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आयुर्वेदानुसार पानी पीने का सही तरीका

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य आयुर्वेद चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है। दोस्तों आज बात करेंगे पानी पीने के तरीके के बारे में, क्योंकि जीवन में पानी का सबसे अधिक महत्व है। हमारे शरीर में 70% से भी ज्यादा पानी पाया जाता है। इसलिए पानी सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता! हमारे जीवन की है। इसे कैसे पिया जाए इसके संबंध में आयुर्वेद क्या कहता है? तो इसी को आज हम लोग जानेंगे।

आज के प्रश्न है –

पानी पीने का सही तरीका, पानी कब पीना चाहिए,

पानी पीने से क्या फायदा है,गर्म पानी कब और कैसे पीना चाहिए, पानी पीने का फायदा,खड़े होकर पानी पीना,खाली पेट पानी पीने के फायदे,

इस पृथ्वी पर। सबसे अधिक मात्रा में जल ही उपस्थित है। स्थल 1/ 3 भाग है और जल दो तिहाई है । ऐसे में जबकि जल अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध है। इसी पृथ्वी से हमारा शरीर भी बना है। इसीलिए एक तिहाई हिस्सा ही केवल हमारे शरीर का ठोस भाग है। बाकी जल से भरा हुआ है यानी कि 70% आप लोग सोच रहे होंगे कि पानी पीने का भी क्या कोई तरीका होता है? जी हां, यह बात सत्य है। पानी पीना सब के लिए एक महत्वपूर्ण जरूरत है जिसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। पानी पीना हमेशा से स्वास्थ्य लाना वाला माना जाता है। लेकिन यह भी एक सच है कि ज्यादातर लोग गलत तरीके से पानी पीकर अपने शरीर को नुकसान पहुंचा देते हैं। आयुर्वेद कहता है कि पानी पीने का सही तरीका एक विशेष प्रक्रिया से। जाना जा सकता है, चलिए जानते हैं कि पानी को कैसे पीना चाहिए ।

पानी पीने का तरीका – आजकल पानी बोतल को ऊपर से पीने का चलन बढ़ रहा है जो कि एकदम गलत सिद्धांत है। पानी को हमेशा गिलास या किसी बर्तन से मुंह लगाकर धीरे-धीरे घूंट घूंट करके पीना चाहिए। यह कहा जाता है कि आप को पानी भी ठीक वैसे ही पीना चाहिए जैसे गर्म चाय पी जाती है। इससे शरीर के तापमान के अनुसार ही पानी पेट में पहुंचता है। अगर कोई व्यक्ति जल्दी-जल्दी पानी पी रहा है तो उसे रोक देना चाहिए क्योंकि यह पानी शरीर को नुकसान पहुंचा कर विभिन्न प्रकार की बीमारियां पैदा कर सकता है। बिना रुके पानी पीने से एसिडिटी, गैस, डकारे इत्यादि समस्याएं पैदा होने लगती हैं। जरूरत से ज्यादा भी पानी नहीं पीना चाहिए। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का मानना है कि अगर इंसान जरूरत से ज्यादा पानी पीता है तो उसकी किडनी पर। विशेष दबाव पड़ता है। जो किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा देता है। ज्यादा से ज्यादा पानी पीने से किडनी को अपनी क्षमता से ज्यादा कार्य करना पड़ता है जो उसका स्वास्थ्य बिगाड़ देती है। इसलिए जितनी आवश्यकता हो उतना ही पानी पीना चाहिए।

