नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अभी तक आपने उर्वशी अप्सरा साधना तंत्र कथा भाग 2 में जाना कि किस प्रकार से गंधर ने अपने शिष्य कपाली को इस बारे में बताया कि उर्वशी का पृथ्वी के कई मनुष्यों के साथ शारीरिक संबंध रहा है ।उसके अंदर विशेष तरह की एक दैवी ऊर्जा भी है । उसकी सिद्धि कोई साधारण सिद्धि नहीं है। यह अप्सरा सभी अप्सराओं में बहुत ही अधिक शक्तिशाली है । नारायण देव की जंघा से इसकी उत्पत्ति हुई थी। अब क्योंकि कपाली चाहता था। उसे उर्वशी की सिद्धि करवाई जाए। तो उनके गुरु गंधर ने कहा अवश्य ही मैं तुम्हें इसकी विधि बताता हूं। गुरु गंधर ने कहा कि उर्वशी को सिद्ध करने के लिए तुम्हें सबसे पहले परंपरागत विधि को अपनाना होगा। उस विधि को हम प्रथम चरण के नाम से जानते हैं। प्रथम चरण में अगर पूर्व जन्मों में कभी तुमने इस अप्सरा की साधना की होगी तो, यह प्रथम चरण में ही सिद्ध हो जाती है। किंतु अगर तुमने किसी पिछले जन्म में इसकी साधना या उपासना नहीं की है तो तुम्हें दूसरे चरण में जो गुरु द्वारा प्रदत्त विद्या है। उसका उपयोग करना आवश्यक हो जाता है। क्या तुम वह कर सकते हो? इस प्रकार से जब कपाली ने कहा अवश्य ही गुरुदेव मैं यह कार्य संपन्न कर सकता हूं । इस पर गुरु गंधर ने उन्हें पूरी विद्या बतायी। इसके बाद अकेले वन में जाकर के कपाली ने अप्सरा की साधना शुरू कर दी।
प्रथम चरण की पूजा कर लेने के बाद जब उर्वशी उसके चारों ओर किसी सुगंध के रूप में घूमने लगी, तो वह समझ गया कि निश्चित रूप से अप्सरा की मैंने पूर्व जन्म में साधना नहीं की है। इसलिए मुझे द्वितीय चरण में प्रवेश करना होगा। इस प्रकार चरणबद्ध साधना के लिए तत्पर हो गया। उसने उसी वन में रहकर अकेले कुटिया में रहकर अप्सरा की साधना शुरू कर दी। अप्सरा की साधना को करते-करते उसे जब काफी दिन बीत गए, फिर एक दिन अचानक से। कई सारी स्त्रियां। वहां पर आकर खड़ी हो गई। यह देखकर कपाली आश्चर्यचकित हो गया। वहां पर कई सारी नग्न स्त्रियां उसके चारों और घूम रही थी। सबके हृदय में केवल एक इच्छा थी वह थी कामेच्छा। वह सारी की सारी उसे संबोधित कर कहने लगी हमसे सुख पाओ। क्यों इस प्रकार साधना कर रहे हो? इस साधना को कब तक करोगे? क्या मिलेगा तुम्हें यह साधना करके, हम से तृप्त हो जाओ और भूल जाओ किसी अप्सरा को। कपाली ने कहा ऐसा करना मेरे लिए अनुचित है। पहले तो मैं किसी अन्य स्त्री के साथ संबंध नहीं बना सकता। ऊपर से आप सब एक साथ इस तरह की बातें मुझसे कह रही हैं। मैं किसी भी प्रकार से आपकी बात को मान नहीं सकता हूं। कपाली पर उन अप्सराओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अप्सराएं उसके शरीर के साथ खिलवाड़ करने लगी सबने आ करके उसके शरीर को छूना शुरु कर दिया। वे गुदगुदी करती और भाग जाती। उनकी गुदगुदी से परेशान कपाली ने अपने मंत्रों के जाप की ऊर्जा को और तीव्र कर दिया। थोड़ी ही देर में उसके शरीर से ऊर्जा स्वरूप शक्ति निकलने लगी। जिससे भयभीत होकर बहुत सारी अप्सराएं एक कोने पर खड़ी हो गई। सभी अप्सराओं ने प्रणाम करके कपाली को यह कहा कि आपके जैसा तेज हमने कहीं नहीं देखा । आप एकनिष्ठ हो करके तपस्या कर रहे हैं। इसलिए हम आपको रोक सकने में असमर्थ हैं। आपको अवश्य ही उर्वशी की प्राप्ति होगी। हम सभी चेरी सखी हैं। अपनी देवी उर्वशी की आज्ञा से ही यहां पर आई थी। कुछ दिन पूजा करने के पश्चात अचानक से वहां पर अत्यंत ही सुंदर 7 अप्सराएं प्रकट हो गई। सातों अप्सराएं उसके सामने