नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग बात करेंगे वीर साधना की बारे में एक ऐसे वीर की साधना जो काफी गुप्त है यह साधना गोरखनाथ गुरु परंपरा में स्थापित है और उसमें भी केवल विशेष गुरुओं को ही इस विद्या के बारे में मालूम है। यह वीर की साधना है जो कि काला कलवा चौसठ वीर साधना के नाम से जानी जाती है यह साधना एक शक्तिशाली वीर को उत्पन्न करती हैं जिसमें 64 वीरों की शक्ति मानी जाती है।
यह एक अत्यंत शक्तिशाली वीर माना जाता है। इस वीर की सामर्थ्य बहुत ही अधिक है और लगभग सभी प्रकार के कर्मों को करने की क्षमता रखता है।विशेष रूप से मारण कर्म में, और अन्य जिन कर्मों के माध्यम से शक्ति का प्रदर्शन किया जा सकता है उनमें यह विशेष रूप से लाभप्रद माना जाता है। इस साधना के लिए आपको केवल और केवल श्मशान भूमि तथा अर्धरात्रि की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए तो दिशा निर्धारित की जाती है वह दक्षिण दिशा मानी जाती है।
सबसे पहले हम लोग जानते हैं कि इसके लिए आपको क्या सामग्री लगती हैं? सबसे पहले आपके पास लाल वस्त्र होने चाहिए। लाल फूल।गुड़। चावल की खीर। 5 सुपरियाँ । 5 पान के पत्ते। पांच लॉन्ग और सिंदूर। सिंदूर, घी से अभिमंत्रित घेरा बनाकर। पहले साधना स्थल को सुरक्षित कर लेना आवश्यक होता है। इसके बिना आपको किसी भी प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ सकती है। यह जो घेरा आप बनाएंगे यह सिंदूर और घी से अभिमंत्रित करके बनाया जाता है। फिर उसमे आसन लगाकर के दक्षिण की दिशा की ओर मुंह करके बैठा जाता है।
सामने कोई जलती चिता स्थापित होनी चाहिए। 108 मंत्रों से पूजा करके। फिर उसमें खीर को चढ़ाना चाहिए। इसके बाद पान फूल चढ़ाकर, सिंदूर से पान के पत्ते को अभिमंत्रित करना चाहिए। इसके बाद मंत्र जाप करते हुए ध्यान को लगाना चाहिए। 1 दिन में 1188 मंत्रों से शुरू करते हुए प्रतिदिन 108 की संख्या बढ़ानी चाहिए और यह प्रक्रिया 21 रात्रि तक करनी चाहिए। याद रखें इसमें आपको साधना स्थल को नहीं बदलना है।
वीर के प्रकट होने पर उसे 3 वचन लेने चाहिए। सावधानियों की विशेष तरह से ध्यान रखनी चाहिए। याद रखें इस साधना को करने के लिए आपको। 21 दिन की रात्रियां लगती हैं जिसके लिए आपको नई-नई चिता ढूंढनी पड़ती है। एक चिता में जब तक आग ठंडी नहीं होती तब तक जाप करके उसको ढूंढा जाता है। यहां पर बात याद रखने वाली यह है कि मंत्र जाप के साथ ध्यान आपका लगा रहना चाहिए और चिता की आग ठंडी होने पर थोड़ी राख और थोड़ा कोयला लेकर रखते जाना चाहिए।
जिससे कि यह सिद्धांत रूप से यह रहे कि आपकी साधना बंद नहीं हुई है। विभिन्न प्रकार के भय वीर उत्पन्न कर सकता है, आपको डराने की कोशिश करता है उससे आपको डरना नहीं चाहिए। और आपको कंसंट्रेशन पूरी तरह से उस साधना के प्रति बना करके रखना चाहिए। ताकि आप किसी प्रकार से जाप नही छोड़ेंगे तो निश्चित रूप से आपको सिद्धि मिलती ही मिलती है।
इस साधना का जो मंत्र है आप मेरी पोस्ट के आखिरी में लिंक दिया हूं। वहाँ से मंत्र जान सकते हैं। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है किसी भी साधना में। आपका सावधानी बरतना। तो अगर सावधानियों की बात की जाए तो आपको इसमें क्या क्या सावधानियां बरतनी हैं उसके विषय में यहां पर जान लेते हैं।
पहली बात साधना काल में आपको काम भाव से पूरी तरह से बचना होता है। धूम्रपान, आलस्य प्रधान भोजन नहीं करना चाहिए। इस समय जलद प्रधान भोजन भी नहीं करना चाहिए। वर्षा काल में यह साधना आपको नहीं करनी चाहिए, इसके लिए आपको चैत्र, वैशाख या जेठ का महीना उत्तम माना जाता है।
प्रतिदिन सौंफ का शरबत पीना आपके लिए उचित माना जाता है। साधना काल के प्रारंभ में अनेक प्रकार की तामसिक शक्तियां हैं वह आपको भयभीत करती हैं उनसे आपको डरना नहीं होता है और साधना जारी रखनी होती है। अगर आप भयभीत होकर अपना स्थान छोड़ देते हैं तो फिर आपके ऊपर शक्तियां हावी हो सकती हैं और आपका मन और मस्तिष्क विचलित कर सकती हैं।
