सारी बातें छुपानी होंगी। रही बात पत्नी की तो इसका एक मार्ग है। आप यदि अपनी पत्नी के अंदर अनुरागिनी को स्थापित करें तो शायद दोनों संतुष्ट हो सकती है। तब मैंने अचरज में पूछा, यह कैसे संभव होगा तो उसने कहा कि एक विधान है। यह एक तांत्रिक साधना है जो पूर्व काल से गोपनीय तरीके से की जा रही है। इसमें स्वयं को भैरव बनाकर अपनी पत्नी को भैरवी बनाया जाता है। किंतु यह एक कठिन विद्या है और आपकी पत्नी अगर यह नहीं कर पाए तो उस प्रयोग के दौरान उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इसके बाद गुरु जी क्या हुआ, मैं आपको अगले पत्र के माध्यम से बताऊंगा। नमस्कार गुरु जी! संदेश-तो देखिये यहां पर इन्होंने इस शक्ति को सिद्ध करने का प्रयास किया है जिसमें अब उनके सामने एक विचित्र प्रश्न है। अगले पत्र के माध्यम से इस रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश की जाएगी तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक कीजिए शेयर कीजिए सब्सक्राइब कीजिए, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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