जब आई तो वह देखकर आश्चर्यचकित हो गया। सातो ने कहा आपकी पूजा तपस्या पूर्ण हो चुकी है। आप अब हमारा उपभोग कीजिए, हम सातों आपको वचन देती हैं कि हम आपके जीवन को खुशियों से भर देंगी, सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करेंगे। अब आश्चर्य में पड़े हुए कपाली ने कहा। ऐसा कैसे संभव है? मुझे तो उर्वशी चाहिए थी यह कौन सी अप्सराएं हैं ? वह एक एक से उनका नाम पूछता है वह सातों की सातों कहती हैं कि मैं उर्वशी हूं, दूसरी कहती है- मैं भी उर्वशी हूं, तीसरी कहती है- मैं स्वयं उर्वशी इस प्रकार सातों उर्वशी उसके सामने थी। यह देख कर के कपाली का दिमाग चकरा गया। वह सोचने लगा ये सब अपना नाम उर्वशी बताती हैं । क्या यह कोई परीक्षा है ? उसने कहा आप लोग मुझे क्या प्रदान कर सकती हैं? उन पर उन्होंने कहा हम 7 ब्रह्मांडों से आई हैं। हम अलग-अलग ब्रह्मांड से आकर, आपकी पूजा सुनकर यहां पर प्रकट हो गई हैं। आपको हम अपनी सिद्धियां, अपनी सेवा देना चाहती हैं। हम आपको अपना स्वामी मानती हैं और अपने पति स्वरूप में प्राप्त करना चाहती हैं। क्या आप हमें स्वीकार करते हैं? इस पर खुश होकर कपाली ने कहा मैं एक उर्वशी की साधना कर रहा था। यहां पर तो 7-7 उपलब्ध है। इसलिए उसने कहा ठीक है लेकिन क्या आपकी कोई शर्त भी है? इस पर उन अप्सराओं ने कहा कि अवश्य ही हमारी शर्त है- आपको आज से इस साधना को यहीं रोक देना होगा। हम आपको वचन देते हैं कि हम सातों आपकी सेवा में सदैव रहेंगी। सदैव आपकी हर आज्ञा का पालन करेंगे। कपाली सोच में पड़ गया, आखिर मेरी साधना रुकवाने के लिए यह वचन भी दे रही हैं। उसने एक बार फिर से उन अप्सराओं से पूछा क्या आप वचन भंग कर सकती हैं? तो वह एक साथ बोली नहीं। हम किसी भी प्रकार से वचन भंग नहीं कर सकती। किंतु हमारी एक शर्त है कि आपको यह साधना तुरंत रोक देनी होगी। कपाली ने कुछ सोचते हुए कहा। आपको अब यहां से चले जाना चाहिए मैं साधना रोकने वाला नहीं हूं। मेरा जो पूर्ण विधान है मैं उसे इसी प्रकार करता रहूंगा। सातों ने बहुत कोशिश की सभी प्रकार के प्रलोभन और सिद्धियों की बात उन्होंने कही, लेकिन सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा कपाली में नहीं थी । कपाली जानता था कि कोई ना कोई बड़ा रहस्य छिपा है। क्योंकि यह गुरु प्रदत्त विद्या है और अगर उन्होंने इतना अधिक जाप करने को कहा है तो इसके पेचे रहस्य अवश्य है । और यह देखने में भी आया कि पहले अप्सराएं आ चुकी हैं और इस बार 7 उर्वशी आ भी गई। तो आखिर इसका अर्थ क्या है? वह साधना करता रहा । वहां कुछ देर उसकी सेवा में खड़े रहने के बाद वहां से गायब हो गई। इस प्रकार कई दिन बीतने पर जब अंतिम दिवस और जाप की पूर्णाहुति का समय आ गया। उस वक्त अचानक से ही। एक अत्यंत ही सुंदर स्त्री प्रकट होती है। उसके पैरों की छम छम करती आवाज, कपाली के हृदय को वशीक्रत कर रही थी। जब वह चलती हुई आई चारों और फूलों की वर्षा होने लगी। चारों ओर का वातावरण अद्भुत रूप से बदल गया । वह जहां बैठा हुआ तपस्या कर रहा था, उस स्थान में चारों तरफ विभिन्न प्रकार के दैवीय वृक्ष उत्पन्न हो गए, जिनकी सुंदरता अद्भुत थी । इतने अधिक सुखमय वातावरण में स्वयं को देखकर कपाली आश्चर्य में वह पड़ गया। उसने उन देवी को प्रणाम किया और अपने इस मंत्र को वहीं रोक कर उनकी ओर देखा ।