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आसुरी दुर्गा साधना अनुभव

आसुरी दुर्गा साधना अनुभव

आसुरी दुर्गा साधना अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अपनी लंबी यात्रा करके मैं वापस आ चुका हूं और आज आप लोगों के लिए एक ऐसे अनुभव को लेकर आया हूं जो कि माता के आसुरी स्वरूप से संबंधित है और यह अनुभव है आसुरी दुर्गा अनुभव, चलिए पढ़ते हैं इस पत्र को और जानते हैं क्या अनुभव? साधक महोदय के साथ घटित हुआ था।

ईमेल पत्र-गुरु जी.. प्रणाम गुरु जी, मुझे पता है। मैं आपको बहुत तंग करता हूं, पर मैंने सिर्फ आपको अपना गुरु माना है इसलिए मैं छोटी से छोटी चीजें सिर्फ आपसे पूछता रहता हूं। गुरु जी जैसा कि आप जानते हैं, मेरे घर में सूतक लग गया है जिसकी वजह से मेरी साधना बीच में ही खंडित हो गई है। पर गुरु जी मुझे अनुभव हुए जिनके बारे में मैं आपको बताना चाहता हूं और आपके साथ बांटना भी चाहता हूं। गुरु जी पहले दिन जब मैंने साधना शुरू करी। उस दिन से ही मुझे कुछ अनुभव होने लगे। दो माला करते वक्त मेरे मूल चक्र पर कुछ भारी सा महसूस होने लगा। जैसे कोई प्रेशर उस पर पड़ रहा हो। फिर जैसे-जैसे जाप संख्या बढ़ने लगी, वैसे वैसे मेरा ध्यान गहरा होने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरी पीठ पर हिल रहा हो और वह मूल चक्र से शुरू होकर ऊपर की तरफ बढ़ रहा था। लगभग 10 माला बाद मेरी कमर में दर्द शुरू हो गया। मुझे लगा शायद बैठने की वजह से ऐसा हो रहा है। पर मैंने आज्ञा चक्र पर बहुत तेज प्रेशर महसूस किया और मैं आसपास की सारी चीजें भूल गया। ऐसा लगा कि मानो मैं किसी ऐसी जगह पर बैठा हूं जहां कोई भी ना है। एकदम सुनसान और अच्छी जगह थी। दूसरे दिन गुरूजी फिर से यही सब हुआ पर इस बार करीब 16 माला के बाद मेरी सांसे थमने लग गई। बहुत गहरे ध्यान में खो गया और जाप करने में मुझे अच्छा लगने लगा था।

सांस थमने की हद तक हमने की और मंत्र जाप तक नहीं सुन पा रहा था। मैं धीरे-धीरे बोलते हुए मंत्र जाप करता था। पर इस दिन मेरे मुंह से आवाज निकलनी बंद हो गई। सिर्फ होठ हिलने लगे थे। गुरुजी अगले दिन कुछ विशेष नहीं हुआ। सब वही रहा जो दूसरे दिन हुआ था। पर तीसरे दिन मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे आस-पास है। मेरी आंखें बंद थी, पर महसूस बहुत ज्यादा हो रहा था और इस दिन के बाद ऐसा होने लगा कि जो मैं सोचता वही हो जाता था। काफी ज़्यादा

