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कामाख्या कवच सिद्दी साधना

कामाख्या कवच सिद्दी साधना...

कामाख्या कवच सिद्दी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज की जो यह साधना में आप लोगों के लेकर आया हूं, इस की मांग की जा रही थी और यह है माता के कामाख्या कवच के विषय में माता के कामाख्या कवच की साधना उनके लिए बहुत आवश्यक है।जो तंत्र मार्ग में आगे बढ़ रहे हैं और ऐसे में अगर वह स्वयं स्त्री हैं और उन्हें इसी प्रकार से उनके ऊपर तांत्रिक प्रयोग या फिर ऐसी कोई चीज है। कोई व्यक्ति कर सकता है तो भी इस कवच के माध्यम से उसकी हर प्रकार से रक्षा होती है यह कवच दुर्लभ है और इस प्रकार के जो शत प्रयोग होते हैं, उनमें रक्षा व्यक्ति को मिलती है। कामाख्या कवच शुभ कवच में आता है। जीवन की स्थिति को सुधारने के लिए यह महत्वपूर्ण माना जाता है। यह आपके आसपास का सकारात्मक माहौल बनाने में मदद करता है। बुरी नजर से बचाने के लिए कामाख्या कवच का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। यह आपके जीवन में आने वाली। नकारात्मक तरंगों को नष्ट करता है जैसे कि सब जानते हैं, शक्ति अभिन्न है और यही एक शक्ति भिन्न-भिन्न अवतार लेकर भिन्न-भिन्न रूपों में जानी जाती है।

मां को कामाख्या काली और तारा इत्यादि का स्वरूप माना जाता है। मां को षोडशी और चारों युवती कामाख्या स्वरुप मानी जाती है। काली तारा और षोडश विद्या। जो कि प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान पर है। मां भगवती कामाख्या का ही स्वरूप मानी जाती है। आप अगर माता के कामाख्या स्वरूप को सिद्ध करते हैं तो तंत्र के क्षेत्र में आप निश्चित रूप से आगे बढ़ते हैं। महिलाओं के लिए विशेष रूप से यह तब फायदेमंद होता है, आपको यह बुरी नजर से बचाता है। कामाख्या कवच आपके वैवाहिक जीवन में प्रेम जीवन में खुशियां लाने का भी कार्य करता है। व्यापार में हो रहे नुकसान को रोकता है। आपके आसपास जो भी नकारात्मक शक्तियां इकट्ठा हो गई हैं, उन्हें रोकने का कार्य करता है। कामाख्या की कृपा प्राप्ति होती है। कामाख्या कवच के बहुत सारे लाभ बताए जाते हैं जैसे कि कामाख्या माता की जो भी व्यक्ति साधना करता है और उसके साथ कामाख्या कवच का पाठ करता है। उसके जीवन से तनाव दूर होता है। उसके जीवन में प्रेम संबंधी मार्ग खुलते हैं। वैवाहिक जीवन अच्छा होता है, व्यापार बढ़ता है नौकरी कैरियर में समस्याएं अगर आ रही है तो वह भी कवच समाप्त करता है।

यदि कोई व्यक्ति प्रेम प्राप्त करना चाहता है तो उसकी भी जीवन में समस्याओं को हटाता है। माता कामाख्या की कृपा दिलाने वाला या कवच दुर्लभ और सब प्रकार से कल्याणकारी है। कहते हैं जिसका प्यार उससे खो गया हो या फिर गलतफहमी हो की वजह से उसका प्रेम संबंध टूट गया हो तो भी कामाख्या कवच उस में मदद करता है। खासतौर से पति पत्नी और प्रेम संबंधों में आई दूरी को समाप्त करता है। कामाख्या कवच का शुद्धिकरण कर लेने वाला लॉटरी जुआ इत्यादि खेलों में जीतता रहता है। कामाख्या कवच से बुरी आत्मा का नाश हो जाता है और नकारात्मक ऊर्जा आपको देखते ही दूर रहती है। कामाख्या कवच आप को मजबूत आत्मविश्वास प्रदान करता है और आप को बुद्धिमान बनाता है।

माता कामाख्या! सिद्धि कि वह देवी है जिनकी माध्यम से गोपनीय से भी गोपनीय योगिनी तंत्र भैरवी तंत्र उनके लिए खुलता है, इसलिए इस कवच का पाठ भी बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव ने स्वयं देवी को यह कवच के बारे में बताया था और फिर उन्होंने नारद को भी इसके विषय में जानकारी दी थी। इस कवच की विशेषता यह भी है कि इस कवच का जो भी व्यक्ति गोपनीय तरीके से योगिनी साधना में या भैरवी साधना में पाठ करता है, उसे निश्चित लाभ प्राप्त होता है। तो चलिए आइए जानते हैं इस कागज के विषय में। भगवान महादेव पूर्व पीठिकामें इस प्रकार से कहते हैं