जैसे ही उसकी नजर उस अप्सरा पर पड़ी, वह देखकर दंग रह गया। ऐसी शक्तिशाली सुंदर अप्सरा आज तक उसने नहीं देखी थी। यह कौन थी ? उन्होंने उस अत्यधिक सुंदर अप्सरा को प्रणाम करके कहा आप कौन हैं? इस पर प्रसन्न मुख मुस्कुराते हुए बोली- मैं उर्वशी हूं। लेकिन आप को समझाने के लिए स्वयं का विस्तृत वर्णन बताती हूँ । मैं महा उर्वशी हूं। कई ब्रह्मांड में कई उर्वशी मेरे ही अधीन है। मैं ही उन्हें सौंदर्य रूप, गायन विद्या की शक्तियां भेंट करती हूं। सभी शक्तियां मेरे ही अधीन रहती हैं। आपको यह इसलिए आश्चर्यमय लग रहा है क्योंकि अप्सराएं जल्दी सिद्ध हो जाती हैं। किंतु मैं महा उर्वशी केवल और केवल गुरु मंत्र की शक्ति से ही प्रकट होती हूँ । मेरी जवाबदेही केवल मां भगवती परा शक्ति के प्रति है। उनकी चरण धूल लेकर ही मैं यहां प्रकट होती हूं। इसी कारण से मै इतनी अधिक शक्तिशाली हूं। कोई इंद्र भी मेरे आगे टिक नहीं सकता। आपने इतनी मेहनत करके मुझे प्राप्त किया है अपने मंत्रों की ऊर्जा के द्वारा मैं आपको सब कुछ देने की क्षमता रखती हूं। बताइए मुझे आपकी क्या इच्छा है? कपाली ने कहा मुझे तो आपको देखकर ही सारी इच्छाएं पूर्ण हो गई ऐसा लगता है। फिर भी जो भी मेरे लिए उचित समझती हों वह करिए। देवी ने अपने हाथ में एक माला उत्पन्न की और वह फूलों की माला कपाली के गले में पहना दी । उनसे कहा आज से मैं आपको अपना पति मानती हूं। मैं अपने महा लोक में आपको ले जाती हूं जहां पर लाखों अप्सराएं आपकी सेविका होंगी। ब्रह्मांड की सारी उर्वशी आप के अधीन होंगी । मैं महा उर्वशी बहुत अधिक शक्तिशाली हूं। इसलिए देवराज तुल्य पद आपको देती हूं। मैं आपके साथ आपकी सहभगिनी व अर्धांगिनी बनकर आपके साथ जीवन यापन करूंगी। करोड़ों वर्षों तक आप मेरे लोक में, उस महान स्वर्ग लोक में निवास करेंगे। उसके बाद जब आपके पुण्य क्षीण होंगे फिर आपको पृथ्वी पर जन्म लेना होगा। उस दौरान भी मैं मानवीय रूप धारण करके आपके साथ आपकी पत्नी बनूंगी । मैं आपको सात जन्मों का राजा बनाती हूं। आपके साथ सात जन्मो तक विद्यमान रहूंगी। क्योंकि आपने मेरे परम स्वरुप को प्राप्त किया है। इसी कारण से समस्त ऐश्वर्या, आकर्षण, सम्मोहन और महान विद्या आपको स्वता ही हो प्राप्त जाएंगे। आप इच्छा के अनुसार ब्रह्मांड के किसी भी लोक में जा सकेंगे। आपको सभी प्रकार की सिद्धियां में प्रदान करती हूं। आपको आकाश गमन की विद्या प्रदान करती हूं। अगर आप इस लोक में और अधिक तपस्या नहीं करना चाहते तो, मैं साक्षात आपको अपने स्वर्ग लोक ले जाना चाहती हूं, जहां की एकमात्र रानी मैं हूं। मैं अपने पति के साथ वहां पर महासिंहासन पर विराजमान होना चाहती हूं। यह सुनकर कपाली की आंखों में आंसू आ गए उसे समझ में आ चुका था कि यह ब्रह्मांड छोटा है। यह ज्ञान भी बहुत छोटा है। इसलिए जितना मनुष्य की समझ में आता है। उसी अनुसार सत्य के विभिन्न रूपों को प्राप्त करता है। आज गुरु मंत्र की शक्ति से उसे महाशक्तिशाली, महा अप्सरा उर्वशी की प्राप्ति हो गई थी। इसलिए उसने अब इस लोक में रहना उचित नहीं समझा, उन्होंने कहा ठीक है। मैं आपके साथ देवता बनकर आपके ही लोक में जाना चाहता हूं। उस स्वर्ग में सदैव निवास करना चाहता हूं। महा उर्वशी ने तुरंत ही उनके साथ विवाह करके उनका हाथ पकड़, अपने साथ अपने महा लोक में ले गई। इस प्रकार से कपाली की कथा का अंत होता है जहां पर उन्होंने महा उर्वशी को प्राप्त किया था जिसके अधीन ब्रह्मांड की कई सारी उर्वशियाँ है। यह महान सत्य कोई नहीं समझ सकता केवल गुरु मंत्र की महाशक्ति से ही ऐसी अप्सरा को प्राप्त किया जा सकता है।
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