चीजें मैंने सोच रखी थी, भूल जाता, पर जब वह हो जाती तब मुझे ध्यान आता कि यह तो मैंने सोचा था। सही जो भी सोचता, वह होने लग जाता। मुझे बहुत अच्छे से लगने लगा। चौथे दिन गुरुजी जाप करते वक्त जो दिया मैंने जलाया था, उसमें से चटकने की आवाज आने लगी। बहुत जोर जोर की मुझे ऐसा लगा शायद न्यास करते वक्त पानी की कोई छीट दिए में चली गई होगी। पर जैसे ही मेरी ग्यारह माला पूरी हुई, उसके बाद हरमाला पूर्ण होते ही दिए में से बहुत जोर की चटकने की आवाज आने लगी। पर मैंने ज्यादा नहीं सोचा। उसके बारे में फिर जब जाप करके मै उठा और सोने के लिए गया तब दिए में से लगातार चटकने की आवाज आ रही थी बहुत जोर की, इतनी जोर की एक बार मुझे हल्का सा डर भी लग गया कि क्या यह मैं देखने के लिए फिर वापस गया तो देखा कि आवाज क्यों आ रही है पर कुछ समझ में नहीं आया। अगले दिन मैं यह सोच कर बैठा कि अगर यह कोई अनुभव है तो आज भी होगा और वह गुरु जी इस बार पहली माला से ही सब शुरू हो गया और जाप करते वक्त मुझे किसी के सांस लेने की आवाजें आती। बीच-बीच में पायलों की आवाजें भी आती। ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरे बगल में बैठा हुआ है। उसके बाद गुरुजी मैं सोने चला गया। तब गुरु जी मुझे सपने आने शुरू हुए पूरी रात मुझे सिर्फ एक ही सपना आया और सपने में आपके आसपास खाने की चीजें पड़ी थी। पहले तो मैं आपको पहचान ही नहीं पाया क्योंकि आपके चेहरे पर अंधेरा था। उसके बाद आप पर रोशनी पड़ी। आपने मुझे कुछ बोला था पर मुझे वह याद नहीं। गुरु जी उसके बाद पता नहीं कहां से 4 पंडित आए आप के लेफ्ट साइड में एक मंदिर अपने आप आ गया और वह चारों पंडित पूजा करने लगे और फिर जैसे आरती करते हैं। वैसे ही कुछ मंत्र जाप करते हुए मां दुर्गा की आरती सी करने लगे। और आप मेरे सिर पर हाथ रखकर मुझे आशीर्वाद दे रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कि सब सच में ही हो रहा है और आपका हाथ मैं अपने सिर पर उठने के बाद भी फील कर रहा था।

पता नहीं क्यों गुरुजी पर उस दिन उठने के बाद मैं बहुत ज्यादा खुश था। एक अलग सी ही खुशी मेरे अंदर आ ही गई थी। उस दिन के बाद से मुझे रोज अलग अलग तरीके के सपने आने लगे। पर उन सब में एक चीज कॉमन थी कि मुझे एक ही लड़की रोज दिखाई देती थी। मुझे साधना करते हुए लगभग 11 दिन हो गए थे। जब रात को अब मैं सोने जाता तो मुझे लगता कि कोई मेरे साथ चल रहा है। मैं जब सोने के लिए जाता तो ऐसा लगता कोई वहीं बैठा हुआ है और गुरु जी मुझे अब सांसो की आवाज साधना के बाद भी आने लगी थी। 13वे दिन से अब तो ऐसा लगता था कि हर वक्त हर पल कोई मेरे साथ है। लोग एक अलग ही।