जिसकी वजह से लोगों को अधिकतर, सिद्धियों के दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। लोग पागल हो जाते हैं और या फिर उन्हें कोई ऐसी गलत चीज लग जाती है जिसकी वजह से वह हमेशा उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं पर छुड़ा नहीं पाते हैं आप जब पूरी तरह से इस चीज के लिए तैयार हो तभी ऐसी साधनाएं करें। किसी भी अवस्था में इस साधना को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। संकल्प करने के बाद पूरे सिद्धि प्राप्त कर लेना आवश्यक होता है।
इस बात का ध्यान देना होता है और जब आप पहली बार वहां जाते हैं तो हाथ में जल लेकर उसके बाद उसे नीचे गिरा देते हुए संकल्प लें कि है श्मशान के भैरव स्वरूप वीर। मैं आपको सिद्ध करना चाहता हूं इसके लिए मैं 21 दिन का साधना संकल्प लेता हूं। क्योंकि यह शक्तिशाली वीर है इसलिए इसे भैरव तुल्य ही मानना चाहिए। इस साधना के बाद किसी को देखने पर आप उसकी मृत्यु का ज्ञान भी प्राप्त कर सकते हैं कि यह कैसे और कब मरेगा? लेकिन इन बातों को सिर्फ आप अपने तक ही सीमित रखेंगे किसी को यह बातें बतानी नहीं चाहिए। इसके अलावा आप किसी के भी बल और पौरुष को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। उसके अंदर भिन्न प्रकार के वीरता के भाव पैदा कर सकते हैं आप उसके सिर पर हाथ रख कर के अपनी शक्ति द्वारा यह कार्य किया जा सकता है ।
किसी शारीरिक कष्ट के समय साधना को नहीं करना चाहिए। स्त्रियों के लिए मासिक धर्म में इस साधना को वर्जित बताया गया है। कष्ट दूर होने पर पुनः नियम से साधना जारी रख सकते हैं। इस साधना के दौरान पेट को हमेशा साफ रखना चाहिए। अगर कब्ज हो तो घी मे भुनी हुई हरड़ और बहेड़ा का इस्तेमाल करना चाहिए। इस प्रकार से जब है आप जब साधना करते हो तो इस से सिद्धि को प्राप्त किया जा सकता है।
यह वीर साधना है। शक्ति प्राप्त करने के लिए मूलतः की जाती थी और पुराने समय में भिन्न-भिन्न प्रकार के युद्दों में इनका उपयोग किया जाता था। किसी से आप बैर मत कीजिए क्योंकि बैर करने पर वीर तुरंत उसका नाश करने के लिए चल पड़ता है।
वचन तीन प्रकार के हमेशा लीजिए। ताकि आपको कोई समस्या ना रहे और वीर आपकी इच्छा विरुद्ध कुछ ना करें। तो साधारण तरीके से जो 3 बातें हैं वह यही है कि आपको उससे कहना है कि- जब भी मैं आपको आपके मंत्रों के माध्यम से बुलाऊंगा आपको आना होगा। मेरी इच्छा अनुसार ही कोई कर्म करना होगा। जब तक मैं ना कहूं कुछ नहीं करना है आपको। इस प्रकार यह तीनों वचन आवश्यक रूप से आपको ले लेने चाहिए, इसके माध्यम से वीर की सिद्धि हो जाती है।
सिद्धि होने पर आप जब कुछ कर्म करते हैं तो बड़ी ही वीरता के साथ में करते हैं। मै जब एक वीर सिद्धि साधक से मिला था, जिनके पास वीर की सिद्धि थी तो वह पूरे के पूरे एक खेत जिसमे वह गन्ना काटते थे पूरे क्षेत्र के गन्ने, मतलब केवल उन्हें 5 मिनट से 10 मिनट लगते थे और एक पूरे खेत के 1 बीघा खेत के वह गन्ने को काट लेते थे इतनी तेजी से काम करते थे कि उनके साथ खड़े हुए नौकर चाकर उनके साथ काम करना ही बंद कर दिए थे।
सब वीर की शक्ति के कारण ऐसा होता था और उस अवस्था में उनकी उम्र 65 साल थी, वह 40 वर्षों से वीर साधना कर रहे थे। वीर शक्ति के माध्यम से आपके अंदर ऐसी ताकत और शक्ति आ जाती है। जिसका आप बहुत ही अधिक फायदा उठा सकते हैं और अत्यधिक बल प्राप्त कर सकते हैं। जो लोग कुश्ती लड़ते हैं या फिर किसी प्रकार का दंगल या कोई शारीरिक श्रम की बात होती है उनके लिए वीर सिद्धि बहुत ही अधिक फायदेमंद होती है। लेकिन वीर शक्ति के साथ में जो तामसिक शक्तियां आपके अंदर प्रकट होती है। उनसे सदैव बचते रहना चाहिए और कभी भी अपने गुरु मंत्र को नहीं छोड़ना चाहिए, तभी इस तरह की शक्तियां आपके ऊपर हावी नहीं होती हैं । तो यह थी वीर साधना अगर आपको यह पसंद आई है तो शेयर करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद।
मंत्र – ॐ हुं हुं नमः वीरों के वीर महावीर काला कलुवा चौसठ वीर ॐ क्लीं क्लीं क्लीं हुं हुं फट स्वाहा