श्री महादेव उवाच:

पूर्व-पीठिका:

अमायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा दिन-क्षये।
नवम्यां रजनी-योगे, योजयेद् भैरवी-मनुम्॥
क्षेत्रेऽस्मिन् प्रयतो भूत्वा, निर्भयः साहसं वहन्।
तस्य साक्षाद् भगवती, प्रत्यक्षं जायते ध्रुवम्॥
आत्म-संरक्षणार्थाय, मन्त्र-संसिद्धयेऽपि च।
यः पठेत् कवचं देव्यास्ततो भीतिर्न जायते॥
तस्मात् पूर्वं विधायैवं, रक्षां सावहितो नरः।
प्रजपेत् स्वेष्ट-मन्त्रस्तु,  निर्भीतो मुनि-सत्तम॥

नारद उवाच:

कवचं कीदृशं देव्या, महा-भय-निवर्तकम्।
कामाख्यायास्तु तद् ब्रूहि,  साम्प्रतं मे महेश्वर॥

श्री महादेव उवाच:

श्रृणुष्व परमं गुह्यं, महा-भय-निवर्तकम्।
कामाख्यायाः सुर-श्रेष्ठ, कवचं सर्व-मंगलम्॥
यस्य स्मरण-मात्रेण, योगिनी-डाकिनी-गणाः।
राक्षस्यो   विघ्न-कारिण्यो।
याश्चात्म –  विघ्नकारिकाः॥
क्षुत्-पिपासा तथा निद्रा, तथाऽन्ये ये विघ्नदाः।
दूरादपि पलायन्ते, कवचस्य प्रसादतः॥
निर्भयो जायते मर्त्यस्तेजस्वी भैरवोपमः।
समासक्तमनासक्तमनाश्चापि,  जपहोमादिकर्मसु॥
भवेच्च मन्त्र-तन्त्राणां,    निर्विघ्नेन सु-सिद्धये॥

अथ कवचम्:

ॐ प्राच्यां रक्षतु मे तारा, कामरुप-निवासिनी।
आग्नेय्यांषोडशी पातु,  याम्यां धूमावती स्वयम्॥
नैऋत्यां भैरवी पातु, वारुण्यां भुवनेश्वरी।
वायव्यां सततं पातु,  छिन्न-मस्ता  महेश्वरी॥
कौबेर्यां पातु मे नित्यं, श्रीविद्या बगला-मुखी।
ऐशान्यां पातु मे नित्यं,  महा-त्रिपुर-सुन्दरी॥
ऊर्ध्वं रक्षतु मे विद्या, मातंगी पीठ-वासिनी।
सर्वतःपातुमे नित्यं,  कामाख्या-कालिका स्वयम्॥
ब्रह्म-रुपा महाविद्या, सर्वविद्यामयी-स्वयम्।
शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा,  भालं श्री भव-मोहिनी॥
त्रिपुरा भ्रू-युगे पातु, शर्वाणी पातु नासिकाम्।
चक्षुषी   चण्डिका पातु,  श्रोत्रे  नील-सरस्वती॥
मुखं सौम्य-मुखी पातु, ग्रीवां रक्षतु पार्वती।
जिह्वां   रक्षतु मे देवी,  जिह्वा ललन-भीषणा॥
वाग्-देवी वदनं पातु, वक्षः पातु महेश्वरी।
बाहू महा-भुजा पातु, करांगुलीः सुरेश्वरी॥
पृष्ठतः पातु भीमास्या, कट्यां देवी दिगम्बरी।
उदरं पातु मे नित्यं,  महाविद्या महोदरी॥
उग्रतारा  महादेवी,  जंघोरु परि-रक्षतु।
गुदं मुष्कं च मेढ्रं च, नाभिं चसुर-सुन्दरी॥
पदांगुलीः सदा पातु, भवानी  त्रिदशेश्वरी।
रक्त-मांसास्थि-मज्जादीन्, पातु देवी शवासना॥
महा-भयेषु घोरेषु, महा-भय-निवारिणी।
पातु  देवी महा-माया,  कामाख्या पीठ-वासिनी॥
भस्माचल-गता दिव्य-सिंहासन-कृताश्रया।
पातु  श्रीकालिका देवी,  सर्वोत्पातेषु सर्वदा॥
रक्षा-हीनं  तु   यत्  स्थानं, कवचेनापि वर्जितम्।
तत् सर्वं सर्वदा  पातु, सर्व-रक्षण-कारिणी॥

फल-श्रुति:

इदं तु परमं गुह्यं, कवचं मुनि-सत्तम।
कामाख्यायामयोक्तं ते सर्व-रक्षा-करं परम्॥
अनेन कृत्वा रक्षां तु, निर्भयः साधको भवेत्।
न तं स्पृशेद् भयं घोरं,  मन्त्र-सिद्धि-विरोधकम्॥
जायते च मनः-सिद्धिर्निर्विघ्नेन महा-मते।
इदं यो धारयेत् कण्ठे, बाही वा कवचं महत्॥
अव्याहताज्ञः स भवेत्, सर्व-विद्या-विशारदः।
सर्वत्र लभते सौख्यं,  मंगलं तु   दिने-दिने॥
यः पठेत् प्रयतो भूत्वा, कवचं चेदमद्भुतम्।
स देव्याः दवीं याति,  सत्यं सत्यं न संशयः॥

हे देव रक्षक कवच वह भय रोकता है। आप मुझे कामाख्या कवच के बारे में बताइए महादेव जी से नारद पूछे ,महादेव जी कहते हैं सुनो परम परम निवारक देवताओं में भी श्रेष्ठ कामाख्या का यह कवच सर्व सुलभ है जिसके स्मरण मात्र से ही योगिनी, भूतनी, भूतनी, चुड़ैल इत्यादि कई। प्रकार की राक्षसी शक्तियां नष्ट हो जाती है और स्वयं समाप्त हो जाती है। भूख प्यास निद्रा जो बात है, वह समाप्त होती है। यह शक्तियां दूर भागती है। जो भी किसी प्रकार से विनाश करना चाहती हैं। मनुष्य का जन्म निडर, तेजस्वी और निर्भीक स्वरूप धारण करता है। अनासक्त मन से अर्थात किसी प्रकार की आसक्ति ना रखते हुए जप यज्ञ आदि कर्म करने से हर प्रकार से आपकी सुरक्षा होती है। हर प्रकार की बाधा नष्ट होती है। तंत्र की सिद्धि के लिए यह बहुत ही शुभकारी माना जाता है।

जो मैंने स्त्रोत पड़ा था, उसका हिंदी में अर्थ बताते हैं कि काम रूप में निवास करने वाली देवी तारा पूर्व दिशा से मेरी रक्षा करें। दक्षिण दिशा में स्वयं धूमावती मेरी रक्षा करें। दक्षिण पश्चिम में भैरवी और वारुणी दिशा में भुनेश्वरी मेरी रक्षा करें। महेश्वरी सदैव उत्तर पश्चिम दिशा में मेरी रक्षा करें। माता बगलामुखी। सदैव मेरी रक्षा करें। उत्तर पूर्व में महा त्रिपुर सुंदरी मेरी रक्षा करें। महाविद्या मेरी ऊपर से रक्षा करें मातंगी मेरे आसन! की रक्षा करें। स्वयं कामाख्या देवी सब ओर से मेरी रक्षा करें। ब्रम्ह स्वरुप, महाविद्या और आत्म स्वरूपा दुर्गा मेरे सिर की रक्षा करें। श्री भाव मोहिनी मेरे माथे की रक्षा करें। त्रिपुरा मेरी भौहों की रक्षा करें। सर्वानी मेरी नाक की रक्षा करें। चंडिका मेरी आंखों की और नील सरस्वती मेरे कानों की रक्षा करें। सुन्दर मुख वाली मेरी माता पार्वती मेरी गर्दन की रक्षा करें। माता दुर्गा मेरी जीभ की रक्षा करें वाणी की देवी मेरी रक्षा करें। माहेश्वरी मेरी छाती की रक्षा करें। महाबाहु देवी मेरी भुजाओं की रक्षा करेंऔर मेरी अंगुलियों की रक्षा करें। देवी दिगंबरी पीछे से और कमर क्षेत्र में महाविद्या में रक्षा करें। पेट और पेट की रक्षा करें। उग्रतारा महादेवी मेरी जांघों की रक्षा करें। मांस पेशी जननेंद्रिय भी सभी की रक्षा देवी भवानी करें। मेरे पैरों की उंगलियों की रक्षा देवी करें जो देवी शवासन, रक्त, मांस, हड्डी और मजा में रहकर मेरी हर प्रकार से मेरे हर भय का नाश करते हुए रक्षा करें। देवी महामाया जो आसन पर विराजमान है, मेरी रक्षा करें।