इज्जत देने लग गए थे। ऐसा लगता था जैसे डरने से लगे हो मुझसे यहां तक कि जहां मैं जॉब करता हूं। वहां भी मेरे बॉस उनके बॉस मुझसे बहुत प्यार से और इज्जत से बात करने लग गए थे और सब मुझ पर कुछ ज्यादा ही विश्वास करने लग गए थे। गुरुजी एक चीज और हुई थी। मुझे दिन याद नहीं पर आपको मैंने पहले बताया था कि एक यक्षिणी थी जिसका नाम भी आपको मैंने पहले से  बताया था तो उस रात जाप करने के बाद मैं उस यक्षिणी के बारे में सोचता हुआ सो गया तो फिर जो लड़की मुझे रोज सपने में दिखती थी। उस दिन वह मुझसे नाराज थी। दिखी और उसने मुझे कुछ ऐसा कहा कि वह चली जाएगी और दोबारा किसी और के बारे में सोचा तो, यह उसने कहा था तो गुरु जी यह थे मेरे अनुभव, मुझे साधना करते हुए केवल 17 दिन हुए थे पर घर में सूतक लग गया और ज्ञान ना होने की वजह से मेरी खुद की वजह से साधना मैंने छोड़ दी और खंडित हो गई। गुरु जी मैं यह जानना चाहता था कि क्या मैं सूतक खत्म होने के बाद दोबारा से साधना शुरू कर सकता हूं। क्या मुझे अभी सारी सामग्री प्रवाहित करनी होगी और दोबारा से सब कुछ नए लेकर साधना शुरू करनी होगी और गुरु जी यह जो अनुभव हुए हैं। इनके मतलब क्या थे और वह लड़की कौन थी जो अब मुझसे नहीं दिखाई देती और गुरु जी आप से कब संपर्क करना हो जल्दी में तो कैसे कर सकते हैं क्योंकि मैं जानता हूं। आप बिजी रहते हैं। पर अब कभी साधना में कोई लड़की या कोई दिक्कत हो तो आपसे जल्दी से जल्दी कैसे बात हो। कृपया बताएं। गुरु जी गुरु जी प्रणाम आपका शिष्य।

संदेश-तो देखे यहां पर जो आपको आसुरी दुर्गा साधना में अनुभव हुआ है। यहां पर जो वह कन्या थी, वह कोई माता की योगिनी शक्ति थी और वह चाहती थी कि उसका संपर्क आपसे रहे और कोई ना कोई रिश्ता कायम हो। क्योंकि माता की सिद्धि तो सभी को प्राप्त नहीं होती है लेकिन उनकी सेविका शक्तियां सदैव के लिए जुड़ जाती हैं। कान में स्वर सुनाई देना, किसी की चलने की आवाज आना, पायलों की झंकार होना इत्यादि ऐसे बहुत से अनुभव है जो साधकों को होते हैं। साधना के दौरान और यह सभी योगिनी और उस बड़े देवी देवता की सहायक सेविका शक्तियां होती हैं। वही शक्ति जब यह देखती है कि आपका ध्यान किसी यक्षिणी की तरफ जा रहा है तो वह इस बात से क्रोधित हो जाती है। क्योंकि वह नहीं चाहती कि आप किसी और मार्ग पर चलें जबकि उसका संपर्क आप से पूरी तरह जुड़ चुका है। शक्तियां अपने जैसा ही साधक को बनाती हैं। अगर कोई पवित्र शक्ति है तो आपको उसी तरह की पवित्रता धारण करवाती है और एक शक्ति दूसरी शक्ति से पूरी तरह से भिन्न होती है। यक्षिणी एक अलग ही स्वरूप है और वैसे ही स्वरूप वाला अपने साधक को बनाती है। लेकिन देवी मां की शक्ति और से भी एक अलग ही रूप, स्वरूप और गुरु को धारण करने वाली होती है तो उसे ऐसा बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। इसी कारण से उसका क्रोध। आपके लिए सिद्धि खंडित होने जैसा ही बन गया तो आगे से यह ध्यान रखें कि आपको साधना पर ध्यान देना है और इसके अलावा किसी और विषय पर नहीं सोचना है। खासतौर से किसी दूसरी सिद्धि के बारे में जब एक सिद्धि आप कर रहे हो, साधना खंडित हो गई है। कोई समस्या नहीं है। आप फिर से साधना सामग्री प्रवाहित करें। नए तरीके से साधना शुरू कर सकते हैं, लेकिन अब की बार आपको समय ज्यादा लगेगा क्योंकि एक बार साधना खंडित हुई है बल्कि आपने सहायक सेविका शक्ति को नाराज भी किया है। इसलिए इसमें समय! अधिक लगेगा। लेकिन इससे आप हार मत मानिएगा और! निश्चित रूप से अपनी साधना में सात्विकता के साथ लगे रहिएगा। यह था आज का इनका अनुभव आसुरी दुर्गा साधना का। अगर आज का अनुभव आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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