अष्टचक्र भैरवी रहस्य और साधना भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक महत्वपूर्ण विषय पर बात करेंगे और यह विषय है। अष्ट चक्र भैरवी साधना के विषय में जानना और इस शक्ति का प्रादुर्भाव कैसे हुआ था, यह कौन है और इसके संबंध में क्या कथा आती है जिसका वर्णन हमें लगभग सिर्फ सिद्ध संतों के माध्यम से ही प्राप्त होता है। तो चलिए आज से जानते हैं कि आखिर कौन है यह अष्ट चक्र भैरवी शक्ति और कैसे इसे सिद्ध किया जा सकता है। इसके विषय में तो मैंने पहले ही अपने इंस्टामोजो में साधना विवरण दे रखा है जो साधना मैंने स्वयं की थी।सबसे पहले मैं बता दूं कि? इस विषय में जो गोपनीय सूत्र और ज्ञान प्राप्त होता है वह उन्मत्त भैरव और भैरवी संवाद में देखने को मिलता है। इस कथा का प्रादुर्भाव इस प्रकार होता है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती विहार कर रहे थे। अर्थात वह आकाश मार्ग से घूम रहे थे। तभी एक पर्वत शिखर पर एक सुरम्य वातावरण देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि आप अपने उन्मत्त भैरव स्वरूप में मेरे साथ इस जगह पर चलिए और वहां चलकर कुछ आनंद लिया जाए। तब भगवान शिव वहां पर भैरव स्वरूप धारण करके और माता भैरवी स्वरूप धारण करके उस स्थान पर कुछ समय के लिए रुक गए तभी वहां पर कुछ राक्षस आ गए जो भगवान शिव को देखकर उनकी ओर दौड़ पड़े। भगवान शिव हमेशा सभी के लिए वात्सल्य रखते हैं। इसीलिए राक्षस होते हुए भी उन सभी को उन्होंने आमंत्रण दे दिया। तब माता पार्वती जो उन्मत्त भैरवी स्वरूप मे वहां पर विद्यमान थी। भगवान शिव और राक्षसों के वार्तालाप के बीच में अब अपना समय बर्बाद होता देखकर स्वयं ही इधर-उधर घूमने लगी। क्योंकि राक्षस उनसे डरते थे। और भगवान शिव को भजते थे। इसी कारण से अब उनके सामने माता पार्वती का भय था और वह उन्हें सिर्फ प्रणाम कर भगवान शिव की ओर जा रहे थे। धरती पर भगवान शिव का आगमन हुआ था और वहां के राक्षसों ने यह जान लिया था। इसलिए वह भगवान शिव से मिलने और उनकी वंदना करने के लिए वहां पहुंच गए थे। किंतु माता भगवान शिव के साथ में एकांत में अपना समय व्यतीत करना चाहती थी। किंतु यह तो हो ही नहीं पा रहा था, इसलिए वह उस वन क्षेत्र में विचरने लगी । तब उनसे कोई बात करने वाला उन्हें नहीं मिला तो उन्होंने अपने भैरवों को आवाहन दिया। सभी भैरव वहां पर प्रकट हो गए। किंतु तभी भगवान शिव ने अपने सभी भैरव स्वरूपों को बुला लिया क्योंकि राक्षस भैरवों के माध्यम से अपनी कुछ समस्या उन्हें बता रहे थे। माता पार्वती जो कि अकेले ही विचरण कर रही थी। एक बार फिर से इस बात से संशय में आ जाती है और सोचती हैं कि यह सारे पुरुष तो एक जैसे ही होते हैं और इनके कारण से बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है। एक स्त्री को केवल एक स्त्री ही समझ सकती है। लेकिन यहां तो कोई स्त्री दिखाई ही नहीं दे रही है। मैं किस से बातचीत करूं। माता पार्वती उस वन क्षेत्र में लगातार घूमती रही और इस प्रकार एक-दो दिन व्यतीत हो गए। भगवान शिव भी राक्षसों के पूरे समूह से इस प्रकार बातचीत कर रहे। कि उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि देवी कब से उनके पास है ही नहीं भगवान शिव का बहुत देर बाद जब उनका ध्यान टूटा तो वह समझे कि मैं तो यहां पर अपनी पत्नी के साथ में आया था, किंतु राक्षसों के प्रेम पूर्वक व्यवहार और वंदना के चलते उनके प्रश्नों के उत्तर देने में इतना ज्यादा तल्लीन हो गया कि मुझे तो ध्यान ही नहीं रहा। और व्यवस्था के लिए मैंने अपने आठों भैरवों को यहां पर बुला लिया था ताकि वह राक्षसों को नियंत्रण में रखते आखिर राक्षस भी मेरे भक्त हैं इसलिए उनका भी ध्यान रखना जरूरी था। तब उन्होंने अपने भैरवों को भेजा और कहा देवी जहां कहीं भी हो उन्हें बुला कर ले आओ और कहो कि राक्षस उनके भी दर्शन करना चाहते हैं। भैरव तुरंत ही देवी मां के पास चला गया। माता पार्वती कहने लगी कि भगवान शिव तो राक्षसों में ही