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अनुरागिनी यक्षिणी से मेरा सामना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका एक बार फिर से स्वागत है आज मैं आपको बताऊंगा कि एक साधक कैसे उनको अनुरागिनी यक्षिणी से सामना हुआ वह अपनी लिखित भाषा में बता रहे हैं तो चलिए पढ़ते हैं उनके पत्र को । यह बात 2001 है जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता था पिता और नानाजी मां दुर्गा के भक्त थे तो मैं भी मां की उपासना नवार्ण मंत्र से किया करता था 5000 जाप रोज करने लगा । एक दिन की बात है जब मैं अपने दादा के घर लखीमपुर आया हुआ था तो वहां हमारे ताऊ जी एक पुस्तक देहाती पुस्तक भंडार से लाए थे । उसमें कुछ तंत्र और इंद्रजाल साधना लिखी थी तो मैंने उस पुस्तक को ले लिया और उत्तराखंड पापा के पास आ गया उसमें यक्षिणी साधना के बारे में लिखा था तो मैंने सोचा यक्षिणी सोना देती है तो मुझे भी मिल सकता है और मैंने अपने ताऊ के लड़के जो मेरे से 12 साल बड़े थे उनसे सुझाव मांगा तो उन्होंने कहा तू अभी छोटा है तो मत कर मैं कर लेता हूं ।

अगर इसमें सच्चाई निकली तो तू भी कर लेना मैंने हामी भर दी और उन्होंने यह साधना शुरू की और उन्हे बड़े डरावने अनुभव हुए 1 महीने साधना करने के बाद भी सिद्धि नहीं मिली तो उन्होंने नदी किनारे साधना करना छोड़ दिया । घर पर की साधना करने लगे कि पता नहीं कितने महीने लग जाएंगे बस यही गलती हो गई उनसे,अब सारे अनुभव मुझे होने लगे रात को जो पूजा वह करते दिन में जब मैं दुर्गा की पूजा करता तो एक ही स्थान होने के कारण उनकी पूजा का फल और अनुभव मुझे होने लगा क्योंकि एक तो उन्होंने गुरुजी नहीं किया था और दूसरा वह सिर्फ किताब पढ़कर ही साधना करने लगे थे । अब जो कुछ मैंने अनुभव किया और देखा वह सच में आपको बता रहा हूं और यह  सौ परसेंट सत्य बातें है एक रात जब मैं सोया हुआ था तो मुझे लगा कोई आया है और मेरे बिस्तर पर मेरे साथ लेट गया है थोड़ी देर बाद उसने मेरे माथे और आंखों को चुम्मा लिया बस ऐसा होते ही मेरे होश उड़ गए और मैंने अपनी आंखें खोल दी तो देखा कोई नहीं था ।

रात के 2:00 बज रहे थे फिर मैं सो गया फिर कोई दो रातों तक कुछ नहीं हुआ लेकिन तीसरी रात फिर कोई महसूस हुआ कि मेरे बगल में लेटा है और इस बार उसने मेरे होठों को चूम लिया मुझे कुछ समझ में नहीं आया पहले चुंबन की वजह से मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और 2 मिनट के चुंबन ने मुझे स्वर्ग दिखा दिया था मेरा भी खत्म हो गया था और मैंने जैसे ही आंखे खोली तो देखा कि मेरे मुंह पर एक नागिन है । मैं डर के मारे उछल गया लेकिन देखा तो वहा कोई नहीं था नागिन जैसी कोई चीज उस कमरे में नहीं थी । फिर तो उस रात नींद ही नहीं आई जब रात को भैया का जाप चल ही रहा था अब मुझे भी लगने लगा था कि यह सब अनुरागिनी यक्षिणी की साधना की वजह से हो रहा था इसलिए मन को पक्का करके मैं अगली रात का इंतजार करने लगा । अगली रात को मैंने सपने में देखा मैं एक अद्भुत सुंदर लोगों में पहुंच गया हूं जहां चारों तरफ धुआ ही धुआ है सफेद रंग का चारों और फूल के बगीचे हैं एक नदी है जिसमें कई सारी कन्याएं नग्न होकर नहा रही है और वह सब बहुत प्रसन्न है ।

एक दूसरे के साथ पानी में खेल रही हैं वह सभी अति श्वेत रंग की थी लेकिन यह हमारी पृथ्वी की लड़कियों के रंग जैसी नहीं थी उन का श्वेत रंग चांदी के रंग जैसा था इसलिए उन सब की सुंदरता पृथ्वी की किसी भी कन्या से हजार गुना ज्यादा थी । उनमें से एक मेरे पास आई और बोली कि स्वप्न में ऐसा सुंदर संसार पहले कभी देखा था क्या मैंने कहा नहीं वह बोली अभी भी तो सब में ही देख रहे हो मैंने कहा नहीं यह संसार मैं तो अपनी आंखों से देख रहा हूं । वह बोली जागोगे तो क्या करोगे कहते हुए हंसने लगी । मैंने कहा फर्क नहीं पड़ता मुझे तुम बहुत सुंदर हो तो उसने मुस्कुराते कहा अच्छा फिर नागिन से क्यों डर गए थे । मैंने कहा मैं किसी से नहीं डरता तो वह मुस्कुराई और मेरे करीब आकर कान में बोली उठो …मेरी नींद खुल गई थी और सुबह के 7:00 बज चुके थे तभी मम्मी जी आई और बोली कब तक सोते रहेगा आगे क्या हुआ आपको इसके दूसरे भाग में बताऊंगा कि कैसे मैंने यक्षिणी लोग देखा और हिंदू और इस्लाम धर्म की एक बहुत बड़ी सच्चाई पता लगी …

अनुरागिनी यक्षिणी से मेरा सामना भाग 2

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