वह उस दिव्य पहाड़ी पर स्थित है। दिव्य संघ आसन पर बैठी हुई है। माता कालिका सदेव विपत्तियों से में रक्षा करें। जो भी स्थान मैंने इस कवच में नहीं कहा है उन सभी स्थानों पर देवी मां मेरी हर प्रकार से रक्षा करें। फलश्रुति में कहा गया है श्रेष्ठ यह कवच मैंने आपको सुनाया है। यह हर प्रकार से रक्षा करने वाला है। सुरक्षा करने वाला है। प्रत्येक साधक की साधक को भेज भी नहीं पाता है जो मंत्र की सिद्धि कर लेता है जो मन की। पूर्णता को प्राप्त करता है। उसके जीवन से बाधा समाप्त हो जाती है। इस खबर को कोई अगर अपनी गर्दन या भुजा में धारण करता है तो वह ज्ञाता विद्या में पारंगत बनता है। उसे हर खुशी मिलती है। उसका दिन पर दिन सौभाग्य बढ़ता है। जो भी व्यक्ति इसका यतन पूर्वक जंगल में जाकर पाठ करता है, उसको सिद्धि मिलती है और उसकी रक्षा होती है। इसमें कोई भी संदेह नहीं है तो मां का कवच है। यह बहुत ही ज्यादा दुर्लभ माना जाता है और उसके बारे में यह जानते हैं कि इस की जो स्थिति है, वह कैसे की जाए तो इसे तो वैसे कामाख्या पीठ में करना सर्वोत्तम माना जाता है या फिर माता कामाख्या देवी मंदिर हो। उसमें अब रात्रि के समय इनका जाप करें। बहुत ही उत्तम माना जाता है। अगर आपके पास यह दोनों चीजें उपलब्ध नहीं तो मां की किसी की मंदिर में जाकर आप जा कर सकते हैं। लेकिन आपको यह जो आप ऐसे करना है कि कोई आपको देखे नहीं एकांत में।

कहते हैं माता कामाख्या का कवच स्वयं आपकी रक्षा के लिए हर प्रकार से तैयार रहता है और इसको करने का तरीका यह है कि इसका नित्य पाठ करता है और फिर मंत्र सिद्ध हो जाने पर भोजपत्र पर निर्माण करके उसे लिखकर के अनार की कलम से और केसर की स्याही से कंठ में के गले में या फिर भुजा में अपने हाथ में धारण करता है तो उस व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक शक्तियों का प्रयोग कार्य नहीं करता। दुष्ट शत्रुओं से वह सुरक्षित रहता है और भगवती माता कामाख्या की कृपा से प्राप्त होती है। इस को सिद्ध करने के कई तरीके बताए गए हैं। बहुत शुभ मुहूर्त में, जैसे कि नवरात्रि तैयारी में इसका 108 पाठ पाठ 9 दिनों तक करने से इसका अल्प सिद्धि करण होता है। ऐसे ही दिनों में आप  1008 बार पाठ करते हैं तो मध्यम सिद्धि करण होता है और 11000 पाठ करने से पूर्ण सिद्धि करण माना जाता है। यह कहा गया है कि? इनका सिद्धि करण। योग्य गुरु के संरक्षण में करना चाहिए और तब इस कवच को धारण करना चाहिए। कामाख्या कवच? के साथ में किमियां सिंदूर का भी उपयोग अवश्य करना चाहिए। इससे आपको जो सिद्धि है, वह बढ़ जाती है और सिद्धि के बाद में आप किसी और को भी रक्षित कर सकते हैं या नहीं, इसकी सुरक्षा कर सकते हैं।

जो भी स्त्रिय रजस्वला में होती है उस समय भी इसका मंत्र जाप किया जा सकता है। लेकिन यह अत्यंत ही गोपनीय तरीके से करना चाहिए और इसका पाठ जब करें तो आपको कोई देखे नहीं खासतौर से स्त्रियां।

इसका पाठ करती हैं तो उन्हें कोई ना देखें। तभी इसका पूर्ण प्रभाव आपके ऊपर पड़ेगा और आपको इसका फायदा देखने को मिलेगा। इस कवच के पाठ से माता कामाख्या की ऊर्जा शक्ति उस साधक साधिका के अंदर आ जाती है और इसी की वजह से वह तंत्र विद्या में भी निपुण बनता है। और हर प्रकार से तो उसकी रक्षा होती ही है। इसके अलावा आपके कौमार्य की रक्षा करता है और। उन दिनों में जब आपके शरीर से रक्त का स्त्राव हो रहा होता है तब भी यह हर प्रकार से आप को सुरक्षित रखता है। इसीलिए मानसिक रूप से शारीरिक हो। दोनों ही तरीके से यह आपके हर प्रकार से आपको लाभ देने वाला है और आप का कल्याण करने वाला है। गुरु से प्राप्त करके इस कवच को सिद्ध करके अद्भुत लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं क्योंकि इसी कवच में हम स्वयं 10 महाविद्याओं के साथ माता के जो प्रसिद्ध स्वरूप है उन सभी को अपनी रक्षा के लिए देखते हैं। यह थी जानकारी माता के कामाख्या कवच के विषय में अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आए तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां शक्ति।

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