कितना पानी पिए ? आयुर्वेद के अनुसार! आपके शरीर के वजन के दसवें भाग को दो से घटाने पर जो संख्या आती है। उतने! लीटर पानी पीना सही माना जाता है। उदाहरण स्वरूप अगर इस बात को समझा जाए। तो ऐसा समझिए कि मान लिया आपका वजन 70 किलो है। तो उसका दसवां भाग 7 होगा। अब उसमें से दो घटा एंगे तो 5 की संख्या बनेगी। इसका मतलब हुआ कि आपको 24 घंटे में 5 लीटर पानी पीना चाहिए। अब पानी कब पिए ? सुबह उठकर खाली पेट कम से कम तीन गिलास गुनगुना पानी पीजिए। इससे रात भर शरीर में जमा हुई अशुद्धियां पेशाब के जरिए निकल जाती हैं। इसीलिए कहा जाता है कि खाली पेट सुबह उठकर सबसे पहले पानी पीना चाहिए। खाना खाने से कम से कम 30 मिनट पहले पानी पीजिए और खाना खाने के 1 घंटे बाद पीजिए। इससे वजन नहीं बढ़ता।

जब आप घर से बाहर निकल रहे हो तो तीन से चार घूंट पानी पीकर जरूर निकलना चाहिए। रात को सोने से पहले तीन घूंट पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। दिन में ज्यादा पानी पिए और शाम होते-होते इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए। इससे आप रात में आराम से नींद ले पाएंगे। भोजन करने के 1 घंटे बाद पानी पीने से पाचन सही होता है। 2 घंटे बाद और भी शुभ और 3 घंटे बाद अमृत समान माना जाता है। किसी भी तरह से एक्सरसाइज करें तो उससे पहले पानी पी लीजिए। इससे आपकी मांस पेशियों को शक्ति प्राप्त होती है। कब पानी ना पिए ? आयुर्वेद के मतानुसार खाना खाने के तुरंत बाद पिया गया पानी जहर के समान होता है। बहुत जरूरी हो तभी एक घूंट पानी लें। इससे ज्यादा भूलकर भी नहीं पीना चाहिए। जब भी धूप से या गर्मी से आए उसके तुरंत बाद पानी नहीं पीजिए। कुछ देर इंतजार करें तभी पानी पीजिए।

एक्सरसाइज योगा या टहलने के तुरंत बाद भी पानी नहीं पीना चाहिए? कभी गर्म दूध? चाय पकवान के ठीक बाद भी पानी नहीं पीना चाहिए। कुछ ऐसे फल माने गए हैं जिन के तुरंत बाद पानी पीने से आपके शरीर को हानि पहुंच सकती है जैसे कि- ककड़ी, खीरा, तरबूज, खरबूजा। पेशाब या मल त्याग करने के तुरंत बाद भी पानी नहीं पीना चाहिए। इससे पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ जाता है। इन सबके अलावा! तली भुनी चिकनी चीजों को और मूंगफली को खाने के बाद भी पानी नहीं पीना चाहिए।

पानी बिल्कुल नहीं पिए जब ऐसी परिस्थिति हो जैसे कि- कोशिश करें कि प्लास्टिक से बनी गिलास या बोतल से पानी को नहीं पीना चाहिए। पानी को बिना इच्छा के जबरदस्ती नहीं पीना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहता है। पानी कभी भी खड़े होकर के नहीं पीना चाहिए जब भी पानी पीजिए। वह बैठकर ही पीजिए। ठंडा पानी पीने से हमेशा ही बचना चाहिए। हो सके तो गर्मियों में ठंडी के जगह भी नॉर्मल पानी ही पीना चाहिए। इसका कारण आयुर्वेद के अनुसार यह है कि ठंडा पानी पीने से कुछ अंगों में खून सही तरह से नहीं पहुंच पाता है। इसका दुष्प्रभाव सामने देखने को यह आता है। जिससे शरीर में कमजोरी आने लगती है साथ ही आपके शरीर में बड़ी आंत भी सिकुड़ने लग जाती है। इसके कारण से आपके शरीर में समस्याएं पैदा हो जाती हैं। तो यह था आज का पोस्ट इस बारे में कि किस प्रकार से आपको अपने जीवन में पानी को पीना चाहिए ताकि आप अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सके और बीमारियों से बचे रह सके। अगर यह वीडियो/पोस्ट आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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