तल्लीन हो गए हैं। अब जब राक्षस वहां से हट जाए तभी मैं वहां पर वापस जाऊंगी। इस प्रकार 7 दिन बीतने के बाद भगवान शिव वहां से स्वयं हट गए क्योंकि वह जानते थे राक्षस और उनकी पूरी सेना वहां पर आते ही रहेंगे और उन्हें एक समय भी नहीं मिलने वाला कि वह कोई और कार्य कर पाए। वह तुरंत ही अदृश्य होकर देवी उन्मत्त भैरवी यानी माता पार्वती के पास पहुंच गए। उनसे क्षमा मांगते हुए कहने लगे देवी मैंने आपको बहुत इंतजार करवा दिया। तब देवी मां कहने लगी कि आप सभी तो पुरुष हैं। मैं अगर बातचीत करना भी चाहूं तो किससे करूं, कौन है जो मेरी बात सुनेगा। आप तो इतने समय तक अपने कार्यों में व्यतीत रहे। पर मैं अपना समय किसके साथ व्यतीत करती। मैंने भैरव शक्तियों को भी प्रकट किया था? लेकिन वह भी सब आपकी सेवा में ही चले गए। ऐसे में मैं तो बिल्कुल अकेली रह गई थी। तब भगवान शिव ने कहा, ऐसी समस्या तो बार-बार आती रहेगी। तब तुम क्या करोगी तब उन्मत्त भैरव ने उन्मत्त भैरवी से पूछा, आपको क्या चाहिए? इस पर जो श्लोक आता है, मैं आपको वह श्लोक सुनाता हूं कि किस प्रकार उन्मत्त भैरव और उन्नत भैरवी की कृपा से उस शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ था। उन्नत भैरव और उन्नत भैरवी संवाद इस प्रकार है-यदा उन्मत्तः भैरवः उन्मत्तभैरविं पृष्टवान् यत् त्वं किम् इच्छसि तदा सः अवदत् यत् यथा त्वया मम ८ पुत्राः दत्ताः, मम कन्या अपि ददातु, तदा ८ भैरवः आविर्भूतः, देवी तान् अष्टौ भैरवान् एकत्र क वृत्त। अस्य कारणात् अष्टभैरवानां शक्तिः एकस्मिन् वृत्ते प्रवृत्ता, यस्य कारणात् एकः १६ वर्षीयः बालिका प्रादुर्भूतः, यस्याः नाम अष्टचक्रम्भैरवी आसीत् । अर्थात भैरव ने जब उन्मत्त भैरवी से पूछा कि आपको क्या चाहिए तो उन्होंने कहा, आप मुझे जिस प्रकार 8 पुत्र प्रदान किए हैं। पुत्री भी प्रदान कीजिए। तब 8 भैरव प्रकट हुए और देवी ने उन आठों भैरवों को एक साथ एक चक्र में बांध दिया। इसके कारण 8 भैरव की शक्तियां एक चक्र में सम्मिलित हो गई, जिससे 16 वर्षीय एक कन्या प्रकट हुई, जिसका नाम अष्टचक्र भैरवी रखा गया। इस प्रकार जब अष्टचक्र भैरवी देवी मां के सामने प्रकट हुई। तो उन्हें प्रणाम कर कहने लगी। माता मेरे लिए क्या आज्ञा है? तब माँ ने कहा, मैं तुम्हें भैरव तंत्र सिखाऊंगी और इससे तुम एक शक्तिशाली भैरवी बनोगी और इससे मेरा समय भी कटेगा क्योंकि भगवान शिव तो कभी साधना में तो कभी किसी अन्य कार्य में अपना समय व्यतीत करने लगते हैं और मेरे पास कोई नहीं रह जाता है। इसलिए मैं तुम्हें? सारे रहस्य बताऊंगी तो सबसे पहले उस कन्या ने कहा, मां मुझे सबसे पहले आप दोनों के संबंध और प्रेम को जानना है। इसलिए सबसे पहले मुझे काम और रति की शिक्षा दीजिए। उसके बाद मुझे तंत्र की शक्ति सिखाइए और मुझे यह बताइए कि भोग से भी कुंडली जागृत कैसे की जा सकती है ताकि मेरे पास समस्त सिद्धियां बनी रहे। इस प्रकार! माता पार्वती से पूछने पर उस अपनी पुत्री को उन्होंने वह विद्या सिखाई वह उसे लेकर सबसे पहले श्मशान भूमि में गई। जहां पर मौजूद सभी अतृप्त आत्माएं उस देवी के वश में हो गई क्योंकि माता पार्वती की विद्या से उसके अंदर पहले से ही वह तत्व मौजूद था। जिससे वह समस्त अतृप्त आत्माओं को अपने वश में कर सकते थे। अब अगली विद्या थी कैसे मूलाधार चक्र को काम भाव से जागृत किया जाए? आगे क्या हुआ जानेंगे अगले भाग में तो अगर आपको यह कथा और साधना विधि पसंद आ रही है तो अवश्य ही आप इससे इंस्टामोजो के माध्यम से खरीद सकते हैं और जिनका भी गुरु मंत्र जाप पूर्ण हो चुका है। वह इस विद्या का प्रयोग सीख सकते हैं जिसका स्वयं मैंने भी अनुष्ठान किया था और सिद्धि प्राप्त की थी। इसका लिंक आपको नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगा। तीन चरणों में आप इस साधना को कर सकते हैं। तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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अष्टचक्र भैरवी रहस्य और साधना भाग 2